Monday, August 8, 2011

Mahavidya Rahsyam -Maa Bhuvneshwari Rahsyam -2


जो साधना आपके जीवनमे  व्याप्त सभी दोषों को दूर कर सकने  में समर्थ  हैं,  और इस साधना  को तो भगवान श्री राम को करने के लिए  स्वयं भगवान् हनुमान  जी ने उस  महा  युद्ध में जब भगवान् राम  भी उस परम तेजस्वी  , और शिव भक्त  रावण के सामने  , चिंतित  से  हो गए थे, तब कहा था , भगवान् श्री राम स्वयं यह तथ्य जानते थे   पर  अपने शिष्य  हनुमान जी द्वारा  कहने पर और  भी प्रसन्न हो उठे थे.(और क्यों न हो  जो शिष्य समय पड़ने पर अपने प्रिय  गुरुदेव को भी अत्यंत  विनीत भाव से   सलाह दे सके वही तो सच्चा शिष्य हो सकता हैं , क्योंकि समय पर  अपने गुरु को भी मंत्री वत  जो  बात  उनके हित  में और सम्पूर्ण  विश्व के हित में कह सकता हैं चाहे वह कडवी  ही क्यों न  हो , वही  तो शिष्यता का एक लक्षण  हैं सदगुरुदेव  जीने स्वयम यह तथ्य कई बार कहा हैं , पर यह बहुत सोच समझ कर  किया जाने वाली बात हैं, यहाँ पर चापलूस बनने को नहीं कहा हैं उन्होंने ,बल्कि अपनी  विनीत ता ,और प्रणम्य भाव के साथ ही कहने हो कहा हैं 

"ह्रीं"  इस  शब्द या  परम बीजाक्षर की महत्ता  लिखने  में  तो स्वयं ब्रम्हा  विष्णु  महेश  भी असमर्थ हैं , इस बीज मन्त्र   जो माँ भुवनेश्वरी  का बीज मंत्र  माना जाता हैं , के सामने तो त्रिभुवन की संपदा भी  निरर्थक  हैं , सामान्य  अर्थो में  इस बीजा अक्षर   के बारे में क्या लिखा जाये और क्या छोड़ा जाये  , यह सबसे बड़ा  प्रश्न  हैं , साधारणतः इस बीज अक्षर  की एक अपने आप में पूर्ण साधना   होती हैं जो  अपने आप में  अद्भुत अनिर्बच्नीय , और परम  दुर्लभ हैं , आप मेसे कई साधक  भाई बहिन शायद  सदगुरुदेव  द्वारा  प्रकशित होने  के कारन इसके बारे में जानते हैं ही, पर इससे  तो इस साधना का महत्त्व  कम नहीं  हो जाता  हैं , यह हमें कभी नहीं  भूलना चाहिए  की लोगों ने यहाँ न  तक  जो बाद में परम योगी भी बने जीवन  के किसी  काल में  सिर्फ एक बीज मंत्र  की साधना  के लिए सारा भारत पैदल छान मारा , भूखे प्यासे , कैसे उनलोगों ने अपने दिन काटे यह तो सिर्फ महसूस  किया जा सकता हैं, पर उसके लिए भी एक वैसा ह्रदय होना चाहिए  शायद जिस पागलपन , जिस निष्ठता और जिस लगन की  जरुरत  हैं वह  तो  अभी हमसभी से कोसों दूर हैं , यहाँ  पर में एक उदाहरण  परम योगी  परमहंस  स्वामी  निगमानंद  परमहंस   जी की बात कर रहा हूँ , और ऐसे अनेकों   महायोगी जिनका शायद  हम नामभी जानते नहीं हो  पर  वे सभी इस बात  के प्रत्यक्ष  प्रमाण हैं ही .    

भुवनेश्वरी जो की एकाक्षरी विद्या  भी हैं  ह्रदय की लेखा  के सामान   चैतन्य   भी हैं  और इन्हें  ही परा शक्ति और प्राण शक्ति  कहा गया हैं , आप  सभी यह जानते हैंकि  इस परम बीज मंत्र को माया बीज के नाम से भी जाना जाता हैं , इस कारण ह्रदय से संयुक्त होने के कारण हर्द्ल्लेखा  कही जाती हैं .  इस माया   बीजके बिना सारे  मंत्र  निर्जीव रहते हैं . तो सम्पूर्ण मंत्रो  को जाग्रत करने वाली यह  महा  शक्ति हैं .
माया बीज का क्या  अर्थ होगा  थोडा हम समझने  की कोशिश करे, सारा  विश्व  तो माया  के आधीन हैं और उस नारायण तत्व  के इस लीला से कोई भी देव दानव , मनुष्य  , इतर  योनी कोई भी तो नहीं बचा हैं ,  फिर कैसे  बचा जाये सदगुरुदेव हमेशा हस्ते हुए कहते थे  की मैं स्वयं  नारायण हूँ तो माया  फेलाना   तो मेरा स्वाभाव ही  हैं  पर  जो मेरा शिष्य हैं सच्चे अर्थो  में  वह हर बार इस आवरण  को फाड़ देता ही हैं . कृपया इन वाक्यों  के  जिस तरह से कह जा रहा हैं उसी तरह से ले न की  अपने अपने आप को स्वयं सिद्ध करने के लिए .
फिर साधक /शिष्य /शिष्य  कैसे बचे  तो स्वयं ही उन्होंने करुणाद्र  होकर  यह साधना  प्रदान की हैं 

हम सभी इस तथ्य को कभी समझे तो  सही , कभी इसको  तो कभी उसको सही मान लेते हैं आप इस जीवन में  आप ज्ञान  तो अनेको  से ले सकते  हैं सद्गुरुदेव जी ने कभी मनाई नहीं की स्वयं ही कहा हैं जहाँ से ज्ञान मिले  लो क्यों शिष्य शब्द काअर्थही  हो ता हैं जो ज्ञान  की दृष्टी  से पूर्णता  चाहता  हो ,पर यह भी   तो ध्यान रखा  की  कुम्भ्ड़े के फल की तरह हर के चरणों में बिछ भी तो नहीं  जाना हैं, कम से कम  इतना  तो सोच विचार करो  कीआप क्या कर  रहे  हो? किनके शिष्य बने  हो ?किसके बनना चाहते  थे?  और अब कहाँ आ खड़े हो? .पर सबसे महत पूर्ण बात उन्होंने कही हैं हम सभी के लिए , जीवन के इस जीवन से नहीं बल्कि अनेको जीवनों से  केबल और केबल सदगुरुदेव  के पद पर एक व्यक्ति  ही होता हैं वह  कभी भी नहीं बदलता हैं ,  तो सदगुरुदेव सदैव  हमारे लिए हमारे  प्राणा धार परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद  जी ही (डॉ नारायण  दत्त श्रीमाली जी ) हो होंगे .गुरु तो कई हो सकते हैं  पर सदगुरुदेव सदैव  एक ही होता हैं, सभी स्वतंत्र  हैं ही अपने विवेक अनुसार  
सदगुरुदेव  , स्वयं शिष्यता देता हैं , वह सबसे पहले शिष्य  को मृत्यु देता हैं यही उसका आशीर्वाद होता हैं , शिष्य कभी भी सदगुरुदेव नहीं बना सकता  हैं,  अब जो सदगुरुदेव  को ही बदलने चल  दिए हो , जो खुद निश्चय करे किअब ये सदगुरुदेव हैं, पर जो ऐसे करते आये हो  वे सभी  महानुभाव तो  हमारे  लिए प्रणम्य हैं और क्या कहा जाये  कितना  लिखा जाये ..
  इस महाविद्या के बीज मंत्र के बारे में इतना लिखा गया हैं की  इस मंत्र के लिए  कोई शत्रु नहीं  कोई  मित्र हैं  न  कोई  दोष , और  नाकेबल इस भुवन बल्कि   सभी चौदह भुवनो की संपदा  देने में यह समर्थ  हैं, देव दानवोसभी तो आखिर उसी परम दिव्य  माँ जिन्हें नित्य  लीला विहार  णी कहा जाता हैं  किसंतान हैं  सभी  इस मन्त्र के माध्यम से सफलता पा  सकते हैंइस साधना में न तो शारीरिक कष्ट हैं न  ही  ज्यादा  व्यय होता हैं . 
 माँ भुवनेश्वरी   की कृपा प्राप्त साधक  तो अद्भुत होता है उसकी  वाणी में वह शहद  होता हैं की वह  जब बोलता हैं   तो सभी मंत्र मुग्ध   होते हैं , राज्य से सम्मानित वह व्यक्ति का जीवन सभी  दृष्टी से परिपूर्ण  होगा ही .उसे विद्या  के लिए किसी के सामने हाथ नहीं पसारना पड़ेगा, अरे साक्षा त माँ ही उसकेसाथ  हो  तब  और क्या  कहे ..   

 बिना माया  तत्व को जाने बिना समझे  बिना आप चाहे त्रिभुवन की शक्तियोंको अपने हस्त गत कर ले , सभी अशरीरी तत्वोके मालिक बन जाये पर  फिर भी आप  होंगे आप एक सपने  में चलने वाले  व्यक्ति   ही, तो आये ह म सभी  दिव्या माँ, परम माँ  के इस दिव्या स्वरुप की साधना  कर उनका आशीर्वाद  प्राप्त ही न करें बल्कि   बल्कि वे सदैव  हमारी  /हम सभी की परम वंदनीया माता जी के स्वरुप में सदगुरुदेव  भगवान के साथ  अनत काल तक हम सभी के ह्रदय में स्थापित   हो , आजके  दिन यही  उन परम  वंदनीया   माताजी  जो हमारे समक्ष  आज  भी जोधपुर में सशरीर  विदमान हैं उनके श्री चरणों में आप सभी के साथ हम सभी के साथ  यह ह्रदय से प्रार्थना हैं ,(हमसभी  प्रिय सदगुरुदेव भगवान् से यह  प्रार्थना करते  हैं  कि  पूज्य माँ जल्द सेजल्द  ही स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करे और हमसभी को उनका साहचर्य हमेशा  कीतरह  मिलता रहे , जानता हूँकि ऐसा आप सभीकर ही रहे ही होंगे ...लगातार करेंगे भी .क्यों न करेंगे क्योंकि माँ ही तो प्रथम  गुरु होती हैं, क्या संसार  में माँ से बड़ा  कुछ  हैं  .. ..)    
आज के लिए बस इतना ही
क्रमशः  
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  The sadhana ,which  is capable enough to remove all our   dosh not one or  two but   millions of millions and same sadhana  had been advised by Bhagvaan  hanumaan to  Bhagvaan  shri Ram. at the  time , when Bhagvaan Ram felt little worried.  in the middle of war .fighting with  great worrier and shiv bhakt  King of lanka Ravan. Bhagvaan  Ram, he himself  knew the truth but  when the advice came  from his shishy  ,he became very much pleased.(and why not so , when a shishy , on the time of real need , if  very politely advice  his guru. this is one  of the  quality of true shishy  that he  may advice like a mantri  to his  guru  for the things which  will be benefit  for  not only one or  two  but  for the whole ,even the things  or advice may be little bit hard. This had been many times told by  Sadgurudev ji himself to all of us . but  this  should be done with at most care and with  full politeness and taking his permission  first.)
“hreem” this highest  and supreme  beej mantra, it ’s effect and result can not be described  even by bramha ,vishnu and Mahesh. This beej mantra is also  known as the beej mantra of ma Bhuvneshwari. In front of  its effect whole world wealth stands  no where. Than in general sense ,what can be write here and what have to left ,is a great question. Sadhana of  this beej mantra is very special and very effective. this is very great sadhana, many of our  guru brother and sister already read about that since Sadgurudev many times published it in   the magazine. But only because of that(means you already knew) you cannot take that lightly. we should never  forget that  .person who traveled all over  india just to seek  one beej mantra sadhana, and faced so much difficulty that no food ,  no shelter and   facing all  types of danger and insult in life  just because he wants to know about  a beej mantra sadhana, how they/he felt , can only be felt from  the heart which has such a faith, such a strength and ability devotion and determination, that which is still very far far away from us.  And here I am writing about one such a greatest yogi paramhans swami  nigmanand  ji maharaj, and there may  hundreds of  such param yogies  who in any  time in life did that. even  we  do not knew about them but , reality is the self proof.
 Bhuvneshwari is a ekakshri vidya ,and  has been very much  related to heart  chakra  and  very chaitnay   and also known as paraa shakti and  praan shakti , as you all aware  that  this also(its beej mantra) has been known as “maya beej” and have  relation to heart   thats why also known as hrdyellekha . shwari )is  the force  to induce life in all the mantra.
 What does it means to  maya beej . we need to  understand a little bit, all the world and in whole universe is  in the grip of maya and  this is the  lila of  narayan tatv . none is save  from that whether he may be any  person, yogi or  invisible one or anything, than how to save from the  maya ,Sadgurudev usually says with smile  that he  himself nayaran than spreading maya  is his nature, but whoever mine true shishy , can penetrate this  cover every time ,plz take  this statement in his real  meaning not to be used to protect yourself and establish yourself.
 Than how can shishy /shishyaa./Sadhak get protection  from that maya, so due to his compassion  he himself  provide the sadhana.
  And this fact we need to understand at least in any point of time, , you can have  knowledge/gyan from  so many  person Sadgurudev never denied on that he himself encourage that  wherever you think best , you can take  , since the meaning of shishy is  one  who want to  have completeness/purnta. But  this also  very much   care  you need to have  that you should  not be a bone less creature  that every where  you are in  dandvat (total surrender) mudra. Think about a second , what you are  doing? Whom you have taken Diksha ?“ whom you want to consider equal  to sadgurudev, and now where are you standing? and most important  things he said  not only  from this life but from past  so many life Sadgurudev is never changes, he is one and only one. for us our Sadgurudev ji is our beloved paramhans swami  nikhileshwaranand  ji (Dr. shri  Narayan datt shrimali ji),  guru may be many but Sadgurudev always be one.  But every one is free to do/act/believe as  he want. rest  is depend  upon him.
 Sadgurudev  gives you shishyta, he first give death to his shishy as his first blessing, shishy can never make Sadgurudev, but who think who are able to do that , The shishy who  went to change  his Sadgurudev merely on his wish. all those  who are  doing that are really great one for us?, what more can be write for them…
this has been written for  this mahavidya beej mantra that  nothing is as enemy or friend and no dosha applicable to this mantra, and it can provide  not only the wealth of this bhuvan (lok) but  for  of all the 14  loka. whether any dev or devata or daanv all are the children of   ma paramba  so  every one can get success. This sadhana  does not require    too much expenses  or physical  pain .
 The sadhak ,who are blessed by  mother Bhuvneshwari, is  really  very special one, he has honey in his voice  means whenever he speak  every one loves to listen, and he will get  favor from high ups and have completeness in all aspect of life, he  never  has to beg  in front of other  for any vidya , when divine mother  is with   him than what more is needed.
 Without  understanding maya tatv, even you  can control or have  all the power related to  three lok and have control  over invisible elements, but  you are only  person who is in dream. So lets move towards the direction where we all go for this sadhana and getblessing of mother divine and pray that she is in the  form of pojyaniya mataji  with sadgurudev always  be in our heart till endless time. On today this is our wish and prayer  in the divine holy  lotus feet of  our  beloved mataji who is in jodhpur.(we all are praying that mataji will be soon be  in good health  ,and we all, like always receive her blessing, I know that  you are already  praying, and why not so……….  , because mother is  always consider as the  first guru, is there any thing that  is greater than maa…..)
This  Is enough for today .
****NPRU****

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