दिव्य माँ का नाम ही यह प्रदर्शित करता हैं की वह भुवन + इश्वरी हैं अर्थात जो सम्पूर्ण भुवनो की इश्वर हैं पर ये कितने लोक हैं साधारण परिभाषा नुसार तो तीन लोक ही हैं स्वर्ग लोक धरती लोक और पाताल लोक ही हैं पर साधनात्मक ग्रंथो के अनुसार कुल १४ लोक हैं जिसे भुवः , भू लोक , तप लोक , मह लोक , जन लोक ,सत्यम, ज्ञान लोक,सूर्य लोक चन्द्र लोक भी शामिल हैं. और सभी स्थल लोक की अधिष्ठात्री तो माँ भुवनेश्वरी हैं ही ,
चौदह भुवनो में माँ के इतने ही रूप हैं साथ ही साथ हमारी धरा जो की एक भुवन हैं उसमे भी दिव्य माँ भुवनेश्वरी के १४ ही रूप हैं , साथ ही साधक गण यह भी ध्यान रखे की यह सत्य हैं की माँ का एकाक्षरी मंत्र हैं पर इतने पर ही माँ को पूर्ण मान लेना उचित नहीं हैं , माँ के १ अक्षर से लगाकार १६ अक्षर तक के मंत्र प्राप्त हैं , और इन सभी मंत्रो को सिद्ध करने की विधि व सम्बंधित तिथियाँ भी तो भिन्न भिन्न हैं . उन्हें तो आप सदुरुदेव से प्रार्थना से प्राप्त कर सकते हैं या उनकी कृपा से सम्भावनाये बन जाये
उदाहरण के लिए यदि एकाक्षर मन्त्र का जप करना हो तो जिस रविवार को प्रतिपदा पद रही हो तब जप करे. विशेष प्रक्रियानुसार मन्त्र होगा "ह्रीं भुव्नेश्वर्ये नमः "
इसी तरह आगे बढ़ते जाये तो १६ अक्षरी मंत्र के बारे में तंत्र ग्रन्थ कहते हैं की अपना राज्य दे दे और यदि अपना शिर भी देना पड़े तो दे दे पर यह १६ अक्षर वाला मंत्र नहीं दे क्योंकि यह क्या नही साधक को दे सकता हैं .
दिव्य माँ भुवनेश्वरी से सम्बंधित विधाए हैं ..
· एकाक्षरी महा विद्या ,
· श्री विद्या,
· भुवनेश्वरी विद्या ,
· चतुर्दाशात्मिका विद्या ,
· षोडशात्मिका विद्या ,
· तत्व विद्या
· महा रत्नेश्वरी विद्या
ये ही प्रभावशाली हैं .
माँ के पीठ पूजन में अनेको बार नव शक्तियों के बारे में आता हैं इनके बारे साधक को कमसे कम नाम तो जानना ही चाहिए ये हैं
· जयायै
· वि जयायै
· अजितायै
· अजितायै
· नित्यायै
· विलास्नायै
· दोघ्राए
· धीरायै
· मंगलायै
यह अत्यंत विशिस्ट तथ्य ध्यान में हमेशा रहना चाहिए की सदगुरुदेव भगवान ने केबल और केबल एक ही महाविद्या के बारे में एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण बात कही हैं और वह हैं की केबल इसी महाविद्या की साधना करने से गुरु साधना भी पूर्ण होती जाती हैं , आप ही स्वयं सोचिये कितना अद्भुत तथ्य हैं न की एक साधना से दो दो महासाधना का फल मिलता हैं पर उन्होंने ऐसा क्यों कहाँ उनके परम पावन अत्यंत उच्चता भरे हुए शब्दों का अर्थ समझने य असम्झाने में असमर्थ हूँ क्यों "मंत्र मूलं गुरु बाक्य " तब तो सदगुरुदेव के हर वाक्य ही मंत्र हुआ न , फिर मंत्र का अर्थ शाब्दिक तो बताया जा सकता भी हैं पर परम आध्यात्मिक अर्थ तो त्रिभुवन में किसी के लिए संभव नहीं हैं .
सदगुरुदेव भगवान् ने कहा हैं की माँ भुवनेश्वरी वास्तव में अपने आप में १, नहीं २ नहीं यहाँ तक की १६ भी नहीं बल्कि समस्त ६४ कला से सम्पूर्ण हैं और हमारे पूज्यसद्गुरुदेव भी तो ६४ कला पूर्ण हैं क्या अब कोई साम्य नज़र नहीं आता आप सभी को की क्यों भुवनेश्वरी साधना एक अर्थ में गुरु साधना ही हो जाती हैं .
आज के लिए बस इतना
क्रमशः
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Divine mother name itself shows that she is bhuvan (lok)+ ishwari (ruler of ) means she is the ruler of all the lok, but how many lok or bhuvan are possible, in general sense only three, swarga (heaven) , mrityu (earth), pataal (inferior lok). But in spiritual way there are 14 types of lok are possible they are bhu lok, bhuvah lok , swah lok , mah lok , tap lok , jan lok , satyam lok ,surya lok, Chandra lok ets.. and for all theses lok --maa is the ruler.
So divine mother has 14 forms that present in these lok and side by side in our lok (that is one bhuvan/lok) here also mother 14 forms are present. , its true that one letter mantra is associated with maa but we cannot restrict this mahavidya only that from. one letter to upto 16 letter contains mantra are available, and for them each one a separate sadhana vidhi and special days are also different.
For example if one want to go for one letter mantra than after goes to special process this one letter mantra becomes “hreem bhuvaneshwaryai namah” and this should be jap on the day when Sunday falls on the pratipada day .
And but very special things about 16 letter mantra ,tantra granth specially warn that sadhak can give everything even his life too but this mantra should not be given to any one.
The vidya’a , that are associated with divine mother are.
· Ekakshri mahavidya
· Shri vidya
· Bhuvneshwari vidya
· Chturdashatmika vidya
· Shodashatmika vidya
· Tatv vidya
· Maha Ratneshwari vidya
And all theses are highly effective,
The nav shakti or nine deity continous comes in peeth poojan of maa, so sadhak should have knowledge of them at least know the name of them.
· Jayayai
· Vijayayai
· Ajitayai
· Nityayai
· Vilsanyai
· Dorghayai
· Dheerayai
· Mangalaye
One very special fact and information that should always be remember that by each sadhak that Sadgurudev provide statement about this mahavidya that through this mahavidya sadhana guru sadhana also completed side by side. So in one sadhana you are getting the result of two mahasadhana, so still you want to think to do this sadhana..
But why he said so , I am here unable to understand or provide any description to that since ”mantra moolam guru bakyam” according to that each and every word of Sadgurudev is a mantra, and description of mantra ,in general word may be possible but its spiritual meaning is beyond the capability of even bramha , Vishnu ,Mahesh,
Sadgurudev himself said in ma Bhuvneshwari not only 1, or 2 , or 16 but all the 64 kalaye(special supreme powers) resides , and our Poojya Sadgurudev also having all those 64 kalaye , so that may not be one fact why Sadgurudev has said so.. that this sadhana also has effect of guru sadhana,
This is enough for today.
In continuous..
****NPRU****
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