Now is the time to talk about Karn Pishaachini
category. There is so much of mist, many superstition and many misconceptions
prevalent regarding them. Most of us would have read the book “Tantric
Siddhiyan” written by Sadgurudev which is one amazing and authentic
book in itself and still it is very famous book. Probably there will be no
eulogist or disciple of Sadgurudev or one having interest in this field who
would not have read this book.
After very valuable and precious information, when
experience of “Karn Pishaachini sadhna” has come in it, very few people can forget it and they also develop
apprehension that in this sadhna this will happen or that will happen……but
some facts are not paid attention or they took backseat due to secrets and
thrill aspect. Adequate attention should be paid to them too.
Firstly, just see the
vitality and determination of that sadhak. May be he was facing death, but he
completed sadhna and attained success.
And later on he went
to become a capable disciple of Sadgurudev.
It is different fact altogether that he demanded
sadhna of a particular path which did not fit with today’s social and moral
rules but due to this reason, it is not right to consider this sadhna or sadhna
padhati as worthless.
Determination of any procedure is done according to
country, time, person, his culture and customs prevalent at that time. And
these rules change with time. There was a time when drinking cup of tea at any
market shop was considered to be wrong but today circumstances have changed so
much that many persons come to home after consumption of liquor and people
still see them with respect.
In the same manner, people may not be able to
sadhna of that padhati but it has to be understood
that any sadhna has got hundreds of dimensions and thousands of Padhatis…..now
it all depends upon sadhak and guide who provides sadhna to him that which
padhati sadhna he provides.
Because how can Kapaalik padhati sadhna be done by person
who follows Vedic Padhati……?
In the same manner how can sadhna of Aghor
Shamshaan padhati done by practitioner of Vaishnav path…? In this manner, every sadhna has got its own countenance. It is
possible that sadhna will be done quickly in some path and slower in other
paths……but when success will be obtained, it will be same
in all of them.
And as per today’s era , there is no comparison to
utility of this sadhna done in peaceful manner (Right hand path). From utility
point of view, sadhna of this category is precious for today’s era.
Where there is Karn Pishaachini category, there
are sadhnas related to it in Mahavidyas too like Karn Bhuvneshwari, Karn
Bhairavi , Karn Matangi which are of rajas character , can be done easily and its
benefits should also be taken. There is no
point keeping sadhnas after reading it and when you will imbibe them with
authenticity in your life you will find that your life has become free of
anxiety. When any family member has not reached home, where he is and his
mobile is off......in this circumstance, you can take the help of this sadhna.
Like this, so many opportunities will come where
you can use this sadhna. If your known is very timid and shy or some person
have come to your home for getting secrets then you can know hidden intention
yourself. And not only this, but what has been the relation between the two
persons, why still he is not happy with family life and why he behaves like
this with that person…..all these secrets can be revealed very easily by this
sadhna.
When we are talking about Itar Yonis then what are
those padhatis through which one can tame them and what the padhatis to contact
them are. There are so many padhatis to contact them and many of them would
have been done by so many persons in their college life or seen it. Sadgurudev ji also taught in detail about many invaluable padhatis which
are simple and easy but we could not understand him and padhatis told by him
and today we keep on thinking. Some padhatis are so easy.
But today no one has his yantras, no one has seen
them. Sadgurudev put forward so many amazing procedures in front of us but we
always understood that these sadhna Vidhaans will remain forever and today…?
Nobody is making them available because no one has
seen that yantra and photo of that yantra has not come in any edition of any
magazine. Then how can this yantra be made???
But we have tried very hard and attained some
amazing yantras which could be very helpful in this work from our senior
ascetic brothers and sisters. And after trying a lot, we have also got the
opportunity to make available this yantra to all.
This has been affection of our seniors that they
have also given orders that those who want to attain these yantras or book
published in this seminar; it should be made available to them.
Though today you all know that how much expenditure
it takes to energize these yantras and do other procedures???
Keeping all these facts in mind, construction of
one amazing Maha yantra which is very special in itself is being done for which
we received the permission. When post relating to that yantra will come, you
will come to know its importance yourself, how many amazing qualities are
possessed by it and having such yantra in today’s time is so much fortunate
thing.
Doing procedures on it is like correctly utilizing
your fate, taking your life to higher pedestal. Ups and downs of life has
always been there and will be in future too but if some moments where one is
getting special knowledge along with brothers and sisters , then attaining it
and taking benefit out of it is a wise thing. Now it all depends upon the
person whether he exhibits his wisdom or foolishness…
What do you say….
To Be Continued……
---------------------------------------------------------------------------------------- अब समय हैं की कुछ बातें कर्ण पिशाचिनी वर्ग की भी हो जाए .बहुत कुछ कोहरा सा कुछ अंध विश्वास सा कुछ उलटी सीधी घटनाये इस वर्ग से जुडी हुयी हैं ,हम मे से जिन्होंने भी सदगुरुदेव द्वारा लिखित “तांत्रिक सिद्धियाँ “ नाम की पुस्तक पढ़ी होगी जो अपने आप मे एक अद्भुत प्रामाणिक पुस्तक हैं और आज भी बेहद लोकप्रिय पुस्तक के रूप मे हैं शायद ही कोई सदगुरुदेव की का प्रशंशक या शिष्य होगा या इस क्षेत्र मे रूचि रखने वाला होगा जिन्होने यह पुस्तक न पढ़ी होगी
अनेक बहुमूल्य हीरक खंड जैसी जानकारी के बाद, जब उसमे कर्ण पिशाचिनी साधना का अनुभव आया हैं उसे शायद ही लोग भूल पाते हैं और भयग्रस्त
जरुर हो जाते हैं की इस साधना से ऐसा ..या इस साधना मे ऐसा ..या यह यह होगा इस साधना मे ..पर कुछ मूलभूत बाते जो छूट जाती हैं या कुछ रहस्य रोमांच के कारण कुछ तथ्य दब
गए उन पर भी तो गौर फरमा लेना चाहिए .
पहला तो यह की आप उस साधक की जीवटता और अडिगता देखिये, भले ही मृत्यु का संकट सामने रहा पर उसने
साधना पूरी की है.और सफलता पायी .
और वह भी बाद मे सदगुरुदेव के एक योग्य शिष्य हुये हैं .
यह बात अलग हैं की उन्होंने जिस
मार्ग से साधना मांगी थी, उस मे यह प्रक्रिया
इसी प्रकार की रही जो आज के सामाजिक और
नैतिक नियम मे ठीक सी नही बैठती पर इस कारण से इस साधना या इस साधना पद्धति को हेय मानना सही नही हैं .
यह तो देशकाल, व्यक्ति, उसकी संस्कृति और उस समय के प्रचलित रिवाजों के हिसाब से ही किसी
क्रिया का निर्धारण होता हैं और यह नियम
हर काल मे बदलते हैं किसी काल मे मार्केट
की किसी दूकान से चाय पी लेना
बहुत खराब माना जाता था.की ये देखो
बाहर चाय पी कर आये और आज के हालत हैं की बुहुत से मद्यपान कर के आते हैं और लोग उन्हें तब भी उतनी ही इज्जत से देखते हैं .
इसी तरह वह साधना उस पद्धिति भले ही लोग न कर पाए
पर यह समझे
की एक साधना के सैकड़ों आयाम होते हैं .और
हजारो पद्धितियाँ .... अब यह तो साधक और उसे साधना देने वाले मार्गदर्शक पर निर्भर
करता हैं की उसे किस पद्धिती की साधना प्रदान करें .
क्योंकि जो कापालिक पद्धिति की साधना होगी
वह वैदिक वाले के लिए.... ?
जो अघोर शमशान पद्धिति की
साधना होगी वह वैष्णव मार्ग वाले के लिए...?
इस तरह से सभी का एक अपना रुख
हैं पर साधना किसी मार्ग मे वह
जल्दी होगी तो किसी मे देर से....... पर जब सफलता मिलेगी तो वह एक जैसी ही
होगी.
और आज के युग के हिसाब से सौम्य रूप से की जाने वाली इस साधना की
उपयोगिता की बात की तो कोई तुलना ही नही हैं .इस बात को समझना चाहिये सच कहूँ तो
उपयोगिता की दृष्टी से इस वर्ग की साधना
तो आज के युग के लिए बहुमूल्य हैं
फिर कर्ण पिशाचिनी वर्ग हैं तो महाविद्याओ मे भी इनके सबंधित साधना जो हैं
जैसे कर्ण भुवनेश्वरी,कर्ण भैरवी, कर्ण मातंगी
जो की अपने आप मे कुछ राजस स्वाभाव
की हैं.जो की आसानी से की जा सकती
हैं . और इसका लाभ लेना भी चाहिए , सिर्फ साधना सुनकर पढकर
रखने मे क्या फायदा ,और इनको
प्रमाणिकता से अपने जीवन मे उतारने के बाद
आप स्वयम देखेंगे की आपका जीवन कितना निश्चिन्ता से भर जायेगा, घर का कोई सदस्य अभी तक नही आया हैं
वह कहाँ हैं और उसका मोबाइल भी बंद हैं तब
.......?तब भी आप इस साधना की सहायता ले
सकते हैं .
इस तरह से अनेको
अवसर आयेंगे . कोई आप का परिचित अत्याधिक
संकोची हो या अत्याधिक शर्मीला हो या कोई
गुप्त योजना मे आपके घर पर कुछ भेद लेने आया हो
सभी कुछ तो आप स्वयं जान सकते हैं
.और यह ही नही बल्कि किसी का किसी के साथ
क्या सबंध रहा और क्यों कोई अभी तक अपने पारिवारिक जीवन से दुखी हैं वह ऐसा क्यो करता
हैं उसके साथ... सभी रहस्य कहीं आसानी
से इस साधना से पता चल जाते हैं .
वहीँ जब बात इतर योनियों की हो तो
कौन सी पद्धति उन्हें वश मे करने की तो
कौन सी पद्धिति उनसे सिर्फ संपर्क करने
की होगी क्योंकि उनसे संपर्क करने की
अनेको पद्धति हैं और कुछ कुछ का उपयोग तो
शायद कई कई ने अपने कालेज के जीवन मे किया
हुआ या देखा होगा. सदगुरुदेव जी ने भी अनेको बहुमूल्य पद्धिति और जो सरल हैं या
सहज हैं उनके बारे मे कई कई बार विस्तार से समझाया रहा पर
हम ही उन्हें और उनके द्वारा बताई गयी पद्धितियों को नही समझ
पाए .और आज सोच मे बैठ जाते हैं.और कुछ पद्धिति
तो इतनी सरल हैं.
पर आज उनके
यन्त्र न किसी के पास हैं, न किसी ने
देखा हैं .इतने अद्भुत विधान
सदगुरुदेव ने हमारे सामने रखे पर हमने
सदैव ये समझा की यह साधना विधान तो सदैव
रहेंगे और आज ...??
कोई
भी उनको उपलब्ध नही करवा रहा हैं क्योंकि किसी ने वह यन्त्र ही नही देखा और न ही किसी
पत्रिका के किसी अंक मे वह यंत्र का
कोई फोटो आया हैं .तब वह यन्त्र कैसे बने ???
.पर हमने बहुत
कोशिश करके कुछ अद्भुत यन्त्र को जो इन
कार्य मे बहुत ही सहायक हो सकते हैं अपने
वरिष्ठ सन्यासी भाई बहिनों से प्राप्त किया हैं और बहुत ही कोशिश करने पर इनके विधान से युक्त यन्त्र सभी को उपलब्ध कराने
का अवसर भी पाया हैं .
यह तो हमारे वरिस्ठो का स्नेह रहा हैं की उन्होंने यह भी आदेश दिया की जो भी इन
यंत्रों को या इस सेमीनार में प्रकशित पुस्तक को पाना चाहता, उन सभी को यह उपलब्ध कराया ही जाए .
हालाकि आज आप सभी जानते हैं की किसी तरह से
इन चीजों पर प्राण प्रतिष्ठा
और अन्य क्रम करने पर व्यय
कितना आता हैं???
इन सब बातोंकी ध्यान मे रखकर एक अद्वितीय महायंत्र
जो की अपने आप मे ही अति विशिष्ट हैं उसका निर्माण अनुमति मिलने पर कराया जा रहा हैं ,और जब इस
यन्त्र पर आधारित पोस्ट आयगी तब आप इसका
महत्त्व स्वयं ही जान जायेंगे की कितनी अद्भुत विशेषताओं को अपने मे
समाहित किये हुये हैं और आज के समय मे एक ऐसा यन्त्र होना कितने भाग्य की.... कितने सौभाग्य की बात हैं .
जिन पर इन प्रक्रियाओं को करना मानो अपने भाग्य का
सदुपयोग करना हैं जीवन को उच्चता तक ले जाने की क्रिया है .वैसे जीवन की आपधापी और
उतार चढ़ाव तो सदैव से हैं और लगे ही
रहेंगे पर यदि कुछ क्षण जहाँ एक ऐसा विशेष ज्ञान प्रवाह भी इतने आराम के साथ ,अपने भाई बहिनों के
साथ मिल रहा हो तो उसे
ग्रहण कर उसका लाभ उठाना ही
बुद्धिमानी हैं .अब यह तो व्यक्ति पर हैं
की अवः अपने बुद्धिमान होने का परिचय
दें या बुद्धुमान का .....
आप क्या कहते हैं ...
क्रमश :
****NPRU****
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