Tuesday, August 9, 2011

Mahavidya Rahsyam-Maa Bhuvneshwari Rahsyam -3


दिव्य माँ  का नाम  ही यह  प्रदर्शित करता हैं  की वह भुवन + इश्वरी  हैं अर्थात जो   सम्पूर्ण  भुवनो की इश्वर हैं पर  ये कितने     लोक हैं  साधारण परिभाषा  नुसार  तो  तीन लोक  ही हैं स्वर्ग लोक  धरती लोक और  पाताल लोक ही हैं  पर साधनात्मक  ग्रंथो के अनुसार  कुल १४ लोक हैं  जिसे भुवः  भू लोक , तप लोक , मह लोक , जन लोक ,सत्यम,  ज्ञान  लोक,सूर्य लोक  चन्द्र लोक भी शामिल हैं. और  सभी स्थल लोक  की अधिष्ठात्री तो  माँ भुवनेश्वरी   हैं ही ,  

                   चौदह  भुवनो में माँ के  इतने  ही रूप हैं साथ ही साथ  हमारी  धरा जो की एक भुवन हैं उसमे  भी   दिव्य  माँ भुवनेश्वरी  के  १४  ही रूप हैं , साथ ही साधक  गण यह भी ध्यान रखे की यह सत्य हैं की माँ  का एकाक्षरी  मंत्र हैं पर  इतने  पर ही माँ को पूर्ण मान लेना  उचित नहीं हैं , माँ के १ अक्षर  से लगाकार  १६ अक्षर तक  के मंत्र   प्राप्त हैं , और इन सभी मंत्रो को सिद्ध  करने की  विधि  व सम्बंधित तिथियाँ  भी तो भिन्न भिन्न हैं . उन्हें  तो आप सदुरुदेव से प्रार्थना से प्राप्त कर सकते हैं  या  उनकी कृपा से सम्भावनाये बन जाये 

              उदाहरण के लिए  यदि एकाक्षर मन्त्र का  जप करना हो तो  जिस रविवार को  प्रतिपदा  पद रही  हो तब जप करे. विशेष  प्रक्रियानुसार मन्त्र होगा  "ह्रीं  भुव्नेश्वर्ये नमः " 
  इसी तरह    आगे बढ़ते जाये तो १६ अक्षरी  मंत्र   के बारे में तंत्र ग्रन्थ कहते हैं की  अपना  राज्य दे दे और यदि अपना शिर  भी देना  पड़े तो दे दे पर यह १६ अक्षर वाला मंत्र नहीं  दे क्योंकि यह क्या नही साधक  को दे सकता  हैं .
दिव्य माँ भुवनेश्वरी से सम्बंधित विधाए हैं ..
·  एकाक्षरी महा विद्या ,
·  श्री  विद्या,
·  भुवनेश्वरी विद्या ,
·  चतुर्दाशात्मिका  विद्या ,
·  षोडशात्मिका  विद्या ,
·  तत्व विद्या
·  महा रत्नेश्वरी विद्या
 ये ही  प्रभावशाली हैं .    
माँ के  पीठ पूजन में अनेको बार  नव शक्तियों के बारे में आता हैं इनके बारे  साधक को कमसे कम नाम  तो जानना  ही चाहिए  ये हैं 
·   जयायै 
·  वि जयायै 
·  अजितायै
·   अजितायै
·   नित्यायै
·   विलास्नायै
·   दोघ्राए
·   धीरायै
·   मंगलायै 
यह अत्यंत विशिस्ट   तथ्य ध्यान में हमेशा रहना चाहिए की सदगुरुदेव भगवान ने केबल और केबल एक ही महाविद्या के बारे में एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण  बात कही   हैं और वह हैं की केबल इसी  महाविद्या की साधना करने  से गुरु साधना भी  पूर्ण होती जाती हैं , आप ही स्वयं  सोचिये  कितना अद्भुत तथ्य  हैं न की  एक साधना से  दो दो महासाधना  का फल  मिलता हैं  पर उन्होंने ऐसा क्यों कहाँ  उनके परम पावन अत्यंत उच्चता भरे  हुए शब्दों का अर्थ समझने य असम्झाने  में असमर्थ हूँ  क्यों  "मंत्र मूलं गुरु बाक्य " तब तो सदगुरुदेव  के हर वाक्य  ही  मंत्र  हुआ न , फिर मंत्र का अर्थ शाब्दिक तो बताया  जा सकता भी हैं पर परम  आध्यात्मिक  अर्थ  तो   त्रिभुवन में किसी के लिए  संभव नहीं हैं .

सदगुरुदेव भगवान् ने कहा  हैं  की माँ भुवनेश्वरी वास्तव में अपने आप में १, नहीं २  नहीं यहाँ तक की १६  भी नहीं बल्कि समस्त ६४ कला से सम्पूर्ण हैं और हमारे पूज्यसद्गुरुदेव  भी तो  ६४ कला पूर्ण हैं  क्या अब कोई साम्य नज़र  नहीं आता आप  सभी को की क्यों  भुवनेश्वरी साधना एक अर्थ में गुरु साधना ही  हो जाती हैं .
आज के लिए बस इतना 
 क्रमशः  
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   Divine mother name itself  shows that  she is bhuvan (lok)+ ishwari (ruler of ) means she is the ruler  of all the  lok, but how many lok or bhuvan   are possible, in  general sense only three, swarga (heaven) , mrityu (earth), pataal (inferior  lok). But in spiritual  way there are 14 types of lok  are possible  they are  bhu lok,  bhuvah lok , swah  lok , mah lok , tap lok , jan lok , satyam lok ,surya lok, Chandra  lok  ets.. and for all theses lok --maa is the ruler.
So divine mother has 14  forms that  present in  these lok  and side by side in our lok (that is one bhuvan/lok) here also mother 14 forms are present. , its true that one letter mantra is associated with  maa  but  we cannot  restrict this mahavidya only that from. one letter to  upto 16 letter  contains mantra  are  available, and  for them each one a separate sadhana vidhi and  special days are also  different.
 For example  if one want to go for  one letter mantra  than after goes to special process this one letter mantra  becomes “hreem bhuvaneshwaryai namah” and this should  be jap  on the day when Sunday falls on the pratipada  day .
And  but  very special  things  about 16 letter mantra ,tantra granth specially warn that sadhak can  give everything  even his life too  but  this mantra  should not be  given to any one.
 The vidya’a , that are  associated  with  divine mother are.
·  Ekakshri  mahavidya
·  Shri vidya
·  Bhuvneshwari vidya
·  Chturdashatmika  vidya
·  Shodashatmika vidya
·  Tatv vidya
·  Maha Ratneshwari vidya
 And all theses are  highly effective,
 The nav shakti or  nine deity continous comes in  peeth poojan of maa, so sadhak should have knowledge of  them at least  know the name of them.
·  Jayayai
·  Vijayayai
·  Ajitayai
·  Nityayai
·  Vilsanyai
·  Dorghayai
·  Dheerayai
·  Mangalaye
One very special  fact and information that should always  be remember that by each sadhak that Sadgurudev  provide  statement about this mahavidya that through this mahavidya sadhana  guru sadhana also completed side by side. So in  one  sadhana  you are getting the result of two mahasadhana, so  still  you want to think  to do this sadhana..
But why he said so , I am here unable  to understand or  provide  any description   to that  since ”mantra moolam  guru bakyam” according to that  each and every word of Sadgurudev is a mantra, and description of  mantra ,in general word may be possible but  its spiritual  meaning is beyond the capability of even bramha , Vishnu  ,Mahesh,
 Sadgurudev himself said  in ma Bhuvneshwari not only 1, or 2 , or 16 but all the 64 kalaye(special supreme powers)  resides , and our Poojya Sadgurudev also having all those 64 kalaye , so that may not be one fact  why Sadgurudev has said so.. that this sadhana also has effect of  guru sadhana,
  This is  enough  for today.
In continuous..

 ****NPRU****

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