SushaarthirashvaanivYanmanushyaanNeneeyateabheeshubhirvaajinEv
HritpratishthamYadjiramJavishthamTanme
Manah Shivsankalpmastu
Every word of knowledge which has been spread by
ancient sages and saints through four vedas, foundation pillars of our
civilization, is as precious as Kohinoor stone. Every verse and sloka of Veda
is a vast scripture in itself. Vedas are collection of abstruse knowledge and
procedures related to various sciences. Along with it, our ancient sages have
demonstrated the incomparable power of humans and enormous mental capability of
humans in many forms in Vedas. Words said above are taken from Yajurveda in
which it has been said that as charioteer controls the chariot based on his
concentration and competence and moves it in desired direction, in the same way
our mind controls our body and senses of our body. If we have control over our
mind then definitely we can give direction to our life in the manner we want.
Along with it mind is immortal and infinitely vast i.e. there is no parameter
to measure its abilities. Its speed is also extra-ordinary. It has been said in
relation to the mind that its speed is fastest than anything else, within
fraction of a moment, it can understand so many things and extraordinarily can
reach many place too. If our mind gets filled with auspicious resolutions or
supreme thoughts then person can definitely attain spiritual and materialistic
progress and achieve success. But how it will happen? May be it has not been
told in above sloka but certainly these procedures have been told in various
verses by various saints.
In fact, if we pay attention to things and related
activities nearby us, we will definitely notice our mind and its related
powers.Our mind plays major role in any of our minor activities. It is
impossible to start a work without origin of thought in mind. If we pay
attention to necessary daily chores then we can understand that mind possesses
a power and this power is present in each person in varying proportion. If we
develop it, then most of our works become easy. This power has also been called
Manah Shakti (power of mind). Its development is crucial for success in any
field.
Sadhna presented here is related to Manah Shakti
through which this particular power is developed. Various types of benefits are
attained by it. Self-confidence is very crucial element of today’s life for
getting success in any field. Through this prayog, self-confidence of person
increases.Along with it, there is development in memory power. Therefore, this
prayog is best for students. Besides it, there is also increase in
decision-making power of sadhak. Development of all these aspects is crucial
for success of sadhak in business and other work-fields. Therefore, this prayog
can be done by all. It is related to Mahabala form of
Lord Vishnu. Mahabala form means omnipresent and completely powerful form of
deity.
Sadhak can start this prayog on any day. It can be
done anytime in day or night.
It is three day prayog. It should be done daily at
the same time. Dress and aasan of sadhak should be of yellow colour. Direction
will be east.
Sadhak should take bath and establish any yantra or
picture of Lord Vishnu in front of him. First of all, sadhak should do Guru
Poojan, Ganesh poojan and chant Guru Mantra. Then sadhak should do normal
poojan of picture/yantra of Lord Vishnu. Sadhak should light one oil-lamp in
front of him. Sadhak should then seek blessings from Sadgurudev and Lord Vishnu
for development in mental power. After it, sadhak should do Nyas.
KAR NYAS
HRAAM ANGUSHTHAABHYAAM NAMAH
HREEM
TARJANIBHYAAM NAMAH
HROOM
MADHYMABHYAAM NAMAH
HRAIM
ANAAMIKAABHYAAM NAMAH
HRAUM
KANISHTKABHYAAM NAMAH
HRAH
KARTAL KARPRISHTHAABHYAAM NAMAH
ANG NYAS
HRAAM
HRIDYAAY NAMAH
HREEM
SHIRSE SWAHA
HROOM
SHIKHAYAI VASHAT
HRAIM
KAVACHHAAY HUM
HRAUM
NAITRTRYAAY VAUSHAT
HRAH
ASTRAAY PHAT
After it, sadhak should chant the below mantra while looking at lamp.
There is no need of rosary in it. Sadhak should do chanting for half an hour to
1 hour.
omhreemlakshmiPatayemahaabalaay
namah
After completion of chanting, sadhak should pray with reverence and pray
for attainment of success. Sadhak should do this prayog for 3 days.
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सुषारथिरश्वानिव यन्मनुष्यान् नेनीयतेऽभीशुभिर्वाजिन इव
हृत्प्रतिष्ठं यदजिरं जविष्ठं तन्मे मनः
शिवसङ्कल्पमस्तु
हमारी
संस्कृति के आदि स्तंभ चार वेदों में जो ज्ञान हमारे पुरातन ऋषि मुनियों ने बिखेरा
है, वह एक एक शब्द वस्तुतः एक एक हीरक खंड के बराबर मूल्यवान है. हर एक वेदोक्त
ऋचा तथा श्लोक अपने आप में एक एक वृहद ग्रन्थ है. गुढ़ ज्ञान तथा विविध विज्ञान से
सबंधित प्रक्रियाओ का भण्डार यह वेद ही है. साथ ही साथ मनुष्य की अतुल्य क्षमता
तथा मनुष्य के मानस की विराटता को कई कई बार विविध रूप से वेदों में हमारे प्रचिन
ऋषियों ने प्रदर्शित किया है. उपरोक्त शब्द यजुर्वेद के है. जिसमे यह समजाया गया
है की जिस प्रकार एक रथ चलाने वाला सारथि अपनी एकाग्रता और कुशलता के साथ अश्वो पर
अपना नियंत्रण स्थापित कर उनको योग्य दिशा की तरफ गतिशील करता है ठीक उसी प्रकार
मन के हाथ में हमारे शरीर का, हमारे शरीर की इन्द्रियों का नियंत्रण रहता है. अगर हमारा मन के ऊपर हमारा अधिपत्य है तो
निश्चय ही हम अपने जीवन को ठीक उसी प्रकार से गति दे सकते है जैसे हम देना चाहते
है. साथ ही साथ यह मन अमर है, अजर है तथा
अनंत वृहद है, अर्थात इसकी क्षमताओं का मापदंड संभव ही नहीं है, इसकी गति भी उतनी
ही असहज है, निश्चय ही मन के सम्बन्ध में कहा गया है की इसकी गति किसी भी गति से
ज्यादा तीव्र हो सकती है, एक क्षण में हमारा मन न जाने क्या क्या सोच समज भी लेता
है और पता नहीं असहज रूप से ही , कहाँ कहाँ तक पहोच भी जाता है. यही मन अगर शुभ
संकल्प से या उत्तम विचारों से युक्त हो जाए तो निश्चय ही जीवन में भौतिक तथा
अध्यात्मिक उन्नति प्राप्त कर व्यक्ति पूर्ण सफलता की प्राप्ति कर सकता है. लेकिन
यह सब होता कैसे है. इसके ऊपर श्लोक में भले ही कहा न हो लेकिन निश्चय ही इन
प्रक्रियाओ के बारे में विविध ऋचाओ में विविध ऋषियों द्वारा इस बारे में बताया ही
गया है.
वस्तुतः
हम अपने आसपास की सभी चीजों पर तथा सबंधित सभी कार्यो पर अगर नज़र डाले तो निश्चय ही हमें हमारे मन तथा मन से सबंधित
शक्तियों के बारे में ध्यान आएगा. हमारे किसी भी छोटे से छोटे कार्यों में हमारे
मन का निश्चय ही वृहद योगदान है. बिना मानस में आये विचार के कोई भी क्रिया असंभव
हो जाती है. हम अपने दैनिक जीवन के आवश्यक कार्यो पर एक बार द्रष्टि डाले तो हम यह
समज पाते है की निश्चय ही मन की एक शक्ति है, तथा वह शक्ति विविध व्यक्तियो में
विविध स्तर पर होती है. अगर उसका विकास कर लिया जाए तो हमारे कई काम सहज हो जाते
है. इसी शक्ति को मनः शक्ति कहा गया है. इसका विकास किसी भी क्षेत्र में उन्नति के
लिए आवश्यक ही कहा जा सकता है.
प्रस्तुत
साधना यही शक्ति अर्थात मनः शक्ति से सबंधित प्रयोग है. जिसके माध्यम से इस शक्ति
का विकास होता है. विविध रूप से इसके कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते है. आत्म
विश्वास आज के जीवन में एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण अंग है किसी भी क्षेत्र में सफलता
प्राप्त करने के लिए. प्रस्तुत प्रयोग के माध्यम से व्यक्ति के आत्म विश्वास में
वृद्धि होती है. इसके साथ ही साधक की याद शक्ति का विकास भी होता है यूँ
विद्यार्थीओ के लिए भी यह प्रयोग उत्तम है, साथ ही साथ अगर साधक की निर्णय शक्ति
में वृद्धि होती है, इन सब का विकास निश्चय ही साधक को व्यापर या कार्य क्षेत्र
आदि सभी स्थानों पर उन्नति के लिए अनिवार्य ही है. अतः इस प्रयोग को सभी व्यक्ति
कर सकते है. यह प्रयोग भगवान विष्णु के महाबला स्वरुप सबंधित प्रयोग है. महाबला स्वरुप अर्थात इष्ट
का सर्वत्र पूर्ण शक्ति स्वरुप.
इस प्रयोग
को साधक किसी भी दिन शुरू कर सकता है. यह प्रयोग दिन या रात्रि के कोई भी समय किया
जा सकता है.
यह तिन
दिन का प्रयोग है, रोज समय एक ही रहना चाहिए. साधक के वस्त्र तथा आसन पीले रंग के
हो. दिशा पूर्व हो.
साधक
स्नान आदि से निवृत हो कर अपने सामने भगवान विष्णु का कोई भी यंत्र या चित्र
स्थापित करे. पहले गुरुपूजन, गणेश पूजन करे तथा गुरु मन्त्र का जाप करे. भगवान
विष्णु के चित्र या यंत्र का भी सामान्य पूजन करे. साधक को तेल का एक दीपक अपने
सामने लगाना है. इसके बाद साधक प्रार्थना करे की मनः शक्ति के विकास के लिए यह
प्रयोग किया जा रहा है, सदगुरुदेव तथा भगवान विष्णु मुझे आशीर्वचन प्रदान करे.
इसके बाद साधक न्यास करे.
करन्यास
ह्रां अङ्गुष्ठाभ्यां नमः
ह्रीं तर्जनीभ्यां नमः
ह्रूं मध्यमाभ्यां नमः
ह्रैं अनामिकाभ्यां नमः
ह्रौं कनिष्टकाभ्यां नमः
ह्रः करतल करपृष्ठाभ्यां नमः
अङ्गन्यास
ह्रां हृदयाय नमः
ह्रीं शिरसे स्वाहा
ह्रूं शिखायै वषट्
ह्रैं कवचाय हूम
ह्रौं नेत्रत्रयाय वौषट्
ह्रः अस्त्राय फट्
इसके बाद
साधक साधक दीपक को देखते हुवे निम्न मन्त्र का जाप करे. इसमें कोई माला की
आवश्यकता नहीं है. साधक को आधे घंटे से एक घंटे तक मन्त्र का जाप करना चाहिए.
ॐ
ह्रीं लक्ष्मीपतये महाबलाय नमः
(om hreem lakshmiPataye mahaabalaay namah)
जाप पूर्ण
होने पर साधक पूर्ण श्रद्धा के साथ वंदन करे तथा सफलता प्राप्ति के लिए प्रार्थना
करे, इस प्रकार साधक को ३ दिन तक यह प्रयोग्ग करना चाहिए.
****NPRU****
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