Thursday, February 9, 2012

TRINAYNA TARA SADHNA


महाविद्याओ का तंत्र मे क्या स्थान है यह कोई कहने की आवश्यकता नहीं है. यह महाविद्याए अति शक्ति सम्प्पन मानी जाती है जो की ब्रम्हांड की गति की संचालिका है. और इन महाविद्या मे देवी तारा का नाम तो साधको के मध्य प्रचलित है. देवी की साधना उपासना आदि काल से विविध रूप मे विविध महासिद्धो के द्वारा होती आई है. देवी की शक्ति का अनुमान लगाना असंभव ही है, नाना रूप से सदैव ही साधको का कल्याण करती रहती है. इनकी कई साधना पद्दतिया प्रचलित है. जिसमे दक्षिण तथा वाम दोनों ही पक्ष मे बराबर से देवी की साधना का प्रचलन रहा है. देवी का मुख्य रूप है महातारा. महातारा के विखंडित रूप से ही देवी के अलग अलग रूप की साधना का प्रचलन हुआ. जिसमे नीला, एकजटा, चतुर्भुजा जेसे अनेक रूप साधको के मध्य प्रचलित है. वही बौद्ध तंत्र मे भी इनके विविध रूप प्रचलित है जहा इन्हें डोल्मा के नाम से जाना जाता है. तथा इनकी एक और गूढ़ पद्धति महाचिना स्वरुप मे की जाती है. महाचिना की आधार पध्धति ही चिनाचार कहा गया है जिस पद्धति का ज्ञान वसिष्ठ ने भगवन तथागत से तिब्बत मे जा कर लिया था. इसके अलावा भी भगवती के कई भेद उनके गुणों के धारण करने से हो रहे उनके तत्व परिवर्तन से किये गए है जेसे की स्वेत तारा, हीरक तारा, रक्त तारा इस प्रकार भी २१ भेद है. देवी की साधना कई अर्थो मे महत्वपूर्ण है, किसी भी प्रकार की सिद्धि साधको को देने की सामर्थ्यता देवी तारा रखती ही है लेकिन ज्यादातर साधक धन सबंधी समस्या की मुक्ति के लिए देवी की उपासना करते है. देवी के कई रूप अपने आप मे गुढ़ रहे है. ऐसा ही एक रूप है त्रिनयना. त्रिनयना का अर्थ है तिन नेत्र को धारण करने वाली. यह त्रि नेत्र प्रतीक है सूर्य चंद्र तथा अग्नि का. यह त्रि शक्ति क्रिया ज्ञान इच्छा का भी घोतक है तथा देवी के मूल तिन तत्व सत्, रजस् तथा तमस को भी दर्शाता है. साथ ही साथ यह त्रिदेवी का भी प्रतीक चिन्ह है जो की महासरस्वती, महालक्ष्मी तथा महाकाली है. इसके अलावा ये तिन प्रकार के काल को अपने अंदर समाये हुए है तथा काल पर इनकी पकड़ है ये भी दर्शाता है. देवी त्रिनयना का रूप अपने आप मे इतना गुढ़ है की शब्द कम पड़ जाए अभिव्यक्ति के लिए. देवी की साधना से मनोकामना पूर्ति होती है, काल पर प्रभुत्व के कारण साधको को काल क्रम से आने वाली बाधाओ को दूर करती है तथा वही उनके नेत्र के सूर्य तथा चंद्र प्रभाव से व्यक्ति का आतंरिक तथा बाह्य व्यक्तित्व निखर उठाता है. इस साधना को सम्प्पन करने के लिए साधक रविवार की रात्रि १० बजे के बाद यह साधना शुरू करे. साधक भगवती तारा के यन्त्र चित्र के सामने यह साधना करे तो ज्यादा अच्छा है. वस्त्र आसान वगेरा गुलाबी या स्वेत रहे. दिशा उत्तर
इसके बाद साधक निम्न मंत्र की २१ माला जाप मोती माला या स्फटिक माला से करे
 स्त्रीं त्रिनयना सिद्धिं देहि नमः
यह क्रम २१ दिन तक रहे. साधक की मनोकामना की पूर्ति के लिए भी यह साधना श्रेष्ठ है.
===========================================
Everyone is aware about importance of the mahavidyas in tantra field. These mahavidyas are believed very powerful which controls the flow of universe. And in these mahavidya names, name of goddess Tara is famous among sadhaka. Form very earlier time sadhana of goddess has remained in practice in her various forms by various mahasiddha. It is almost impossible to imagine power of the goddess; she keeps on blessing her devotee with her various forms. Various processes of her sadhana have remained famous. These include both the side dakshina and vama processes of the goddess. The main form of the goddess is Mahatara. Sadhana of the goddess various form came in existence by fragment of the main goddess. These include famous forms like neela, ekjata, chaturbhujaa etc. on the other side various forms of this goddess have remained which is termed as Dolma there. And one of her secret process is done for her form Mahachina. The base method for the Mahachina form is called Chinachara about which knowledge was acquired by sage Vasistha from God Tathagat in Tibet. Apart from these, various other forms are classified by her properties and the transformation of the basic elements like white tara, green tara, red tara these way there are 21 forms. Sadhana of the goddess is important in many aspects, every accomplishments could be granted by goddess but majority of her sadhaka accomplishes her sadhana to overcome wealth related issues. Many form of the goddess has remained mysterious. One of such form is Trinaynaa. Term describe her as the one having three eyes. These three eyes is symbol of sun, moon and fire. This also describes three shakti Kriya, Gyan, Ichha and also describe her three main element sat, rajas and tamas. With this, goddess also ensign three main goddess; MahaSaraswati, Mahalakshmi and Mahakaali. Apart from this, it also indicates goddess hold over the three time periods past, presence and future. The form of goddess trinayanaa is so mysterious that the words even become less to describe. Sadhana of this form grant wishes, because of her hold on the time she removes all the forthcoming obstacles in sadhaka life. Because of her sun and moon eyes the inner and outer personality of the sadhaka gets development. To accomplish the sadhana one should start it on Sunday night after 10 PM. It is better if sadhak starts the sadhana by establishing yantra and picture of goddess tara. Cloths and aasana should either be in pink color or it may be white. Direction should be north.
After this, sadhak should chant 21 rounds of the following mantra with pearl rosary or sfatik rosary.
Om Streem Trinayanaa Siddhim Dehi Namah
This process should be done for 21 days. This is very important sadhana for the fulfillment of the sadhaka wish.
 
   

  ****NPRU****   
                                                           
 PLZ  CHECK   : -    http://www.nikhil-alchemy2.com/                 
 
For more Knowledge:-  http://nikhil-alchemy2.blogspot.com 

5 comments:

  1. Bhaia ji,,

    Is sadhna me jo sabd hae streem usko streem he bola jaega ki treem pronounce kia jaega??

    ReplyDelete
  2. Bhaiaji,

    Is sadhna me jo word hae streem use kis tarah pronounce kia jaega strwem ya fir treem..??

    ReplyDelete
  3. Bhaia ji,,

    Is sadhna me jo word hae streem use kaese pronounce karte hae strwem ya fir treem..??

    ReplyDelete
  4. Bhaia ji,,

    Is sadhna me jo word hae streem use kaese pronounce karte hae strwem ya fir treem..??

    ReplyDelete
  5. Bhaia ji,,

    Is sadhna me jo word hae streem use kaese pronounce karte hae strwem ya fir treem..??

    ReplyDelete