नव ग्रहों में शनि को सबसे क्रूर माना जाता हैं यु तो क्रूर ग्रहों की श्रेणी में राहू का स्थान सर्वोपरी हैं पर अत्यंत धीरे गति के कारण इनका प्रभाव कहीं ज्यादा देर तक मानव और सम्पूर्ण जीवित समुदाय को सहन करना पड़ता हैं . सदगुरुदेव जी ने भी मंत्र तंत्र यन्त्र विज्ञानं पत्रिका में बताया था की यह जरुरी नहीं हैं की जब शनि की साढ़े साती , अद्धैया चल रहा हो या कुंडली में समय विपरीत हो या शनि की दशा या अंतर दशा चल रही हो तभी शनि की शांति का प्रयोग करना चाहिए .वास्तविकता यह हैं की अगर शनि की महा दशा और अंतर दशा का अध्ययन किया जाए तो इतने पर ही एक योग्य ज्योतिषी रुकता नहीं हैं बल्कि इससे भी आगे प्राण दशा और सूक्ष्म दशा जैसे भी भेद क्रमशः आते हैं . और वैसे भी यदि दिन भर को एक समय अवधि माने तो किसी भी पल कोई न कोई क्षण दिन का शनि की दुस्प्रभावता वाला हो सकता हैं.
और यह एक पल का समय तो दिन के किसी भी घंटे या पल उपस्थित हो सकता हैं ... क्योंकि दुर्घटना होने में तो एक पल लगता हैं.
तो पूज्य सदगुरुदेव प्रत्येक साधना शिविरों में कोई न कोई एक प्रयोग नव गृह की शांति का अवश्य करवाते ही थे . क्योंकि वह एक सर्वोच्च ज्योतिषी ही नहीं बल्कि संभवतः संसार के महानतम तांत्रिक आचार्य भी हैं तो वह भली भांति जानते हैं की नव ग्रहों की अनुकूलता या प्रतिकूलता मानव जीवन पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कितना प्रभाव कर सकती हैं या डालती हैं ,
उन्होंने अनेको बार समझाया की इन क्रूर ग्रहों के प्रभा व से देवता क्या अवतार पुरुष भी नहीं भी नहीं बच पाए हैं. पर साधक वर्ग बहुत कम ही इन नव ग्रहों की अनुकूलता के लिए ध्यान देता हैं.
निश्चय ही साधक वर्ग के पास समयाभाव रहता ही हैं तो इसको ध्यान में रखते हुए एक सरल सा प्रयोग जो आपको निश्चय ही शनि की अनु कुलता देगा और जब इस शनि गृह की अ नुकुलता मिल जाती हैं तब जीवन में उच्चता स्वतः ही आने लगती हैं ,, पुरे मन से बिश्वास से आप यह प्रयोग करे निश्चय ही आपको सफलता सदगुरुदेव जी के आशीर्वाद से मिलेगी ही
यन्त्र निर्माण की विधि :
दिन शनि वार , वस्त्र आप काले ही धारण करे आसन भी काले रंग का ही हो शनि उपसना में सरसों के तेल का दीपक हो तो अनुकूल हैं . यंत्र लिखने के लिए भोजपत्र कहीं ज्यदा उपयोगी हैं , स्याही आप जानते हैं की अष्ट गंध की मिल जाये या बना ले . और यन्त्र को किस लकड़ी की कलम से लिखना चाहिए यह भी एक बहुत आवश्यक विधान हैं , तो गुलर की लकड़ी जो की आपको पंसारी के यहाँ आसानी से मिल जाएगी का उपयोग करे,
और यन्त्र निर्माण करे .. फिर इस यन्त्र की अगरबत्ती और जैसा भी संभव हो उसकी पूजा करे
और फिर किसी भी माला पर यदि हकीक हो तो ज्यादा अच्छा हैं पर काले रंग की हो तो ज्यादा अच्छा हैं फिर मंत्र २३,००० मन्त्र जप निम्न मन्त्र का करे .
ॐ शं शनिश्चराय नमः ||
om sham shanishcharaay namah ||
एक बार पुनः यन्त्र का पूजन करे जब जप समाप्त हो जाए . इस यन्त्र को अब आप किसी भी ताबीज में डाल कर धारण कर ले, आपको शनि गृह की अनुकूलता महसूस होने लगेगी .
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