पारद प्राणशक्ति को तीव्रता के साथ आकर्षित कर लेता है ,और इसकी चंचल प्रकृति को जब मंत्रो,वनस्पतियों और
रत्नों तथा धातुओं के योग से बढ किया जाता है तब ये बढ स्वरुप में आपके किसी भी
अभीष्ट को पूर्ण करने की क्षमता रखता है. यक्षिणी साधना के लिए निश्चित यक्षिणी सायुज्य
गुटिका एक अनिवार्य सामग्री है .ये गुटिका जिस किसी के भी पास होती है,यक्ष लोक से उसका संपर्क सरल हो जाता है.यदि साधक इसको सामने रख कर साधना
करता है तो निश्चय ही उसे सफलता प्राप्त होती ही है.अभी तक इस गुटिका की निर्माण
विधि को अत्यंत ही गुप्त रखा गया था परन्तु सदगुरुदेव ने अपने शिष्यों को हमेशा ही
ज्ञान रुपी मशाल हाथ में थमाई है,अज्ञान के,भ्रम के अन्धकार को दूर करने के लिए. आज इन पन्नों पर मैं आपको वही कलेजे
का टुकड़ा निकाल कर दे रहा हूँ ताकि मेरे गुरु भाई बहन उस सफलता को प्राप्त कर सके
जो की उनका साधना के क्षेत्र में स्वप्न रही है.
१५ ग्राम अष्ट संस्कारित पारद लेकर उसमे १ रत्ती हीरक भस्म,२ ग्राम स्वर्ण का चूर्ण,३ ग्राम रजत चूर्ण दाल कर
शिवलिंगी और पान के रस से खरल करे ,ये खरल की क्रिया अपने
आसन पर बैठ कर की जानी चाहिए,खरल करने के साथ साथ रसायन
सिद्धि मंत्र का भी जप किया जाना है.
ओम नमो नमो हरिहराय रसायन सिद्धिं कुरु कुरु स्वाहा
ऐसा ८ घंटे तक करने के बाद उस खरल पात्र में सेंधा नमक और गरम पानी
डालकर खरल करे जिससे पानी काला होता जायेगा.तब उस पानी को बहार फेक दे ,ध्यान रखना कही पारद बाहर न गिर जाये और ये नमक मिश्रित पानी डालकर तब तक
खरल करे जब तक पानी काला आता रहे जब,पानी साफ़ आने लग जाये तब
उस पारद को, जो की पिष्टी रूप में हो गया होगा को निकाल कर
सूती कपडे से छान ले,कपडे में ठोस पारद बचा होगा जिसे निकाल
कर गोली बना ले और ३ दिन के लिए शिवलिंगी के रस में रख दे ,जिससे
वो कठोर हो जाये. तत्पश्चात इस गुटिका को शुक्रवार के दिन प्रातःकाल में श्वेत
वस्त्र पर स्थापित कर ले और स्वयं भी श्वेत वस्त्र धारण कर पहले गुरु पूजन ,गणपति पूजन और दीपक पूजन करे, तथा गुरु मंत्र की २१
माला जप करे ,उस गुटिका के सामने घृत का दीपक स्थापित होना
चाहिए.
सबसे पहले गुटिका का पंचोपचार से पूजन करे तत्पश्चात यक्षिणी का
आवाहन निम्न मंत्र और मुद्रा से उस गुटिका में करे,याद रखिये की जिस यक्षिणी का आप आवाहन कर रहे हो अमुक की जगह उसी का नाम
लेना है –
ओम आं क्रौं ह्रीं नमः अस्तु भगवति अमुकं यक्षिणी एहि एहि संवोषट
इसके बाद यक्षिणी को उस गुटिका में आसन प्रदान
करे,ये क्रिया अनामिका के द्वारा गुटिका को स्पर्श करते हुए
करे ,इस मंत्र का ११ बार उच्चारण करना है.
ओम आं क्रौं ह्रीं नमः अस्तु भगवति अमुकं यक्षिणी तिष्ट ठ: ठ:
इसके बाद निम्न मंत्र का २१ बार उच्चारण करते हुए अक्षत को उस
गुटिका पर डाले.
ओम आं क्रौं ह्रीं नमः अस्तु भगवति अमुकं यक्षिणी मम सन्निहिता भव भव
वषट्
फिर निम्न मंत्र का उचाचरण करते हुए पंचोपचार से उस गुटिका का पूजन
करे.
ओम आं क्रौं ह्रीं नमः अस्तु भगवति अमुकं यक्षिणी जल अक्षत
पुष्पादिकान् गृण्ह गृण्ह नमः
इसके बाद निम्न
मन्त्र की २१ माला मंत्र जप यक्षिणी माला से करें, ये सम्पूर्ण क्रिया ३ दिनों तक करनी है.
ओम ह्रीं श्रीं क्लीं ब्लूम् ऐं श्रीं पद्मावती देव्यै अत्र अवतर अवतर
तिष्ठ तिष्ठ सर्व जीवानां रक्ष रक्ष हूं फट् स्वाहा
इसके बाद विसर्जनी मुद्रा से निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए
यक्षिणी का विसर्जन करे.
ओम आं क्रौं ह्रीं नमः अस्तु भगवति अमुकं यक्षिणी स्वस्थानं गच्छ गच्छ
ज:ज:
इस क्रम को पूर्ण
करने पर एक तेजस्विता सी उस गुटिका में दृष्टिगोचर होती है और वो थोड़ी गर्म भी
लगती है.इसका अर्थ ये है की अब उसमे यक्षिणी की प्रनाश्चेतना का सयुज्ज्यी करण हो
गया है. इस गुटिका पर इसी पद्धति से किसी भी यक्षिणी की साधना की जा सकती है और
यदि मात्र ये घर में भी रहे और नित्य इसके सामने पूजन हो तब भी ये आर्थिक अनुकूलता
देती है और भविष्य की दुर्घटनाओं से बचाती है.
रजत कल्प –दो तोला श्वेत सोमल लेकर उस पर त्रिवर्णात्मक मंत्र
का जप १००८ बार करे और ठीक इसी प्रकार काली गाय के दूध पर भी इतनी बार ही मंत्र का
जप करे,बाद में दौला यन्त्र से इस सोमल को उस दूध में पचित
करे.जब दूध समाप्त हो जाये तो,सोमल को निक्कल कर गंगा जल से
धकर उसके सामने ११००० बार मंत्र जप करें. फिर १० ग्राम ताम्बे को अग्नि में गला कर
उसमे इस सोमल की २ रत्ती मात्र को मोम में लपेट कर दाल दे और चर्ख दे.सारा ताम्बा चांदी में परिवर्तित हो जायेगा.ये क्रिया श्री
कालीदत्त शर्मा जी की है,जो अनुभूत की हुयी है.
Mercury attracts the Pranashakti
very soon and when its trembling nature is controlled via Mantra, Herbs and
Stones and metals all togetherly when empower mercury then this parad becomes
the ultimate source for u to accomplish ur wishes. For Yakshini sadhna the
Nishchit Yakshini Sayujya Gutika is cumpulsory. Whomsoever will possess this
gutika would definitely achieve the success. Till now the procedure of making
this gutika has been kept very secretful. But Sadgurudev always given a torch
in form of knowledge in their hands to remove the darkness and illusions from
our lives. Today on these pages I m giving that beloved part of my heart so
that my co guru brothers and sisters can achieve those steps of success which
just a dream of them. Take 15 gms Ashta Sanskarit Parad, 1 ratti HIrak bhasma,
2 gms gold powder, 3 gms silver powder on shivlingi and grind it in pan juice,
now take this grinded mixture(hey hey it should be done on asan only) and while
grinding just chant the Rasayan Siddhi Mantra also.
OM NAMO NAMO HARIHARAAYA RASAAYANAY
SIDDHIM KURU KURU SWAAHAA.
Do it continuously for 8 hours..after that put some white rock
salt and warm water and again grind it so that the color becomes black. Then
take out that black water and throw it.Be careful the mercury should not go
away while throwing water.now now put this roch salt water and grind it again
till the moment th balck water comes out. When the clean water comes out and becomes
fine then take cotton thin cloth and filter it. The remaining alchemy in the
cloth is solid mercury. And make a tablet of it. And then keep it in shivlingi
juice for 3 days. So that it will become more solid and dense. Then after on
Friday morning take this gutika establish it on white cloth in worship area. U
also wear a white clothes.Then start Guru pujan, Ganapati Pujan, Lamp Pujan
then Guru mantra 21 malas, then enlight the lamp infront of that gutika. First
of all the panchopchar pujan must be done. Then call Yakshini via following
mantra and mudra on this gutika. Be careful whichever yakshini u are calling
should pronounce her name instead of ‘amuk’…okkk-
OM AAM KROUM HREEM NAMAH ASTU BHAGWATI
AMUKAM YAKSHINI EHI EHI SANVOSHAT
Then after offer the asan in gutika
to tha yakshini, this should be done by ring finger via touching the gutika,
and chant mantra for 11 times.
OM AAM KROUM HREEM NAMAH ASTU BHAGWATI
AMUKAM YAKSHINI TISHTH THAH THAH.
Then after chant above mantra for 21
times and offer akshat(rice) on gutika.
OM AAM KROUM HREEM NAMAH ASTU BHAGWATI
AMIKAM YAKSHINI MAM SANNIHITAA BHAV BHAV VASHAT
Then after while chanting this above
mantra do the panchopchar on gutika and do the worship.
OM AAM KROUM HREEM NAMAH ASTU BHAGWATI
AMUKAM YAKSHINI JAL AKSHAT PUSHPADIKAAN GRUNH GRUNH NAMAH
Then after from above mantra chant
for 21 malas by yakshini mala, this whole procedure should be done for 3
consecutive days.
OM HREEM SHREEM KLEEM BLUM EM SHREEM
PADMAVATI DEVYE ATRA AVATAR AVATAR TISHTH TISHTH SARVA JEEVANAM RAKSHA RAKSHA
HUM FAT SWAAHAA.
Then after in Visarjani Mudra chant
this mantra and devote the yakshini.
OM AAM KROUM HREEM NAMAH ASTU BHAGWATI
AMUKAM YAKSHINI SWASTHANAM GACH GACH JAH JAH.
Now after completing the series the
gutika becomes glowy and it is reflects. And some what hot also.it also
means that the pranashchetna of yakshini is established. Well on this gutik
with same procedure many more yakshini sadhna can be performed. And if at all
she just stay at home and daily worship rituals happenes then also financial
condition would be always remain favourable and protects u from future
accidents aslo.
Rajat kalpa
Take 2 tola or 10 gms swet somal and on it chant Trivarnatmak mantra for
1008 times and exactly in same was on black cow milk also. Then by Daula Yantra
make somal drink such black cow milk. when milk gets over then take out somal
from it and wash it from Ganga Jal.Then chant for 11000 times the mantra. Then
melt the 10 gms copper in fire and take 2 ratti of somal and wrap up it in wax
and rotate it with ful speed. The whole copper would be converted into silver.
This process is given by Shree Kalidutt Sharmaji which have experienced
personally..
****NPRU****
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