मनुष्य का जीवन कर्म बद्ध होता है.
एक निश्चित कर्म का एक निश्चित प्रभाव हर एक मनुष्य के जीवन मे रहता ही है. इस
जीवन तथा विगत जीवन के हमारे कर्मो से हमारा वर्तमान जिस प्रकार से गतिशील रहता
है, वह मूल गति हमारा भाग्य है. जीवन की घटनाओ के क्रम मे भाग्य के स्थान को नकारा
नहीं जा सकता. क्यों की भाग्य कर्म प्रधान है. कर्म से ही निसृत है. मनुष्य अपने
विविध कार्यकलाप के माध्यम से अपनी विविध गतिविधियो के माध्यम से अपने जीवन मे जो
भी कर्म करता है उसका प्रभाव उसके आने वाले जीवन मे होता है. और यही प्रभाव
सकारात्मक या नकारात्मक रूप मे जीवन मे विविध परिस्थितियो का निर्माण करती है. कई
बार व्यक्ति का पूर्ण श्रम होने पर भी उसे सफलता प्राप्त नहीं होती, या फिर
व्यक्ति का स्वभाव अत्यंत ही नम्र होने पर भी उसके घर मे विभ्भिन्न प्रकार की
पारिवारिक समस्या आती रहती है. कई बार विद्यार्थी महेनत करने पर भी अपेक्षित
परिणाम की प्राप्ति नहीं कर पाते. व्यक्ति अचानक से शत्रुओ से ग्रस्त हो जाता है.
या फिर किसी न किसी रूप मे अकारण ही कई प्रकार की समस्याओ से व्यक्ति ग्रस्त रहता
है. तब व्यक्ति किसी भी प्रकार समाधान के लिए श्रम करता है लेकिन फिर भी उस सबंध
मे निराकरण के लिए जो भी क्रिया की जाती है वह भी फलीभूत नहीं होती. यु व्यक्ति
इसे ‘भाग्य’ का नाम दे देता है. और भाग्यदोष कह कर समस्या के सामने घुटने टेक देता
है. वरन इस प्रकार की परिस्थिति मे व्यक्ति को दिव्यशक्तियो से प्रार्थना कर अपने
दुर्भाग्य को हटा कर भाग्योदय के लिए आशीर्वाद लेना चाहिए. दुर्भाग्य की निवृति
होने पर और भाग्योदय होने पर व्यक्ति के जीवन मे परिवर्तन आने लगता है. जिन
समस्याओ से वह घिरा रहता है वह समस्याओ से उसे मुक्ति मिल जाती है. विशेष रूप से
अगर कोई व्यक्ति को किसी भी क्षेत्र मे श्रम करने पर भी किसी भी प्रकार का लाभ
प्राप्त कर नहीं कर पा रहा हो तो वह दुर्भाग्य की निवृति होती है. इस प्रकार जीवन
के सभी पक्षों से सबंधित समस्याओ का समाधान व्यक्ति को भाग्योदय के माध्यम से
प्राप्त हो सकता है. क्यों की जब तक हमारे दुष्कर्म निहित भाग्य हमारा वर्तमान है
तब हमें उन दुष्कर्म की निवृति की लिए साधना के माध्यम से देवता से प्रार्थना करनी
ही चाहिए. और जब उन दुष्कर्मो का प्रभाव हमारे भाग्य से उठ जाता है तब दुर्भाग्य
का भाग्योदय होता है और जीवन के हर एक पक्ष मे सफलता की प्राप्ति होने लगती है. प्रस्तुत
लेख मे भाग्योदय से सबंधित दो सरल प्रयोग दिये जा रहे है जिससे सभी व्यक्ति इसका
लाभ प्राप्त कर सकते है.
१)
सौभाग्यलक्ष्मी प्रयोग:
अगर साधक नित्य
प्रातः उठ कर स्नान आदि सी निवृत हो कर कमलगट्टे की माला से उत्तर दिशा की तरफ मुह
कर निम्न मंत्र की एक माला मंत्र जाप करे तो साधक का भाग्योदय होने लगता है तथा
उसे सभी क्षेत्रो मे अनुकूलता प्राप्त होने लगती है. साधक इसमें किसी भी वस्त्र का
प्रयोग कर सकता है. इस प्रयोग को शुक्रवार से शुरू करना चाहिए.
ॐ श्रीं सौभाग्यलक्ष्मी भाग्योदय सिद्धिं श्रीं
नमः
साधक इस मंत्र का
१ महीने तक नियमित जाप करे तो उत्तम है. वैसे साधक जितने दिन तक चाहे इस मंत्र की
१ माला जाप सुबह कर सकता है.
२)
पारदगणपति प्रयोग
इस प्रयोग मे साधक
अपने सामने पूर्णप्रतिष्ठा युक्त शुद्ध पारद गणपति विग्रह को स्थापित करे. साधक का
मुख उत्तर की तरफ हो, वस्त्र आसान लाल रहे. प्रयोग रात्री काल मे १० बजे के बाद किसी
भी शुभ दिन शुरू किया जाए. साधक विग्रह का पूजन कर, घी का दीपक लगाए और मूंगा माला
से ३ दिन तक ११ माला मंत्र का जाप करे.
ॐ गं ग्लौं ब्लौं श्रीं गणपतये नमः
साधक को इस प्रयोग
मे रोज मिठाई का भोग लगाना चाहिए तथा उसे मंत्रजाप के बाद खुद ही ग्रहण करना
चाहिए. ३ दिन बाद माला को प्रवाहित कर दे. साधक का दुर्भाग्य साधक से कोसो दूर चला
जाता है तथा साधक का भाग्योदय निश्चित रूप से तीव्र गति से होने लगता है.
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Human
life is bounded by tha karmas. Specific
effect of the particular karma surely remains on the life of individual. The
way our presence time of the life remains active with its root in our karmas of
current and previous life, that present time duration is our fate. In the
sequence of the various incidence of the life one cannot neglect place of the
fortune. Because, fortune is formed from the Karma. Fortune is derived from the
karma. With the medium of the various activities whatever the karmas are done
by the human being are have its effect on the forth coming time of the
life. And this effect only creates
positive and negative effect oriented incidents in the life. Many times with
much effort too person does not receive success, or with very innocent nature
too one faces many troubles with family. Many times after much enough hard work
though, students does not receive desired results. One may get trapped by
enemies suddenly. Or in one or another form person start facing various
troubles. That time, person try to escape from the troubles but the process
which is done in regards to solution of the trouble, doesn’t works. Thus one
terms it as ‘bad fortune’. And with this term of ‘bad fortune’ one accepts
victory of the trouble on the person. In such situation, one should pray to the
divine forces and ask for the bliss to remove bad fortune and have good
fortune. While end of the bad luck and
rise of the fortune, life starts having changes. One may start receiving freedom
from the troubles in which sadhak was trapped previously. Especially, if one does not receives benefits
after putting strong efforts in any work then that bad fortune is removed. This
way, solution related to every aspect of the life is received through good
fortune. Because when our fate is in relation with our bad karmas, we should
pray to the divine to overcome it with the medium of the sadhana. And when
effect of those bad karmas are removed from our fortune then bad fortune
transformed to good fortune and success could be gained in every aspects of the
life. In the presented article 2 easy processes regarding good fortune is given
with which everyone can have the benefit of the same.
1) SaubhagyaLakshmi Prayog:
If
sadhak chant one rosary daily in the morning after bath with KamalGatta rosary
facing north direction then good fortune starts forming and sadhak starts
receiving comfort in every field. There is no dress code in this sadhana.
Sadhak can use any aasan. This prayog should be started from Friday.
Om Shreem
saubhaagyaLakshmi Bhaagyoday Siddhim Shreem Namah
It
is better if sadhak continue mantra chanting for one month. But sadhak can do 1
rosary daily in the morning as much days as sadhak wish.
2)
Paarad Ganapati Prayog
In
this prayog sadhak should establish pure and activated Paarad Ganapati Idol in
front of him. Sadhak should sit facing north; cloth and aasan should be Red in
colour. Prayog should be started after 10 in the night on any auspicious day.
Sadhak should do poojan of the idol and then light the Ghee Lamp after that one
should chant 11 rosary of the following mantra for 3 days.
Om Gam Gloum Bloum shreem Ganapataye Namah
Sadhak
should daily offer Sweet in prayog and after mantra chanting one should have
it. After 3 days one should immerse rosary in the river. bad fortune of the
sadhak goes too far from the sadhak and definitely with rapid speed good
fortune of the sadhak starts forming.
****NPRU****
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