सर्व मंगल-मांगल्यै, शिवे
सर्वार्थ साधिके |
शरण्यै त्रयम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते ||
चैत्र नवरात्री की बड़ी महत्ता है चैत्र शुक्ल
पक्ष से प्रारम्भ होने वाली इस नव रात्रि का प्रथम इस दिन से नए वर्ष की शुरुआत
होती है, द्वितीय- संवत्सर का प्रारम्भ भी
इसी तिथि से होता है, तृतीय- यह नवरात्री सकाम्य नवरात्री कहलती है | अर्थात समस्त
प्रकार की कामनाओं को पूर्ण करने वाले शुभ दिवस हैं ये |
नवरात्री
पूजन , या साधना के अनेक विधान हैं जो जिस भी तरीके से माँ को मना सकता है, मनाता
है | किन्तु इस बार हम इस नवरात्र विशेस साधना करेंगे , इन नौ दिनों में भगवती के
तीन विविध मन्त्र की साधना, जो प्रत्येक व्यक्ति को जीवन मे एक उच्च आयाम तक
पहुंचा सकती है, यदि वह सच में पूर्ण मन कर्म और वचन यानी संकल्प के साथ संपन्न कर
लेता है तो निश्चित ही प्रत्येक क्षेत्र में सफल होगा ही ये अकाट्य सत्य है और
मेरा अनुभूत भी |
दुर्गा सप्तसती एक तांत्रिक ग्रन्थ है ये तो
सभी जानते हैं किन्तु प्रयोग विधान कम ही लोग कर पाते हैं और जो कर लेते हैं तो
उनके लिए कुछ भी कठिन नहीं | दुर्गा सप्तसती में माँ आद्याशक्ति के भिन्न रूपों की
साधना है ये,
१- प्रबल-आकर्षण हेतु महामाया
प्रयोग—जो की प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए ही ताकि वह
अपने कार्यों में सामाजिक जीवन हो या अध्यात्मिक जीवन व्यक्ति के व्यक्तित्व में
आकर्षण होगा तो सफलता मिलना निश्चित हि है और इस प्रयोग को नवरात्रि के पहले तीन
दिवस करना है |
२- आत्म विश्वास हेतु महा
सरस्वती प्रयोग- आकर्षण तो है किन्तु अपनी बात कहने या कार्य
करने में आत्म विश्वास नहीं तो क्या लाभ, अतः उसका दूसरा सोपान आत्मशक्ति जागरण का
है , अतः मध्य के तीन दिवस इस प्रयोग को करना होगा |
३- धनधान्य पुत्र पौत्र सुख सौभाग्य
हेतु श्री दुर्गा प्रयोग- अब अपने प्रबल आकर्षण और
आत्मविश्वास से आप अपना व्यापार या सुख सम्रद्धि पा भी लेते हो किन्तु उसे भोगने
हेतु परिवार नहीं पुत्र-पौत्र नहीं तो भी कोई लाभ नहीं अतः इस हेतु अंतिम तीन दिवस
इस प्रयोग को करना से पूर्णता प्राप्त होती ही है |
विधि व सामग्री-
वैसे तो इन दिनों सभी के पास सभी पूजा
सामग्री प्राप्य होती है किन्तु फिर भी माँ अम्बे का एक सुन्दर चित्र, पीले आसन
पीले वस्त्र प्रथम तीन दिवस, मध्य के तीन दिनों में, श्वेत वस्त्र और आसन, अंतिम
तीन दिवस में लाल वस्त्र और लाल आसन, दिशा पूर्व या उत्तर दिशा चेंज नहीं करनी है
बस मन्त्र और प्रयोगानुसार वस्त्र और आसन हि बदलने हैं, घी का दीपक जो नौ दिन अखंड
जलेगा, कलशा की स्थापना और नव गृह की स्थापना अनिवार्य है, दाहिने ओर गणेश, और
बायें ओर भैरव स्थापना करना है | प्रतिदिन प्रातः माँ का पूजन अबीर गुलाल कुमकुम चन्दन
पुष्प धुप दीप और नेवैद्ध से करना है नेवैद्ध में खीर या हलुवे का भोग , यदि संभव
हो सके तो प्रति दिन एक कन्या का पूजन कर भोजन
करवाएं या दसवे दिन तीन पांच या नौ कन्याओं को एक साथ |
चूँकि ये साधना रात्रि कालीन है अतः दसवें दिन ही हवन और पूर्णाहुति सभव
है, दूसरी बात प्रत्येक तीन के बाद चतुर्थ दिन प्रातः उस प्रयोग के मंत्रो का हवन
करना है फिर रात से दूसरा प्रयोग शुरू होगा |
पूर्ण नियम संयम ब्रह्मचर्य, भूमि सयन, प्रति
दिन प्रातः के पूजन में यदि कवच, अर्गला और रात्रिसूक्त का पाठ और कुंजिका स्त्रोत
किया जाए तो अति उत्तम |
प्रबक आकर्षण हेतु महामाया प्रयोग—
पीले वस्त्र पीला आसन, जप संख्या-पांच माला
हल्दी माला से | हवन हेतु १५० बार |
ध्यान मन्त्र –
ॐ खड्गंचक्रगदेषुचापपरिद्याञ्छूलं
भुशुण्डीं शिरः,
शङखं संदधतिं करैस्त्रिनयनां
सर्वाङगभूषावृताम |
नीलाश्मद्युतिमास्यपाददशकां
सेवे महाकालिकां,
यामस्तौत्स्वपिते हरौ कमलो
हन्तु मधुं कैटभं ||
Aum khadgamchakrgadeshuchaapparidyaanchulam bhushundi shirah,
Shankham sandadhatim karaistrinayanaa sarvaangbhooshaavritaam |
Neelaashmdyutimaasypaadadashakaam seve mahaakaalikaam,
Yaamastoutsvapite harou kamalo hantu madhum kaitabham ||
मन्त्र—
ॐ महामाया हरेश्चैषा तया
संमोह्यते जगत्,
ग्यानिनामपि चेतांसि देवि
भगवती हि सा |
बलादाकृष्य मोहाय महामाया
प्रयच्छति ||
Aum mahaamaayaa hareshchaishaa tayaa samohyate jagat,
Gyaaninaamapi chetaansi devi bhagavati hi saa
|
Balaadaakrishy mohaay mahaamaayaa prayacchati ||
२- आत्मविश्वास हेतु महा सरस्वती प्रयोग-
सफ़ेद वस्त्र सफ़ेद आसन, जप संख्या पांच माला,
स्फटिक माला से | हवन हेतु १५० मन्त्र जप से |
ध्यान मन्त्र—
ॐ घंटाशूलहलानि शंख्मुसले
चक्रम धनुः सायकं,
हस्ताब्जैर्दधतीं
घनान्तविलसच्छीतांशुतुल्यप्रभाम् |
गौरीदेहसमुद्धवामं त्रिजगतामाधारभूतां
महापूर्वामत्र
सरस्वतीमनुभजे
शुंभादिदैत्यार्दिनीम् ||
Aum ghantaashoolhalaani shankhmusale chakram dhanuh saayakam,
Hastaabjairdadhateem ghanaantvilasachcheetaanshutulyprabhaam
|
Gauridehsamuddhavaamam trijagataamaadhaarabootaam
mahaapoorvaamatra
Saraswatuimanubhaje shumbhaadidaityaardineem
||
मन्त्र—
यो मां जयति संग्रामे, यो मे
दर्पं व्यपोहति |
यो मे प्रतिबलो लोके स मे भर्ता
भविष्यता ||
Yo maam jayati sangraame,
yo me darpam vypohati |
Yo me pratibalo loke sa me bhartaa bhavishytaa ||
३-धन धन्य एवं पुत्र-पौत्र हेतु श्री दुर्गा
प्रयोग-
लाल आसन, लाल वस्त्र, जप संख्या पांच माला
मूंगा माला से | हवन हेतु १५० मन्त्र से—
ध्यान-
ॐ विद्युत्दामसमप्रभामं
मृगपतिस्कंधस्थितां भीषणां,
कन्याभिः
करवालखेटविलासद्धस्ताभीरासेवितां |
हस्तैश्चक्रगदासिखेटविशिखांश्चापं
गुणं तर्जनीं,
बिभ्राणा-मनलात्मिकां
शशिधरां दुर्गां त्रिनेत्रां भजे ||
Aum vidyutdaamasamaprabhaam mrigapatiskandhsthitaam bheeshanaam,
Kanyaabhih karavaalakhetvilaasaddhastaabheeraasevitaam
|
Hastaishchakragadaasikhetvishikhaamshchaapam gunam tarjaneem,
Bibhraanaa-manalaatmikaam shashidharaam durgaam trinetraam bhaje ||
मन्त्र-
सर्वाबाधाविनिर्मुक्तो
धनधान्यसुतान्वितः |
मनुष्यो मत्प्रसादेन
भविष्यति न संशयः ||
Sarvaabaadhaavinirmukto dhandhaanysutaanvitah |
Manushyo matprasaaden bhavishyati na sanshayah
इस तरह इस साधना की पूर्णाहुति होती है किन्तु
इन तीनों मन्त्रों को एक माह तक याने ३० दिनों तक निराब्तर ११ या २१ बार करें |
स्नेही स्वजन !
साधना
से जीवन पथ आसान होता है और व्यक्तित्व मुखर होता है व उच्चता प्राप्त होती है अतः
साधक बनें व अध्यात्म की उचाईयों तक पहुंचे यही सदगुरुदेव से आप सब के लिए निवेदन
है|
निखिल प्रणाम
रजनी निखिल
***NPRU***
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