मानव जीवन की एक से एक विविधताये हैं , और शरीर गत
विशेषताए भी हर व्यक्ति की एक
समान नहीं हैं, इसलिए
स्वाभाविक हैं की जो
उपचार किसी एक पर लगे वह जरूरी
नहीं की दुसरे पर भी पूरा सफलता
पूर्वक असरदायक हो ही , इस हेतु अनेक प्रकार के
उपाय हमारे ग्रंथो में आते हैं और एक कुशल
आयुर्वेद्ग्य या कोई भी चिकित्सक अपने अनुभव के आधार पर इसका
इलाज करता हैं .
पर क्या हम अपने सारे रोगों के बारेमे बिलकुल साफ साफ
कह सकते हैं, कुछ ऐसे
भी समस्या होती हैं की शायद हम भी हिचके , पर यह भी
तो कहा गया हैं कि गुरु , ज्योतिषी ,चिकित्सक
, शास्त्र , और तीर्थ में जिसकी जैसी भावना हो उसे
वैसा ही फल मिलता हैं ,और जो इनसे
अपनी बात छुपाता हैं वह अपने लिए ही समस्या
का निर्माण करता हैं
पुरुष वर्ग को भी कभी
कभी ऐसी कुछ व्यक्तिगत
समस्या अगर हो जाती हैं तो वह भी सकुचाता हैं तब फिर
हमारी बहिनों की कौन कहे , अनेको बार
उपचार दिए गए पर हमेशा
उनकी कुछ व्यक्तिगत समस्याए छुट ही जाती हैं,
पुरुषो कि
अपेक्षा उनके शरीर गत कहीं
ज्यादा गूढता इश्वर द्वारा
निर्मित हैं , और इसी
गूढता में एक हैं उनके हर मास में
कुछ दिनों में होएं वाली एक शरीरगत प्रक्रिया ..
और इस परिवर्तन का
उनके शरीर गत और मानसिक स्थिति पर
काफी प्रभाव पड़ता हैं ही , और
इस प्रक्रिया में किसी भी कारण से कोई
भी कमी या विकार या समय में आगे पीछे होने
से जो समस्या आती हैं वह अपने
आप में एक अलग
ही विषय हैं, आज हम एक ऐसा ही सरल सा प्रयोग आपके सामने रख रहे हैं
जो की साबर मंत्र पर आधारित हैं , और हर महीने आने वाले इन विशेष समय
कि शरीरगत प्रक्रिया के समस्त
दोषों को समाप्त करने में एक प्रमुख भूमिका निभा सकता हैं .
मंत्र :'. आदेश श्री राम चन्द्र सिंह .गुरु
को तोडू गांठ ,ओंगा ठाली
तोड़ दू ,लाय
तोड़ी देऊ , सरित परित देकर पाय. यह
देखि हनुमंत दौड़ कर आय ,अमुक का देह ,शांति वीर भगाय ,श्री गुरु
नरसिंह की दुहाई फिरै ||
जहाँ अमुक शब्द आया हैं वहाँपर जिसके
लिए प्रयोग किया जा रह हैं उसका
नाम बोले .
बाज़ार में मिलने वाल एक पान ले आये उस पर मात्र तीन बार यह मन्त्र
पढ़ कर , जिसे इस सम्बन्ध में कुछ
बीमारी हो उसे खिलाये , आराम होगा ..
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There are many
specialties in human life/body ,and the physical qualities of one person also
does not match with other fellow . that is why its very natural
that what is beneficial for a
person regarding any treatment
,not necessary has the same
effect on other, the pathy may be any , but here is the experience play a
major role.
But can we say openly and very clearly about all the diseases what we are facing to .. there are some
problem for that we have very
much hesitation even talk about them. But this also be said that person will receive the as much as
result as he has the faith in guru
, holy book, holy places , doctors , astrologer. And whosoever hide the problem to them , will create a
problem for himself.
Even man may face
problem to speak or express
openly regarding some very personal
disease, than what we can say about our
sister’s problem. We have given many
upay, but still some
very needed one are lacking.
Compare to man , woman have more complexity in her physical body and one
of that , is a very special time
cycle period that comes every month to them. And
if there is any problem regarding
that than this will create not only physical problem but mental or emotional too. Her e is the one very simple prayog if you do than definitely will have some relief
.
Mantra : aadesh shri raam chandr sinh
,guru ko todu gaanthh,onga thhali tod du , lay todi deeun, sarit parit dekar
pay,yah dekhi hanumant doud kar aay ,amuk ka deh ,shanti veer bhagay, shri guru narsinh
ki duhayi phirai ||
Here on the place of amuk , mention
the person name for that this
prayog is doing/applying . Application
of this prayog is very simple
take a “paan”(betel leaf) from
the market and do abhimantrkaran on that
paan by chanting the mantra only three times
and asked the person -concerned to eat,
and this simple process provide her
very much relief.
****NPRU****
yah prayog kitne baar karna hai. paan konsa upyog karna hai sada ya sipadi chuna kathha wala. or kis samye suru karna hai mahina aane se pahle ya baad.
ReplyDeleteplse give answer
aapne answer nhi diya
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