BUDDHI DEHI,
YASHO DEHI! KAVITY DEHI DEHI ME |
KUBUDDHI HAR MEM
DEHI! TRAAHI MAA SHARNAAGATAM||
STOTRENAANEN
DEVESHI STUTVA DEVIM SURESWAREEM|
SARVAAN
KAAMAANVAAPNOTI SARV VIDYA NIDHIBHAARVET||
Prayer of Bhagwati Neel Tara clearly illustrates
that intellect, knowledge and fame is possible by grace of Bhagwati Aadya
Shakti Maa Neel Tara. Fulfillment of all the desires and attaining competence
in all the Vidyas is automatically and easily possible by Neel Tara sadhna. Sadgurudev
Ji has told multiple times that if gaining spiritual heights in life is
necessary then giving concrete base to materialistic life is also an important
element and if I live in luxury, then all my disciples should also live a
luxurious life and both these states are possible only through one sadhna i.e.
Bhagwati Tara sadhna. Various forms of Bhagwati Tara are mostly
appropriate for wealth-providing, prosperity and attainment of Shri element in
right sense. On the other hand her Neel Saraswati form and that too her Medha
form, is amazing. Because without intellect, without knowledge and without mental
vigor, person’s life is nothing more than earthworm life. High-level
intellectual capability is base of life, it should be considered as one of the
necessity to reach heights in life.
And this is possible not merely by our efforts; it
very much requires strength of sadhna. Therefore,
Sadgurudev stressed on sadhna again and again. He said that nothing is possible
by just sitting idle and cursing the fate. If sadhak finds Sadgurudev in life
and still sadhak remains idle then it will be as unfortunate as person going
near river and still remaining thirsty. Journey from being a sadhak to a
disciple is possible very easily but concretely through sadhna path. In today’s era, need for money is most important but along with it
where it has to be utilized and how, it requires intellect ability otherwise
possessing only intellect capability or possessing only money will make life
one-dimensional.
There are many benefits of this sadhna
Person having weak intelligence can also become a highly intellectual
person.
Students also become capable to attain high level of progress in their
educational life through this sadhna.
Parents can also do this prayog for their children and can make their
chances of attaining higher education brighter.
For youth too, who have to pass interview for getting a job or
qualifying for higher education, for them too, this sadhna is capable of
opening doors of good-fortune.
This sadhna is capable of making path of attaining higher-level
spiritual knowledge very easy for sadhak.
This sadhna is also important for increase in livelihood of a person.
This sadhna carries significance in providing completeness to life in
financial and all the aspects.
Getting accomplishment in this form of Mahavidya also gets rid of
obstacles in the path that leads to complete accomplishment of this Mahavidya.
Form of Bhagwati Neel Tara is not only confined to knowledge rather this
sadhna is also important for uprooting all the inner and outer enemies of sadhak.
Seen in this manner, this sadhna is auspiciousness
of life and getting such easy sadhna in today’s era is blessing of Sadgurudev
and grace of Bhagwati Aadya Maa.
But if this sadhna is done in Holaashtak, then it
provides exceptional results. This time, not only
Holaashtak starts from 20th March but Ashtmi all falls on the same day which is
best day for Bhagwati Tara sadhna. And it is Wednesday which makes it an
amazing coincidence. In this manner, special Muhurat for this amazing sadhna
has been created. Complete benefit of this sadhna should be taken by sadhaks. Now who will be there who would not like to do this sadhna?
Sadhna procedure is also very easy. Sadhak should
take bath after 10 P.M in the night, wear pink dress and sit on pink aasan. The
amazing and intense Yantra which is required in this sadhna is
“POORN NEEL TARA MEDHA YANTRA” and
Siddhiprad Rudraksh, accomplished by success-provider mantras and full
of praan energy.
All these are provides by us as gift to you all.
It is a three day procedure. And only 5 rounds have
to be chanted on each night. This chanting should be done by crystal, Moonga or
white agate rosary. It is necessary to use energized rosary and energizing
procedure has been given in Tantra Kaumudi Magazine. Therefore, get the said
rosary form market and energize it.If possible, offer 16 oblation of pure ghee
by this mantra after 3 days. After completion of sadhna, keep yantra and
rudraksh in worship place and if possible, chant 1 round of this mantra daily.
It will be helpful in imbibing energy of sadhna inside you completely
All of those who are planning to do this sadhna; they
should contact nikhilalchemy2@yahoo.com
for attaining Poorn Neel Tara Medha Sadhna Yantra and Special Rudraksh,
necessary for this sadhna. It is absolutely free of cost and we will send it to
you on our expenses. Along with yantra, mantra of this sadhna will also be sent
to you.
Our basic aim is that all our brothers and sisters
become capable so as achieve pleasure in all respects and within it, financial
strength has been an essential element. Then only we are worthy of calling
sadhak and can enjoy all aspects of life, travel on sadhna path with joy and
zeal, become capable of fulfilling the dream of Sadgurudev and become a
competent sadhak and give meaning to life.
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ बुद्धि देहि ,यशो देहि ! कवित्य देहि देहि में |
कुबुद्धि हर में देहि !
त्राहि माँ शरणागतम ||
स्तोत्रेणानेन देवेशि स्तुत्वा देविं
सुरेस्वरीम |
सर्वान
कामानवाप्नोति सर्व विद्या निधिर्भावेत ||
भगवती नील तारा
की वन्दना अपने आप में ही स्पस्ट हैं की बुद्धि, ज्ञान, यश सभी भगवती आद्या शक्ति माँ नील तारा की एक कृपा
कटाक्ष से ही संभव हैं,और समस्त कामनाओं की पूर्ति और समस्त विद्याओं में योग्यता की
पूर्ति स्वतः ही नीलतारा साधना से सहज संभव हैं.सदगुरुदेव जी ने कई कई बार यह समझाया की जीवन
में अगर आध्यात्मिकता की ऊँचाई अनिवार्य हैं तो भौतिक जीवन को एक ठोस आधार देना भी एक आवश्यक अंग हैं और मैं यदि ऐश्वर्य में रहता हूँ तो मेरे शिष्यों
को भी उसी ऐश्वर्य के साथ जीवन जीना चाहिए और यह दोनों अवस्था सिर्फ एक ही साधना से संभव हैं,वह हैं भगवती
तारा साधना.भगवती तारा
के अनेको स्वरुप में जो धनप्रदायक और वैभव के साथ सम्पूर्ण अर्थो में श्री
प्राप्ति के लिए सर्वाधिक उपयुक्त हैं वह हैं उनका नील सरस्वती स्वरुप और उस स्वरुप
में भी यदि मेधा युक्त की बात हो रही हैं तो यह अद्भुत हैं.क्योंकि बिना मेधा,
बिना ज्ञान और बिना बौद्धिक क्षमता के जीवन मात्र एक केचुएवत से अधिक कुछ नहीं
हैं.क्योंकि एक उच्चस्तरीय मेधा ही जीवन का
आधार हैं, जीवन को एक उचाई तक पहुचाने
के लिए यह एक अनिवार्यता ही समझी जाए.
और यह केबल प्रयासों से तो संभव नहीं हैं,उसके लिए साधना बल की अत्यंत आवश्यकता हैं.इसलिए सदगुरुदेव जी ने
बार बार साधना पर जोर दिया उन्होने कहा की केबल बैठे रहने से, केबल अपने भाग्य
को कोसते रहने से कुछ भी संभव नहीं
हैं,अगर जीवन में सदगुरुदेव मिल गये और
साधक फिर
भी हाथ पर हाथ धरें बैठा रहे तो यह तो नदी के पास जाकर भी प्यासे रह जाने वाली दुर्भाग्यतम स्थिति होगी.साधक
से शिष्य तक की यात्रा साधना मार्ग से बहुत
आसानी से, पर ठोस रूप में संभव हैं,आज के युग में धन की आवश्यकता सर्वोपरि हैं पर उसके साथ उसका कहाँ उपयोग करना हैं और किस तरह से,इसके लिए तो मेधा
की जरुरत हैं ही, अन्यथा सिर्फ
मेधा से या सिर्फ धन से तो जीवन एकांगी हो
जायेगा.
इस साधना के
अनेको लाभ हैं .
· बुद्धि पक्ष से कमजोर व्यक्ति भी एक उच्च प्रज्ञायुक्त व्यक्ति बन
सकता हैं .
· विद्यार्थी वर्ग भी इस साधना के माध्यम से
अपने शैक्षिक जीवन में उच्चतर उन्नति प्राप्त कर सकते में समर्थ
हो जाते हैं .
· माता पिता भी अपने बच्चो के लिए यह प्रयोग
संपन्न कर उनके उच्चतम शिक्षा प्राप्त करने
के अवसर में और भी अनुकूलता प्रदान कर सकते हैं.
· युवा वर्ग भी जिन्हें नौकरी हेतु या
उच्चतर अध्ययन के लिए साक्षात्कार में
जाना हो उनके लिए भी यह साधना
सौभाग्य के द्वार खोलने में समर्थ हैं.
· साधको के लिए बिभिन्न उच्चतम आध्यात्मिक विद्याओं
की प्राप्ति के मार्ग को भी सुगम बना सकने
में यह साधना समर्थ हैं.
· आजीविका में उन्नति हेतु भी इस साधना की अपनी ही एक महत्वता हैं.
· जीवन
को आर्थिक और समस्त दृष्टी से पूर्णता प्रदान करने हेतु
इस साधना का अपना ही एक
महत्त्व हैं.
· वहीँ एक महाविद्या के इस स्वरूप की सिद्धिता प्राप्त होने से
इस महाविद्या की पूर्ण सिद्धि के मार्ग की वाधाएं भी दूर होती हैं.
· भगवती नील तारा का स्वरुप केबल विद्या तक ही
सिमित नहीं हैं बल्कि समस्त प्रकार के शत्रुओ का
वह चाहे आन्तरिक हो या बाह्य सभी के निर्मूलन के लिए भी इस साधना का
अपना ही एक महत्त्व हैं.
इस तरह से देखा जाए तो यह साधना जीवन
का सौभाग्य हैं.और आज के समय एक ऐसी सरल साधना का प्राप्त होना
सदगुरुदेव का आशीर्वाद ही हैं और भगवती आद्या माँ का कृपा कटाक्ष.
पर यह साधना होलाष्टक में की जाए तो विशिष्ट प्रभाव प्रदान करती हैं, इस
बार मार्च महीने के २० तारीख को न केबल होलाष्टक प्रारम्भ
हैं बल्कि उस दिन अष्टमी भी हैं जो की भगवती तारा साधना के लिए एक उत्तम तिथि भी हैं.और दिन भी
बुधवार हैं,जो की एकअद्भुत संयोग हैं.इस
तरह से एक अद्वितीय साधना के लिए विशिष्ट महूर्त का निर्माण हुआ हैं.इस का पूरा लाभ साधक वर्ग को लेना ही
चाहिए. अब कौन ऐसा होगा जो इस साधना को न करना चाहेगा.
साधना विधान भी बहुत सरल हैं.साधक को रात्री में १० बजे के बाद स्नानं करके गुलाबी रंग की धोती धारण कर और गुलाबी रंग आसन बैठ कर
साधना प्रारंभ करें.इस साधना में जिस अद्भुत तेजस्वी यन्त्र की आवश्यकता होती हैं,
वह हैं
·
“पूर्ण नील तारा मेधा यन्त्र”
और
·
निश्चित सफलता प्रदायक मंत्रो से
सिद्ध और प्राण उर्जा युक्त सिद्धि प्रद रुद्राक्ष
यह हम आपको उपहार स्वरुप प्रदान कर रहे हैं.
यह तीन
दिवसीय साधना क्रम हैं .और मात्र पांच माला मंत्र जप ही हर रात्री में किया जाता
हैं.यह मंत्र जप स्फटिक माला या मूंगा माला या सफ़ेद हकिक माला से ही किया जाना चाहिए,इस माला को
प्राण प्रतिष्ठित होना चाहिये,और यह माला प्राण प्रतिष्ठा विधान पूर्णता के
साथ हमने तंत्रकौमुदी पत्रिका में दिया हुआ
हैं.अतःआप बाज़ार से निर्देशित माला लाकर उसे प्राण प्रतिष्ठित कर लें,संभव हो
तो तीन दिन के उपरान्त शुद्ध घी से १६
आहुति भी इसी मंत्र से दी जाए.और साधना
पूरी होने के बाद इस यन्त्र और रुद्राक्ष को
अपने पूजा स्थान में ही रहने दे और संभव हो
तो इस मंत्र की एक माला जप हर दिन करते जाए, यह साधना उर्जा को आपमें पूर्णता के
साथ समाहित करने में सहयोगी होगी .
आप में
से जो भी भाई बहिन इस साधना को करने का मानस बना रहे हैं वह इस साधना के लिए अनिवार्य
पूर्ण नील तारा मेधा साधना
यन्त्र और विशिष्ट रुद्राक्ष
की प्राप्ति के लिए nikhilalchemy2@yahoo.com पर सम्पर्क कर लें . यह पूर्णतया निशुल्क हैं.और इसको हम अपने व्यय
पर ही आपको भेजेंगे .साथ ही साथ इस साधना में जिस मंत्र का जप किया जाता
हैं वह हम आपको यन्त्र के साथ ही
भेजेंगे .
हमारा मूल उदेश्य यही हैं कि हमारे भाई
बहिन इस योग्य बने की वह समस्त दृष्टी से
सुखी संपन्न हो और इसमें आर्थिक रूप से उनकी सुदृढ़ता भी एक आवश्यक अंग रहा
हैं तभी एक साधक का साधकत्व को एक दिशा या
आधार मिलेगा तो वह जीवन के सभी पक्षों का आनंद लेते हुए,साधना पथ पर चलते हुए
पूरी प्रसन्नता और उल्लास के साथ सदगुरुदेव के स्वप्न को साकार करने में और
एक योग्य साधक बनने में अपने जीवन को एक अर्थ दे सकने में समर्थ होंगे.
****NPRU****
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