प्रिय मित्र ,
हम में से कोन ऐसा होगा जो साहस के साथ अपने ह्रदय पर हाथ रख के सत्य कह सके की उसे किसी भी प्रकार का ज्ञात /अज्ञात भय नहीं हैं , थोडा या अधिक ये महत्व की बात नहीं हैं ,भय अष्ट पाशों में से एक हैं जो मानव को को उसके स्वयं के स्वरुप से परिचय नहीं होने देता . कोन नहीं होगा जो निर्भय होना नहीं चाहेगा वह भी माँ महाकाली के अभय से ..
"मा भे " मैं अभय देती हूँ .. माँ तो यही कह रही हैं .
पर हम कहा उनके आशीर्वाद को प्राप्त कर सकते हैं भला उनके निवास से ज्यादा अच्छी जगह कहाँ होगी.शमशान , पवित्र सिद्धाश्रम के बाद इस धरती पर सबसे पवित्र जगह हैं . जहाँ भगवान् महाकाल , माँ के साथ विचरण करते रहते हैं , जहाँ इस जीवन से सरे स्वार्थमय रिश्ते अंत को प्राप्त होते रहते हैं , चरों और एक नीरवता का वातावरण हमेशा छाया रहता हैं.
ये स्थान डरने/भय की नहीं बल्कि अपने अस्तित्व को जानने या पहचानने की जगह हैं तामसिक ही नहीं बल्कि सात्विक साधना भी यहाँ पर संपन्न की जा सकती हैं .,अधिकांश महायोगी चाहे वे वामक्षेपा हो या, परमहंस निगमानंद जी , या परमहंस विशुद्धानंद जी हो , औघड़ भगवान् राम हो सभी ने कभ न कभी इस पवित्र भूमि पर साधन की ही हैं . तो कुछ तो निश्चय ही विशेषता होगी ही .
चिंतित न हो ,ये कार्यशाला उनके लिए ही केबल नहीं हैं जो भयमुक्त हैं बल्कि जो भी अपने भय रूपी पाश से मुक्त होना चाहता हैं उनका भी स्वागत हैं .इस स्थान पर पञ्च महाभूत पुनः अपने मूल स्वरूप मैं आ ही जाते हैं .इस स्थान पर प्राण उर्जा इतनी अधिक होती हैं इसी कारण , घर पर की गयी साधना की अपेक्षा , हमें साधना में जल्दी सफलता मिल जाती हैं.
पर क्या यह इतना आसान होगा इसका उत्तर हाँ ओर न , या दोनों में होगा .
यदि यह साधना पूर्ण की जाये किसी कुशल मार्गदर्शन में /या निर्देशन में तो सफलता का प्रतिशत कई गुना ज्यादा होगा. इस तथ्य को ध्यान में रख कर ही इस कार्यशाला का आयोजन करने की योजना बनाये जा रही हैं
1. कैसे पूर्ण अघोरेश्वर शिव पूजन होता हैं ?सदगुरुदेव पूर्ण पूजन और शमशान में कैसे उनका आवाहन किया जाता हैं ?,
2. अष्ट भैरव में से हर दिन कोन से भैरव आज जाग्रत होते हैं उन्हें पहचानना कैसे हो , और कैसे हो उनका आवाहन और पूजन ?,
3. किस प्रकार की सावधानी अनिवार्य हैं और कौन कौन सी आवश्यक बस्तु आपके पास हो ?
4. हम अपने आप को कैसे सुरक्षित करे ? दिग्बन्धन, आसन कीलन, आसन खिलना क्या हैं और क्यों इनकी अनिवार्यता हैं ?
5. शमशान जागरण तो सीख कर कर लिया पर शांत करना न आया तो ? उसे शांत कैसे करे,शमशान को सुसुप्त कैसे करे?
6. क्या वहां पर कोई लक्ष्मी का स्वरूप भी होता हैं .
7. कैसे हम शम्शानाधिपति धूर्मलोचन /मरघटेश्वर को कैसे पहचाने?
8. मानसिक गुरु पूजन जो की सूक्ष्म शव साधन का ही एक प्रकार हैं कैसे करे संपन्न ?
इस तरह के अनेकों प्रश्न के उत्तर /रह्शय पहली बार आपके सम्मुख होंगे ..
हम इस कार्यशाला के लिए गुरुदेव जी से अनुमति प्राप्त करने की कोशिश में हैं, अभी तो यही योजना हैं कि ये कार्यशाला 1.5 महीने के अन्दर ही हो, ओर इस कार्यशाला की अवधि लगभग ७ से १० दिन ही होगी .
हर कोई इसकी प्रतिशा कर रहा हैं पर केबल कुछ ही साधक को चुना जायेगा ,उनके चुने जाने कि अनिवार्य शर्तों मेंसे एक उनकी कुडली भी एक आधार होगी .विगत पारद कार्यशाला कि तरह इसके पुनः होने ही सम्भावना न के बराबर हैं नहीं ये बार बार ही सकती हैं . क्या क्या मुझे लिखना चाहिए कि यह एक स्वर्णिम अवसर होगा जिसको खोना नहीं चाहिए , ओर मुझे क्या इसकी महत्वता और लिखनी चाहिए ? ...बस आपके कदम रुके नहीं ....
पारद संस्कार कार्यशाला
( केबल मात्र 13, 14 , 15 वे संस्कार के लिए ):
विगत दो पारद संस्कार कार्यशाला में हमने १ से लेकर १२ तक के संस्कार को समझा ओर सीखा पर इससे भी आगे हम बढ़ कर आपको अग्रिम संस्कार से भी परिचय कराने के लिए प्रयत्नशील हैं हमने आपके यह वायदा किया था .तो इस संदर्भ में भी एक कार्यशाला करने कि योजना बनाये जा रही हैं .
पहले दो पारद संस्कार कार्यशाला में भाग लिए जाने वाले भाग्यशालियों के लिए एक स्वर्णिम अवसर, जिसे कोई भी खोना नहीं चाहेगा .एक ऐसा अवसर जो आपके ओर रस सिद्धता को प्राप्त करने कि दिशा में एक और कदम होगा .इससे अधिक भाग्य भी क्या कर सकता हैं . कहाँ होगी ,कब होगी आप को सूचना दी जाएगी , अब आगे आप ओर आपका भाग्य , जो भी इसमें भाग लेने के लिए चुने जायेगे....
अभी इस कार्यशाला की योजना फरवरी मार्च २०११ में हैं
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सूर्य सिद्धान्त कार्यशाला :
हमारा जीवन ही नहीं बल्कि सारा हमारा सौर्य चक्र भी पुर्णतः सूर्य पर ही निर्भर हैं .इस विज्ञानं के माध्यम से धातुविक परिवर्तन से लेकर जो भी आप सोच सकते हैं क्या नहीं संभव हैं .जिन्होंने भी परमहंस विशुद्धानंद जी कि जीवनी पढ़ी हो वे ही इसकी अति महत्त्व पूर्णता को समझ सकते हैं.
पारद संस्कार ही नहीं बल्कि नव जीवन निर्माण से लेकर हर प्रकार कि सिद्धि संभव हो सकती हैं .लगभग १० दिवसीय इस कार्यशाला में हमारा उदेश्य आपको इस विज्ञानं के गोपनीय पहलु से भी /रह्शयों से भी परिचित कराते हुए अग्रसर करे , हम ये दावा तो नहीं करते कि आप आप इस विज्ञानं विशेषज्ञ बन जायेंगे पर प्रायोगिक रूप से इस विज्ञानं को सीख और समझ सकते हैं .कहाँ पर ? कब ? होगी आपको सूचित कर दिया जायेगा , इस में चुने जाने वाले व्यक्तियों के चुनाव का एक आधार कुडली भी होगी , हम एस हेतु गुरुदेव से आज्ञा प्राप्त करने कि कोशिश में हैं , जैसे ही उनकी अनुमति मिलेगी , अप्पको हम सूचित करेंगे .......
अभी इस कार्यशाला की योजना मार्च अप्रैल २०११ में हैं .
अब आप ओर आपका भाग्य ..... हम तो प्रतीक्षा करेंगे ही आपके लिए .......
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Dear friends,
who has courage to put his hand on his heart and say that he is not afraid of any unknown/known fear though its degree may vary. Fear is the one of the eight pash which obstructs us to become the real self of us. Who do not want to overcome and become Nirbhay (Fearless) through ma mahakali abhyam.
“Maa bhe” I give you abhay says divine mother mahakali……
But for that we has to ask mother blessing to her home(off course) ,shamshan is the holiest place after the siddhashram on this earth, where mahakaal walks along with mother divine, all the so called worldly selfish relation comes to end and a piece prevails all along.
Its not the place to afraid but to relies self. not only tamsic sadhane but satvik sadhane also can be done here . Almost every great yogi like vama kshepa, paramhansa swami Nigmananda ji, paramhansa vishuddhaanand ji,aughad bhagvaan Ram , did their sadhana in shamshan than something important will be there.
Do not worry about that this workshop not only for those who fear not but specially for those having fear but who want to conquer that. its the place where all the Panch bhoota again left to their original form, since prana urja highly available in that place so getting success in that area is much much higherand easier compare to sadhana completed in home,
but it is so easy…. Answer is yes or no or both,
if sadhana completed /practiced in proper guidance and under the supervision of expert than success will be much much higher, this workshop is planning keeping in mind that.
1. How the Purn Aghoreshar poojan, Sadgurudev poojan and aawahan happened there?
2. how to recognize which of the asth(eight ) bhairav awaken that dayand thier poojan and awahan ?.
3. what precaution is must and followand othe necessary article have there ?.
4. Process like How to protect himself ? ,
5. what are the Digbandhan and Asan keelan?, Asan khilna process what are they necessary ?
6. what is shamshan jagran?, if you did that and know not the way to shanshan shant prayog than...., so lear n shanshan shant porocess too?
7. is there any lakshmi related to that? Yes
8. how to recognize shamshan lord dhoormlochan, or marghetshwer? Awaken them ?.
9. Mansik guru poojan is consider as a sookshm shav sadhana.
and many many such a mystery reveled to you,
We are trying to get permission for Gurudev and if we successfully get that ,this workshop will be organized within 1and half month period and its duration will be of 7 to 10 days maximum.
everybody is eagerly waiting for that but few get selected for that considering their horoscope first. Like previous workshop this will be one of its kind and not to be repeated again and again.. may I wrote here is this golden opportunity, never missed one, need to write for its importance more , so still wait for who can say………..
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Next level Parad Sanskar workshop
( only for Sanskar 13 , 14, 15 );
we just complete upto 12 th Sanskar in previous workshop ,, and as we already promised that we will go for next level of sanskar so here are the opportunity. we are planning to organize workshop for parad above mentioned Sanskars.
for that people of prev. two workshop of parad can be selected.. A never miss opportunity, a golden chance to take one more step to become Ras siddh. What more fate is needed after that…… when and where what will be the fees will be intimated you , its up to you and your fate to get selected.
now we are palanning this workshop ,will be organised feb-march 2011.
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Surya siddhanta workshop
not only whole life of us but also our solor system is totally and only depend upon the sun, through this science what cannot be achieved, from metal transformation to everything, what even you cannot imagined, those who read swami vishhudanandji life story they already knew that hightest and valuable of this science.
not only parad Sanskar but everything means everything can be possible for that from new life creation to every siddhi imagined. This approx 10 days workshop will introduce you some of the hidden secret and fact of this science and move one concrete step to understand that, we not claimed that you will become master but able to practically learn that science.. when and where will be announced separately, and on the bases of horoscope people will be selected, we are trying to get permission from Gurudev , once we got, we will inform you….
now we are palanning this workshop ,will be organised march- April 2011.
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"Kaal Gyan Siddhi Maha Visheshank" is going to be relesed
Soon on First week of February 2011.
(Containing, article on Ayurved,Tantra, yantra,Mantra, Surya vigyan,Astrology and Parad Tantra) PLZ Click here to know the Details/List of articles coming in this issue
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