In field of Tantra, there is one important karma
under Shatkarmas (six important Karmas of Tantra) called Vashikaran. Common
people may see this karma with fearful point of view but nobody is unaware of
its utility and its need in today’s time. As compared to ancient time,
infidelity/crime has spread all around in very large proportion and person is
now compelled to live a life full of ever-persisting fear. Person in order to
meet his selfish objective is not even thinking for a minute before causing
harm to others. It is but natural to feel sense of consistent insecurity in this
blind race. Therefore in today’s time, person is totally deprived of pleasure.
And person then finds himself helpless, confronted with various problems.
Certainly this situation in unsuitable but we were the one who gave rise to
sequence of the events which culminated into this situation. If there is a
problem, it has a solution too. And that’s why our ancient sages and saints
resorted to Dev Shakti; wherever our power is limited, we can attain power and
strength from them through worship of Dev Shakti and get rid of problems of our
life. And this procedure is Tantra……Mahasiddhs have always agreed on the fact
that Tantra is capable of getting rid of any problem of person. But due to our
ignorance and due to many selfish people, this Vidya slowly and gradually
became obsolete. But from time to time, Many Mahasiddhs took incarnation and
tried to connect this Vidya with common masses. Shri Sadgurudev dedicated every
second of his life for welfare of people. And from time to time, he put forward
easy and exceptional procedures of Tantra in front of all so that common people
can get rid of shortcomings of their life through this Vidya and attains joy
and happiness in their lives. Sadgurudev provided so many prayogs related to
Vashikaran through which person can do vashikaran of his enemy and secure
himself. If any person starts causing harm, he can be stopped. If any family
member or any acquaintance is doing wrong act, his orientation can be changed
or if anyone is suffering from bad company, he can be saved from it. In this
manner, there is no wrong in doing Vashikaran in moral manner. And it is
procedure to provide auspicious situation to sadhak. In this context, this
prayog is presented which has also been called Madan Vashikaran Prayog. This
prayog is related to Kaamdev, though Kaamdev can attract or do vashikaran of
anyone any moment through arrow of flowers. This hidden prayog is important
prayog for all of us in today’s era.
Sadhak can start this prayog from any auspicious
day.
It is better if sadhak does this prayog after 10:00
P.M in night.
Sadhak should take bath, water yellow dress and sit
on yellow aasan facing north/east direction.
Sadhak should do Guru Poojan and Ganesh Poojan and
chant Guru Mantra. After it, sadhak should establish any picture or yantra of
Kaamdev and do its normal poojan. Sadhak should light oil-lamp and light
incensed stick.
After it, sadhak should do Nyas.
KAR NYAAS
KLAAM ANGUSHTHAABHYAAM NAMAH
KLEEM TARJANIBHYAAM NAMAH
KLOOM SARVANANDMAYI MADHYMABHYAAM NAMAH
KLAIM ANAAMIKAABHYAAM NAMAH
KLAUM KANISHTKABHYAAM NAMAH
KLAH KARTAL KARPRISHTHAABHYAAM NAMAH
HRIDYAADI NYAAS
KLAAM HRIDYAAY NAMAH
KLEEM SHIRSE SWAHA
KLOOM SHIKHAYAI VASHAT
KLAIM KAVACHHAAY HUM
KLAUM NAITRTRYAAY VAUSHAT
KLAH ASTRAAY PHAT
After Nyas procedure, sadhak should chant 11 rounds
of below mantra. Sadhak has to do chanting while looking on the flame of lamp.
Sadhak can use crystal or Rudraksh rosary for chanting.
OM KLEEM MADMAD
MAADAY MAADAY AMUKAM VASHY VASHY HREEM SWAHA
Sadhak should do this procedure for 5 days. In this
manner, sadhna procedure is completed through which sadhak can take practical
benefits many times. Whenever sadhak has to do vashikaran prayog, sadhak should
keep any flower, water or any food item in front of him and chant 1 rounds of
this mantra while looking at it. In mantra, use the name of person in the place
of “AMUKAM”. Sadhak should give this consecrated article to that person.
Whenever that person uses this article, sadhak’s desire is fulfilled.
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ तंत्र के क्षेत्र में षट्कर्म के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण कर्म है वशीकरण. साधारण जन मानस भले ही इस कर्म को भय के नज़रिए से देखे लेकिन इसको उपयोगिता और आज के समय में इसकी अनिवार्यता से कोई अभी अनभिज्ञ नहीं है. क्यों की पुरातन काल की अपेक्षा, व्यभिचार आज चारों तरफ अधिक मात्र में प्रसारित हो चूका है तथा मनुष्य सदैव सतत भय से घिरा हुआ जीवन जीने के लिए बाध्य हो गया है. स्वार्थ परास्त के कारण व्यक्ति आज किसी का भी अहित करने से पहले एक क्षण रुक कर सोच नहीं रहा है. इसी अंधी दौडमें हमेशा ही असुरक्षा का अहेसास होना पूर्ण रूपेण स्वाभाविक मानस अवस्था है. आज के समय में इसी लिए व्यक्ति का चिंतन एक नीरस जीवन जीने की कल्पना से हमेशा ही सुख से अछूता ही रहता चला जाता है. और फिर विविध समस्याओ से घिरा हुआ व्यक्ति अपने आप को निसहाय सा अनुभव करने लगता है. निश्चय ही यह स्थिति अयोग्य है लेकिन इस स्थिति क्रम का प्रादुर्भाव वस्तुतः हमारे कारण ही तो हुआ है. अगर समस्या है तो निश्चय ही उसका समाधान भी है. और इसी लिए हमारे प्राचीन ऋषि मुनियों ने देव शक्ति को अपनाया था; जहां पर हमारी शक्ति सिमित है वहीँ हम देव शक्तियों की उपासना के माध्यम से उनसे शक्तिबल प्राप्त कर अपने जीवन की समस्याओ से मुक्ति पा सकते है. और यही प्रक्रिया तो तंत्र है...महासिद्धो ने हमेशा इस तथ्य पर सहमती ही व्यक्त की है की मनुष्य को किसी भी प्रकार की समस्या से मुक्ति दिलाने में तंत्र समर्थ है. लेकिन हमारी उपेक्षाओ के कारण तथा विविध ढोंग और स्वार्थ परस्तो के कारण यह विद्या धीरे धीरे लुप्त हो गई. परन्तु समय समय पर कई महासिद्ध वन्दनीय व्यक्तित्व ने अवतरण कर इस विद्या को पुनः जनमानस के साथ जोड़ने का प्रयत्न किया है. श्रीसदगुरुदेव ने भी इसी प्रयास में रत रहते हुवे अपना एक एक क्षण जनकल्याण के लिए समर्पित किया था. तथा समय समय पर उन्होंने तंत्र की सहज और विलक्षण प्रक्रियाओ को सब के मध्य रखा था जिससे की सभी सर्व साधारण जन इस विद्या के द्वारा अपने जीवन की न्यूनताओ को दूर कर सके तथा अपने जीवन में सुख तथा आनंद की प्राप्ति कर सके. वशीकरण सबंधित कई प्रयोग सदगुरुदेव ने प्रदान किये थे जिससे की व्यक्ति शत्रु का वशीकरण कर सुरक्षा प्राप्त कर सके. कोई व्यक्ति अनिष्ट करने पर उतर आये तो उसको रोका जा सके. घर परिवार का कोई व्यक्ति या परिचितजन अगर अयोग्य कार्य कर रहा है तो उसको वापस मोड़ा जाए. या फिर कोई अयोग्य संगत में है तो उसे मुक्त किया जाए. इस प्रकार नैतिक रूप से वशीकरण करने पर निश्चय ही किसी भी प्रकार का कोई दोष नहीं है. तथा यह तो साधक के लिए एक अत्यंत ही शुभ स्थिति प्रदान करने वाली क्रिया है. इसी क्रम में यह प्रयोग प्रस्तुत है जिसे मदन वशीकरण प्रयोग कहा गया है. यह प्रयोग कामदेव से सबंधित है, वैसे भी कामदेव तो अपने पुष्पबाण के माध्यम से किसी को भी क्षण में आकर्षित या वशीभूत कर सकते है. यह गुप्त प्रयोग आज के युग में सभी के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयोग है.
किसी भी
शुभ दिन से साधक इस प्रयोग को शुरू कर सकता है.
साधक इस
प्रयोग को रात्रिकाल में १० बजे के बाद करे तो ज्यादा उत्तम रहता है.
स्नान आदि
से निवृत हो साधक पीले रंग के वस्त्र धारण करे तथा पीले रंग के आसान पर उत्तर या
पूर्व दिशा की तरफ मुख कर बैठ जाये.
साधक
गुरुपूजन तथा गणेश पूजन करे एवं गुरुमन्त्र का जाप करे. इसके बाद साधक अपने सामने
कामदेव का कोई चित्र या पूजन यंत्र स्थापित करे.
उसका सामान्य पूजन करे. साधक को तेल का दीपक तथा सुगन्धित अगरबत्ती को
प्रज्वलित करना चाहिए .
साधक इसके
बाद न्यास करे.
करन्यास
क्लां अङ्गुष्ठाभ्यां नमः
क्लीं तर्जनीभ्यां नमः
क्लूं सर्वानन्दमयि मध्यमाभ्यां नमः
क्लैं अनामिकाभ्यां नमः
क्लौं कनिष्टकाभ्यां नमः
क्लः करतल करपृष्ठाभ्यां नमः
हृदयादिन्यास
क्लां हृदयाय नमः
क्लीं शिरसे स्वाहा
क्लूं शिखायै वषट्
क्लैं कवचाय हूं
क्लौं नेत्रत्रयाय वौषट्
क्लः अस्त्राय फट्
न्यास हो जाने पर साधक को निम्न मन्त्र की ११ माला जाप
करनी है. यह जाप साधक को दीपक की लौ (ज्योत) को देखते हुवे करनी है. मन्त्र जाप के
लिए साधक स्फटिक या रुद्राक्ष माला का प्रयोग कर सकता है.
ॐ क्लीं मद मद
मादय मादय अमुकं वश्य वश्य ह्रीं स्वाहा
(OM KLEEM MAD
MAD MAADAY MAADAY AMUKAM VASHY VASHY HREEM SWAHA)
साधक को
यह क्रम ५ दिन तक करना है. इस प्रकार यह साधना प्रक्रिया पूर्ण होती है जिसके बाद
साधक कई बार इसका प्रायोगिक लाभ उठा सकता है. साधक को जब भी वशीकरण प्रयोग करना हो
तो अपने सामने कोई पुष्प, पानी या कोई भी अन्य खाध्य पदार्थ रख कर उसको देखते हुवे
उसी माला से एक माला मन्त्र जाप करे. मन्त्र में ‘अमुकं’ की जगह उस व्यक्ति का नाम
लें जिसका वशीकरण करना है. साधक को अभिमंत्रित पदार्थ उस व्यक्ति को दे देना चाहिए
जब वह व्यक्ति उस पदार्थ का प्रयोग करता है तो साधक का मनोरथ पूर्ण होता है.
****npru****
1 comment:
sir please mujhe shabar hanuman sadhana ki sampoorn jankari mail kar den main hanuman sadhana me interested hoon please sir.
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