दिव्यात्मा के द्वारा जैसे कहा गया था की सोऽहं अपने आपमें एक अत्यधिक विशेष मंत्र है. योगियो का मत रहा है की १२ प्रकार की विशेष सिद्धियो को प्राप्त करने के लिए यह एक मंत्र ही काफी है. इस मंत्र के भी कई उपभेद है. योग तंत्र मे यह मंत्र अपने आप मे अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है. यु तो यह अजपा मंत्र है जिसका उच्चारण किसी भी वक़्त किया जा सकता है लेकिन इस मंत्र विशेष की आवाहन मे सूक्ष्म जगत मे प्रवेश के लिए एक अत्यधिक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है.
प्राणायाम के मुख्य प्रकारों मे एक है अनुलोम विलोम. इस प्रक्रिया से पहले कुछ ज़रुरी बाते है. हकीकत मे योगिक प्रक्रियाओ के बारे मे आज जो धारणा फ़ैल गयी है वह यथा योग्य नहीं कही जा सकती. योग कोई शारीरिक व्यायाम मात्र नहीं है, योग का अर्थ अत्यधिक संकीर्ण कर दिया गया है. कुछ एक उलटे सीधे पैर कर शरीर की लचक को बनाना यह आज के युग मे योग की धारणा बनी हुई है. आसान तो एक प्रकार के योग जिसका नाम अष्टांग योग है उसके ८ मुख्य पक्षों मे से एक है. वस्तुतः यह मात्र शारीरिक रूप से सक्षम बनने का विज्ञान नहीं है अपितु आध्यात्मिक जगत मे स्व प्राप्ति का मार्ग है. इसी प्रकार से प्राणायाम मे भी कई प्रकार की गलत धारणाये समाज मे फ़ैल गयी है. प्राणायाम से सबंधित एक सामान्य नियम है की बहार से शुद्ध वायु को अंदर खिंच कर प्राणायाम उसे उर्जा के रूप मे शरीर को प्रदान होती हो और दूषित वायु को शरीर से बहार हो. आज कल के शहरी वातावरण मे जो वायु होती है उसकी अशुद्धता के बारे मे हर कोई जनता है. भला उस वायु को अंदर खिंच कर शरीर को फायदा होगा या नुकशान? प्राणायाम शुद्ध वातावरण मे ही किया जाए यह अत्यधिक ज़रुरी है. साथ ही साथ प्राणायाम का सबंध चक्रों से है इस लिए बिना पूरी जानकारी लिए इसे करना फायदा नहीं नुकशान कर सकता है. अनुलोम विलोम के सबंध मे बात आगे बढ़ाते है. इस प्राणायाम के ५ भेद है. अनुलोम विलोम प्राणायाम की इस योग तांत्रिक प्रक्रिया मे महत्वपूर्ण चिंतन यह है की साँस मे ली गयी वायु फेफडो मे ना भर के उसे मणिपुर चक्र यानी के नाभि तक लाया जाए तथा उसे सिर्फ उतनी देर तक ही रोका जाए जब तक वह अपने आप रुके, किसी भी प्रकार की जोर ज़बरदस्ती ना की जाए. प्राणायाम मात्र खाली पेट ही किया जाना चाहिए. प्राणायाम के लिए ब्रम्ह मुहूर्त सबसे उपयुक्त समय है. बरगद तथा पीपल के पैड के निचे दिन मे प्राणायाम करना अच्छा है. बिल्व के वृक्ष के निचे दिन के अंतिम प्रहार मे सूर्यास्त से पहले प्राणायाम करना अच्छा है. किसी भी वृक्ष के निचे या नजदीक बैठ कर रात्री काल मे प्राणायाम की प्रक्रिया नहीं करनी चाहिए. प्राणायाम मे मुख्य 3 चरण है
पूरक – वायु को शरीर के अंदर लेना
कुम्भक – वायु को शरीर मे स्थिर करना या रोकना
rechak – वायु को शरीर से बहार निकलना
योग तांत्रिक प्रक्रियाओ मे प्राणायाम को सगर्भयाम या सगर्भप्राणायाम कहा जाता है जिसका अर्थ है की प्राणायाम की प्रक्रिया को मंत्रो के साथ करना. मंत्र की उर्जा का वायु के माध्यम से पूरे शरीर मे संचरण करना. सोऽहं बीज शिव तथा शक्ति से निहित है. इस लिए यह प्रक्रिया अपनाने पर साधक अपने आप ही कई प्रकार के ज्ञान को स्वतः प्राप्त करने लगता है.
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As said by divyatma soham is very special mantra in itself. It is siddha peoples saying that this single mantra is enough to give you 12 type of rare siddhi. This mantra also has many further types. In yog tantra this mantra is considered as very important mantra. Though this is under Ajapa mantra which could be chanted at anytime but there is a special and important process under aavahan to enter in sukshm jagat.
Anulom Vilom is one of the base pranayam. There are few important things to know before process. In reality, the conception spread in today’s time belonging to yoga cannot be said a complete truth. Yog is not just physical exercise. The meaning of yoga has been made very narrow. The definition of yoga have now turned to make legs up-down and to maintain flexibility of the body. Asan is one of the 8 side mentioned in a one system of yoga called ashtang yoga. Literally, this is not just a science to make our self fit physically but also a way to attain our self in spiritual field. The same way there are many wrong conceptions had been spread relating pranayam in the society. There is simple rule in relation to pranayam that the pure outer air should be inhaled which is transformed as energy in the body through pranayam and impure air should be exhale. Everyone is aware about the impure atmosphere in the cities today. If that impure air is inhaled will that give benefit or problem to the body? It is essential that pranayam should be done in pure atmosphere. With that, pranayama has relation direct with chakras so if with improper information practice of pranayam may cause troubles and not the benefits. Let we continue with anulom vilom. This pranayam have 5 type of it. In this specific yog tantric process of anulom vilom pranayam the important specification is the breath inhaled should not be stored in lungs but it should reach to navel or Manipur chakra and it should be stored there till the time it stay, there should not be any force to stop it inside. Pranayam should be done empty stomach. Best time for pranayam is bramh muhurt. It is good to do pranayam under baniyan tree or peepal tree during day time. It is also good to do pranayam under bilva tree during the evening time before sun set. No pranayam should be practice near or under trees during night time. There are three steps of pranayam.
Poorak – to inhale the air inside body
Kumbhak – to hold the air inside body
Rechak – to exhale the air out of the body
In yog tantric process pranayam is called as sagarbhayaam or sagarbhapranaayam which means to do practice pranayam with mantra. To spread the energy of mantra in the body with the help of air. Soham beeja is collective form of shiv-shakti. Therefore by applying this particular process many type of knowledge starts generating in sadhak itself.
****NPRU****
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2 comments:
aapne kitni saral aur sahej rup me vyakhan kar dia...
bahut badhiya
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