Friday, October 25, 2013

प्राय: स्वास्थ्य के लिये किये जाने वाले टोटके .....




1 हृदय विकार, रक्तचाप के लिए एकमुखी या सोलहमुखी रूद्राक्ष श्रेष्ठ होता है। इनके न मिलने पर ग्यारहमुखी, सातमुखी अथवा पांचमुखी रूद्राक्ष का उपयोग कर सकते हैं। इच्छित रूद्राक्ष को लेकर श्रावण माह में किसी प्रदोष व्रत के दिन, अथवा सोमवार के दिन, गंगाजल से स्नान करा कर शिवजी पर चढाएं, फिर सम्भव हो तो रूद्राभिषेक करें या शिवजी पर ॐ नम: शिवाय´´ बोलते हुए दूध से अभिषेक कराएं। इस प्रकार अभिमंत्रित रूद्राक्ष को काले डोरे में डाल कर गले में पहनें।
 


2॰ किसी भी सोमवार से यह प्रयोग करें। बाजार से कपास के थोड़े से फूल खरीद लें। रविवार शाम 5 फूल, आधा कप पानी में साफ कर के भिगो दें। सोमवार को प्रात: उठ कर फूल को निकाल कर फेंक दें तथा बचे हुए पानी को पी जाएं। जिस पात्र में पानी पीएं, उसे उल्टा कर के रख दें। कुछ ही दिनों में आश्चर्यजनक स्वास्थ्य लाभ अनुभव करेंगे।
 

3॰ घर में नित्य घी का दीपक जलाना चाहिए। दीपक जलाते समय लौ पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर हो या दीपक के मध्य में (फूलदार बाती) बाती लगाना शुभ फल देने वाला है।
 

4॰ रात्रि के समय शयन कक्ष में कपूर जलाने से बीमारियां, दु:स्वपन नहीं आते, पितृ दोष का नाश होता है एवं घर में शांति बनी रहती है।

5॰ पूर्णिमा के दिन चांदनी में खीर बनाएं। ठंडी होने पर चन्द्रमा और अपने पितरों को भोग लगाएं। कुछ खीर काले कुत्तों को दे दें। वर्ष भर पूर्णिमा पर ऐसा करते रहने से गृह क्लेश, बीमारी तथा व्यापार हानि से मुक्ति मिलती है।

6॰ रोग मुक्ति के लिए प्रतिदिन अपने भोजन का चौथाई हिस्सा गाय को तथा चौथाई हिस्सा कुत्ते को खिलाएं।
 

7॰ घर में कोई बीमार हो जाए तो उस रोगी को शहद में चन्दन मिला कर चटाएं।

8॰ पुत्र बीमार हो तो कन्याओं को हलवा खिलाएं। पीपल के पेड़ की लकड़ी सिरहाने रखें।

9॰ पत्नी बीमार हो तो गोदान करें। जिस घर में स्त्रीवर्ग को निरन्तर स्वास्थ्य की पीड़ाएँ रहती हो, उस घर में तुलसी का पौधा लगाकर उसकी श्रद्धापूर्वक देखशल करने से रोग पीड़ाएँ समाप्त होती है।
 

10॰ सदैव पूर्व या दक्षिण दिषा की ओर सिर रख कर ही सोना चाहिए। दक्षिण दिशा की ओर सिर कर के सोने वाले व्यक्ति में चुम्बकीय बल रेखाएं पैर से सिर की ओर जाती हैं, जो अधिक से अधिक रक्त खींच कर सिर की ओर लायेंगी, जिससे व्यक्ति विभिन्न रोंगो से मुक्त रहता है और अच्छी निद्रा प्राप्त करता है।

11॰ अगर परिवार में कोई परिवार में कोई व्यक्ति बीमार है तथा लगातार औषधि सेवन के पश्चात् भी स्वास्थ्य लाभ नहीं हो रहा है, तो किसी भी रविवार से आरम्भ करके लगातार 3 दिन तक गेहूं के आटे का पेड़ा तथा एक लोटा पानी व्यक्ति के सिर के ऊपर से उबार कर जल को पौधे में डाल दें तथा पेड़ा गाय को खिला दें। अवश्य ही इन 3 दिनों के अन्दर व्यक्ति स्वस्थ महसूस करने लगेगा। अगर टोटके की अवधि में रोगी ठीक हो जाता है, तो भी प्रयोग को पूरा करना है, बीच में रोकना नहीं चाहिए।



12॰ पीपल के वृक्ष को प्रात: 12 बजे के पहले, जल में थोड़ा दूध मिला कर सींचें और शाम को तेल का दीपक और अगरबत्ती जलाएं। ऐसा किसी भी वार से शुरू करके 7 दिन तक करें। बीमार व्यक्ति को आराम मिलना प्रारम्भ हो जायेगा।

13॰ किसी कब्र या दरगाह पर सूर्यास्त के पश्चात् तेल का दीपक जलाएं। अगरबत्ती जलाएं और बताशे रखें, फिर वापस मुड़ कर न देखें। बीमार व्यक्ति शीघ्र अच्छा हो जायेगा।

14॰ किसी तालाब, कूप या समुद्र में जहां मछलियाँ हों, उनको शुक्रवार से शुक्रवार तक आटे की गोलियां, शक्कर मिला कर, चुगावें। प्रतिदिन लगभग 125 ग्राम गोलियां होनी चाहिए। रोगी ठीक होता चला जायेगा।

15॰ शुक्रवार रात को मुठ्ठी भर काले साबुत चने भिगोयें। शनिवार की शाम काले कपड़े में उन्हें बांधे तथा एक कील और एक काले कोयले का टुकड़ा रखें। इस पोटली को किसी तालाब या कुएं में फेंक दें। फेंकने से पहले रोगी के ऊपर से 7 बार वार दें। ऐसा 3 शनिवार करें। बीमार व्यक्ति शीघ्र अच्छा हो जायेगा।

16॰ सवा सेर (125 सेर) गुलगुले बाजार से खरीदें। उनको रोगी पर से 7 बार वार कर चीलों को खिलाएं। अगर चीलें सारे गुलगुले, या आधे से ज्यादा खा लें तो रोगी ठीक हो जायेगा। यह कार्य शनि या मंगलवार को ही शाम को 4 और 6 के मध्य में करें। गुलगुले ले जाने वाले व्यक्ति को कोई टोके नहीं और न ही वह पीछे मुड़ कर देखे।

17॰ यदि लगे कि शरीर में कष्ट समाप्त नहीं हो रहा है, तो थोड़ा सा गंगाजल नहाने वाली बाल्टी में डाल कर नहाएं।

18॰ प्रतिदिन या शनिवार को खेजड़ी की पूजा कर उसे सींचने से रोगी को दवा लगनी शुरू हो जाती है और उसे धीरे-धीरे आराम मिलना प्रारम्भ हो जायेगा। यदि प्रतिदिन सींचें तो 1 माह तक और केवल शनिवार को सींचें तो 7 शनिवार तक यह कार्य करें। खेजड़ी के नीचे गूगल का धूप और तेल का दीपक जलाएं।

19॰ हर मंगल और शनिवार को रोगी के ऊपर से इमरती को 7 बार वार कर कुत्तों को खिलाने से धीरे-धीरे आराम मिलता है। यह कार्य कम से कम 7 सप्ताह करना चाहिये। बीच में रूकावट न हो, अन्यथा वापस शुरू करना होगा।
 


20॰ सरसों के तेल को गरम कर इसमें एक चमड़े का टुकड़ा डालें, पुन: गर्म कर इसमें नींबू, फिटकरी, कील और काली कांच की चूड़ी डाल कर मिट्टी के बर्तन में रख कर, रोगी के सिर पर फिराएं। इस बर्तन को जंगल में एकांत में गाड़ दें।


निखिल प्रणाम।।
जय सदगुरुदेव।।




****NPRU****





Thursday, October 24, 2013

अमोघ लघु प्रयोग



 
नवार्ण-मन्त्रः- ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।।” 


ऐं’ – बीजमादीन्दु समान दीप्तिम् । ह्रींसूर्य तेजो द्युतिं द्वितीयम् ।।

 
क्लीं’ - मूर्तिः वैश्वानर तुल्य रुपम् । तृतीयमानन्द सुखाय चिन्त्यम् ।।१

 
चांशुद्ध जाम्बु वत् कान्ति तुर्यम् । मुंपञ्चमं रक्त तरं प्रकल्पयम् ।।

 
डांषष्ठमुग्रार्ति हरं सु नीलम् । यैंसप्तमं कृष्ण तरं रिपुघ्नम् ।।२

 
विंपाण्डुरं चाष्टममादि सिद्धिम् । चेंधूम्र वर्णं नवमं विशालम् ।।

 
एतानि बीजानि नवात्मकस्य । जपेत् प्रद्युः सकल कार्य सिद्धिम् ।।३

 
विधिः- सकल कार्य की सिद्धि सफलता हेतु, लक्ष्मी प्राप्त्यर्थ या किसी कार्य में विघ्न निवारण के लिए उक्त अमोघ प्रयोग है।


उक्त ३ श्लोक का कम-से-कम १०८ पाठ नित्य प्रातः सायं, घृत दीपक के सामने, रक्त आसन पर बैठकर, २१ दिनों तक करें।

यह साधना शुक्ल पक्ष अष्टमी अथवा किसी भी शुभ दिन से प्रारम्भ की जा सकती है।




निखिल प्रणाम।।
जय सद्गुरुदेव।।








****NPRU****