Lord Shri
Dattatrey is one such greatest personality and powerful Dev of Tantra world and
complete sadhna world whose blessing can be considered as very fortunate for
sadhaks. When Mahasiddhs of Nath sects whose quantum of sadhna knowledge cannot
be even guessed, they bow with reverence and pray to embodiment of knowledge
Lord Dattatrey then what can be written about lord Dattatrey?
Lord Dattatrey,
having powers of Brahma, Vishnu and Mahesh was the complete master of Yog Vidya
and Tantra Vidya. Taking inspiration from him, Nath
Yogis created millions of Sabar Mantra in local language and propagated them to common
public. Not only this, this great saint discover such
prayogs by which person taking assistance of powers of Mahasiddhs and powers of
Dev and Ittar Yonis can get rid of his common problems as well as reach highest
spiritual level. He is
ancient sadhak and propagator of aghor sadhna and present on this earth in
physical body from thousands of years. His residing place is in Dutt Mountain in Girnar line of mountains and many sadhaks have been fortunate enough to see him in physical form.
From thousands of years, many Siddh Gurus from time to time provided such
prayogs to their disciples by which they can get the blessings of Lord
Dattatrey and attain that capability in materialistic and spiritual life. But
such prayogs are were rare and available only from Guru and hence were not able
to reach common public. Though there are so many hidden prayogs related to Lord
Dattatrey by which sadhak can see him in physical form but these Vidhaans are
very uneasy , effort-consuming and cumbersome in which sadhak has to follow a
fixed life pattern for many days or months. Following such a life-pattern is
generally not possible in today’s era. But there is one prayog Dattatrey Aahut Prayog among
them which can be completed in just one night
and sadhak can get
darshan of Lord Dattatrey in his dreams and become witness to his grace. If
sadhak is facing some problem then its resolution is also obtained by doing
this prayog in which Lord Dattatrey himself provides the guidance. This special
prayog is done through the means of Parad
Shivling. When something is said about Parad then
it is not an advertisement for any type of idol. Rather those who have listened
discourses of Sadgurudev and understood them, they would know that completeness
is only possible through Parad. Just think when final tantra i.e. Parad Tantra is
used for own spiritual progress then how one can fail…..Procedure is as follows.
Sadhak can do
this prayog on any auspicious day.
Sadhak can do this prayog only in
night. Sadhak should take bath, wear red dress and sit on red aasan. Sadhak
should face North direction.
Sadhak should do
Guru Poojan and chant Guru Mantra.
Sadhak should place energised and activated Parad Shivling made form pure Parad on Baajot in front of him. Just near the Parad Shivling, he should
place yantra/picture of Lord Dattatrey. Sadhak should do poojan of Lord
Dattatrey yantra/picture and thereafter do the poojan of Parad Shivling.
Sadhak should ignite Guggal Dhoop
while doing Poojan. Sadhak can offer anything as a Bhog.
After poojan of Parad Shivling,
sadhak should chant 21 rounds of below mantra using Rudraksh Rosary.
.
om draam drim drum
dattatreyaay swapne prakat prakat avatar avatar namah
After completion of Mantra chanting,
sadhak should pray to Lord Dattatrey for his manifestation in dreams and sleep
after keeping rosary beneath the pillow. In this manner, Lord Dattatrey gives
darshan to sadhak in dreams in the night and answer sadhak’s curiosities.
Sadhak can use this rosary in future.
========================================= भगवान श्री दत्तात्रेय तंत्रजगत और पूर्ण साधना जगत की एक एसी महानतम विभूति तथा पूर्ण शक्ति सम्प्पन देव है जिनकी कृपा प्राप्ति साधको के मध्य एक उच्चकोटि का भाग्य ही माना जाता है. नाथ सम्प्रदाय के महासिद्ध जिनकी साधना ज्ञान की थाह पाना संभव ही नहीं है, ऐसे ब्रह्मांडीय पुरुष भी जो ज्ञानपुंज के सामने अपना सर हमेशा जुका कर उनकी अभ्यर्थना करते हो वो दिव्य देव श्री भगवान दत्तात्रेय के क्या कोई लेखनी लिख सकती है?
त्रिदेव
अर्थात ब्रह्मा विष्णु और महेश की सम्मिलित शक्ति से सम्प्पन भगवान दत्तात्रय
योगविद्या तथा तंत्र विद्या के पूर्णतम ज्ञाता है. इन्ही की प्रेरणा के फलस्वरुप
नाथयोगियों ने लोकभाषा में करोडो शाबर मंत्रो की रचना की तथा उनको जनसाधारण के
मध्य पहोचाया. ना सिर्फ इतना ही, बल्कि इन मंत्रो के माध्यम से व्यक्ति महासिद्धो
के शक्तियों के साथ साथ देव शक्ति तथा इतरयोनी की शक्तियों के सहयोग से अपनी
सामान्य से सामान्य बाधाओं के साथ साथ उच्चतम से उच्चतम आध्यात्मिक धरातल का
स्पर्श कर सके ऐसे प्रयोगों का आविष्कार इस महान ऋषि ने किया. अघोर साधनाओ के आदि
साधक तथा मुख्य प्रचारक कई हज़ारो वर्षों से शशरीर इस पृथ्वी पर विद्यमान है जिनका
स्थान दत्तपहाड़ी गिरनार श्रंखला में है तथा कई साधकोने उनके शशरीर दर्शन का
सौभाग्य भी प्राप्त किया है. सेकडो वर्षों से समय समय पर कई सिद्ध गुरु अपने
शिष्यों के मध्य ऐसे प्रयोग प्रदान करते थे जिसके माध्यम से भगवान दत्तात्रेय का
आशीर्वचन उनको प्राप्त हो तथा अपने भौतिक तथा आध्यात्मिक जीवन में वे सक्षमता को
प्राप्त कर सके. लेकिन ऐसे प्रयोग दुर्लभ और गुरुगम्य ही रहे जो की जनसामन्य तक
नहीं पहोच पाए. यूँ तो भगवान दत्तात्रय से सबंधित कई गुप्त विधान है जिसके माध्यम
से साधक उनके प्रत्यक्ष दर्शन कर सकते है लेकिन वे विधान अति असहज, श्रमसाध्य तथा
कठिन है जिसमे साधक को एक निश्चित जीवन क्रम कई दिनों या महीनो तक अपनाना पड़ता है
जो की आज के युग में साधारणतः संभव नहीं है. लेकिन इन प्रयोगों में एक प्रयोग
दत्तात्रेय आहूत प्रयोग भी है, जो की सिर्फ एक रात्री में ही सम्प्पन हो जाता है
जिसके माध्यम से साधक उसी रात्री में स्वप्न में भगवान दत्तात्रेय के दर्शन
प्राप्त कर प्रत्यक्ष कृपाद्रष्टि का साक्षी बन जाता है. अगर साधक की कोई समस्या
है तो उसका निराकरण भी उसे इस प्रयोग के माध्यम से प्राप्त हो सकता है जिसमे स्वयं
भगवान दत्तात्रेय उनको मार्गदर्शन प्रदान करते है. यह विशेष प्रयोग को पारदशिवलिंग के माध्यम से पूर्ण सम्प्पन किया जाता है.जब बात पारद की की जाती है तो इसका अर्थ किसी भी प्रकार के विग्रह का
विज्ञापन नहीं होता है,अपितु जिन्होंने भी सदगुरुदेव के प्रवचनों को सूना
हो,समझा हो तो उन्हें पता ही होगा की मात्र पारद से ही पूर्णता प्राप्ति संभव
है,अरे जब अंतिम तंत्र अर्थात पारद तंत्र का प्रयोग ही स्वयं की साधना उन्नती के
लिए किया जाये तो असफलता भला कैसे मिलेगी... प्रयोग की विधि इस प्रकार है.
यह प्रयोग
साधक किसी भी शुभ दिन शुरू कर सकता है.
साधक
रात्री में ही इस प्रयोग को कर सकता है. साधक स्नान आदि से निवृत हो कर, लाल
वस्त्र को धारण करे तथा लाल आसन पर बैठ जाए. साधक का मुख उत्तर दिशा की तरफ होना
चाहिए.
साधक को
गुरुपूजन तथा गुरुमन्त्र का जाप करना चाहिए.
साधक को
अपने सामने एक बाजोट पर विशुद्ध पारद से
निर्मित प्राण प्रतिष्ठित तथा चैतन्य पारदशिवलिंग को स्थापित करना चाहिए तथा पारदशिवलिंग के
पास ही भगवान दत्तात्रेय का चित्र या यंत्र रखे. साधक भगवान दत्तात्रेय के यंत्र
या चित्र का पूजन करे उसके बाद साधक पारद शिवलिंग का पूजन सम्प्पन करे.
साधक को
पूजन में गुग्गल का धुप प्रज्वलित करना चाहिए. दीपक तेल का हो. साधक भोग के लिए
किसी भी वस्तु का प्रयोग कर सकता है.
पारदशिवलिंग
का पूजन करने के बाद साधक रुद्राक्ष माला से निम्न मन्त्र की २१ माला मन्त्र का
जाप करे.
ॐ
द्रां द्रिं द्रुं दत्तात्रेयाय स्वप्ने प्रकट प्रकट अवतर अवतर नमः
(om draam
drim drum dattatreyaay swapne prakat prakat avatar avatar namah)
मन्त्रजाप
पूर्ण होने पर साधक भगवान दत्तात्रेय को वंदन करे तथा स्वप्न में प्रकट होने के
लिए प्रार्थना करे तथा माला को अपने तकिये के निचे रख कर सो जाए. इस प्रकार करने
से भगवान दत्तात्रेय साधक को रात्री में स्वप्न में दर्शन देते है तथा उसकी
जिज्ञासा को शांत करते है. साधक माला को कई बार उपयोग में ला सकता है.
****NPRU****
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