स्नेही स्वजन !
जय सदगुरुदेव 🌹🙏🏻
प्रकृति का अपना एक शाश्वत नियम है कि मान, पद, प्रतिष्ठा, वैभव कुछ भी और कभी भी यहाँ शाश्वत नहीं रहता। त्याग और नाश ये एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। स्वयं की इच्छा से किसी वस्तु अथवा पदार्थ को छोड़ना त्याग तथा स्वयं की इच्छा ना होते हुए किसी वस्तु अथवा पदार्थ का छूट जाना नाश कहलाता है।
इस प्रकृति में सदा कुछ भी नहीं रहने वाला है इसलिए जीवन को उदारता के साथ जीने का प्रयास करो। सूर्य सुबह अपने पूर्ण प्रकाश के साथ उदय होता है और शाम होते-होते उसका प्रकाश क्षीण होने लगता है और दिन में प्रचंड प्रकाश फैलाने वाला वही सूर्य अस्ताचल में कहीं अपनी रश्मियों को छुपा लेता है। रात्रि को चंद्रमा अपनी शीतला बिखेरता है पर सुबह होते-होते वो भी कहीं प्रकृति के उस विराट आँचल में छुप सा जाता है।
जिन फलों को वृक्ष द्वारा बाँटा नहीं जाता एक समय उन फलों में अपने आप सड़न आने लगती है और वो सड़कर वृक्ष को भी दुर्गंधयुक्त कर देते हैं। इसी प्रकार समय आने पर प्रकृति द्वारा सब कुछ स्वतः ले लिया जायेगा,अब ये आप पर निर्भर करता है कि आप बाँटकर अपने यश और कीर्ति की सुगंधी को बिखेरना चाहते हैं या संभालकर संग्रह और आसक्ति की दुर्गंध को रखना चाहते हैं।
बस इसी एक चाह में कि ज्ञान रूपी गुरु गंगा जल सच्चे साधकों तक पहुंचे चूंकि इसी ब्लॉग को कॉपी पेस्ट किया गया है, एवम किया जाता है ।
तो अब इसी के अल्टरनेट में youtube channel के माध्यम से मैं आपकी रजनी निखिल live रहूंगी।
उम्मीद ही नही पूरा विश्वास है मेरे प्रयास को आप सभी मिलकर सफल बनाएंगे ।
This is my channel
https://youtu.be/CIJ6oP7EX9I?si=-Z4fEB4XP8oWHxzk
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जय सदगुरुदेव
रजनी निखिल
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