क्रिया ज्ञान और इच्छा इन तीनों को हमारी आतंरिक मुख्य शक्तिया कहा गया है. वास्तव मे हमारे सभी प्रकार के क्रिया कलाप इन तिन शक्तियो पर ही आधारित रहते है. ज्ञान शक्ति इच्छा तथा इच्छा से क्रिया और उस क्रिया से निहित नूतन ज्ञान इस प्रकार से यह आतंरिक शक्ति चक्र नित्य चलता ही रहता है. इन शक्तियो को सामान्य द्रष्टि से देखना हमारी न्यूनता ही कही जा सकती है. क्यों की हमारे ग्रन्थ यह कहते है की यह हमारी तिन आतंरिक मुख्य शक्तिया है तब इसके पीछे गुढ़ चिंतन तथा अनगिनत रहस्य होने स्वाभाविक है. इन शक्तियो के त्रिभाव ज्ञान का सत्, इच्छा का राजस् तथा क्रिया का तामस है. यहाँ हम बात करेंगे इच्छा शक्ति की.
अगर मनुष्य मे इच्छा शक्ति ही ना रहे तो किसी भी प्रकार की कोई भी इच्छा व्यक्ति मे उत्तपन होगी ही नहीं. कई बार कहा जाता है की इछाओ का शमन उत्तम है. लेकिन ऐसा नहीं है, अगर ऐसा ही होता तो हमारे ऋषि मुनियो ने इसे हमारी मुख्य शक्ति क्यों कहा. वास्तव मे इच्छा शक्ति ही नूतन क्रिया को जन्म देती है. जेसे की हमें भूख लगी है तो हम खाना ढूंढे या बनाने की प्रक्रिया मे संलग्न होंगे. इसी क्रिया मे हमें जो तृप्ति का जो ज्ञान मिला वह हमारी ज्ञान शक्ति है. और इस प्रकार हर एक कार्य मे यह क्रिया सलग्न रहती ही है. लेकिन वास्तव मे हमारी यह शक्तिया अपने आप मे सुषुप्त अवस्था मे है. इस लिए इन शक्तियो का जितना हमें फायदा भौतिक तथा आध्यात्मिक स्तर पर मिलना चाहिए वह नहीं मिल पता. हमारे पास जितना भी ज्ञान है; ज्ञान शक्ति है, उस ज्ञान को हम इच्छा शक्ति के रूप मे परावर्तित नहीं कर सकते है परिणाम स्वरुप हमें उससे सबंधित क्रिया को नहीं कर सकते और इसका परिणाम हमारे ज्ञान के विकास मे अवरोध होता है. जेसे हर व्यक्ति को पता है की एक न एक दिन मृत्यु अवश्यम्भी है तथा जीवन मे पूर्णता प्राप्त करना ज़रुरी है ताके क्षणिक सुख को आनंद मे बदल सके. लेकिन इस तथ्य का ज्ञान और ज्ञान शक्ति होते हुए भी वह पूर्णता की इच्छा शक्ति का विकास नहीं कर पता है. पूर्णता की क्रिया के लिए जिस प्रकार की इच्छा शक्ति चाहिए वह नहीं विकसित हो पाती. और पूरा जीवन यु ही निकल जाता है. यह एक उदहारण था. इस शक्तियो को जीवन के गृहस्थ तथा आध्यात्मिक दोनों पक्षों मे समान रूप से जोड़ कर मंथन करने पर अवश्य ही इनकी महत्ता स्पष्ट हो जाती है.
इच्छा शक्ति के विकास के लिए यहाँ पर भगवती कमला से सबंधित प्रयोग दिया जा रहा है. महाविद्या कमला अपने आप मे इच्छा तत्व पर अपना प्रभुत्व रखती है. इस प्रयोग को करने के बाद साधक की इच्छा शक्ति मे विकास होता है तथा ज्ञान तथा क्रिया के बिच मे जो फासला है, या यु कहा जाए की जिस चीज़ की आकांशा है तथा उससे सबंधित जो प्रक्रिया की भावभूमि है उन दोनों के बिच का अंतर कम करता है. साधक को इस महत्वपूर्ण प्रयोग करने पर सभी क्षेत्र मे विजय प्राप्ति करने की सामर्थ्य प्राप्त कर सकता है. इस प्रयोग को साधक शुक्र वार से करे. वस्त्र और आसान लाल या सफ़ेद हो. दिशा उत्तर हो. समय रात्री काल मे १० बजे के बाद का रहे. अपने सामने देवी कमला का चित्र या यंत्र स्थापित करे तो उत्तम है. उसके बाद घी का दीपक लगाए तथा सदगुरुदेव और देवी कमला को इच्छाशक्ति मे विकास तथा साधना मे सफलता के लिए प्रार्थना करे. इसके बाद साधक निम्न मंत्र की २१ माला जाप कमलगट्टे की माला या मूंगा माला से करे. यह साधना ११ दिन की है
ॐ क्लीं जगत्प्रसूत्यै नमः
आखरी दिन साधना समाप्ति पर माला को पहन ले. एक महीने बाद माला को किसी मंदिर मे चडा दे.
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Kriya, gyan and ichha (process, knowledge and will) are the three main internal powers of us. In fact our all the activities takes place because of these powers only. The internal cycle of these powers continues from knowledge to the will and from will to the process and with that process generation of the further knowledge. It is just our unawareness if we take these powers just another thing. Because when our ancient scriptures have called these three powers as basic powers of us then there must be brief study and several mysteries in this regards. The natures of these three powers are sat for knowledge, rajas for ichha and tamas for process.
If there remains no will power in human being then there would be no birth of any wish and will. Many times it is said that it is good to stop our wish and will. But it is not that way, because if that was the case, why our ancient sages called it a main power. In fact, ichha shakti or will power only gives birth to the kriyashakti or the process. It is like we feel hunger and we will proceed for either search or prepare food. And satisfaction of this process will be our gyan or knowledge power. This way in every activity such procedure takes place. But in real, these powers stay unconscious. Because of this, we do not receive the maximum benefit we should have through these powers in our material and spiritual life. Whatever amount of knowledge or the knowledge power we have, we are unable to convert it in the form of will power and because of this we do not attempts the related process of that which results in obstacle to generate knowledge. For example everyone knows that death will arrive for sure one day and it is essential to attain totality in the life with which we can have ultimate joy of the life. But with this knowledge or knowledge power too, the one do not becomes able to develop it to the will of change. The amount of the will required for the process power to attain totality was less. And thus the whole life goes. This was just example. One will for sure understand the importance of these powers when you think of it relating with any aspect of spiritual or material life.
To develop will power, here prayog related to bhagawati kamala is being given. Mahavidya Kamalaa controls the will element. After completing this process; development in the will power or ichha shakti could be seen and the distance between gyan (knowledge) and Kriya (process) could be reduced. Or in other words, the knowledge or the wish to have particular thing and the benchmark platform needed for the application of that process the distance of these both is minimized. After completing this important prayog one can win in every aspects of the life. This prayog should be started on Friday. Cloth and aasan should be either red or white. Direction should be north. Time should be after 10PM in night. It is better if one establish yantra or picture of Goddess Kamalaa in front. One should light a lamp of Ghee and pray for the development in will power or ichha shakti and for success in the sadhana to Sadgurudev and Goddess Kamalaa. After that sadhak should chant 21 rounds of the following mantra with KamalGatta rosary or Munga rosary. This sadhana is for 11 days.
Om Kleem Jagatprasootyei namah
When process is completed on last day the rosary should be wore around neck. After one month place it in some temple.
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1 comment:
jai gurudev bhaiyya ye to aapne sahi kaha ki bina ichchha shakti ke koi bhi karya sambhav nahi hai...ichchha shakti ka jaagran wo Kamla mahavidhya ke madhyam se...naya gyan....bahut achchha laga bhai...isi shakti ke bal par sadhak naye gyan ko atmsaat karte hai aur ye shakti paryapt viksit na ho to samanya life jine mein bhi muskilen aati hai..manah sakti sadhna ke baad ichchha shakti sadhna..kah nahi sakta kaisa laga.. Jai Gurudev
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