Saturday, April 4, 2015

बजरंग साधना



                                           




जय श्रीराम,
श्री बजरंगी अष्ट सिद्धि और नौ निधियों के स्वामी कहे जाते है सब जानते है,

इन आठ योगिक शक्तियां या सिद्धियाँ अणिमा,महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशत्व, वशित्व हनुमानजी में सम्यक रूप से विद्यमान हैंइन सिद्धियों को भी हनुमानजी की साधना के माध्यम से हस्तगत किया जा सकता है, भाइयो बहनों! मै यहाँ पर साधना की बात कर रही हूँ पूजा पद्धति की नहीं, क्योंकि इन दोनों में अन्तर तो है ना | और मै सदैव आपको साधना की ओर ही धकेलने का प्रयास करुँगी क्योंकि पूजा तो सभी करते हैं किन्तु साधना के लिए बड़ी लगन हिम्मत और साथ ही पूर्ण विश्वास की आवश्यकता होती है और यही विश्वास आपके अन्दर जगाने का प्रयास है और ये सदैव रहेगा
श्री हनुमानजी तो रुद्रावतार हैं, तारसारोपनिषद के अनुसार—ॐ यो ह्व वै श्री परमात्मा नारायण: सा भगवान् मकारवाच्य: शिवस्वरूपो हनुमान भूर्भुव स्व: तस्मै वै नमो नमः |

अर्थात श्री हनुमान परब्रह्म नारायण शिव स्वरुप हैं, श्री शिव के ग्यारह रूद्र स्वरूपों में ग्यारहवें रूद्र श्री हनुमान हैं जो कि शत्रु संहारकर्ता, अति बलशाली और स्वेक्छा से कार्य करने वाले देव हैं | सबसे अहम् बात ये कि श्री बजरंग की मानस साधना, मूर्ती साधना, मान्त्रिक साधना और तांत्रिक साधना की जा सकती है |

अब कुछ विशेस नियम जो इस बार करने होंगे क्योंकि इस बार पूर्णिमा पर खग्रास चन्द्र ग्रहण है और इसमें किसी भी तरह की कोई क्रिया नहीं की जा सकती, सिर्फ संकल्प के साथ जप ही करना है और यही आपको करोणों गुना फल दे सकता है, किन्तु इसके लिए जप करना जरुरी है, हैं ना
तो स्नान करके लाल वस्त्र धारण करें और पूजन स्थान में ही एक तरफ उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएँ ,

हनुमानजनी सुनुर्वायुपुत्रो महाबल: |
रामेष्ट: फाल्गुनसख: पिंगक्षोऽमितविक्रम: ||

उदधिक्रमणश्चैव सीताशोक विनाशन: |
लक्षमणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा ||

एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन:
स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत् ||

तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत् |
राजद्वारे गव्हरे च भयं नास्ति कदाचन ||

स्नेही स्वजन !
जय सद्गुरुदेव ,
आप सभी को हनुमान जयंती की पूर्व संध्या पर शुभकामनाएँ

चूँकि ग्रहण है ३:४७ से ग्रहण काल शुरू है जो कि ६:४७ तक रहेगा, इस समय तक आपको निरंतर जप करना है, और कोई भी क्रिया नहीं करना है नीचे दिए हुए नियम अन्य दिनों की साधना हेतु दिए हुए हैं अतः इस बात का ध्यान रखें |

आप अपने कार्य अनुसार संकल्प लें--- अपना गुरुपूजन मानसिक रूप से करें और साधना में प्रवृत्त हों ---


हनुमान साधना में शुद्धता का मुख्य रूप से ध्यान रखें, प्रत्येक कार्य में शुद्धता अनिवार्य है, जो भी नैवेद्य अर्पित करें व शुद्ध व घर का बना हि होना चाहिए |

हनुमान मूर्ति का लेपन तिल के तेल में मिले हुए सिन्दूर से किया जाना चाहिए |

हनुमान जी को केवल केसर के साथ घिसा हुआ लाल चन्दन लगना चाहिए|
प्रातः पूजन में नैवेद्य में गुड, नारियल का गोला व लड्डू, मध्याह्न में गुड, घी व गेहूं की रोटी अथवा मोती रोटी तथा रात्री में आम, अमरुद या फिर केले का उपयोग नैवेद्य के रूप में करना चाहिए |

इस साधना में महत्वपूर्ण है कि घी में भीगी हुई अथवा पांच बत्तियों का ही दीपक जलना चाहिए |

हनुमान साधना में अनिवार्य है कि साधक ब्रह्मचर्य का पूर्ण रूप से पालन करे व जो नैवेद्य श्री हनुमान को अर्पित हो उसी का ग्रहण साधक को करना है |

मन्त्र जप हनुमान कि मूर्ती के नेत्रों की ओर देख कर करना है व अनिवार्य है कि मन्त्र जप उच्चारण के साथ अर्थात बोल कर, आवाज़ के साथ करना है |

श्री हनुमान का अनुष्ठान स्वकल्याण, स्वशक्ति की भावना से ही करना चाहिए | अनिष्ट की इच्छा से अनुष्ठान करना गलत है |
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श्री हनुमान सेवा, पूजा व समर्पण के प्रत्यक्ष उदाहरण हैं, अतः साधकों को सेवा द्वारा फल प्राप्ति कि इच्छा रखनी चाहिए, पूजन में पूर्ण श्रद्धा व समर्पण का भाव होना चाहिए |

तो निश्चित कीजिये कि आप इसमें से कौन सी विधि चुने और किस कार्य हेतु करना है, बिलकुल सरल विधान है

अलग-अलग कार्यों हेतु अलग-अलग मन्त्रों का विधान है, कम से कम पांच माला मंत्र जप पूर्ण शुद्ध मन से अवश्य करें |

सर्व प्रथम तो साधक एक माला बीज मन्त्र का जप करे –
हनुमान बीज मन्त्र –

|| ॐ हुं हुं हसौं हस्फ्रौं हुं हुं हनुमते नमः ||

Aim hum hum hasaum hasfraum hum hum hanumate namah



अब अपने कार्य के अनुरूप मन्त्र जप करें –


1. कार्य सिद्धि के लिए—
निम्न मन्त्र हेतु संकल्प करके निम्न मन्त्र का पूरे तीन घंटे या डेढ़-डेढ़ घंटे में दोनों साधनाओं के मन्त्र को कर सकते हैं .

ॐ नमो भगवते सर्व ग्रहान् भूतभविष्यवर्तमानान् दूरस्थ समीपस्थान् छिन्दी छिन्दी भिन्दी भिन्दी सर्व काल दुष्टबुद्धिनुच्चाटयोच्चाटय परबलान् क्षोभय क्षोभय मम सर्व कार्याणि साधय साधय | ॐ नमो हनुमते ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं फट् | देहि ॐ शिव सिद्धिं, ॐ ह्रां ॐ ह्रीं ॐ ह्रूं ॐ ह्रें ॐ ह्रौं ॐ ह्रः स्वाहा ||

Aum namo bhagavate sarv grahaan bhootbhavishyavartmaanaan doorasth sameepsthaan chindi chindi bhindi bhindi sarv kaal dushtbuddhinucchaatayocchaataya parbalaan kshobhay kshobhay mam sarv kaaryaani saadhay saadhay . aum namo hanumate aum hraam hreem hroom fat . dehi aum shiv siddhim, aim hraam aum hreem aum hroom aum hrem aum hraum aum hrah swaha



2. सर्व विघ्न निवारण हेतु--

ॐ नमो हनुमते परकृतयंत्रमन्त्रपराहंकारभूतप्रेत पिशाच परदृष्टिसर्वविघ्नमार्जनहेतु विद्यासर्वोग्रभयान् निवारय निवारय वध वध लुंण्ठ पच पच विलुंच विलुंच किलि किलि किलि सर्वयकुञ्त्राणि दुष्टवाचं ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रूं फट् स्वाहा |

Aum namo hanumate parkritayantramantraparaahamakaarbhootpret pishaach pardrishtisarvavighnamaarjanahetu vidyaasarvograbhayaan nivaaray nivaaray vadh vadh lunth pach pach vilunch vilunch kili kili sarvaykuntraani dushtavaacham aum hreem hreem hroom fat swaha .


आप सब इस समय का सदुपयोग करें और अपने जीवन को निष्कंटक बनाएं इसी शुभकामना के साथ |

रजनी निखिल

***NPRU***

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