Wednesday, January 4, 2012

Soubhagy Vardhak Grihsth Sukh Anukulta Pradayak Prayog


गृहस्थ   जीवन   तो  यदि   व्यक्ति का  सुखमय  और  आनंदमय हैं तो   वह    इन्द्र  के    वैभव  को    भी चुनौती   देने  वाला   हैं मतलब  यह   की  यदि  आपस में   दोनों पक्षों  का  स्नेह  हैं   तो ...  पर  आधुनिक  समाज की शैली ने     व्यक्ति  को  केबल  और केबल   धन की   ओर   ही  केन्द्रित कर  दिया हैं ,  और    ध्यान से  देखा   जाए   तो   यही सच्चाई  भी हैं जिससे  की  आप  और  हम  अपना   मुंह  नहीं मोड़ सकते हैं ,,
      पर  जीवन की  आवश्यकता  की पूर्ति  करते करते   अगर  जीवन  ही   मशीन के  सामान  हो जाए  तो   भी  तो यह अवस्था  उचित  नहीं हैं .  और  आज के  समय में  जहाँ  पति  और  पत्नी    दोनों  ही  कार्य   कर रहे  हो,  तब  तो  स्नेह सबंध  का  और  भी  बुरा  हाल   हो जाता हैं,, क्योंकि  समय ही नहीं    किसी  के पास..और जब   समय ही नहीं हैं  तो आपस   में  सम्बन्ध प्रगाढ़ कैसे  होंगे.....  और इस  तनाव  की परिणिति   आपसी संबंधो में    भी  दिखने  लगती हैं  और  जब  दुसरे  पक्ष  के  द्वारा   सहयोग नहीं  मिल  रहा हो    तब ....    तो अनेको बार  परिवार   विघटन की कगार  में   आ  जाता  हैं... और   व्यक्ति निराश  हो कर   अनेक पडिंतो  और   तांत्रिको के पास  चक्कर  काटने लगता   हैं  
          और   यही  तन्त्र साधना   के   विभिन्न   पहलु सामने   आते हैं ...   जिनके  षटकर्मो  का  अपना  ही  एक  स्थान हैं..  .
  और   तंत्र साधना   में  एक  विधा हैं  जिसे  वशीकरण  कहते हैं ,, इसका  यह मतलब नहीं  लगाया  जाना   चाहिए  की  अगला व्यक्ति  आपका     गुलाम   हो जायेगा   और  आप जैसा   कहोगे  वैसे  करता  जायेगा ,, यह  हमेशा   ध्यान  रखना  ही  चाहिए  की अकारण  किसी   पर  भी   कोई   किया  गया प्रयोग इस  तरह  का  ……….भविष्य  में  आपके लिए    ही नुक्सान का  कारण   बनता हैं भले शुरुआत में    तो  व्यक्ति लाभ पा जाता हैं पर ......
पर जब   आपकी इच्छा   मात्र  अपना    परिवार  बचाना  हो ..   यदि अपने  साथी की गलत  आदते  को हटा कर उसे  अनुकूल  बनाना    हो तब   इस  प्रयोग  का  इस्तेमाल  करे .
                              यहाँ  यह भी  जरुरी हैं की  अगर अवस्था बहुत   बिगड़   गयी  हो  तब  तो हमें  उच्चस्तरीय  प्रयोग का   उपयोग करना  ही होगा , परन्तु  अनेको  भाई बहिनों के   पास   आज की इस   जीवन शैली  में  इन सब के लिए  समय  कहाँ हैं  अतः    इस प्रयोग  को करे     तो   यह   आपके परिवार  में  अवस्था बिगड़ने नहीं  देगा , क्योंकि   कोई  घटना   यदि  हो गयी  हो तो उसे  अब तो  वापिस  नहीं  किया  जा सकता   हैं पर  कुछ अभी इतना  बुरा  न  हुआ  हो  तो ,,भविष्य  की  रोक  थाम  की जा  सकती हैं .    
     हमारे  द्वारा   अनेको बार  कुछ  विषय पर   प्रयोग   दिए  जाने के  कारण   यह हैं की  भले  ही  समस्या  एक ही   हो या  मिलती  जुलती  हो  पर   सभी  उस प्रयोग को कर  पाए   यह संभव  नहीं हैं .. किसी के  घर  में  अनुकूलता  नहीं हैं  तो किसी  के घर में  जगह नहीं हैं  तो किसी के  घर  वाले  इस   मानसिक प्रवृति के हैं  की क्या  कहा   जाए .  
           तब  जहाँ उच्च स्तरीय   बड़े प्रयोगों का  अपना  एक  अर्थ हैं   तब उच्चस्तरीय  सरल  प्रयोगों को  भी कम  नहीं  आका   जा   सकता हैं .क्योंकि इनमे   विधान या  ताम  झाम  ज्यादा नहीं हैं.  आपको   सुबह   या  शाम  जब भी समय  मिले  सदगुरुदेव  जी का पूजन करके   जैसे  भी   आपसे  संभव  हो   और  अगर  न हो  तो मानसिक   रूप  से कर  ले  जैसे  भी  संभव  हो  क्योंकि   वह  तो    आपके  ह्रदय  से स्नेह चाहते हैं .  और  पूजन के  उपरान्त   आप  गुरु मंत्र   की   4  माला   जप कर सके  तो    उत्तम हैं   और  संकल्प   जरुर  ले  की  आप   अपनी मनो कामना  व्यक्त कर दे  और   सदगुरुदेव   से भाव पूर्ण निवेदन करे  की  आपको  सफलता  मिले  और  आपका   गृहस्थ जीवन पुनः  मंगल मय हो ...  
                                             वस्त्र ,  आसन , माला  - यदि  पीले  रंग के  हो तो  अच्छा हैं...वैसे  यही  कोई   आवश्यक नहीं हैं ....कोई  दिशा   कोई   भी सकती  पर  यदि उत्तर   हो  तो   कहीं ज्यादा   उचित  होगा  …..हाँ   जो भाई बहिन   इसे  बिलकुल  पूरे  नियमानुसार   करना  चाहे    तो    एक निश्चित समय  पर  करे……यह  और  भी प्रभावदायक  होता हैं ....पर सबसे   ज्यादा   आवश्यक  हैं कि   आप इस  मंत्र  पर   और अपने  पर  पूरा  विस्वास करे  और   मंत्र  और सदगुरुदेव   तो  एक  ही होते हैं .तो  सदगुरुदेव के  आशीर्वाद के बिना   तो कोई  साधना   कैसे सफल  हो सकती हैं .इस तथ्य  से  आप सभी  भली भांति परिचित हैं ही . 
 इस  प्रयोग  को  पति पत्नी  दोनों कर सकते हैं   हमारा  मतलब यह हैं की   यदि   पति करना  चाहता  हैं तो  मंत्र में “पत्नी “शब्द  का  प्रयोग करे   और पत्नी करना  चाहती हैं तो “पति “ शब्द   का प्रयोग करे   इ स बात का  ध्यान में  रखे .
मंत्र  -  ॐ  कं कं ज्ञं ज्ञ: मम पति वश्यं   कुरु कुरु   स्वाहा  ||
Mantra :   om  kam kam  gyam gyah  mam  pati vashyam  kuru  kuru swaha ||
हर  दिन  कम से कम 108  बार  तो करे  ही ...  और  निश्चय  ही सदगुरुदेव  के  आशीर्वाद  से  आपके  जीवन में  पुनः   मधुरता  आएगी  
  
 ****NPRU****
Tantra kaumudi :(monthly free e magazine) :Available only to the follower  of the blog and member of  Nikhil Alchemy   yahoo group.

for discussion of our post :  VISIT" NIKHIL-ALCHEMY" FACEBOOK GROUP ..
Our web site   : http://www.nikhil-alchmey2.com
Kindly visit our web site containing   not only articles about tantra and  Alchemy but on parad gutika and  coming work shop info , previous workshop details  and most important about Poojya sadgurudevji    
Our Blog  for new posts  : http://nikhil-alchemy2.blogspot.com

No comments:

Post a Comment