Saturday, August 6, 2011

TANTRA DARSHAN-WHAT IS AAMNAAY ?


जीवन की  शक्ति तत्व के बिन कल्पना  भी नहीं की जा सकती हैं ,अन्यथा मनुष्य ओर केचुए के जीवन के क्या अंतर  होगा . यहं चाहे मनुष्य,जीवन में भौतिक  क्षेत्र  में  यदि  उपलब्धिया  पाना चाहता  हैं तो वह यही सत्य हैं और यही  वह आध्यात्मिक जीवन में  बुलंदियों को  छूना चाहता  हैं तो  भी यही सत्य हैं ., अब चाहे  वह धन के पाने  की या  उच्च  आध्यात्म की साधना  हो हर किसी  को साधना तो करनी  ही पड़ेगी न, चाहे  आप देश में हो या विदेश में  तो एक अलग अर्थ में हम सभी साधक ही तो हैं,  फिर चाहे   कोई  इस मार्ग में आगे दौड़ रहा हो  या फिर कोई पीछे  दौड़  रहा हो या  कोई इस मार्ग में  खड़ा  हो  पर  हैं सभी इस राज मार्ग  पर  में ही.
 पर तंत्र आपको एक तीव्रता से आगे बढ़ने का मार्ग  दिखाता हैं क्योंकि  कोई चाहे  कुछ भी कहे इस कलिकाल में केबल यही मार्ग  हैं  जो आपके  लक्ष्य तक पंहुचा सकता है भक्ति  का पथ  भी कुछ लोगों के लिए ठीक  हो सकता होगा पर हमारे  लिए वह नहीं हैं. हमारे सदगुरुदेव  जी ने हमें साधना का मार्ग पर चलने को कहा हैं 

 एक बार सोचे जब भगवान् श्री राम,भगवान् श्रीकृष्ण के पहले  हो गए थे, तब तो भगवान् श्रीकृष्ण के सामने तो यही अच्छा होता की वह श्री राम राम कहते  जीवन काट देते पर उन्होंने क्यों गुरु तत्व की खोज किया. क्योंकि उन्हें एक तेजस्वी  जीवन  जीना था  जीवन को एक अर्थ देना था  विश्व  को दिशा निर्देश भी तो देना था.
 कोई  तो बात  होगी  न,

  हमारे जीवन की शक्तिया  कहाँ से आती हैं  कहांसे सारे देवी देवता  आते हैं , जो ब्रम्हांड  में हैं वही तो इस पिंड में , इस नियम के हिसाब से सब कुछ हमारी आत्मा   से आएगा न.. तो सब कार्य  आत्मा   की शक्ति से संभव होगा न ,, तो सभी शक्ति उपासक  ही हुए न . 

यहं तंत्र ग्रन्थ  कहते हैं की साधक  को  स्वयं  को शिव मान कर विशेषतः  शक्ति   को   ही उपासना  करनी चाहिए . 
 तंत्र में ६ आम्नाय बाटे गए हैं, इन सब की जानकारी एक साधक  को होनी ही चाहिए अन्यथा आप एक योग्य साधक  तो बन गए पर किसी  को समझा भी नहीं पाए तो यह भी तो स्वीकार योग्य  स्थिति नहीं होगी न , आप में भी ज्ञान की दृष्टी से वह प्रखरता हमारे   अपने  गुरु भाई बहिनों में दृष्टी गोचर  हो / आये और आप सभी अपने सभी  छोटे गुरु भाई बहिनों  को यह सब एक योग्य  तरीके से समझा  सके इसलिए इन बातो को भी ह्र्द्यगम करना जरुरी  हैं  

आम्नाय वास्तव में साधना  के देव वर्ग  को  भिविन्न भागों  में  रखने का प्रक्रिया हैं जिसके माध्यम से  विभिन्न  तरीके से अलग अलग  साधना  पद्धितियों का निर्धारण आसानी से  किया जाये , जब सामान्य साधक तंत्र ग्रन्थ का अध्ययन  करना चाहता  हैं तो  उसे बार बार  यह पढने को मिलता हैं अमुक आम्नाय  की साधना   इस प्रकार से और अमुक  की इस तरीके से  , तब वह  समझ नहीं पाता  हैं  की आखिर  ये क्या हैं ...

 इनके नामदिशाओ  के नाम के आधार पर हैं जैसे 
·   पूर्व आम्नायाय 
·  पश्चिम आम्नायाय 
·  दक्षिण आम्नायाय 
·  उत्तर आम्नायाय 
·  उर्ध्व आम्नायाय 
·  अधर आम्नायाय  
तारा ,अन्नपूर्णा , भुवनेश्वरी , त्रिपुरा ये पूर्व आम्न्याय के अंतर्गत हैं , बगलामुखी महालक्ष्मी  ये  उत्तर  आम्न्याय  की ,महाकाली, मातंगी भैरवी  छिन्न्मसता , धूमावती ये  दक्षिण आम्न्याय  से सम्बंधित हैं , इनकी  उपासना  से  धर्म अर्थ काम मोक्ष सभी  की  प्राप्ति हो  ती हैं . 
 महा त्रिपुर सुंदरी- उर्ध्व  और वागीश्वर - अधर आम्न्याय के देवी देवता हैं इनके  उपासना  से व्यक्ति को मोक्ष  प्राप्ति होता हैं . 
 ठीक इसी तरह  हमरे शरीर के  चक्र भी इन आम्नाय से सम्पर्कित रहे हैं 
·   मूलाधार -- अधर
·   स्वाधिष्ठान - पूर्व
·  मणिपुर -  दक्षिण 
·  अनहत - पश्चिम 
·   विशुद्ध - उत्तर 
·         आज्ञा  - उर्ध्व 
·   सहस्त्रधार - सर्व आम्न्याय  से जुड़े हैं 
 हर व्यक्ति  किस आम्नाय की साधना  करे  कैसे करे यह तो सदगुरुदेव  ही निर्धारित करसकते हैं , हर व्यक्ति के लिए क्रम अलग अलग हैं  और इस क्रम में एक निश्चित स्तर के बाद साधक  एक विशिष्ट दीक्षा  भी   होती हैं  जिसे शाक्ताभि षेक   कहते हैं .
अतएव  सदगुरुदे व्  के निर्देशन में , उनकी कृपा तले, उनके आशीर्वाद तले  आगे बढ़ते रहने से ही साधक का कल्याण हैं .

 इन आम्नाय  की विशेषताओ सम्बंधित  तथ्य   अगली किसी पोस्ट में...
आज के लिए  बस  इतना ही
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 Life  cannot be imagine without  shakti tatv,  and without  that   what is  the difference  human  being and earth worm. Even here anyone want to have  success in material word than its true and same thing is applicable to  if anyone want to have success in spiritual  world. everyone has  to undergo through sadhana, yes its way may be different one /direction also  be differ. Either you live here or in foreign country rules is applied every where and  same., in this highway some are running forward direction  some in backward and some still standing on the same place , but its sure that everyone is on this highway.
 Tantra  shows you the way that  how you can achieve the success early in this kali yug,  its does not matter what  others say about that., bhakti marg may be suitable for  some, but that is  not for us. our Sadgurudev  gives us the sadhana marg.
 Think about a minute when Bhagvaan Ram    appeared  much much before to bhagvaan shri krishan,  so why  not bhagvaan shri krishan  prefer to bhakti of  Bhagvaan ram and  did chanting of  Bhagvaan raam naam mantra only, but instead of that he searched  hi s guru and progressed on  the path, why  he need that. Reason is  ,because  he wanted to be purush in real meaning in all aspect , he want to know about himself and become jadgadguru, and provide direction to  world,
 Than tantra must have something special
Where all the devi/ devta’s power  comes? surely from our soul .   how ,  if we can understand that what is out side same  thing is also present in inside our body . means  all that  power comes from  our own soul. so  in this way every one became the shakti upasak  or shakti sadhak.
 Many tantra granth advice that sadhak should consider himself shiv  and  than  do shakti pooja .
 Tantra has six AAMNAAY , and all theses  tantra related information  one sadhak must have. other wise you became  an able sadhak but not able  to describe what is  tantra and other related things in front of others and in your younger guru brother and sister too , that would not be a good things,  so in terms of  gyan that  brilliance  also come in our  guru brother and sister, that’s why all theses information also need to be digested ,
AAMNAAY are the various division  in  tantra  sadhana s o that properly  distribution of sadhana of each varga  can be done easily, when  a sadhak goes for studying  tantra granth ,he continuously encounter the words  that this is related to   that AAMNAAY and that is that … then its very frustrating  for him now where to  go to understand this …
Theses AAMNAAY are  classified on the bases of  direction like
·  Purv (east) AAMNAAY
·  Pashchim (west) AAMNAAY
·  Dakshin (South) AAMNAAY
·  Uttar (North) AAMNAAY
·  Urdhv ( upward direction) AAMNAAY
·  Adhar (downward direction ) AAMNAAY
 Tara , Annapurna, bhuvneshwari , tripura are  in  purv AAMNAAY, baglamukhi , mahalakshmi  are in uttar AAMNAAY and  Mahakali ,matangi , bhairvi , chhinnmasta , dhoomavati are in  Dakshin  AAMNAAY . and   sadhana related to these AAMNAAY  gives all the four  major  benefit(Purusharth) dharm ,arth, kaam  ,moksha  to sadhak .
Ma tripur sundari  related to  urdhv and vagishwar related to  adhar AAMNAAY  and  that give her sadhak to final libration .
 Like that kundalini chakra  that lies in our body also related to theses AAMNAAY .. like
·  Muladhar – adharswaadhisthan- purv
·  Manipur – Dakshin
·  Anhat – paschim
·  Vishuddh- uttar
·  Agya-urdhv
·  Sahastradhar – sarv AAMNAAY .
which AAMNAAY sadhana  that can be suitable for a person and that  is decided by Sadgurudev , and  for each person that has a very specific  way /steps. And in each way a  special Diksha   happened that which is known as shaktabhishek .
 So it would be  much better to go ahead  as per  the direction of Sadgurudev  Bhagvaan , under his blessing only than a sadhak can  be a successful. in all aspect of sadhana and in material  life.
 What are  the  other specialties of theses  AAMNAAY  in any next post..
 This is enough  for today..
****NPRU****

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