न्यास के बारेमें आपने प्रारंभिक हमने कुछ चर्चा हम आपसे इस माह के पोस्ट में कर चुके हैं तो अब समय हैं इस एक न्यास के बारेमें कुछ तथ्य सामने रखे जाये ..
साधना एक गंभीर विषय हैं ओर इसमें भी साधक लगातार जागरूक बने रहना पड़ता हैं ही , ओर जो लगातार अपना ज्ञान बढ़ता जाता हैं वही तो ज्ञान की नए आयाम के लिए अपनी प्रति बद्धात्ता सिद्ध करता हैं , हमारे मन में कई बार यह प्रश्न उठता हैंकि हम जो इतना मन्त्र जप करते हैं उसका परिणाम तो मिलता ही हैं पर उतना नहीं आखिर क्यों हैं ऐसा.कहाँ जाता हैं उसका परिणाम ..
यदि किसी भी पात्र में जल डालते जाये ओर अगर उसी पात्र में छेद होतो कैसे जल उस पात्र में ठहर पायेगा, यह तो सव विदित तथ्य हैं ठीक यही परिस्थिति हमारे इस भौतिक शरीर की भी हैं इस शरीर मैंभी द्वार हैं जिसके माध्यम से जीवन की अनेको कार्य सुचारू रूप से चलते हैं . पर आध्यात्मिक रूप से आधि देविक शक्तियों में से कुछ क्षुद्र देवि देवता इन्ही के माध्यम से हमारे द्वारा किये गए मन्त्र जप को हमसे छीनते जाते हैं .
क्या यह संभव हैं..
पर साधना का क्षेत्र में तो सूक्ष्म जगत के नियम लगते हैं वहां पर भोतिक जगत के साधारण से नियम का कोई विशेष स्थान नहीं हैं . यह दोनों नियम एक दुसरेके विपरीत नहीं हैं हां प्रारंभिक ता में यैसा ही लगता हैं , यह तो ठीक वैसा हैं की बिजली के माध्यम से आप ठंडा ओर गरम दोनोप्रकार का जल प्राप्त कर सकते हैं अब आप सोचे की क्या तो गरम या फिर ठंडा जल प्राप्त होना चाहिए, पर दोनों संभव हैं, ठींक इसी तरह भी सूक्ष्म जगतमें भी जो विभिन्न उच्चस्तरीय नियम चलते हैं वे जब तक समझ नहीं पाए तभी तक चमत्कार हैं अन्यथा इस जगत में कुछ भी चमत्कार नहीं , या यु कहूँ की सभी कुछ ही चमत्कार हैं ही .
और यह द्वार हैं दोनों कर्ण , दोनों आँख , दोनो नासिका छिद्र ,एक मुख , एक नाभि, शेष दो छिद्र मल मूत्र की प्रकिया के लिए इस प्रकार १० द्वार हैं . ओर इन से ही हमारे शरीर द्वरा किये गए जप को ये क्षुद्र देवी देवता छीनते जाते हैं . पर जप तो मुख से ही होता हैं , आप जानते तो हैं ही हर रोम छिद्र एक मुख के समान हैं और शरीर इन्ही से सांस लेता हैं .
तोकैसे इन छिद्रों को सूक्ष्म जगत के नियानुसार मन्त्र से बंद किया जाता हैं ओर यही प्रकिर्या चौर्य न्यास कहलाती हैं .
प्रकिया ; आपको अपना हाँथ इन छिद्र पर क्रमानुसार रखते हुएएकाग्र भाव से निम्नाकित मन्त्रोका जप करते जाना हैं .
1. ह्रदय ----------- क्रों ---- १० बार
2. दोनों नेत्र ------ ह्रां ह्रां ----१०, १० बार= कुल २० बार
3. दोनों कर्ण------ ह्रीं ह्रीं ---१०, १० बार= कुल २० बार
4. दोनों नासिका छिद्र--- हुं हुं ----१०, १० बार = कुल २० बार
5. एक मुख---- स्त्रीं स्त्रीं -----१० बार
6. एक नाभि---- क्लीं ----१० बार
7. एक लिंग मूल---- हंसों ---- १० बार
8. एक गुदा द्वार---- बलूं ---- १० बार
9. भ्रुमद्य ---- हूं----- १० बार
10. सिर------ ह्रीं स्त्रीं क्लीं ----- १० बार
इस तरह से यह चौर्य न्यास संपन्न होता हैं इसका प्रयोग किसी भी साधना में किया जा सकता हैं यह प्रकिर्या आप को सफलता के अधिक पास ला खड़ा कर देगी...
इस न्यास के दो ओर प्रकार हैं उनके बारेमें विस्तार से फिर किसी अगली पोस्ट पर ......
आज के लिए बस इतना ही .
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We have already a talke about what is nyas in the earlier post of this month . now its time to discuss one of that i.e. chouury nayas.
Sadhana is a very serious work and the sadhak must be very vigilant and he has to increase his sadhana knowledge day by day , one who that way , will show that he is ready to accept new horizons of this divine knowledge . so many more such a hidden knowledge will continuously open to him. Here one question arises we do so much mantra jap why we will not able to get success in that proportion, where the remaining portion of our success goes.
If we fill any pot and if that pot has some hole than how can water sustained in that same logic is applicable on this front. In our physical body there were many such dwar or door through which the day today working of life runs by for to gain spiritual gain theses should be closed though h mantra since compare to physical body mantra has to much relation to astral /sookshm jagat. And when mantra jap happened by us there were many lesser god always around us and they continuously snatching the effect of mantra jap. Whether we believe of not.
Is it possible?
Sadhana world follow the rules made in astral world , physical world noth having much importance but both world’s rules are not just opposite to each other. yes in the beginning it seems , this is just like through electricity you can it her heat the water or can make it cold, how two very different state possible though one medium times. but if both theses things possible than the difference is that in astral world higher level of lawas governs , that’s all. Till we do not understood ths20 times.es laws , this is aa magical phenomena, but as we understand working of the phenomena behind. Everything is in laws. So there is no chamatkar or you can say everything is a chamatkar.
Theses door are both ear, both eyes. Both nostril point, one mouth, on en naval point, remaining two related to the s cleaning of internal working of the body. Sop i this way we have almost 10 such a door. And whatever we jap, through theses door then snitched the effect ofthat. you know that each rom chhidrta is a house of him.
Theses hole can be sealed through application of mantraa only. And this process known as chourya nyas.
Process : place your hand on the prescribed location and start the mantra jap mantally and rest is over.
Heart –kroom 10 times
Both eyes ==hraam hraam – 10.10 times each = 20 times.
Both ear ==hreem hreem – 10.10 times each = 20 times.
both nose hole-hum hum-10-10 time each
One much –streem streem --- 10 times
One naval point – kleem – 10 times
En near root of sex organ – hanso –10 times
.One guda dwra—bloom --- 10 times
Bhu madhyan )eye broeb mid poing,-hoom
Head – hreem streem , Kleem
This chourya nayas whiner finished this ways. Apply this process to any sadhana and you will be much closer to any sadhana.
There are two more type of chaioury nashy. About hem indetail in any next post.
This is enough for today.
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Bhai iska koi kram bhi he ya ese hi he. Apne bhru madhy ko 2nd last likha he.kripya spst kre.
ReplyDeleteParnam
Bhai iska koi kram bhi he ya ese hi he. Apne bhru madhy ko 2nd last likha he.kripya spst kre.
ReplyDeleteParnam
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