"वशीकरण एक मंत्र हैं तज दे वचन कठोर
", पर मीठी बोलने वाले को या
तो चापलूस कहा जा ता हैं या फिर कमजोरी की संज्ञा दी जाने लगी हैं , तो अब क्या किया
जाये , यह सत्य हैं पौरुषता और जीवन पर व्यक्ति का दृढ़ नियंत्रण होना ही चाहिए ,
पर मधुर वाणी का अपना ही
सौन्दर्य हैं ही , पर कभी कभी परिस्थिति ऐसी निर्मित
हो जा ती हैं की आपके सभी तीर निशाने पर
नहीं लग रहे हो , तब आप क्या करेंगे
कितना
समझाए , कितना मनाये , पर जब
आपका कोई प्रिय आपकी बात समझने को तैयार ही न
हो रहा हो ,और ठीक ऐसा ही
ही तब जब हमारा कोई सहयोगी हमारी कार्यों में अपेक्षित सहयोग न दे रहा हो , तब
क्या करें . जहाँ साम दाम दंड भेद सभी विफल होते
दिख रहे हो , तब जीवन की ,
अपने परिवार की , अपनी खुशियों की सुरक्षा
करने के लिए यदि आप इन प्रयोगों का सहारा
ले ते हैं तो यह किसीभी दृष्टी से अनुचित नहीं होगा , हम
किसी की ख़ुशी छीन तो नहीं रहे हैं न
सदगुरुदेव कहते हैं इन प्रयोंगो की एक अपनी ही सत्ता हैं एक अपना ही संसार हैं और उन्हें हेय दृष्टी से नहीं देखना
चाहिए , यदि हम किसी की बेबसी और कमजोरो का
फायदा यदि इन प्रयोगों के माध्यम से नहीं उठा रहे हैं तो ,
यदि अपने जीवन को अनुकूल बना रहे हो तो ..
सदगुरुदेव
ने अनेको प्रयोग इस सन्दर्भ में दिए हैं ही आप मंत्र तंत्र
यन्त्र विज्ञानं के अनेको अंक में देख सकते हैं ,
किसी
भी प्रयोग को करते समय आपकी मनोभाव कैसी हैं
उस पर ही तो टिका हैं साधना का सौन्दर्य , और हम सभी सदगुरुदेव के आत्मंश हैं
तो भला हम कभी कैसे ,सामाजिक मर्यादा , के अनुचित कोई काम करेंगे , सदगुरुदेव भगवान्
ने हमें हमेशा एक सुसंश्कारित ,सभ्य , योग्य और स्नेह भरे साधक बनने
को कहाँ हैं ,न की अपने घमंड में
डूबे हुए गलिया दे दे कर बात करने वाले ,
पर हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए
की उन्होंने सर्वाधिक किसी व्यक्ति का उदाहरण
दिया हैं तो वह भगवान् श्री कृष्ण का ही , वह इसलिए की एक सीमा के बाद .. फिर ...
हमसभी
के लिए तो हमारे पिता (सदगुरुदेव )का जीवन से ज्यादा और क्या मार्ग दर्शन दे सकता हैं . उनके जीवन का एक एक पन्ना ,
एक एक अक्षर , एक एक पल हमारे लिए
तो ही था न ..उनका पवित्र जीवन स्वयं ही हम बच्चो के जीवन की
दिशा को मार्ग दिखाते रहेगा , इसी भावना
को सामने रख कर यह अत्यधिक सरल प्रयोग आप सभी
भाईबहिनों के लिए ..
ॐ ग्लौं रक्त गणपतये नमः
साधनात्मक
नियम :
· आपकी दिशा :उत्तर/पूर्व होनी चाहिए .
· यह प्रयोग आप , चूँकि यह भगवान् गणेश से
सम्बंधित हैं अतः बुध वार से प्रारंभ किया
जा सकता हैं .
· आसन और वस्त्र लाल रंग के होना चाहिए
· .इस मंत्र का मूंगा की माला से होना चाहिए .
· आपको प्रतिदिन १० माला मंत्र जप १० दिन करने चाहिए ,
इस
प्रयोग को सफलता पूर्वक करने के बाद जब ज़रूर पड़े तब इच्छित व्यक्ति की तस्वीर सामने रखते हुए १० माला का इस मंत्र से जाप करने पर व्यक्ति मनोकुल हो जाता है
आज
के लिए बस इतना ही
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“vashikaran
ek mantra hain taj de bachan kathor “ roughly meaning is
that ,if you are a soft and polite spoken so
definitely people attracts
towards you, so secret
of vashikaran is that avoid harsh
and rough word to anyone.,
but the person who speak very softly
sweetly often consider weak. Or this is consider as a
sign of his/her weakness. It’s true that person should speak
forcefully but sweet spoken style has
a own beauty . but sometimes such a scene or circumstances created
that all your effort fails or not producing the result.
Than what you will do.
How many times or how much ,you
can give explanation to your near and dear one but when
he/she refused to listen. And that also
applicable to your colleague , in work
place ,when he is not willing to help you. Than
what to do?? .where nothing seems to work, then to protect your
family, your life ‘s happiness , if you go for such a
prayog than nothing wrong in it . we are not
snatching happiness from any other.
Sadgurudev used to say
that theses prayog has their own
value , a
unique world and should not consider
that with low respect. If we are not taking undue
advantage of any one’s problem
and circumstances , we are just making our
life little easier than..
Sadgurudev has given so many prayog
in this relation in the magazine
mantra tantra yantra vigyan. You can see your self.
While attempting
any prayog, what is your
feeling and
will and mindset is the basic
foundation on that depends the beauty of sadhana, and if we are the soul
part of Sadgurudev ji than how can, we
ever do any work .that is not as
per common society rules, Sadgurudev Bhagvaan always
advised us to be a sadhak who well cultured,
polite , and filled with sneh/love, so he never advocated
that we should be like those sadhak who used to abuse any
body and totally immersed in their own ego.
But this also be remember that the one
person about whom, he give many example
is Bhagvaan shri Krishna , that is only ,,since up to a
point everything is fine and ok , if any one crosses the
limit than…
For all of us what more be
valuable, what will be more guiding
star compare to our common father life (Sadgurudev). each moment
,each minute, second , and each page of his divine life is only and
only for us. his such a pure divine life
itself a guide light for all of his
children like us, keeping this feeling this
simple prayog for all of you.
Om gloum rakt ganpatye namah
General rules:
· Direction
should be north east facing.
· As
this prayog is related to Bhagvaan
ganesh than start with any Wednesday.
· Clothes
and aasan should be of red color.
· Each
day you have to chant 10 round of rosary (10 mala)per
day for 10 days.
· Mantra
jap should be done by red colored munga mala.
When this prayog successfully
completed than place any desired person’s
photograph in front of you and do only 10 round of rosary
, than he will be more cooperative to you.
This is enough for today
****NPRU****
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