एक महत्वपूर्ण
सूचना : 25 मई 2013 को आयोजित होने
वाले सेमीनार हेतु
स्नेही मित्रो,
आप सभी इस तथ्य से भली भांती परिचित हैं की ज्ञान की
धारा निरंतर गति शील रहती हैं,पर यह भी एक
महत्वपूर्ण तथ्य हैं की केबल तथ्य ही नहीं
बल्कि उस ज्ञान को प्रायोगिक रूप से संभव
किया भी जा सकें, इसके लिए भी एक स्वथ्य
कोशिश होनी चाहिए,अन्यथा सिर्फ तथ्य और
केबल लेखन से ही सब कुछ संभव हो जाता तो आज भारतीय संस्कृति के सर्वोच्च
विज्ञानं क्षेत्र की यह अवस्था
न होती, जिन विज्ञानों का उद्भव
हमारी संस्कृति से ही हुआ हैं आज मानो
हास्यास्पद अवस्था में हैं किसी अन्य की
कौन कहें. क्या हम भी इस पर पूर्ण विस्वास
कर पाते हैं यह विचारणीय तथ्य हैं .??
तब कैसे
संभव हो ? तब कैसे हम वास्तविक
रूप में स्वीकार कर पाए की आज भी
प्राचीन विज्ञानों की प्रासंगिकता हैं और यह केबल शब्दों में
नहीं बल्कि अनेको ऐसी गुप्त कुंजिया हैं जिसके माध्यम से इनको आज भी इन विज्ञानों को विधिवत सीख कर साकार किया जा सकता हैं. पर यह मानना की मैं नहीं मानुगा और कोई दूसरा
आपको कर करके दिखाए,तब ही मैं ????यह तो
मुर्खता पूर्ण बात हैं,आप ही बताये
आप क्यों नहीं सीखोगे? कब तक दुसरे के तर्कों को आखं मूंद
कर मानते रहोगे? क्यों न हम स्वयम ही सीखें और समझे
और फिर जो लिखा गया हैं उसके किसी
दुसरे के माध्यम से नहीं बल्कि स्वयम ही एक सत्य साक्षी बने तब न अर्थ हैं. अन्यथा
सारे समय करते रहे
किसी भी अन्य की पोस्ट पर लाइक और
स्वयं यह मानते रहे की आप कुछ नहीं कर
सकते हैं,मात्र एक निरीह से जीव
है.यह तो सदगुरुदेव प्रदत्त ज्ञान की
गरिमा से सीधा खिलवाड़
हैं.
आज इस साइबर जगत
में, बातो को घुमाकर अपने लिए करने
वाले और
तथाकथित शास्त्रों के एक मात्र प्रवक्ता
बने अनेको हैं जो हर बात में सिर्फ
और सिर्फ शास्त्रों की ही दुहाई देते रहते हैं.वह कभी कभी क्या हमेशा ही यह भूले रहते हैं की जितने
ग्रन्थ या ज्ञान उनके पास हैं उनसे भी कई कई गुना ज्यादा तंत्र
का ज्ञान का महासागर का विस्तार हैं और यह
शास्त्रों पर आधारित नहीं
बल्कि गुरु गम्य हैं.सदगुरुदेव
ने हमेशा से ही पोथिन देखि की तुलना में आखन देखि की बात पर
ज्यादा जोर दिया हैं.इसलिए लिखना एक अलग बात हैं पर अपने भाई बहिनों के लिए एक
कोशिश लगातार करना यह NPRU का एक ऐसा इतिहास हैं जिसको आप सभी प्रत्यक्ष साक्षी
हैं ही ,और वह भी आज या कल से नहीं
बल्कि विगत अनेको वर्षों से.
हमारी यह
हमेशा से धारणा रही हैं की अपने भाई
बहनों के मध्य अपनी बार बार
सिर्फ दुहाई देते रहने से, अपने आपको प्रतिस्थापित्र करने से कई
कई गुणा जयादा उचित होगा की हमारे
अपने भाई स्वयम ही सीखें और समझे और उसके बाद वह
स्वयम सत्य को आत्मसात कर सकते हैं .और सदगुरुदेव जी के दिव्य ज्ञान की गरिमा सही अर्थो में सुरक्षित रख सकते हैं.
हमने पहले ४० दिवसीय और
२० दिवसीय कार्यशालाओ का
आयोजन किया, आज उपस्थित साइबर क्षेत्र
में जो स्व नाम धन्य सिद्धो जो अपने ही मद में
डूबे हैं, का
पता ही नही था, पर आज
तो हजारो हैं .
इसके बाद जब
अनेको भाई बहिनों ने हमसे यह समस्या
सामने रखी की, आज की व्यस्तता के कारण
यह संभव नहीं हो पाता की हम
इतने दिन
तक लगातार इन कार्य शालाओ में
उपस्थित रह सकें, तब बहुत सोच विचार कर हमने
एक दिवस्सीय गोष्ठी अर्थात सेमीनार का
आयोजन किया और इस श्रंखला में हम चार
सेमीनार का सफलता पूर्वक आयोजन कर चुके
हैं.
आपने विगत दो सेमीनार जिसमे से “अप्सरा यक्षिणी साधना सूत्र” और दूसरा
“इतर योनी और कर्ण पिशाचिनी साधना
सूत्र”
से सबंधित रहे हैं, हमने पूरी कोशिश की की आपको
आपके द्वारा इस
आयोजन में भाग लेने पर, आपके अपनी धन राशि का पूरा पूरा मूल्य
ही न मिले बल्कि कई कई गुना बहुमूल्य
ऐसी साधना सबंधित बातो की जानकारी मिले, जो अपने आप में
अप्रितम हो ही, इस
हेतु हमने इन सेमीनार में इनके
विषय सबंधित अद्भुत बहुमूल्य साधनात्मक ज्ञान से सबंधित किताब आपको सामने रखी आज
यह हालत हैं की उनका पहला संस्करण समाप्त
हो गया हैं और इनके दुसरे परिवर्धित संस्करणों के लिए कार्य
प्रगति में हैं. हमने सिर्फ टाइम पास के लिए यह
सेमीनार आयोजित नहीं किये हैं इस बात
का आप सभी स्वयं साक्षी हैं .अतः
इस बारे में और क्या लिखा जाए.
मित्रो
हमने आप के सामने यह कहा था, हम इन सेमीनार के माध्यम से हर दो या तीन महीने में आपके सामने उपस्थित होते
रहेंगे,और यह श्रंखला लगातार गतिमान रहेगी ही, जिससे की हमारे
और आपके बीच एक सीधा संवाद भी संभव
हो सकें और ज्ञान विज्ञानं की जो
दिव्य बहुमूल्य सम्पदा सदगुरुदेव द्वारा
हम सबके लिए एक वरदान हैं उससे भी
आपका परिचय एक सही अर्थो में हो
सकें,हमारे पूर्व निर्धारित समय सीमा
में थोडा सा बिलम्ब हो गया हैं
क्योंकी कार्य की इतनी अधिकता हैं की
समयाभाव होना एक स्वाभाविक सी बात हैं.
अतः अब समय
हैं सेमीनार का ...इस सेमीनार का विषय
होगा
“तांत्रिक षट्कर्म और रस विज्ञानं से
सबंधित गोपनीय सूत्रों और रहस्यमय साधनाये”
जो इन
विज्ञानों से सम्बंधित होगी.
आज आप सभी षट्कर्म क्या होते हैं, इनके कार्य क्या हैं इनसे भली भांती अवगत हैं ही . तो इन के बारे
में और आधिक जानकारी
अगली पोस्ट पर क्रमश आएगी ही.
पर
अभी समय हैं सेमीनार में प्रवेश हेतु नियमो का
और समय का.
पर कुछ संक्षिप्त सी जानकारी इस सेमीनार की विषय वस्तु से सबंधित ::
बिना षट्कर्म के जाने
और उन्हें आत्मसात किये भला
एक साधक का इन क्षेत्र
में होने का क्या अर्थ होगा, इनका कोई गलत उपयोग करे, वह एक अलग बात हैं पर किस तरह से
इनका समाजोपयोगी ही नहीं बल्कि
अपने परिवार और अपने
आस पास के वातावरण को
और भी मनोकुल बनाया जा सकता
हैं, यह षट्कर्म विद्या यह कर देती हैं.
लोग सालो साल इस आशा में घूमते रहते हैं,भटकते
हैं की कोई ऐसा विद्वान् मिल जाए जो इन
विद्याओं में उन्हें सिद्ध हस्त करवा
दे, तो दूर की बात हैं कोई
प्रामाणिक सही जानकारी के साथ पूर्ण
प्रामाणिक गुरु परंपरा युक्त
सही जानकारी, आवश्यक मुद्राएँ,गोपनीय
रहस्य की जानकारी भी दे
दे,,,ऐसा हैं आज कहाँ??.
हालकी आज तक का इतिहास
यह बताता हैं की जैसे ही हमने कभी भी
किसी भी सेमीनार की बात करी या सेमीनार की घोषणा हुयी हैं अब
....... तत्काल इन्टरनेट पर अब आप देखिये
अनेको सिद्ध स्वयम ही जाग्रत
हो जायेंगे ,जो आपको अब वह सिर्फ
इसी की बात करेंगे ...............पर .यह
सब ड्रामा बाजी आप ने भी तो
कई कई भली भांती देखि हैं . पर चलिए उनकी दाल रोटी का भी सवाल हैं और
जिनको हज़म नहीं हो रहा
होगा तो बस कुछ दिन में आपको सामने
कोई न कोई ग्रुप या कोई id इस बारे में
सामने आएगी ही.
मित्रो, हमने यह निश्चित किया हैं की इस बार
का सेमीनार 25 मई अर्थात शनिवार
को अर्थात बुद्ध जयंती को होगा
और यह कोई तीन घंटे या चार घंटे का नहीं बल्कि
बल्कि पुरे छः घंटे का होगा. और अगला
दिन(26 may ) पूरा का पूरा आप सभी
के साथ आपसी वार्तालाप के लिए निर्धारित किया गया हैं.
हमेशा की तरह आप हमारे
लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं
क्योंकि आप इन ज्ञान विज्ञानं को सीखने के लिए कितनी दूर से और वह
भी कितनी कितनी कठिनाई का सामना करते
हुए आते हैं, यह
हमारे लिए आप के स्नेह का
एक अद्भुत उदाहरण हैं साथ ही साथ
एक बिस्वास की किरण भी की आज भी सदगुरुदेव
के शिष्यों में सीखने की
क्रिया मंद कम नहीं हुयी हैं
बल्कि दिन प्रति दिन बढ़ी ही हैं.
सेमीनार २५
मई को
होगा अगला दिन और २६ मई आपसी वार्तालाप के लिए सुरक्षित
होगा यदि आप उसमे भाग लेना चाहेंगे.
तो आप में से
जो भी इस में भाग लेना चाहते है,उन्हें
हमेशा की तरह nikhilalchemy2@yahoo.com पर “एक इ मेल
भेजना अनिवार्य होगा और उसमे यह विषय “ मई माह में
आयोजित सेमीनार में प्रवेश हेतु “ स्पस्ट रूप से लिखा होना चाहिए.
यह आयोजन में भाग लेना
****
फ्री नहीं***** हैं
अर्थात जिनको भी
अनुमति मिलेगी केबल उन्हें आवश्यक
धनराशी जमा करवानी होगी.
आप जो भी इ मेल
हमें करेंगे , उसमे स्पस्ट रूप से आप अपनी
हाल में ही खिची गयी scan फोटो ग्राफ और
अपनी कोई भी एक id की scan कॉपी सलग्न
करेंगे .कृपया यह न समझे की
उस बार,उस सेमीनार में भेज
दी थी
तो इस बार भी क्या ? जी हाँ ... इस
बार भी आप जो भी “इ
मेल” हमें भेजेंगे उसमे
आपका फोटो ग्राफ आना अनिवार्य
हैं और हमेशा
की तरह आपको भाग लेने की अनुमति के
साथ एक प्रवेश क्रमांक इसमें
दिया जायेगा जो आपको जिस समय इस सेमीनार में आप आयेंगे
उस समय अपने साथ रखना अनिवार्य होगा.
यह आप जानते हैं ही की
हर किसी को इसमें प्रवेश नहीं
दीया जा सकता हैं,क्योंकि स्थान सीमा की भी एक सीमा हैं अतः जिनको अनुमति हमारे द्वारा मिलेगी केबल वह भाई बहिन ही आवश्यक निर्दिष्ट धनराशि जमा करवा कर,और प्रवेश क्रमांक मिलने पर ही इसमें
भाग ले पाएंगे .
सिर्फ २५
मई के दिन प्रातःकालीन नाश्ते और मध्याह भोजन की व्यवस्था हमारे ओर से होगी
शेष
समय और अगले दिन की व्यवस्था और इन दोनों
दिन रुकने की व्यवस्था का
व्यय भार आपको ही स्वयम वहन करना होगा.
अन्य आवश्यक
जानकारी आपको इ मेल से आपको उपलब्ध करा दी जाएगी.
इस सेमीनार आयोजन का स्थान हमेशा की तरह जबलपुर (मध्यप्रदेश) ही हैं .
आप सभी जो इस सेमीनार में भाग लेना
चाहते हैं वह शुल्क और अन्य
जानकारी हेतु हमसे nikhilalchemy2@yahoo.com पर संपर्क कर प्राप्त कर सकते हैं.
एक बार पुनः ...यह सेमीनार 25 may को आयोजित होना
हैं,26 may आपसी वार्तालाप के लिए निर्धारित
हैं .
****NPRU****