पुरुषार्थ
प्राप्ति गुह्यकाली साधना:
दस महाविद्या में प्रथम स्थान रखने वाली महाविद्या भगवती
काली, आदि शक्ति का अति तीक्ष्ण और तेजस्वी स्वरुप है, जहाँ ये शमशान वासिनी होकर
तंत्र की पूर्णता हैं, वहीँ दूसरी ओर अपने साधक को पूर्ण अभयता, धन धान्य, सुख सम्रद्धि, वैभव
उच्चता आदि प्रदायक है, महाकाली के अनेकानेक प्रयोग प्रचलित हैं, किन्तु माँ के
गुह्य काली स्वरुप की ये साधना अति विशिष्ट और अति तीव्र और त्वरित फलदायी है |
मैं इस स्वरुप के बारे में और कई तरह के विवरण देना चाहती हूँ किन्तु समयाभाव की
वजह से अब मूल साधना पर आते हैं सबसे पहले ------
पूजन-विधि-
और सामग्री –
माँ का पारद विग्रह, या जो भी आपके पास हो, और एक भोजपत्र
जिस पर यंत्र का लेखन किया जाना है, सिन्दूर, एक नारियल सूखा गोला, लाल जवां
पुष्प,( जासवन) के फूल, एक अनार, नैवेद्ध में खीर सरसों के तेल का दीपक जो पूरी
रात जलना है | एक काली हक़ीक माला या रुद्राक्ष माला लाल आसन, लाल वस्त्र, दक्षिण
दिशा |
विधि-
सर्वप्रथम अमावस्या की
रात १२: ३० बजे स्नानादि से निवृत्त होकर लाल वस्त्र धारण कर लाल आसन पर दक्षिण
दिशा की ओर मुहं कर बैठ जाएँ और पवित्रीकरण आदि कर भोज पात्र पर उपरोक्त यंत्र का
निमार्ण अष्टगंध से करें, और इस यंत्र को विग्रह के सामने स्थापित कर लें तथा पूजन
करें, अपने बाएँ ओर सिन्दूर से चतुष्कोण का निर्माण कर अर्घ्य पात्र का स्थापन करें,
अब यहाँ शायद प्रश्न आयेंगे, किन्तु जो वाम पंथ के साधक हैं वे जानते हैं, और
दरअसल ये साधना वाममर्गीय है, किन्तु वर्तमान में लोगों की समस्याओं से सम्बंधित ये
अचूक साधना है, इसे वामपंथी चक्रपूजन में ही संपन्न करें ,
बाकि अन्य लोगों के लिए एक पञ्च पात्र में जल में
चन्दन या अष्टगंध चावल फूल और दुर्बा डालकर आदि डालकर उस चतुष्कोण पर निम्न मन्त्र
से स्थापित करें,
ॐऽऽम ह:
सामान्यार्घ्य स्थापयामि
(auSSSSm hah saamaanyaarghya sthaapayaami) ,
अब इसमें मध्यमा अंगुली डालकर, यानि सूर्य मंडल अंकुश
मुद्रा के द्वारा तीर्थों का आवाहन करें |
ॐ गंगे च
यमुने चैव गोदावरी सरस्वती |
Aum
gange cha yamune chaiv Godavari sarasvati .
नर्मदे सिन्धु कावेरी जलेस्मिन्सनिधं
कुरु ||
Narmade
sindhu kaaveree jalesminsanidham kuru.
ॐ
ब्रहमांडोदर तीर्थानि करै:स्फ्रुष्ट नितेरंवै |
Aum
brahmaandodar teerthaani karaihsfrusht niteramvai.
तेन सत्ये
नमे देवतार्थोन्दोहम दिवाकर ||
Ten
satye name devaarthondoham divaakar.
ॐ गंगादि
सफल तीर्थेभ्यो नमः |
Aum
gangaadi safal teerthebhyo namah.
अब निम्न मन्त्र के उच्चारण करते हुए कला पूजन करें—
ॐ अर्कमंडलाय द्वादश कलात्मने नमः |
ॐ वन्हीमंडलाय दस कलात्मने नमः |
ॐ सोममंडलाय षोडस कलात्मने नमः
Aum arkmandalaay dwaadash kalaatmane namah.
Aum vanheemandalaay das kalaatmane namah.
Aum somamandalaay shodas kalaatmane namah.
इन मंत्रो से सूर्य,अग्नि, तथा चन्द्र मंडल का पूजन करें, यहाँ
मंडल नहीं बनाना है अपितु यंत्र पर ही इनका पूजन करना है,
अब ऋष्यादिन्यास करें-
शिरसि
भैरवाय ऋषिये नमः
Shirasi
bhairavaay rishaye namah
मुखे
उष्णिक छन्दसे नमः
Mukhe
ushnik chandase namah.
हृदये ॐऽऽम
गुह्ये कालिके नमः
Hridaye aum guhye kaalike namah
गुह्य
क्रीम बीजाय नमः
Guhya
kreem beejaay namah
पादयो हूँ
शक्तये नमः
Paadayo
hoom shaktaye namah.
सर्वांग
क्रीं कीलकाय नमः
Sarvaang
kreem keelakaay namah.
अब षडंग न्यास करें-
क्रां हृदयाय नमः
Kraam hridayaaya namah.
क्रीं शिरसे स्वाहा
Kreem shirase swaahaa.
क्रूं शिखाये वषट्
Kroom shikhaaye vashat.
क्रें कवचाय हुम
Krem kavachaay hum
क्रों नेत्र त्र्याय वौषट
Krom netratrayaay vausht.
क्र: अस्त्राय फट् |
Kram astray fat.
निम्नानुसार कर न्यास—
क्रां अंगुष्ठाभ्यां नमः
Kraam angushthaabhyaam namah.
क्रीं तर्जनीभ्यां नमः
Kreem tarjaneebhyaam namah.
क्रूं मध्यमाभ्यां नमः
Kroom madhyamaabhyaam namah.
क्रें अनामिकाभ्यां नमः
Krem anaamikaabhyaam namah.
क्र: करतलकर प्रष्ठाभ्याम नमः
Krah karatalakar prashthaabhyaam namah.
इस प्रकार चार, आठ, और सोलह बार मूल मन्त्र का जप करते हुए
प्राणायाम करते हुए, माँ काली का ध्यान करें, फिर आवाहन करें |
‘भीमा
भामोग्र द्रष्टांजन गिरीविल्स्तुल्य काँति दशास्य |
त्रिशंगलोलाक्षी
माला दस्लुलित भुजा पंक्ति पदांसथैव ||
शूलम बाणं
गदां वै धनुरथिम, शंख चक्रे भुशुण्डी |
वन्दे
काली कराग्रे पर धमसी युता तामसी शीर्ष कंज’||
योनी मुद्रा प्रदर्शित करते हुए आवाहन करें |
अब जो नारियल गोला है उसे सिन्दूर में घीं डाल कर गीला कर
उस गोले को पूरा रंग दें और सामने ही बाजोट पर चावलों की ढेरी बना कर उस पर
स्थापित करें और उसे भैरव प्रतीक मानकर उसका पूजन करे, और उन्हें गुड का भोग लगाकर
प्रणाम करें, तथा माता की साधना हेतु अनुमति प्राप्त करें |
अब संकल्प लें की आप धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति
हेतु या जीवन के समस्त कष्टों के निवारण हेतु या जो भी आप चाहें ले सकते हैं |
एवं निम्न मन्त्र की ५१ माला मन्त्र जप पूर्ण एकाग्रता से
करें
मन्त्र
हूं ह्रीं
गुह्ये कालिके क्रीं क्रीं हूं ह्रीं ह्रीं स्वाहा
Hum
hreem guhye kalike kreem kreem hum hreem hreem swaha |
मन्त्र जप के बाद जप समर्पण करें और दुबारा ध्यान करें, तथा
योनिमुद्रा से प्रणाम कर साधना पूर्ण करें
आप साधना करें और फल के तीक्षण प्रभाव को स्वयम अनुभूत करें
| गुरुदेव आपकी साधना सफल करें इन्ही शुभेक्षाओं के साथ----
निखिल प्रणाम
रजनी निखिल
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