प्राचीन मुख्य १०८ विज्ञान मे कई ऐसे विज्ञान है जिसके बारे मे सामान्यजन को पता ही नहीं है. ऐसा ही एक विज्ञान जो की प्रचलन मे रहा वो था युद्ध विज्ञान. इस विज्ञान के अंतर्गत व्यक्ति को अपनी शक्ति और सामर्थ्य बढ़ा कर किस प्रकार से आत्मरक्षण तथा पर जन रक्षण कर सके इसकी शिक्षा दी जाती थी. साथ ही साथ शश्त्रो की तालीम भी दी जाती थी जो की सहायक रूप मे शक्ति संचार का कार्य करते है. इस विज्ञान के अंतर्गत ये भी बताया जाता था की व्यक्ति किस प्रकार से भूमि तथा वायु मे निहित शक्ति को संचारित कर के युद्ध कर सकता है. इस विज्ञान का ही बौद्ध काल मे विस्तरण हुआ जिसमे कई प्रकार नवोन्मेष कर मार्शलआर्ट आदि विविध ज्ञान कई देशो मे अमल मे आया. इससे यह जाना जा सकता है की उस समय जिव तथा भौतिक विज्ञान का विशेषतम ज्ञान हमारे ऋषियो के पास था. जब इसी विज्ञान को तंत्र पक्ष से जोड़ा गया तो कई त्तंत्र पद्धतिया अमल मे आई जिनका उद्देश्य युद्ध के दौरान विजय श्री के लिए किया जा सके. सैन्य स्तम्भन, सैन्य मारण, राज्य मोहिनी, राजा वशीकरण जैसे प्रयोगों को अमल मे लाया गया. साथ ही साथ सब से अत्यधिक महत्वपूर्ण जो साधनाओ का प्रचार हुआ वो थी अस्त्र साधनाए. हमारे शास्त्रों मे उल्लेख मिलता है की विविध अस्त्रों का प्रयोग युद्ध मे बराबर होता था, अग्नि, पावका, वरुण, नाग, अघोर, ब्रम्हा आदि विभ्भिन अस्त्रों के बारे मे विवरण मिलता है. इन सभी अस्त्रों को साधनाओ के माध्यम से आज भी प्राप्त किया जा सकता है. देवी देवताओ को सिद्ध कर उनसे अस्त्र प्राप्त करने के विवरण हमारे ग्रंथो मे मिलते है. इसी प्रकार विष्णु भगवान का अस्त्र सुदर्शनचक्र है. इन अस्त्रों को प्राप्त करने की साधना अत्यधिक कठोर तथा श्रमसाध्य है तथा इसमें कई साल का समय साधक को लग सकता है. लेकिन इन अस्त्रों से सबंधित कई विविध लघु प्रयोग भी है. जिससे देवी देवता प्रसन्न हो कर अपने अस्त्रों को साधक के पास भेज कर उनका रक्षण करने की आज्ञा देते है. लेकिन यह दुष्कर प्रयोग बहोत ही मुश्किल से प्राप्त होते है, यदा कदा मंत्रो का विवरण भी मिल जाए लेकिन सबंधित प्रक्रियाए मिलना मुश्किल ही है. सदगुरुदेव ने अपने कई सन्यासी शिष्यों को इन प्रक्रियाओ का ज्ञान दिया है. यह हमारा सौभाग्य है की हमारे वरिष्ठ भाई बहेनो के पास इस प्रकार के गुढ़ ज्ञान से सम्प्पन है. सदगुरुदेव की कृपा से एक प्रयोग जो की सुदर्शन चक्र से सबंधित है वह मे आप सब के मध्य रखना चाहूँगा.
इस साधना को किसी भी सुबह दिन शुरू किया जा सकता है. रात्रि काल मे ११ बजे के बाद साधक स्नान कर के सफ़ेद वस्त्रों को धारण कर के सफ़ेद आसान पर बैठे. और रुद्राक्ष माला से निम्न मंत्र का जाप करे. साधक को ७ दिन मे १०००० मंत्र जाप करना है, साधक अपनी सामर्थ्य अनुसार दिनों का चयन कर अपना मंत्र पूरा कर ले लेकिन मंत्र जाप की संख्या रोज नियमित रहे. साधक चाहे तो १ दिन मे भी मंत्र जाप पूरा कर सकता है
ॐ सुदर्शन चक्राय शीघ्र आगच्छ मम सर्वत्र रक्षय रक्षय स्वाहा
मंत्र जाप के बाद साधक माला को धारण करे रखे तथा ग्रहण काल मे इस मंत्र की ११ माला जाप फिर से करे और शहद से अग्नि मे १००८ आहुतियां को इसी मंत्र से अर्पित करे. साधक का सौभाग्य होता है की उस समय सुदर्शन चक्र का दर्शन हो. तब साधक को चाहिए की वह नमस्कार कर रक्षण के लिए प्रार्थना करे.
इसके बाद सुदर्शन चक्र साधक के आसपास अप्रत्यक्ष रूप मे रहता है तथा सर्व रूप से शत्रु तथा अनेक बाधाओ से व्यक्ति का रक्षण करता ही रहता है. साधक का अहित करने का सामर्थ्य उसके शत्रुओ मे रहता ही नहीं है.
साधना के दौरान साधक अघोर मंत्र का भी जाप करे तो वह अत्यधिक उत्तम है.
From 108 ancient sciences, there are still some sciences about which common people do not know anything. Such one of the science which had remained famous was fight science (yuddh vijnana). Under this category of the science teaching used to be given to the person by developing one’s power and ability for self and other’s protection. With that teachings related to weapons were also be used to given which act as helper in power development. Under this science it had also been used to taught that how to use energy which is there in land and air to generate power and fight. This was the science which spread during Buddha era with which new innovations took place and various knowledge of martial art came in touch with different countries. With this, we get idea that our ancient sages must have special knowledge of bio and physic sciences. When this science was merged with tantra side then various processes came to know which were meant to win the fights. Many prayoga came in ront like Seinya Stambhan, Seinya Maaran, Raajya Mohini, Raja Vashikaran etc. with these, most important processes which came forward were astr sadhana. in our scriptures it is mentioned that in fight various astra were brought to use, we find mention of various astra like agni, paavakaa, varun, naag, aghor, bramha etc. all these astra could be gain with sadhana today even. To accomplish sadhana of various god goddess and to gain astra from them such incidents are found in our scriptures. This way sudarshan chakra belongs to god Vishnu. Astra related sadhana are very hard and rigorous and may take several years for sadhak. But there are small ritual too exists related to these astra. By accomplishing which god and goddess send their astra to sadhana for their protection being pleased. But such rare processes are hard to get, somewhere mantra could be found mentioned but processes are hard to find. Sadgurudev have given knowledge about such processes to ascetic disciples. This is our fortune that our ascetic brothers and sisters hold knowledge of such rare processes. With blessings of sadgurudev I am here by sharing a process with you, which is related to sudarshan chakra.
This sadhana could be started on any auspicious day. In the night time after having bath sadhak should wear white cloth and sit on white aasan. And with rudraksh rosary one should chant mantra. sadhak should complete 10000 mantra in 7 days maximum, sadhak can make selection of the days according to their capacity but no. of mantra chanting should remain same daily. If one wishes, sadhak can also complete all mantra in 1 day.
Om Sudarshan Chakraay Sheeghra aagachchh mam sarvatr rakshay rakshay swaha
After mantra chanting sadhak should wear the rosary and when it is eclipse (solar/lunar) one should chant 11 rosary of the same mantra and should offer 1008 aahuti with the same mantra of honey in the fire. It is great boon that sadhak can have glimpse of sudarshan chakra at that time. Sadhak should bow down to it and pray for the protection. After that sudarshan chakra will remain in invisible form near sadhak and in every way it save from dangers ad enemies. Enemies no more can harm in any way to sadhak.
If during sadhana, sadhak chants aghor mantra will add extra benefit to get success in sadhana.
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jai gurudev bhaiyya bahut bahut dhayawad ki apne yesi vilakshan sadhna ke baare mein bataya.....bhaiyya ye line kripya thoda aur ispasht kijiye" साधना के दौरान साधक अघोर मंत्र का भी जाप करे तो वह अत्यधिक उत्तम है."
ReplyDeleteashok
dear bhai ,
ReplyDelete1.sudarshan chakra sadhana me..jahan par yah likha hain ki sadhana kaal me aghor mantra ka jap kiya ja sakta hain ....to sadhna jab us din ki puri ho jaye matlab jitna mantra kaha gaya hain to uske baad aap aghor mantra ka jap kar sakte hain ..
mukesh ji , aapki baat sahi hain hamne pahli prati ki kimat matra rs 3200 rupye rakhi hain jo blog ya group ya facebook ke nikhil-alchemy group ke sadsyon ko unhe yah matr rs 2500 me uplabdh hogi.
aur jo bhi bhai yah book chahte hain wah ....nikhilarif@gmail.com par apni request bhej sakate hain , whan se unhe guideline mil jayengi...
nitin bhai ,aap tantra kaumudi ke 8 ve ank me sadgurudev ji se diksha prapt aaj bhi kaise ki ja sakti hain ...ka vidhan dekhen aur mano yog purvak karen to nischay hi aapki ichchha puri hogi.
dear brother tantra...aap mujhe nikhilalchemy2@yahoo.com par is maha siddh gutika ke liye samparak kar sakate hain ..
smile
Anu