Thursday, January 10, 2013

BHAGVATI DURGA SADHNA PRAYOG


 
In today’s era every person knows how much important security is in human life. It has become certain that whether we desire or not, danger of any enemy or any other form of insecurity always remain in our materialistic lives. And besides it, obstacles which come visibly or invisibly, they introduce human life to formidable circumstances. In today’s era anyone may have to face hatred and jealousy at each step and on the other hand, there is always a fear from known and unknown enemies. If person move towards progress, then danger from enemies increases too. In such circumstances, person always remains worried about his own security and also of his relatives. It is a natural thing because merely attaining pleasure is not everything in life, to add to that, it is also needed that person is completely secured and at the time of need, he gets that needed security. Aim of Tantra is that person gets completeness in both materialistic and spiritual aspects. To add to it; wherever there are shortcomings in person’s life, he can get rid of it and completely enjoy his life. And in this context, there are present many prayogs and sadhna in field of Tantra.
Prayog presented here is one very exceptional prayog because it is not merely any other prayog to attain security rather this prayog provides sadhak progress in attaining Bhoga and salvation at same time. On one hand, with goddess’s grace, security is obtained, and on the other hand, person can also experience/feel goddess also through this prayog. How can it be so easy to feel the divine presence of goddess? But there is no word like impossible in Tantra. Definitely this prayog is easy and person can do it in two ways. In one form, sadhak gets rid of problems related to materialistic life and attains security. On other hand, through this prayog, manifestation of goddess is also possible in astral/subtle form or in image form. Certainly, attaining such prayogs is auspicious for anyone because this simple prayog can be done by any person, since it is simple , even new entrants into this field can follow this Prayog (which is rare to even gods) and get blessing and grace of goddess.
Sadhak can start this prayog on any auspicious day.
It should be done after 10:00 P.M.
Sadhak can do this prayog anywhere but at the time of sadhna, there should not be any other person present alongside sadhak.
Sadhak should take bath in night and should sit facing North Direction. Dress and aasan should be of red colour.
In this prayog, sadhak should establish energized Idol/Yantra of Bhagwati Durga in front of him. Sadhak should do Sadguru Poojan, Ganpati Poojan and Bhairav Poojan etc. and after it, Sadhak should also do poojan of idol/yantra/picture of goddess. Chant Guru Mantra and get blessings of Sadgurudev for attaining success. After it, sadhak should do Nyaas procedure and thereafter chant basic mantra.
KAR NYAAS
OM AAM ANGUSHTHAABHYAAM NAMAH
OM HREEM TARJANIBHYAAM NAMAH
OM KLEEM SARVANANDMAYI MADHYMABHYAAM NAMAH
OM SHREEM ANAAMIKAABHYAAM NAMAH
OM DRUM DROOM KANISHTKABHYAAM NAMAH
OM HOOM KARTAL KARPRISHTHAABHYAAM NAMAH

HRIDYAADI NYAAS

OM AAM HRIDYAAY NAMAH
OM HREEM SHIRSE SWAHA
OM KLEEM SARVANANDMAYI SHIKHAYAI VASHAT
OM SHREEM KAVACHHAAY HUM
OM DRUM DROOM NAITRTRYAAY VAUSHAT
OM HOOM ASTRAAY PHAT
After Nyaas, sadhak should chant basic mantra. Sadhak can use Moonga rosary, Shakti Rosary or Vidyut Rosary for this purpose. Sadhak should chant 21 rounds of the below mantra.
om aam hreem kleem shreem drum droom hoom phat
Sadhak should do this procedure for 3 days. After it, whenever sadhak feels the need, sadhak can sit at worship place or any clean place and chant 1 round of this mantra. By doing so, sadhak gets solution of his problem.
If sadhak does this procedure for 7 days instead of 3 days then sadhak gets Darshan (Manifestation) of goddess in image form.

=======================================
मनुष्य जीवन में सुरक्षा का कितना अधिक महत्त्व हो सकता है यह आज के युग में हर एक व्यक्ति जनता है. निश्चय ही भौतिक जीवन में हमारे चाहते न चाहते हुवे कभी शत्रु तो कभी किसी और रूप में भी असुरक्षा का आभास तो हमेशा बना ही रहता है. और इसके अलावा कभी कभी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में जो बाधाएं आती रहती है वह मनुष्य के जीवन को किसी भी समय विकट स्थिति का परिचय करा देती है. आज के युग में जहां पग पग पर द्वेष तथा इर्षा का सामना किसी को भी करना पड़ सकता है, वहीँ दूसरी तरफ ज्ञात अज्ञात शत्रुओ का भय भी हमेशा लगा ही रहता है. अगर कोई व्यक्ति प्रगति की और गतिशील होता है तो निश्चय ही शत्रु का भी खतरा उतना ही ज्यादा बढ़ने लगता है. एसी स्थिति में हर एक व्यक्ति अपने तथा अपने सबंधितो की सुरक्षा को ले कर हर वक्त मानसिक दबाव में रहता है. यह एक स्वाभाविक स्थिति है क्यों की मात्र भोग को प्राप्त कर लेना ही सब कुछ कहाँ है, इसके साथ ही साथ यह भी तो उतना ही आवश्यक है की व्यक्ति अपने जीवन में पूर्ण सुरक्षित रहे, तथा ज़रूरत पड़ने पर उसको सुरक्षा की प्राप्ति हो जाए. तंत्र का उद्देश्य यही है की भौतिक तथा अध्यात्मिक दोनों ही पक्ष में व्यक्ति पूर्णता को प्राप्त कर सके. साथ ही साथ जहां पर भी व्यक्ति के जीवन में न्यूनता है उसकी वह पूर्ती कर सके तथा जीवन का पूर्ण आनंद ले सके. और इसी सबंध में तंत्र क्षेत्र में कई कई प्रयोग और साधना का अस्तित्व है.
प्रस्तुत प्रयोग भी इसी क्रम का एक अत्यधिक विलक्षण प्रयोग है. क्यों की यह मात्र रक्षा प्राप्ति के अन्य प्रयोग की तरह नहीं है, वरन यह प्रयोग एक साथ भोग तथा मोक्ष दोनों ही गुणधर्मो में साधक को उन्नति प्रदान करता है. एक तरफ जहां उसे देवी के आशीर्वाद से सुरक्षा की प्राप्ति होती है, वहीँ इसी प्रयोग के माध्यम से देवी का अनुभव भी कर सकता है. देवी की दिव्य उपस्थिति का आभास प्राप्त करना भला इतना भी सहज कैसे. लेकिन तंत्र में असंभव जेसा तो शब्द ही नहीं है. निश्चय ही यह प्रयोग सहज है तथा व्यक्ति इसे दो रूप में कर सकता है, एक स्वरुप में साधक को भौतिक जीवन से सबंधित समस्याओ का निराकरण तथा सुरक्षा की प्राप्ति होती है तो वहीँ प्रयोग के माध्यम से सूक्ष्म रूप में या बिम्ब के रूप में देवी के दर्शन भी सुलभ हो सकते है. निश्चय ही ऐसे प्रयोग का प्राप्त होना किसी का भी सौभाग्य ही है क्यों की यह सहज प्रयोग कोई भी व्यक्ति कर सकता है, सरल होने के कारण इस क्षेत्र में जो नए व्यक्ति है वह भी ऐसे देव दुर्लभ प्रयोग को अपनाकर अपने जीवन को देवी कृपा से धन्य बना सकता है.
यह साधना प्रयोग साधक किसी भी शुभ दिन शुरू कर सकता है.
समय रात्री में १० बजे के बाद का रहे.
साधक यह प्रयोग कही भी कर सकता है लेकिन साधना के समय साधक के साथ और कोई भी व्यक्ति नहीं होना चाहिए.
साधक रात्री में स्नान से निवृत हो कर उत्तर दिशा की तरफ मुख कर बैठ जाए. साधक के वस्त्र तथा आसान लाल रंग के होने चाहिए.
इस प्रयोग में साधक को अपने सामने भगवती दुर्गा का चैतन्य विग्रह या यन्त्र को स्थापित करना चाहिए. साधक सदगुरुपूजन, गणपति पूजन, भैरवपूजन आदि सम्प्पन करे तथा उसके बाद साधक देवी के विग्रह, यंत्र या चित्र आदि का भी पूजन करे. गुरु मंत्र का जाप कर सदगुरुदेव से सफलता प्राप्ति के लिए आशीर्वाद ले. इसके बाद साधक न्यास कर के मूल मंत्र का जाप करे.
करन्यास
आं अङ्गुष्ठाभ्यां नमः
ह्रीं तर्जनीभ्यां नमः
क्लीं सर्वानन्दमयि मध्यमाभ्यां नमः
श्रीं अनामिकाभ्यां नमः
द्रुं द्रूं कनिष्टकाभ्यां नमः
हूं फट् करतल करपृष्ठाभ्यां नमः

हृदयादिन्यास
आं हृदयाय नमः
ह्रीं शिरसे स्वाहा
क्लीं शिखायै वषट्
श्रीं कवचाय हूं
द्रुं द्रूं नेत्रत्रयाय वौषट्
हूं फट् अस्त्राय फट्
न्यास के बाद साधक मूल मन्त्र का जाप करे; यह जाप मूंगा माला से शक्ति माला से या विद्युत माल्य से होना चाहिए. साधक को २१ माला मन्त्र जाप करना चाहिए.
ॐ आं ह्रीं क्लीं श्रीं द्रुं द्रूं हूं फट्
(om aam hreem kleem shreem drum droom hoom phat)
यह क्रम ३ दिन साधक को करना चाहिए. इसके बाद जब भी आवश्यकता लगे तब साधक इस मन्त्र की पूजा स्थान में या किसी साफ़ स्थल में बैठ कर एक माला मंत्र का जाप करे तो समस्या का समाधान प्राप्त होता है.
 साधक अगर 3 दिन की जगह ७ दिन यह क्रम करता है तो देवी के बिम्बात्मक रूप से दर्शन साधक को प्राप्त होते है.
****NPRU****

No comments:

Post a Comment