आज के युग में माँ महाकाली की साधना कल्पवृक्ष के समान है क्योकि ये कलयुग में शीघ्र अतिशीघ्र फल प्रदान करने वाली महाविद्याओं में से एक महा विद्या है. जो साधक महाविद्या के इस स्वरुप की साधना करता है उसका मानव योनि में जन्म लेना सार्थक हो जाता है क्योकि एक तरफ जहाँ माँ काली अपने साधक की भौतिक आवश्कताओं को पूरा करती है वहीँ दूसरी तरफ उसे सुखोपभोग करवाते हुए एक-छत्र राज प्रदान करती है.
वैसे तो जब से इस ब्रह्मांड की रचना हुई है तब से लाखों करोडों साधनाओं को हमारे ऋषियों द्वारा आत्मसात किया गया है पर इन सबमें से दस महाविद्याओं, जिन्हें की “ मात्रिक शक्ति “ की तुलना दी जाती है, की साधना को श्रेष्टतम माना गया है. जबसे इस पृथ्वी का काल आयोजन हुआ है तब से माँ महाकाली की साधना को योगियों और तांत्रिको में सर्वोच्च की संज्ञा दी जाती है. साधक को महाकाली की साधना के हर चरण को पूरा करना चाहिए क्योकि इस साधना से निश्यच ही साधक को वाक्-सिद्धि की प्राप्ति होती है. वैसे तो इस साधना के बहुतेरे गोपनीय पक्ष साधक समाज के सामने आ चुके है परन्तु आज भी हम इस महाविद्या के कई रहस्यों से परिचित नहीं है.
काम कला काली, गुह्य काली, अष्ट काली, दक्षिण काली, सिद्ध काली आदि के कई गोपनीय विधान आज भी अछूते ही रह गए साधकों के समक्ष आने से,जितना लिखा गया है ये कुछ भी नहीं उन रहस्यों की तुलना में जो की अभी तक प्रकाश में नहीं आया है और इसका महत्वपूर्ण कारण है इन विद्याओं के रहस्यों का श्रुति रूप में रहना,अर्थात ये ज्ञान सदैव सदैव से गुरु गम्य ही रहा है,मात्र गुरु ही शिष्य को प्रदान करता रहा है और इसका अंकन या तो ग्रंथों में किया ही नहीं गया या फिर उन ग्रंथों को ही लुप्त कर दिया काल के प्रवाह और हमारी असावधानी और आलस्य ने. अघोर साधनाओं का प्रारंभ शमशान से ही होता है और होता है तीव्र साधनाओं का प्रकटीकरण भी,तभी तो साधक पशुभाव से ऊपर उठकर वीर और तदुपरांत दिव्य भाव में प्रवेश कर अपने जीवन को सार्थक कर पाता है.
किसी भी शक्ति का बाह्य स्वरुप प्रतीक होता है उनकी अन्तः शक्तियों का जो की सम्बंधित साधक को उन शक्तियों का अभय प्रदान करती हैं, अष्ट मुंडों की माला पहने माँ यही तो प्रदर्शित करती है की मैं अपने हाथ में पकड़ी हुयी ज्ञान खडग से सतत साधकों के अष्ट पाशों को छिन्न-भिन्न करती रहती हूँ, उनके हाथ का खप्पर प्रदर्शित करता है ब्रह्मांडीय सम्पदा को स्वयं में समेट लेने की क्रिया का,क्यूंकि खप्पर मानव मुंड से ही तो बनता है और मानव मष्तिष्क या मुंड को तंत्र शास्त्र ब्रह्माण्ड की संज्ञा देता है,अर्थात माँ की साधना करने वाला भला माँ के आशीर्वाद से ब्रह्मांडीय रहस्यों से भला कैसे अपरिचित रह सकता है.इन्ही रूपों में माँ का एक रूप ऐसा भी है जो अभी तक प्रकाश में नहीं आया है और वह रूप है माँ काली के अद्भुत रूप “महा घोर रावा” का,जिनकी साधना से वीरभाव,ऐश्वर्य,सम्मान,वाक् सिद्धि और उच्च तंत्रों का ज्ञान स्वतः ही प्राप्त होने लगता है,अद्भुत है माँ का यह रूप जिसने सम्पूर्ण ब्रह्मांडीय रहस्यों को ही अपने आप में समेत हुआ है और जब साधक इनकी कृपा प्राप्त कर लेता है तो एक तरफ उसे समस्त आंतरिक और बाह्य शत्रुओं से अभय प्राप्त हो जाता है वही उसे माँ काली की मूल आधार भूत शक्ति और गोपनीय तंत्रों में सफलता की कुंजी भी तो प्राप्त हो जाती है.
वस्तुतः ये क्रियाएँ अत्यंत ही गुप्त रखी गयी हैं और सामन्य साधको को तो इन स्वरूपों की जानकारी भी नही है परन्तु हमारी सद्गुरु परम्परा में हमें सहजता से सभी रहस्यों का परिचय प्राप्त होता है. इनकी मूल साधना अत्यधिक ही दुष्कर मानी गयी है और श्मशान,पूर्ण तैयारी और कुशल गुरु मार्गदर्शन के बिना इसका अभ्यास भी नहीं करना चाहिय अन्यथा स्वयं के प्राण तीव्रता के साथ बाह्य्गामी होकर ब्रह्माण्डीय प्राणों के साथ योग कर लेते है और पुनः लौट कर साधक के मूल शरीर मैं नहीं आते हैं. अतः वह विधान तो यहाँ पर देना उचित नहीं होगा परन्तु उनका एक सरल क्रम जो घर में एकांत में किया जा सकता है और उपरोक्त सभी लाभों को प्राप्त किया जा सकता है यहाँ पर दिया जा रहा है. अभी तक ये साधना प्रकाश में नहीं आई थी परन्तु सदगुरुदेव की कृपा से हमे सभी को इसे जानने का सौभाग्य मिला है.
१. इसे किसी भी रविवार से प्रारम्भ किया जा सकता है.
२. लाल वस्त्र और आसन अनिवार्य है.
३. रात्रि का तीसरा पहर और दक्षिण दिशा की प्रधानता कही गयी है.
४. महाकाली के चैतन्य चित्र या विग्रह के सामने बैठ कर इस मंत्र का २१ माला जप अगले रविवार तक नित्य किया जाता है.
५. गुरु पूजन और गुरु मंत्र तो किसी भी साधना का प्राथमिक और अनिवार्य अंग है जो अन्य साधना में सफलता के लिए हमारा आधार बनता है.
६. कुमकुम, तेल के दीपक, जवा पुष्प, गूगल धुप और अदरक के रस में डूबा हुआ गुड़ माँ के पूजन में प्रयुक्त होता है. रुद्राक्ष माला से इनका मंत्र जप किया जाता है.
ॐ क्रीं क्लीं महा घोररावयै पूर्ण घोरातिघोरा क्लीं क्रीं फट् ||
OM KREEM KLEEM MAHA GHOR RAAVYAI POORN GHORAATIGHORA KLEEM KREEM PHAT ||
साधना के दौरान थोड़ी भयावह स्थिति बन सकती है, पदचाप सुनाई दे सकती है, साधना से उच्चाटन हो सकता है, तीव्र ज्वर और तीव्र दर्द का अनुभव हो सकता है परन्तु साधक यदि इन् स्थितियों को पार कर लेता है तो उसे स्वयं ही धीरे धीरे उपरोक्त लाभ प्राप्त होने लगते हैं.
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Now a days Mahakaali’s sadhnaa is identified with Kalapvriksh because among other Mahavidhyaas it gives results to its sadhak as soon as possible that too in our present time. The person who does Her sadhnaa lives his/her life with all luxuries because with the domestic needs of her sadhak She provides him every existing comfort of this universe.
Though from the very first day when this universe came into existence our revered sages perform countless sadhnaas yet out of them Mahavidhyaas whom we respect as “MAATRIK SHAKTI “find some special place. From the beginning of this universe Maa Mahakaali’s sadhnaa is at the top among yogis and tantriks. A sadhak should complete every step of this sadhna as without any second thought it provides word power i.e. Vaak Sidhi to its sadhak. There is much which was secret but now disclosed about this sadhna in front of sadhak samaj still unknown is immeasurable.
There is much about KAAM KALA KAALI, GUHAYAA KAALI, ASHTT KAALI, DAKSHIN KAALI and SIDH KAALI which is yet not come into light as this knowledge is passed by guru to his shishya which is called Shruti Roop, this passed knowledge is not written in literatures or if wrote due to the changing of time and our carelessness or laziness we have lost them. Sadhnaas which we regarded as Aghor and Teevr gets start and then come into light in shamshaan only….and when this happen sadhak jumps from Pashu Bhav to Veer Bhav and finally gets settle in Divya Bhav.
External form of any divine power represents its mysterious internal power which gives its sadhak blessing of oneness with universal power…..as MAA Maha Kaali wears garland of skull bowl ( nar mund ) and holds khadagh in her hand which symbolizes that with her khadagh She cut down Ashtt Paash of Her sadhak and skull bowl represents that Her sadhak can have whole the universe established in his mind as the khapper She holds in Her hands make up by human nar mund and in Tantra Shasta this nar mund is representative of whole universe. Out of Mahakaali’s other form there is a form named “ MAHA GHOR RAWA “ still remain in darkness but this is capable to bless Her sadhak with the feeling of Veer Bhav, Vaak Sidhi, respectable place in society and countless money as well. Her sadhak comes to know about high class tantra simultaneously. Really deity’s this form is combination of strangeness and mystery as well because at one hand it provides its sadhak security from all external and internal enemies and on the other hand he/she gets the knowledge about basic power and secret tantra related to Maha Kaali.
The fact is that all the knowledge and information about the other forms of Maha Kaali kept secret but due to the blessing of our revered Sadgurudev we get all this informative knowledge easily. Its basic sadhnaa is considered toughest so without the guideline of true guru and complete readiness of shamshaan one should not go for it otherwise one’s life energy be one with outer universal life energy and never comes back to sadhak’s body. So it’s not justified to give that procedure over here so a simple and easy procedure which can be carried on in the aloneness of home is mention here but this procedure is blessed with same above written properties. This sadhnaa is under the layers of darkness but with the consent of Sadgurudev we get this…..
1. It can start at any Sunday.
2. Red clothes and aasan is must.
3. Third half i.e. teesra pehar and south direction is essential.
4. In front of Maha Kaali’s enlightening Chitra or Vigrah do 21 rosary of below given mantra from one Sunday to other.
5. Guru Poojan and Guru Mantra is undoubtedly unforgotten part of any sadhnaa for success.
6. Kumkum, oil lamp (tale ka Deepak), jawa pushp, guggal dhoop and jaggrey that too dipped in ginger’s water is required for this sadhnaa and for mantra jaap Rudraksh mala is must.
ॐ क्रीं क्लीं महा घोररावयै पूर्ण घोरातिघोरा क्लीं क्रीं फट् ||
OM KREEM KLEEM MAHA GHOR RAAVYAI POORN GHORAATIGHORA KLEEM KREEM PHAT ||
During sadhnaa surrounding can be felt as mysterious or frightful, peddles ( walking steps ) can be heard, severe fever and pain can be felt and moreover boredom from sadhnaa can be realized but if a sadhak cross all these hurdles successfully then he is bound to attain above mention benefits.
****NPRU****
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Dear bhai plz solve my query:
ReplyDeleteKya isme java pushp anivarya hai athva koi bhi laal pushp le saktay hain jaisay gulap ityadi.
Kya isko maha kali yantra ke samne kar saktay hain.
Is sadhna me to apne yantra pujan ke bare nai btaya. Kya is sadhna me yantra pujan nai kia jata hai......aur tisra peher kis samay ko bolte hai??
ReplyDeletePls iska reply thora jaldi kijiega
Jaigurudev
maine abhi tak koi sadhana nahi ki hai.. bas bhagwaan ke mantra padta rehta hoon.. mai tamilian hoon to mujhe kuch phoolo ke naam samjh nahi aate. aur hamare yaha bangalore ek city hone ke karan to kisi phool ka milna mushkil hi hai.. kya mai ghar mai hi sadhana kar sakta hoon.. aur please tesre phehar ka matlab samjhayiye.. ladkiyo ko kis prakaar ki sadhna karni chahiye aur unke liye kya rules hain.. meri girl friend jaannan chahti hai sadha ke baare mai plz reply
ReplyDeleteladkiya es sadhana ko kaise kar sakthi hain? agar girls ke liye koi rules hain to plz reply karen
ReplyDeletedear brother , meri advice yahi hain ki pahle aap facebook "nikhil-alchemy"group ke sadsy ban jaaye , whan par kahin jyda aasani se aapke prshano ke uttar mil payenge kyonki lagbhag 800 plus bhai bahin whan par hain .
ReplyDeleteaur rules to wahin hain jo kisi bhi sadhak ke liye hote hain , yes in mc period girl should not do any sadhna , when they cross the period take a full bath and and continue the sadhana , and this break is not aconsider any break in sadhana .
smile
Anu
maa mahakali sadhna main kya maa ke partshik darshan ho sakte hain? or kaise?
ReplyDeletemaa mahakali sadhna main kya maa ke partaksh darshan ho sakte hain ? or kaise
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