मानव जीवन मे कितने ही जीवन मूल्यों का क्षय लगातार होता रहता हैं और हर काल में ऐसा होता आया हैं और यह बिलकुल भी आश्चर्य जनक नहीं हैं, कभी चरित्र का महत्त्व हैं तो कभी घन का , कभी यह कहा जाता की प्राण जाये पर वचन न जाये तो कभी , व्यक्क्ति अपनी आन के लिए मर मिटने के लिए तैयार हो जाता था, ऐसे कितने न उदाहरणों से इतिहास भरा पड़ा हैं ..
चाहे आप महाराणा प्रताप का उदाहरण ही ले ले , केबल थोडा सा अपना सम्मान कम कर देते तो .. कितना ना आराम मिलता पर वह नहीं माने ,, आप राणा सांगा को ले ले जिन्होंने शरीर पर ६० घाव के बाद भी सर नहीं झुकाया .
वहीँ गुरु गोविंद सिंह जी के पुत्रो का बलिदान तो क्या कहे कितना न महा पुरुषों ने अपने खून से हमारी इस विविधता से भरी सनातन परंपरा को सीचा .कैसे कैसे उदाहारण भरे पड़े हैं कि हमारा सर स्वतः ही नत मस्तक हो जाता हैं जिन्होंने हर हाल में मानव मूल्यों की रक्षा की और हमारे सामने अपने जीवन को एक उदाहरण के रूप में रखा ,,
पर आज के हमारे समाज की यह स्थिति हैं कि यहाँ जीवन बचाना ही सबसे बड़ा लक्ष्य रह गया हैं "येन केन प्रकारेण" अपना स्वार्थ बस सिद्ध हो जाये ,, बस ..
पर हम सभी यह मानते तो हैं कि कुछ रिश्तो की पवित्रता पर भी ध्यान रखा जाये और यथा संभव उस की गरिमा की भी ..
जहाँ तक हो सके ,,क्योंकि यदि हम सारा भा र इन रिश्तो को मानने का केबल और केबल एक ही पक्ष पर ही रख देगे तो गलत हैं...
वैवाहिक जीवन में जीवन साथी का महत्त्व तो कम नहीं हैं ...
पर अब यह रिश्ता भी अपनी गरिमा खो रहा हैं . आधुनिकता की भेट चढ़ रहा हैं .
अनेक शास्त्र कारो ने जी भर भर करके "नारी" को ही समस्त चीजो के लिए दोषी ठहराया हैं ,कोई ने उसे पाप की गठरी कहा तो कोई ने कुछ पर सब यह लिखते हुए भूल गये की उसी ने अपने रक्त से उन्हें सीचा , अपन मांस खून प्रदान किया तभी जन्म ले पाए , उसने यदि उन्हें बोलना या पढना ना सिखाया होता तो आज वे इस ,,,,
सदगुरुदेव जी ने भी इस बात के लिए उस कतिपय शास्त्रकारो की बहुत आलोचना की हैं. .
किसी कालमे यह कहा गया था की
" स्त्री चरित्र पुरुष भाग्यम देवो न जानती कुतो मनुष्या "
शायद आज की परिथितियाँ देखते तो उन सब को मजबूर हो कर लिख ना ही पड़ जाता
की
"पुरुषस्य चरित्र देवो ना जानति कुतो मनुष्या "
सच्चाई शायद कडवी हो पर आप सभी जानते हैं ही
पर हमारी भारतीय बहिनों के लिए अभी भी इस सम्बन्ध बहुत सम्मान तो हैं ही पर एक तरफा स्नेह का क्या कोई अर्थ हैं ?
पर रोज़ रोज़ घर मे चल रही लडाई झगड़े के कारण जब जीवन नरक समान हो रहा हो तो यह एक छोटा सा प्रयोग जो आपके जीवन में कुछ तो मधुरता ले आएगा "
क्योंकि जीवन कि सारी और समस्त स्थिति का निराकरण बस एक छोटे से प्रयोग से संभव नहीं हैं ,
फिर भी ,,आपके लिए यह लाभदायक ही होगा .
केबल किसी भी शुभ दिन इस मंत्र की १० माला मन्त्र जप करें और साधारण साधनात्मक नियम का पालन करे दिन रात /माला .आसन /वस्त्र के लिए कोई नियम नहीं हैं ..
मंत्र : ॐ नमो महा यक्षिण्यै मम पति में वश्यं कुरु कुरु स्वाहा |
फिर इस मंत्र से ११ बार अभिमंत्रित करके इलायिची या जो भी खाद्य पदार्थ हो आप अपने जीवनसाथी खिला दे धीरे धीरे आपने जीवन में अनुकूलता आएगी ही
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Now a days The value of some basic rules are continuously decreasing in human life, and this phenomena is/was true in all era. And there is the way of life,, sometimes character has the life,, sometimes finance has the value , sometimes speaking word has more value than the life of the person, and people are/were ready to offer his life over his respect, how many such an examples are the part of our history .
You can take example from the life of maharana pratap , if he was ready to sacrifice some of his respect than he could easily enjoy the many blessing of life, , but he did not, take rana sanga’s life in spite of 60 severe wounds on his body he was not ready to accept defeat .
And the great sacrifice of the sons of guru govind singh ji ,,, how many great person offered their life only for the cause that some basic values still remains , and we can have some insight that who we are and are part of great culture and .just to read their works and their life its very natural that we will pay great respect to them.
But in modern way of life , how to save the life a great question .. and every body doing whatever he can do to have his work done. at any cost
This we all believe that the purity and respect of some of the relation should be maintained.
But to maintain all theses thing if we place whole burden on one side only than it would not be justice.
In married life the importance of your partner cannot underestimated.
But this relation are now the fire of modern way of life.
And many shstrkaar blindly blame nari (woman) for every bad work , some say s she is the basic root of all evil ,,,like that so many baseless things but all those forget that she is the one who gave birth to them, and she is the responsible of giving blood and flesh to them. And taking care and gave speaking ability of them is a also a gift of her ,if she would not do that than…
Sadgurudev ji also many times highly criticized such shastrkaar.
In any era this has been written that
“ the character of woman and fortune of man even dev not knows than how can person know.
But if they were here seeing the modern life than surely they would have written
“The character of a man even dev can not know than how can any person.”
Though word are little bit hard but the reality we all know, already.
When there are many disputes among partner than this small prayog Is not claiming that it will solve all the problem but surely can give you some relief , since all the bad and worst situation solving is beyond the capacity of this small prayog.
Even though this will help you .
In any auspicious day do jap of 10 round of rosary (mala) of this mantra, and there is no other restriction of rosary type/ time/ aasan/cloths colour etc.
Mantra : om namo maha yakshinyai mam pati me vashyam kuru kuru swaha ||
And after that take any ilaychi and do abhimantrikaran with 11 times reciting of this mantra and any means give your partner and slowly slowly you will have relief in some problem in your domestic life.
****NPRU****
2 comments:
''sorting sadhanas into different categories is a quality move....Hat's off baby.....''
arif bhaiya, is mantra me "pati" ke sthan par "patni" kar du to chalega. ?
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