वीरभद्रतन्त्रं अपने आप मे गोपनीय साधनाओ का संग्रह है, यह गुप्त ग्रन्थ मे अनेको साधना रहस्य दिये गए है जो की अपने आप मे सरल तथा प्रामाणिक है. एक समय पर यह बहोत ही बड़ा तन्त्र साहित्य ग्रन्थ हुआ करता था लेकिन इसके कई भाग काल क्रम मे लुप्तता को प्राप्त हो गए. खेर, इस ग्रन्थ मे कई देवी देवताओ की साधना विधियां स्पष्ट की गई है जिसमे मारण, वशीकरण, आकर्षण, मोहन और कार्य सिद्धि से सबंधित प्रयोग निहित है. प्रस्तुत प्रयोग ग्रन्थ का एक कीमती रत्न है. यह सर्वेश्वरी साधना है. इस साधना का मंत्र स्वयं सिद्ध है इस लिए सफलता की संभावना ज्यादा है. साथ हि साथ इस मंत्र की एक और खासियत यह है की व्यक्ति इसमें साधना क्रम का चुनाव खुद कर सकता है तथा अपने मनोकुल परिणाम के लिए प्रयत्न कर सकता है. इस प्रकार तंत्र के क्षेत्र मे यह एक अत्यधिक महत्वपूर्ण और गोपनीय प्रयोग है.
इस साधना को करने के लिए साधक किसी ऐसे स्थान का चयन करे जहा पर उसे साधना के समय पर कोई भी व्यव्घान न आए. साधक को प्रयोग मंगल वार रात्री से शुरू करना चाहिए. माला रुद्राक्ष की रहे तथा वस्त्र और आसान लाल. दिशा उत्तर रहे. साधक निम्न रूप से इस मंत्र के विविध प्रयोग कर सकता है. मंत्र के सबंध मे विवरण जिस प्रकार से दिया गया है वह इस प्रकार है.
१) इस मंत्र के स्मरण मात्र से सर्व भूत राक्षस दुष्ट हिंसक पशु डाकिनी योगिनी इत्यादि सर्व बाधाओ का निवारण होता है. जब भी इस प्रकार के कोई खतरे की शंका हो तब इस मंत्र का ७ बार जाप करना चाहिए. इस प्रयोग के लिए मात्र मंत्र याद होना ज़रुरी है. यह स्वयं सिद्ध है, इस लिए इस प्रयोग के लिए इस मंत्र को सिद्ध करने का विधान नहीं है. सीधा प्रयोग मे ला सकते है.
२) इस मंत्र का एक हज़ार बार जाप कर लिया जाए तो व्यक्ति की याद शक्ति तीव्र हो जाती है तथा मेघावी बन जाता है
३) अगर १०००० बार जप कर लिया जाए तो उसे सर्व ज्ञान अर्थात त्रिकाल ज्ञान की प्राप्ति होती है
४) अगर इसे एक लाख जाप के अनुष्ठान के रूप मे जाप किया जाए तो व्यक्ति को खेचरत्व या भूचरत्व की प्राप्ति होती है.
साधक खुद ही अपने इच्छित प्रयोग के लिए दिनों का चयन कर सकता है की वह इतने दिन मे इतने मंत्र जाप करेगा.
सर्वेश्वरी मंत्र : ॐ हं ठ ठ ठ सैं चां ठं ठ ठ ठ ह्र: ह्रौं ह्रौं ह्रैं क्षैं क्षों क्षैं क्षं ह्रौं ह्रौं क्षैं ह्रीं स्मां ध्मां स्त्रीं सर्वेश्वरी हुं फट् स्वाहा
यह तीव्र मंत्र है अतः कमज़ोर ह्रदय वाले साधक को इस मंत्र की साधना नहीं करनी चाहिए.
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VeerbhadraTantram is collection of various secret sadhana in itself, there are so many secrets related to the sadhana given in this secret scripture which are easy and authentic. Once upon a time this scripture used to be big literature in content but many parts of this scripture lost their existence time while. Anyway, in this scripture many sadhana related to various gods and goddesses are mentioned including rituals on Maaran, Vashikaran, Aakarshana, Mohan, Karya siddhim etc. The sadhana presented here is big gem of this scripture. This is sarveshwari sadhana. Mantra of this sadhana is swayam siddha or active this way possibility to attain success becomes more. With that there is another special characteristic is that person is free to choose their sadhana order and can have the desired result. This way, in tantra field, this sadhana is very important and secret.
To accomplish this sadhana, sadhak should select the place where no disturbance occurs during sadhana time. Sadhak should start this prayog on Tuesday night. Rosary should be rudraksha and cloth and aasana should be Red. Direction should be north. Sadhak can use this mantra in following way. Description given in regard of mantra is this way:
Just by remembering this mantra solution of the troubles could be gain related to bhoot, rakshas, (evil spirits) daakini, yogini. Whenever such auspicious troubles are marked, one should chant this mantra 7 times. For this prayoga, one should remember this mantra. As this mantra is swayam siddha, for this particular there is no need of any process to accomplish this. One can directly take the mantra in use.
If this mantra is chanted for one thousand times, person gets extreme memory power and becomes brilliant.
If this mantra is chanted 10,000 times one gets power to know everything means past and future incident could be seen.
If one does this mantra chanting for 1, 00,000 times in the form of anusthan one can have power of khechari or bhoochari means (flying in the sky or walking power for longer distance).
Sadhak can himself select the prayog and schedule could be arranged accordingly that these much of mantra chanting would be done in these much days.
Sarveshwari Mantra : Om Ham th th th seim chaam tham th th th hrah hraum hraum hreim ksheim kshom ksheim ksham hraum hraum ksheim hreeng smaam dhmaam streem sarveshwari hum phat swaahaa
This is tivra mantra so sadhak with fear in heart should not attempt this mantra sadhana.
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