“भयमुक्ति
भैरव प्रयोग”
येन-येन हि
रुपेण साधकः संस्मरेत सदा |
तस्य तन्मयतां
याति चिंतामानिरिवेश्वर: ||
अर्थात ईश्वर चिंतामणि के सद्रश हैं, साधक उसके जिस जिस स्वरूप का चिंतन करता
है उसी स्वरुप की प्राप्ति उसे होती है |
सदगुरुदेव ने कहा है कि पुरुष की शोभा उसकी प्रचंडता में होती है और उसके
ह्रदय की कोमलता से उसके व्यक्तित्व का परिचय| जिसका साक्षात्, समन्वित रूप ही
भैरव हैं, और भगवन भैरव शब्दमय हैं क्योंकि शिव शब्दमय हैं और भैरव उनका अंश.
जो कि एक ओर सब कुछ पल भर में विध्वंश करने वाला स्वरुप
तो दूसरी ओर साधक को
सब कुछ प्रदान करने वाला .
भगवान शिव की ही भांति अति अल्प पूजन से ही प्रसन्न होने वाले हैं, अतः कोई भी
साधक इनका पूजन, जप आदि किसी डर के कर सकता है .
ऐंसे ही एक छोटा किन्तु अत्यंत तीव्र प्रयोग जो अभय के साथ रक्षा भी प्रदान
करता है......
भैरव पूर्ण रूपां हि शंकरस्य परात्मनः
----
अतः हे महादेव, हे भैरव हमारी रक्षा करें
किसी भी मंगलवार को रात्रि में एक
प्रहर के बाद किसी ताम्र पात्र में कुमकुम से रंगे चावलों की ढेरी बना लें और उस पर
एक भैरव गुटिका, या स्वर्णाकर्षण गुटिका या शिवलिंग स्थापित कर दें |
अब प्रश्न ये है की ये कौन सी गुटीकाएं
हैं ये भैरव मन्त्र से अभिमंत्रित स्वयम भैरव् के प्रतीक स्वरुप हैं चूँकि हम सभी
प्रतीक स्वरूप की ही पूजा अर्चना या साधना करते हैं, अब प्रश्न ये कि, ये कहाँ से
प्राप्त होगी तो मेरे ख्याल से अनेक लोगों के पास ये गुटिका हो सकती है क्योंकि
अनेक लोगों मैंने ही ये उपलब्ध करवाया है, या फिर सभी के घर शिवलिंग तो होगा ही
अतः शिवलिंग को ही स्थापित कर दें
तथा उनका कुमकुम अक्षत सिंदूर और लाल पुष्प से
पूजन करें, तथा लोबान धुप तथा तिल के तेल का दीपक लगाएं, फिर रुद्राक्ष माला से ११
माला निम्न मन्त्र की करें ----
मन्त्र –
|| ॐ ह्रीं भैरव
भयंकर हर मां रक्ष-रक्ष हूं फट स्वाहा ||
मन्त्र—
|| ॐ HREEM BHAIRV BHAYANKAR HAR MAAM
RAKSHA-RAKSHA HUM FATTA SWAHA ||
प्रयोग संपन्न करें और रिजल्ट स्वयम
देखें |
एक बात का सदैव ध्यान रखें कि और अपने
ईष्ट के प्रति श्रद्धा ही आपको किसी भी साधना में सफल करती मैं आजकल हमारे ग्रुप
पर बहुत ज्यादा वैचारिक विषमता देख रही हूँ जो की नए साधकों को भ्रमित कर रही है,
किसी को सलाह देना बुरा नहीं है किन्तु दिग्भ्रमित करना गलत है . अतः साधना करें
बिना किसी के बातों में आये, जो स्वयम साधना करके देखते हैं उन्हें सत्यता का बोध
होता ही होता है किन्तु सिर्फ बातें करने से कुछ भी हासिल नहीं होता------
अतः किसी भी मंत्र को किये बगैर उसमें नुक्स निकालने से अच्छा है उसे कर के
देखा जाये, प्रार्थना है कि पहले संपन्न करें फिर ----
और जी हाँ निखिल-अल्केमी पर मन्त्र
दिए जाते हैं
साधना दी जाती है और इसी वजह से आप और हम जुड़े हैं, और यही इसकी
विशेषता है....... हैं ना
***
रजनी निखिल
***
निखिल एल्केमी
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