Earth is very subtle part of this
infinite universe and on this earth; existence of each person can also be
called subtler than subtle. But still we fix one particular limit of our
knowledge and do not want to think beyond it. In today’s era, many people raise
many questions regarding Itar Yonis but there are innumerable questions whose
answers have not yet been attained by science. There exists a limit to thinking
of modern science beyond which it is not possible to think. But in today’s era
and in ancient times too, there are thousands of examples related to Itar Yoni.
Though some Bhoot prets or creatures
of other Itar Yoni can be highly sensible, well-mannered and well-disciplined
but mostly it’s opposite have been seen. It can be understood in this manner
that person in his lifetime has been more active in order to satisfy his Vaasna
(craving) , so after death , he attains various Vaasna Shareer(Body) instead of
Astral Body. Vaasna (craving) here does not only mean sex rather all negative
and immoral feelings inside human which give rise to thoughts of causing harm
to others can be called Vaasna. Through these various bodies Bhoot, Pret and Brahma
Rakshas exist. After death too, they do not get freedom form their mental state
and they do Karmas in accordance with their erstwhile nature and they get
special satisfaction from harming others. And for this reason some Bhoot Pret
etc. starts affecting some places or person’s mind. Some Itar Yonis even enter
the body of person having weak spiritual power and fulfil their mean desires.
Such incidents usually are witnessed by us. But what a person or sadhak can do
in order to get riddance from such type of pain.
Prayog presented here is related to
Bhagwati Mahakaali Shamshaanvaasini. Through this prayog, sadhak on one hand
can secure himself and his own family and on the other hand help those
afflicted person who suffer from such problems. Sadhak attains intensity due to
which person can get rid of Itar Yoni related obstacles and by the grace of
Shamshaanvaasini, can provide people riddance from such problems. This Prayog
is intense prayog but it will not harm sadhak. Therefore, any sadhak can do
this prayog without any anxiety. In this manner, sadhak after doing this prayog
can help hundreds of people. But sadhak should not misuse his own power.
Goddess never allows any inconvenience to be caused to sadhak who works for
welfare and best interests of people.
Sadhak should
start this prayog on eighth day of Krishn Paksha or any Sunday. It should be
done after 10:00 P.M in night.
It is best for sadhak if he does this
prayog in cremation ground. But, if it is not possible then sadhak can also do
it at home. If this prayog is being done in shamshaan then sadhak should first
of all completely understand security procedure and then do prayog in cremation
ground.
Sadhak should take bath in night, wear
red dress and sit on red aasan facing North direction.
After it, sadhak should do Poojan of Sadgurudev,
Lord Ganpati and Bhairav and establish idol/yantra of Mahakaali in front of him
and do its poojan. Lamp used in poojan should have four wicks. Lamp can even be
made by flour.
Sadhak after doing Nyaas procedure
etc. should do dhayan of Shamshaan Kaali and after it, sadhak should chant
basic mantra.
KAR NYAAS
KRAAM
ANGUSHTHAABHYAAM NAMAH
KREEM TARJANIBHYAAM
NAMAH
KROOM MADHYMABHYAAM
NAMAH
KRAIM ANAAMIKAABHYAAM
NAMAH
KRAUM
KANISHTKABHYAAM NAMAH
KRAH KARTAL
KARPRISHTHAABHYAAM NAMAH
ANG NYAAS
KRAAM HRIDYAAY NAMAH
KREEM SHIRSE SWAHA
KROOM SHIKHAYAI
VASHAT
KRAIM KAVACHHAAY HUM
KRAUM NAITRTRYAAY
VAUSHAT
KRAH ASTRAAY PHAT
Sadhak should chant 51 rounds of the
below mantra. Sadhak can take rest for some time after 21 rounds. Sadhak should
use Rudraksh rosary. This procedure should be done by sadhak for 3 days. After
3 days, Sadhak should throw rosary in cremation ground.
Mantra:
OM KREENG SHAMSHAANVAASINE BHUTAADIPALAAYAN KURU KURU
NAMAH
After it , whenever sadhak has to use
this Mantra , then sadhak should mentally recite above-said mantra 7 times at
place afflicted by Bhoot Prets or going near such person , pray to Shamshaan
Kaalika and while chanting mentally the Mantra , sprinkle water on that person
or related person , the obstacle is removed.
============================== यह अनंत ब्रह्माण्ड का एक अत्यंत ही सूक्ष्म भाग यह पृथ्वी है, और इस पृथ्वी पर हर एक व्यक्ति का स्वयं का अस्तित्व भी अत्यधिक सूक्ष्म से सूक्ष्मतम ही कहा जा सकता है, फिर भी हम अपने ज्ञान को अपनी सीमा बना कर उससे आगे न सोचने के लिए कटिबद्ध हो जाते है. आज के युग में भले ही मनुष्य के अलावा इतरयोनी पर विविध प्रकार के प्रश्न कई कई लोग लगाते है लेकिन ऐसे अनगिनत सवाल है जिसका उत्तर अभी तक विज्ञान के द्वारा प्राप्त नहीं हुआ है. क्यों की आधुनिक विज्ञान की विचारधारा की एक सीमा है जिसके आगे सोचना संभव नहीं है. लेकिन आज के युग में भी तथा पुरातन काल में हज़ारो प्रकार के उदहारण देखने को मिलते है जो की इतरयोनी से सबंधित होते है.
यूँ कुछ भूत प्रेत या
दूसरी इतरयोनी के जीव अत्यधिक संवेदनशील तथा शालीन और मर्यादापूर्ण भी हो सकते है
लेकिन ज्यादातर इसके विपरीत ही देखा जाता है. समजने के लिए इसे कुछ इस प्रकार समजा
जा सकता है की वस्तुतः मनुष्य के अपने पुरे जीवन काल में वासनात्मक रूप से अत्यधिक
सक्रीय रहा है, तो मृत्यु परंत उसको सूक्ष्म शरीर की प्राप्ति न हो कर विविध वासना
शरीर की प्राप्ति होती है. वासना का अर्थ यहाँ पर मात्र काम से नहीं है, मनुष्य के
अंदर की सभी नकारात्मक और अनैतिक भावना जिसके माध्यम से किसी का भी अहित करने की
विचार मस्तिष्क में जन्म ले उसे भी वासना ही कहा जा सकता है. यही विविध शरीर से
भुत, प्रेत, ब्रह्मराक्षस आदि का अस्तित्व है. मृत्यु परंत भी इनकी मानसिक
दशा-अवदशा से मुक्ति न होने के कारण यह अपने स्वभावगत कर्म ही करते है तथा दूसरों
को हानि पहोचाने के कार्य में विशेष तृप्ति होती है और इसी कारण कई बार कई भूत
प्रेत इत्यादि कोई जगह या किसी व्यक्ति के मानस पर अपना प्रभाव डालना शुरू कर देते
है. व्यक्ति के आत्मिक बल की या शक्ति की कमी होने पर कई व्यक्तियो के शरीर में भी
प्रवेश कर अपनी पैशाचिक इछाओ की पूर्ति कई इतरयोनी करती है ऐसे कई किस्से सामने
आते रहते है. लेकिन इस प्रकार की पीड़ा से मुक्ति के लिए व्यक्ति या साधक किस
प्रकार कार्य कर सकता है.
प्रस्तुत प्रयोग भगवती
महाकाली शमशानवासिनी के सबंध में है. इस प्रयोग के माध्यम से साधक एक और स्वयं तथा
अपने परिवार की सुरक्षा कर सकता है, उसके साथ व्यक्ति अपने जीवन में एसी बाधाओ से
ग्रस्त पीडितो की मदद भी कर सकता है. साधक के अंदर यह तीव्रता की प्राप्ति होती है
जिसके कारण व्यक्ति इतरयोनी की बाधा को दूर कर सकता है तथा भगवती शमशानवासिनी की
कृपा फल से कई लोगो की समस्या को दूर कर सकता है. यह प्रयोग तीव्र प्रयोग है लेकिन
साधक का अहित होने की कोई चिंता नहीं है. अतः कोई भी साधक निश्चिंत हो कर यह
प्रयोग सम्प्पन कर सकता है. इस प्रकार साधक एक प्रयोग कर के सेकडो लोगो की मदद कर
सकता है. हाँ, साधक को अपनी शक्ति का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए. हमेशा लोक हित तथा
लोक कल्याण के कार्य में रत साधक को देवी किसी भी प्रकार की असुविधा नहीं होने
देती.
साधक यह प्रयोग कृष्ण पक्ष की अष्टमी या किसी भी रविवार को शुरू करे. समय रात्रि में १० बजे के बाद का रहे.
साधक के लिए यह उत्तम
है की वह शमशान में जा कर यह प्रयोग करे लेकिन अगर यह संभव न हो तो साधक इसे घर पर
भी सम्प्पन कर सकता है. अगर शमशान में यह प्रयोग करना हो तो साधक को पूर्ण रक्षा
विधान आदि प्रक्रियाओ की पूर्ण समज ले कर ही यह प्रयोग शमशान में करना चाहिए.
साधक रात्रि में
स्नान से निवृत हो कर, लाल वस्त्र धारण कर लाल आसन पर बैठ जाए. साधक का मुख उत्तर
की तरफ ही होना चाहिए.
इसके बाद साधक
सदगुरुदेव, गणपति, भैरव पूजन सम्प्पन करे, तथा महाकाली का यन्त्र या विग्रह अपने
सामने रखे. और पूजन करे. पूजन में जो दीपक रहे वह चार मुख वाला हो. यह दीपक आटे से
भी बनाया जा सकता है.
साधक न्यास आदि
प्रक्रिया को कर देवी शमशानकाली का ध्यान करे. तथा उसके बाद साधक मूल मन्त्र का
जाप करे.
करन्यास
क्रां अङ्गुष्ठाभ्यां नमः
क्रीं तर्जनीभ्यां नमः
क्रूं मध्यमाभ्यां नमः
क्रैं अनामिकाभ्यां नमः
क्रौं कनिष्टकाभ्यां नमः
क्रः करतल करपृष्ठाभ्यां नमः
अङ्गन्यास
क्रां हृदयाय नमः
क्रीं शिरसे स्वाहा
क्रूं शिखायै वषट्
क्रैं कवचाय हूम
क्रौं नेत्रत्रयाय वौषट्
क्रः अस्त्राय फट्
साधक को निम्न मन्त्र की ५१ माला मंत्र जाप करना है. साधक २१ माला के बाद
थोड़ी देर विश्राम ले सकता है. साधक को रुद्राक्ष माला का प्रयोग करना चाहिए. यह
क्रम साधक को ३ दिन करना चाहिए. ३ दिन पूर्ण होने पर साधक माला को शमशान में फेंक
दे.
मन्त्र
:- ॐ क्रीं शमशानवासिने भूतादिपलायन कुरु कुरु नमः
(OM KREENG SHAMSHAANVAASINE
BHUTAADIPALAAYAN KURU KURU NAMAH)
इसके बाद साधक को जब भी मन्त्र का प्रयोग करना हो तो भुत प्रेत ग्रस्त किसी
भी जगह में या व्यक्ति के पास जा कर उपरोक्त मंत्र को ७ बार मन ही मन उच्चारण कर शमशान
कालिका को प्रणाम कर, मन्त्र का मानसिक जाप करते हुवे उस जगह या सबंधित व्यक्ति पर
पानी छिडके तो बाधा दूर होती है.
****NPRU****
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