पूर्ण कल्याण प्राप्ति – मृत्युंजय प्रयोग.
जटाजूट
सर्प तथा भस्म से लिप्त सदाशिव का रूप अपने आप में अन्यतम है. संहार क्रम के मुख्य
देव होने पर भी वह सर्जन और पालन पर अपना पूर्ण अधिकार रखते है. अपने कल्याणमय
स्वभाव के लिए वह भक्तो के ह्रदय पर हमेशा विराजमान रहते है. शिव की साधना और
उपासना की जितनी पद्धतिया है उतनी सायद ही किसी देवी देवता से सबंधित हो. निर्मोही
और निर्लिप्त वह सर्व प्रपंच से दूर समाधि रत रहते है लेकिन उनके साधक के कष्टों
की निवृति के लिए वह हमेशा तत्पर रहते है. उनके अत्यधिक निश्चल और भोले स्वभाव के
लिए ही उन्हें भोलेनाथ कहा गया है व्यक्ति भाव से अगर उनको कुछ भी समर्पित करता है
तो उन्हें तुरंत स्वीकार कर व्यक्ति का कल्याण करते है. कला का क्षेत्र हो या
ब्रम्हांडीय रहस्यों का ज्ञान वह सर्व क्षेत्र में उच्चतम है. आदि शिव ब्रम्ह का
पूर्ण पुरुष तत्व है और शक्ति के साथ वह नित्य लिलारत रह कर इस संसार को हमेशा
गतिशील रखते है. भगवान शिव के विभ्भिन्न रूप अपने साधको के मध्य प्रचलित है तथा हर
एक रूप अपने आप में अन्यतम है तथा पूर्णता प्रदान करने में समर्थ है. भैरव,
पाशुपत, मृत्युंजय, अघोरेश्वर, आदिनाथ, सदाशिव, नित्यशिव जेसे उनके कई रूप की
साधना सदियों से होती आई है तथा विश्वामित्र, दधिची, मार्कंडेय, लंकेश, नागार्जुन,
नित्यानाथ, अभिनवगुप्त जेसे उच्चतम सिद्धो ने भी भगवान शिव की साधना कर पूर्णता को
प्राप्त किया.
शैव
सम्प्रदाय की साधना तथा साधना पद्धतियों में कई प्रकार के भेद है तथा सभी अलग अलग
पद्धतियों में भगवान शिव की साधना होती आई है. जेसे की अघोरमार्ग, कापालिक,
कालमुख, पाशुपत इत्यादी. और इन सभी सम्प्रदाय में उच्च से उच्च कोटि की साधना को
सम्प्पन किया जाता था. आज भले ही ये साधनाए लुप्त हो गई हो लेकिन फिर भी गुरुमुखी
प्रणाली से यह साधनाए आज भी गुप्त रूप से गतिशील रहती है. ऐसे ही कई प्रकार के लघु
प्रयोग भी गुरु मुखी प्रणाली से शिष्यों को प्राप्त होते है जो की दिखने में बहोत
ही सामान्य दिखाई दे लेकिन जब इन प्रयोगों को किया जाए तो व्यक्ति निश्चित रूप से
कई प्रकार के लाभ को प्राप्त कर सकता है.
प्रस्तुत
प्रयोग भी इसी क्रम में एक प्रयोग है जो की साधक के जीवन को बदलने का सामर्थ्य
रखता है. इस प्रयोग को करने पर साधक को कई प्रकार के लाभ होते है.
साधक के जीवन
में यश तथा मानसन्मान की वृद्धि होती है तथा समाज में उसका स्थान ऊपर उठता है.
साधक के
शत्रुओ का स्थाम्भन होता है तथा शत्रुओ के भय से मुक्ति मिलती है.
अगर किसी साधक
को अज्ञात भय हो या कोई ग्रह पीड़ा हो या स्वप्न भय व्याप्त होता हो तो साधक को इन
सभी भय से मुक्ति मिलती है.
साधक को
अकस्मात तथा अकाल मृत्यु की भय पीड़ा से भी मुक्ति मिलती है.
साधक को अपने
कार्यक्षेत्र में विशेष अनुकूलता प्राप्त होती है तथा सहकर्मीयो का सहयोग प्राप्त
होता है.
यह मात्र एक
दिवसीय प्रयोग है और साधक इसे सम्प्पन कर उपरोक्त सभी लाभों को भगवान शिव की कृपा
से प्राप्त कर सकता है. यु यह श्रवण मास चल रहा है ऐसे समय पर इस प्रयोग को करना
उत्तम है.
साधक को यह
विधान सोमवार की रात्री में करना चाहिए साधक रात्रि के १० बजे के बाद यह प्रयोग कर
सकता है. स्नान आदि से निवृत हो कर साधक को सफ़ेद वस्त्र धारण कर सफ़ेद आसान पर
बैठना चाहिए. साधक का मुख उत्तर दिशा की तरफ रहे. यह प्रयोग पारद शिवलिंग पर किया
जाता है. साधक अपने सामने प्राणप्रतिष्ठित विशुद्ध पारदशिवलिंग को स्थापित कर दे. पारदशिवलिंग
की उपलब्ध ना होने पर किसी भी प्रकार के शिवलिंग को अपने सामने स्थापित कर दे. शिवलिंग
का पूजन करे तथा धतूरे के पुष्प बिल्वपत्र आदि समर्पित करे. इसके बाद साधक
रुद्राक्ष माला से निम्न मंत्र की ५१ माला जाप करे.
ॐ जूं सः मृत्युंजयाय शिवाय नमः
(om Joom Sah
Mrutynjayaay shivaay namah)
मंत्रजाप
सम्प्पन होने के बाद साधक शिवलिंग को पूजा स्थान में स्थापित कर दे. माला को
विसर्जित नहीं करना है. भविष्य में इस प्रयोग को सम्प्पन करने के लिए साधक इसी
माला का फिर से उपयोग कर सकता है.
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With long hairs,
snake on his neck, and ash on his body, the personality of the lord shiva is
different from all others. With the main God relating destruction, he also has
a full control over creation and caring. With his kind behavior, he always
remains in the heart of his devotees.
The numbers, classification and different types of sadhnas which are
present for the sadhna and worship of shiva, does not exist for any devi or
devtaa. Living away from the world and its problems, in his own enjoy, he
remains always ready to solve his devotees problems. He is known as bholenaath
because of his innocent nature. If someone devotes anything with pure heart,
then, he accepts that thing and does the betterment of that devotee. Whether it
is a field of any activity or the knowledge of the secrets of this universe, he
is at the top of every field. He is the male element of this universe and by
indulging with shakti in various activities, he makes the world to move
continuously. Lord shiva is famous in between his devotees with his various
forms. Every form is different from all other forms and each has the ability to
provide fulfillment. The worship of the shiva in the form of
bherav,paashupth,mritunjay, aghoreshwar,aadinath,sdashiv,nityashiv had been
continuing from centuries and the high level siddh like vishwamitra,
dadichi,maarkandya, lankesh, naagaarjun, nityaanath,abhinavgupt has achieved
the fulfillment by doing the sadhna of lord shiva only.
There are various
classifications in the sadhna of shaiv path and in every different-different
paths, the sadhna of lord shiva is done. Like the aghor path, kaapalik,
kaalmukh,paashupth etc and in these all paths, the high to high level sadhnas
are being performed. These sadhnas at
present has become unknown to all of us but still now, these are given by the
gurus secretely. Likewise, there are various small prayogs which are received
by the shishya from the chain of guru and they look like ordinary prayogs only
but when they are done, a man can get lots of benefits from these prayogs.
Below procedure is
also one of those procedures which have the capability of changing the life of
a sadhak. By doing this procedure or prayog, sadhak receives the benefits of
various kinds.
The respect of the
sadhak increases from all sides and the place of the sadhak go upward in the
term of society respect.
The enemies of the
sadhak are paused and the sadhak is freed from the fear of enemy.
If some sadhak has
some unknown fear or problem of astrology or some dream fear, the sadhak get
freed from all these types of fears.
Sadhak is freed
from the problem of unknown accident.
Sadhak get favor
of all his co-workers in his job from all sides.
This is only a one
day prayog and sadhak get all types of benefits with the grace and blessing of
lord shiva. Since, the shravan month is going on, this is a best time for
performing this prayog.
This prayog should
be done in the Monday night after 10 pm. After taking bath, sadhak should wear
white clothes and sit on the white aasan facing towards the north direction.
This prayog is done in the front of the paarad shivling .
Sadhak should
establish pure energized paarad shivling in front of him. In the absence of paarad
shivling,any type of shivling can be established. Do the poojan of shivling and
offer the flowers of dhturre and bhilavptra. After that, sadhak should do the
51 rosaries of the following mantra with the rudraaksh rosaries.
ॐ जूं सः मृत्युंजयाय शिवाय नमः
(om
Joom Sah Mrutynjayaay shivaay namah)
After doing mantra
jaap, sadhak should establish shivling in his worship place; sadhak should keep
that maala with himself and can use that maala by doing this prayog again in
future.
****NPRU****
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