फटे कपडे, बिखरे और उलझे बाल , अजीब सी ही वेशभूषा थी उनकी और बहुत असहज सा महसूस कर रहा था मैं उनके साथ , पर बंगाली माँ का आदेश था मेरे लिए की मुझे उनके साथ रहना है और सदगुरुदेव के द्वारा प्रदत्त विभिन्न साधनाओं का जो संकलन और अनुभव उन्होंने प्राप्त किया है वो मुझे उनके सानिध्य लाभ से लेना है. उनके पास ऐसा संकलन है ऐसा सुनकर मैं काली खोह (विन्ध्याचल) से मुगलसराय स्टेशन पहुंचकर जबलपुर जाने वाली ट्रेन में बैठ गया .
रास्तेभर जो भी माँ ने उनके बारे में बताया था वही सब सोचता रहा , जबलपुर पहुच कर पहले बाज्नापीठ जाकर भैरव के दर्शन किये और फिर माँ नर्मदा के तट की और चल पड़ा. जबलपुर मेरा इसके पहले भी कई बार जाना हो चूका था. और आश्चर्य की बात ये है की हर बार एक नवीन रहस्य ही मेरे सामने खुलते जाता साधना जगत का.
एक से एक सिद्धों से भरा हुआ शहर , चाहे वो जैन तंत्र से सम्बंधित हो या फिर मुस्लिम या शाबर तंत्र से सम्बंधित , किसी ज़माने में यहाँ की जाने वाली तांत्रिक क्रियाओं का कोई जवाब नहीं होता था पर समय के साथ साथ ये सिद्ध और इनकी परम्पराएँ गुप्त सी ही हो गयी थी. भाई अरविन्द, हसदबक्स , जीवन लाल , मणिका नाथ , अवधूती माँ और अब एक नए गुरुभाई पारितोष बनर्जी से मुलाकात होने जा रही थी.
सन १९९३ की बात है चैत्र नवरात्री का शिविर संपन्न होने के बाद मैं अपनी साधनाओं के लिए सीधे विन्ध्याचल बंगाली माँ के पास चला गया था और तबसे से गर्मी, गर्मी और गर्मी.उस शिविर में ही गुरुदेव ने एक नवीन तथ्य का मुझे ज्ञान दिया था की “तुम शाक्त साधनाओं को संपन्न करने के लिए विन्ध्याचल चले जाओ और ध्यान रखो की शाक्त साधनाओं के स्वर तंत्र का गहन अभ्यास करना,उससे साधनाओं में शीघ्र ही सफलता मिलती है क्योंकि बाये स्वर द्वारा जब श्वास प्रश्वास की क्रिया चल रही हो तभी शक्ति मन्त्रों का जप उचित होता है क्योंकि मन्त्र पुरुष तब चैतन्य होता है और दाये श्वास प्रश्वास की क्रिया के मध्य शक्ति सुप्त रहती है परन्तु और बेहतर होता है की जिस भी मंत्र का जप किया जा रहा हो उस मन्त्र के पहले और बाद में “ईं” बीज जो की कामकला बीज है लगाकर जप करने से भगवती शक्ति की निद्रा भंग हो जाती है” इसी तथ्य को ध्यान में रख कर अपनी साधनाएं मैंने पूरी की.
वहाँ से जब जबलपुर पंहुचा था तब मई का मध्य आ गया था और मई की गर्मी जैसे दिमाग को फोड ही डालती , सूरज सिर को जैसे पिघलाने को ही आतुर था, बोतल का पानी भी खत्म होने वाला था पर जैसे तैसे जी कड़ा कर मैं लगातार चलते ही जा रहा था . मुझे माँ ने बताया था की तुम्हे सरस्वती घाट से नीचे उतर कर बस सीधे हाथ की तरफ नाक की सीध में चले जाना. लगभग ३ किलोमीटर के अंदर ही शमशान से लगी हुयी उनकी झोपडी है .
पर मैं उन्हें पहचानूँगा कैसे –मैंने माँ से पूछा था.
तुम उसे नहीं बल्कि वो तुझे पहचान लेगा-माँ ने कहा .
बस इसी शब्द के सहारे मैं चलता चला जा रहा था , नर्मदा जी की धाराओं में जो गति धुआँधार में रहती है उससे कही ज्यादा सौम्यता बस उससे २ कि.मी. आगे इस सरस्वती घाट से लगकर बह रही उनकी धाराओं में थी. तपती दोपहरी में जो सुकून मुझे जल को बहते देखकर हो रहा था वो शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता है. सबसे पहले मैंने जी भर कर नहाया ,वस्त्र बदले और आगे बढ़ता चलागया नदी के किनारे किनारे ही. अचानक किसी ने मेरे नाम को पुकारा .... मैंने रुक कर देखा एक मध्यम कद काठी का गौर वर्णीय व्यक्ति मुझे हाथ हिलाकर आवाज़ दे रहा था. मैं उस और बढ़ गया.
जब मैं उनके नजदीक पंहुचा तो उन्होंने ‘जय गुरुदेव’ कहकर मेरा अभिवादन किया , मैंने भी उत्तर दिया तो उन्होंने मुझे साथ चलने के लिए कहा, बाकी सब तो ठीक था पर उनकी वेश भूषा से मुझे बड़ी कोफ़्त हो रही थी, खैर जैसे तैसे उनके घर तक पहुचे, कच्चा मकान जिसमे मात्र दो कमरे थे , एक कमरा रसोई और बैठक के काम आता था और दूसरे में बहुत सारे हस्तलिखित ग्रन्थ,खरल,मृग चर्म आसन,बाजोट,बाजोट पर करीने से रखे विविध यंत्र तथा पूर्ण तेजस्वी तथा भव्य सदगुरुदेव का चित्र उस कमरे को भव्य ही बना रहा था.
चाहे बाहर से कितना ही छोटा दिख रहा था वो मकान पर भीतर से अजीब सा सुख लग रहा था उस घर में, उस तपते दिन में भी अजीब सी शीतलता थी वहाँ पर.
शाम हो गयी थी,पारितोष भाई अपनी मध्यान्ह साधना में व्यस्त थे और अब शाम घिर आई थी.वे साधना कक्ष से बाहर निकले और मेरे पास बैठ गए, मैं भी भोजन और नींद लेकर स्फूर्ति से भर गया था.वे मुझे लेकर नदी के तट पर चले गए जहा हम पानी में पैर लटका कर बैठ गए और बहुत देर तक चुप रहने के बाद मैंने उनसे उनके बारे में पूछा तो, उन्होंने कहा-“ सन १९८२ में मेरी सदगुरुदेव से मुलाकात हुयी थी तब मैं अपने ननिहाल मिदनापुर (बंगाल) गया हुआ था, नाना जी कि तंत्र में बहुत रूचि थी और उन्होंने सदगुरुदेव से दीक्षा लेकर विविध साधनाएं भी संपन्न कि थी. बंगाली होने के नाते स्वभावगत हम सभी माँ आदि शक्ति कि पूजा करते थे, मेरा रुझान माँ काली कि साधनाओं में कही ज्यादा था , मैं घंटो नाना जी के पास बैठ कर उनकी साधनाओं के अनुभव को सुना करता था.वे भी अपने अनुभव बताते और कई चमत्कार भी दिखलाते. क्या मैं भी ऐसा कर पाउँगा-मैंने नाना जी से पूछा. बिलकुल कर पाओगे, पर तंत्र का रास्ता इतना सहज नहीं है, तलवार कि धार पर चलने से भी ज्यादा खतरनाक है पर,ये बहुत आसान हो जाता है यदि कोई समर्थ गुरु आपको अपना ले तो. तब मेरी जिज्ञासा और रुझान को देखकर उन्होंने मुझे सदगुरुदेव से मिलवाया और उनसे दीक्षा देने कि प्रार्थना की.सदगुरुदेव ने मुझे दीक्षा दी और फिर मैं उनके निर्देशानुसार साधनाएं करने लगा, समय के साथ साथ साधनाओं को गति भी मिलने लगी. सफलता असफलता दोनों को पूरे मन से स्वीकार करता था मैं . ये देखकर एक बार सदगुरुदेव जब जबलपुर आये तब,उन्होंने मुझे अपने हाथ से लिखी हुयी एक तीन मोटी मोटी डायरी दी. जिसमे उन्होंने विविध प्रकार के तांत्रिक प्रयोग लिखे थे, बस उन्ही डायरी के आधार पर मैं साधनाएं संपन्न करने लगा और विविध प्रकार की सफलता भी मैंने पाई.”
रात होते होते ही हम वापिस लौट आये. रास्ते में उन्होंने बताया की वे जीवन यापन के लिए बैंक में जॉब करते हैं. और उनका स्थायी निवास गोरखपुर( जबलपुर) में है , पर वो अपनी साधनाओं की वजह से विगत कई वर्षों से यहाँ पर रह रहे हैं. और मैं हमेशा ऐसा नहीं रहता हूँ- उन्होंने अपने स्वरुप की तरफ इंगित करते हुए कहा और हँसने लगे.
मैं अभी कोई अघोर क्रम कर रहा हूँ इसलिए ऐसी वेशभूषा हो गयी है, इसके लिए मैंने ३ महीने की बैंक से छुट्टी भी ली हुयी है.
रात में उन्होंने अपनी प्रेत शक्तियों की मदद से मेरा मनपसंद भोजन बुलवाया.
क्या आपको भय नहीं लगता?
किससे-उन्होंने पूछा .
इन भूत प्रेतों से ...
क्यूँ लगेगा भला, ये तो अत्यधिक निरापद होते हैं.और सदगुरुदेव ने इनको सिद्ध करने की इतनी सहज विधियाँ बताई हुयी है की सामान्य व्यक्ति भी भली भांति अपना जीवन यापन करते हुए इनको सिद्ध कर सकता है. रात को उन्होंने कालिका चेटक का प्रयोग कर स्वर्ण का निर्माण कर के दिखाया , पारद विज्ञानं के माध्यम से रत्नों का निर्माण कैसे होता है ये समझाया. उच्छिष्ट गणपति प्रयोग के द्वारा वशीकरण की अत्यधिक सरल क्रिया बताई. रोगमुक्ति, बगलामुखी साधना द्वारा शत्रु स्तम्भन का सरल मगर तीव्र प्रभावकारी प्रयोग,शमशान चैतान्यीकरण प्रयोग , दीप स्तम्भन का विधान समझाया, किन मन्त्रों से तंत्र प्रयोग दूर किया जाता है उसकी मूलभूत क्रिया समझाई. पूर्वजन्म दर्शन की गोपनीय क्रिया बताई. व्यापार वृद्धि के एक से बढ़कर एक प्रयोग प्रायोगिक रूप से करके दिखाया और इन सभी साधनाओं का आधार उन डायरियों को मुझे देखने और नोट करने के लिए दिया, वे डायरियां १९६३,६५,६८ और ७३ की थी मैंने लगभग ४६८ प्रयोगों को उनमे से २२ दिनों में लिखा. बाद में भी कई बार मैं उनके पास गया और उन्होंने उदारतापूर्वक उन क्रियाओं और साधनाओं को मुझे समझाया भी और लिखने भी दिया
एक से बढ़कर एक प्रयोग थे वे सभी,बाद में मैंने उनमे से बहुत से प्रयोग और साधनाएं संपन्न की तथा पूरी तरह सफलता भी पाई. जब इस अंक का विचार आया था तो हम सभी अपनी साधनाओं के लिए ६४ योगनी मंदिर में मिले थे तब मैंने उनसे निवेदन किया तो उन्होंने मुझे कहा की अब वो प्रयोग तुम्हारे अपने हैं तुम उन्हें निश्चित ही अन्य गुरुभाइयों और बहनों के साधनात्मक जीवन को आगे बढ़ाने के लिए देने के लिए स्वतंत्र हो. आज उन्ही प्रयोगों और साधनाओं में से ११ प्रयोग मैं इस महा विशेषांक में आगे के पृष्ठों में दे रहा हूँ . मैंने यंत्रों का आवरण पूजन और प्राण प्रतिष्ठा विधान वगैरह नहीं दिया है क्यूंकि हमारे गुरुधाम जोधपुर और दिल्ली में परम पूज्य गुरुत्रिमूर्ती की साधना शक्ति से युक्त ये सभी यंत्र पूर्ण चैतन्यता के साथ मिल जाते हैं तो फिर जटिलताओं को देने से साधना पक्ष कठिन ही होता. क्यूंकि हर यंत्र के लिए अलग अलग प्रतिष्ठा विधान होता है जो बेहद जटिल भी हैं. ये सभी प्रयोग मेरे अनुभूत हैं और मैंने इनका प्रभाव अपने जीवन में करके देखा है. और मैं आशा करता हूँ की आप सभी भी एक बार अवश्य इन प्रयोगों को अपनी आवश्यकता या सामर्थ्यानुसार अवश्य करेंगे और सामर्थ्यवान बनकर सदगुरुदेव, परम पूज्य गुरु त्रिमूर्ति तथा सिद्धाश्रम साधक परिवार के गौरव को बढ़ाएंगे.
तीव्र उच्छिष्ट गणपति साधना
कड़वे नीम की जड़ से कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन अंगूठे के बराबर की गणेश की प्रतिमा बनाकर रात्रि के प्रथम प्रहर में स्वयं लाल वस्त्र धारण कर लाल आसन पर पश्चिम मुख होकर झूठे मुँह से सामने थाली में प्रतिमा को स्थापित कर साधना में सफलता की सदगुरुदेव से प्रार्थना कर संकल्प करें और ततपश्चात गणपति का ध्यान कर उनका पूजन लाल चन्दन,अक्षत,पुष्प के द्वारा पूजन करे और लाल चन्दन की ही माला से झूठे मुँह से ही ५ माला मन्त्र जप करें. सात दिनों तक ऐसे ही पूजन करे और आठवे दिन अर्थात अमावस्या को पञ्च मेवे से ५०० आहुतियाँ करें इससे मंत्र सिद्ध हो जाता है. तब आप इनके विविध प्रयोगों को कर सकते हैं. २ प्रयोग नीचे दिए गए हैं.
१. जिस व्यक्ति का आकर्षण करना हो चाहे वो आपका बॉस हो, सहकर्मी हो, प्रेमी,प्रेमिका या फिर कोई मित्र या शत्रु हो जिससे, आपको अपना काम करवाना हो.उसके फोटो पर इस सिद्ध प्रतिमा का स्थापन कर ३ दिनों तक १ माला मन्त्र जप करने से निश्चय ही उसका आकर्षण होता है.
२. अन्न के ऊपर इस सिद्ध प्रतिमा का स्थापन कर ११ दिनों तक नित्य ३ माला मंत्र जप करने से वर्ष भर घर में धन धान्य का भंडार भरा रहता है और यदि इसके बाद नित्य ५१ बार मंत्र को जप कर लिया जाये तो ये भंडार भरा ही रहता है. नहीं तो आपको प्रति ६ माह या वर्ष में करना चाहिए.
ध्यान मन्त्र –
दंताभये चक्र- वरौ दधानं कराग्रग्रम् स्वर्ण-घटं त्रि-नेत्रं ,
धृताब्जयालिंगितमब्धि-पुत्र्या लक्ष्मी-गणेशं कनकाभमीडे.
मंत्र- ॐ नमो हस्ति मुखाय लम्बोदराय उच्छिष्ट महात्मने क्रां क्रीं ह्रीं घे घे उच्छिष्ठाय स्वाहा.
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निशा काली – पूर्ण गृह और परिवार की रक्षा हेतु
जब बात परिवार की और घर की समाज की सुरक्षा की आती है तो इस प्रयोग के सामान कोई और प्रयोग है ही नहीं. ये प्रयोग तत्क्षण सिद्धिप्रद है . हम बहुत चाव से घर बनाते हैं ,संपत्ति का निर्माण करते हैं,पर अचानक घर में डाका पद जाता है, आग लग जाती है, आपदाओं का सामना करना पड़ता है आदि आदि, और हम हाथ मलते रह जाते हैं. यदि आप घर परिवार की पूर्ण सुरक्षा चाहते हैं तो पूर्ण विधान से इस प्रयोग को अवश्य करके देखे, आप इसके प्रयोग को देख कर आश्चर्यचकित रह जायेंगे. वृहद स्तर पर यदि इस प्रयोग को किया जाये राष्ट्र सुरक्षा के लिए ये अद्भुत कवच साबित होगी. ये मात्र एक रात्रि का ही प्रयोग है और वर्ष भर की निश्चिन्तता. मैंने खुद इस प्रयोग को कई बार किया है. घर के लिए तो करता ही था , पर पिछली दो वर्क शॉप की सुरक्षा के लिए भी इस प्रयोग को मैंने किया और सभी गुरु भाई साक्षी हैं की किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य या जीवन क्षति नहीं हुयी.
सायंकाल मिटटी से भगवती काली की प्रतिमा का निर्माण कर रात्री में उनका स्थापन कर ‘महाकाली साधना’ ग्रन्थ में दी हुयी पद्धति से उनका रात भर पूजन तथा बलिदान की क्रिया संपन्न करे और एक रात्रि में १२१ माला निम्न मन्त्र की करें तथा सूर्योदय के पहले ही उस प्रतिमा का जल में विसर्जन कर देने से ये प्रयोग वर्षभर के लिए कवच प्रदान कर देता है.
पूजन के समय विनियोग करे.
ॐ अस्य श्री निशा काली मन्त्रस्य दक्षिणामूर्ति ऋषिः ,पंक्तिः छन्द,श्री निशा काली देवताः,ह्रीं बीजं,ह्रीं शक्तिः, कीलकं, गृह(कुटुंब) रक्षार्थे जपे विनियोगः .
करन्यास एवं षडंग न्यास -
ह्रां अंगुष्ठाभ्यां हृदाय नमः
ह्रीं तर्जनीभ्यां शिरषे स्वाहा
ह्रूम् मध्यमाभ्यां शिखायै वषट्
ह्रें अनामिकाभ्यां कवचाय हुम्
ह्रौं कनिष्ठाभ्याम् नेत्रत्रयाय वौषट्
ह्रः करतलकरपृष्ठाभ्यां अस्त्राय फट्
अब तत्व न्यास संपन्न करे अर्थात मन्त्र बोलते हुए सम्बंधित अंग से निर्देशित अंगों तक स्पर्श करे -
ॐ आत्म तत्वाय स्वाहा पादादि नाभि पर्यन्तं
ॐ ह्रीं विद्या तत्वाय स्वाहा नाभ्यादि ह्रदय पर्यन्तं
ॐ ह्सौ: शिव तत्वाय स्वाहा हृदयादि मस्तक पर्यन्तं
ध्यान मंत्र का ११ बार उच्चारण करे –
चतुर्भुजां कृष्ण वर्णां मुंड माला विभूषिताम,
खड्गं च दक्षिणे पाणो विभ्रतिन्दिवर द्वयं.
कर्त्री च खर्परम् चैव क्रमाद् वामेन विभ्रतिम्,
द्याम् लिहंतिम् जटामेकाम् विभ्रतिम् शिरसा द्वयं.
मुंड माला धराम् शीर्षे ग्रिवायामथ चापरां,
वक्षाग्रे नाग हारम् च विभ्रतिम् रक्त लोचनाम्.
कृष्ण वस्त्र धरां कट्याम् व्याघ्राजिन समंविताम्,
वाम पादं शव हृदि संस्थाप्य दक्षिणं पदम्.
विलप्य सिंह पृष्ठे तु लेलिहानासवं स्वयं,
सट्टाहासाम् महा घोर राव युक्ताम् सु भीषणाम्.
ततपश्चात १२१ माला निम्न मन्त्र की करे और उसके बाद ऊपर बताये अनुसार पद्दति को पूर्ण कर सदगुरुदेव से आशीर्वाद और सफलता की प्रार्थना करे.
मन्त्र- क्रीं ह्रीं ह्रीं
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स्वर्ण प्रदायक कालीका चेटक
जिस प्रकार रसायन विद्या,पारद, सूर्य विज्ञान और तारा साधना से स्वर्ण की प्राप्ति होती है , ठीक उसी प्रकार से साधक यदि पूर्ण मनोयोग से भगवती जगत जननी महाकाली के इस अद्भुत चेटक को सिद्ध कर ले तो उसे नित्य प्रति कुछ मात्र में स्वर्ण की प्राप्ति होती है . इस मंत्र को पहले महाकाली यन्त्र के सामने पूर्ण विधान से सवा लाख की मात्र में ७ दिनों में जप कर ले, पूजन का विधान आप सदगुरुदेव द्वारा लिखित “महाकाली साधना” ग्रन्थ में वर्णित है, आप उसी क्रम से पूजन करले और फिर आप निम्न मंत्र का जप पूर्ण एकाग्रता के साथ करे जिससे ७ दिनों में सवा लाख मन्त्र पूरे हो जाये, ८ वे दिन चमेली के फूलों को घृत मिलकर १००० आहुति इसी मन्त्र से दें.
मन्त्र- ॐ काली कंकाली किलेकिले स्वाहा.
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हाजरात प्रत्यक्षीकरण प्रयोग
शुक्रवार को चाँद निकलने के बाद जौ के सवा किलो आटे से एक पुतला बनाओं जिसे की हाजरात कहा जाता है, ये क्रिया शहर या गाँव के बाहर किसी मजार पर जाकर संपन्न की जा सकती है. टोंटीदार लोटे में पानी अपने साथ लेजाकर अपने हाथ पाँव,मुह धो ले और लुंगी तथा जाली दर बनियान या कुरता धारण करे रहे , यदि हरा आसान और वस्त्र हो तो ज्यादा बेहतर रहता है .उस मजार पर हिने का इत्र और मिठाई चढ़ा दे और आसन पर वीर आसन की या नमाज पढ़ने की मुद्रा पश्चिम दिशा की और मुह करके बैठ जाये और दिशा बंधन कर अपने सामने हाजरात को स्थापित कर सबसे पहले १०१ बार दरूद शरीफ पढ़े.
अल्लाह हुम्मा सल्ले अला सैयदना मौलाना मुहदिव बारीक़ वसल्लम सलातो सलामोका या रसूलअल्लाह सल्ललाहो ताला अलैह वसल्लम.
इसके बाद निम्न मन्त्र की हकीक माला से ११ माला करे और ये क्रम एक शुक्रवार से दुसरे शुक्रवार तक करना है,पुतला वही रहेगा जिस पर आपने पहले दिन साधना की है.ऐसा करने से हाजरात प्रत्यक्ष हो जाता है तब उससे तीन बार वचन लेकर उसे जाने को कह देना और जब भी जरुरत हो उसे बुलाकर कोई भी उचित कार्य करवाया जा सकता है. कमजोर दिल वाले साधक इस साधना को ना करे और करने के पहले गुरु की आज्ञा अवश्य ले लें.
मंत्र- या यैययल अलऊ इन्नी कलकिया इलैलया किताबून करीम
ईन्न उन्नुहु मिन सुलैमाना मिन्न हु बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
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अचूक विद्वेषण प्रयोग – जिसका प्रभाव कभी खाली नहीं जाता
बहुत बार हमारे जीवन में शत्रुओं का दखल ना चाहते हुए भी बढ़ जाता है या पति या पत्नी, या संतान गलत संगत में फँस जाते हैं तब ऐसे में ये विद्वेषण प्रयोग तीव्र प्रभाव दिखाता है. होली की रात्रि में यदि मात्र इसका ७ माला जप दक्षिण की और मुह करके कर लिया जाये तो ये मन्त्र पूरी तरह से सिद्ध हो जाता है,फिर जब भी आवशयकता हो सूखी हुयी ढाक (पलास,पाकड़) की लकडियाँ ले आये और आक के १०८ ताजे पत्तों पर निम्न लिखित मन्त्र जिसे आपने सिद्ध किया है लिख ले और अमुक और अमुकी की जगह उन व्यक्तियों का नाम लिखे जिनके मध्य झगडा करवाना हो. और आधी रात के समय एकांत में ढाक की लकडियों को जलाकर दक्षिण मुख करके १ बार मन्त्र पढकर एक पत्ता डाल दे मन्त्र में भी नाम का उच्चारण करना है,इसी प्रकार १०८ पत्ते डाल दें,निश्चय ही आपका मनोरथ यदि उचित है तो सिद्ध हो जायेगा.
मन्त्र- आक ढाक दोनों बगराई ,अमुका अमुकी ऐसे लरे जस कुकुर-बिलाई.
आदेश गुरु सत्य नाम को .
सात्विक प्रेत वशीकरण साधना
अक्सर भूत प्रेत का नाम सुनकर लोगो में भय व्याप्त हो जाता है उन्हें सिद्ध करने की कौन कहे,वैसे भी उन्हें सिद्ध करने की जो क्रियाएँ वर्णित होती हैं वो कम से कम सामान्य साधको और कमजोर मनोमष्तिष्क वालों के लिए तो नहीं है.ऊपर से ये भ्रान्ति की जो इन्हें सिद्ध करता है उसे ये तकलीफ दते हैं, साधक का बचा खुचा मनोबल भी समाप्त कर देते हैं.परन्तु ये सभी तथ्य वास्तविकता से कोसो दूर है. भूत प्रेत तो अपनी मुक्ति के लिए बैचेन ऐसी आत्माएं होती हैं जो किसी भी प्रकार अपनी मुक्ति चाहती हैं और परोक्ष अपरोक्ष रूप से सहयोग के लिए तत्पर होती हैं,वे सही और गलत कार्य दोनों कर सकती हैं परन्तु,जब साधक उनका दुरूपयोग करता है तो उन आत्माओं की तो मुक्ति हो जाती है पर साधक का जीवन दूभर हो जाता है. लेकिन उनका सदुपयोग करने पर आप जहाँ उन आत्माओं को मुक्त होने में माध्यम की भूमिका निभाते हो वहाँ किसी भी प्रकार हानि से भी सुरक्षित रहते हो.प्रस्तुत पद्धति किसी भी प्रकार से हानि रहित और प्रभावकारी है और इसे कोई भी साधक कर सकता है ,इस साधना की वजह से सिर्फ उच्च संस्कारों वाले प्रेत या भ्होत ही आपके वश में होते हैं ,जो एक सच्चे मित्र की भांति बिना नुक्सान पहुचाए हमेशा आपकी मदद को तत्पर रहते हैं.
अमावस्या के दिन स्नान कर पूर्ण पवित्रता के साथ व्रत रखे, फलाहार करे और लाल वस्त्र धारण करें, सात्विक रूप से प्रेत का चिंतन करे, वो पूर्ण रूप से सहयोगी बन कर मेरे साथ मित्रवत रहे ,यही चिंतन आपके मन में होना चाहिए.रात्रि में पीपल वृक्ष के नीचे जाकर पीपल के पांच हरे पत्तों पर पूजा की पांच सुपारी रख कर उनमे प्रेत शक्ति का ध्यान किया जाना चाहिए , फिर लोहबान अगरबत्ती ,काले तिल और फूल अर्पित करें और पीपल के पत्तों पर ही दही चावल का भोग गुलाब जल छिड़क कर लगादे और काली हकीक माला से वही खड़े खड़े ११ माला निम्न मन्त्र की करें.
मन्त्र- ॐ क्रीं क्रीं सदात्मने भूताय मम मित्र रूपेण सिद्धिम कुरु कुरु क्रीं क्रीं फट्.
और मन्त्र जप के बाद प्रार्थना करे की आप मेरी रक्षा करे और मेरी मित्र रूप में सहायता करे , ये क्रम मात्र ३ अमावस्या तक आप को करना है अर्थात प्रत्येक अमावस्या को को मात्र ३ बार ऐसा करना है.३ अमावस्या को सद् रूप में भूत आपके सामने आकार आपकी सहायता का वचन देता है.और ३ वर्ष तक साधक के वश में रहता है.
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रतिपति गन्धर्व साधना
साधना क्षेत्र में गन्धर्व साधना का विवरण ज्यादा प्राप्त नहीं होता है, सदगुरुदेव के आशीर्वाद से कुछ विभिन्न शक्तियों से युक्त गंधर्वों की साधना मुझे प्राप्त हुयी थी.उनमे से पूर्ण गृहस्थ सुख के लिए रतिपति गन्धर्व की साधना की जाती है , स्वामी प्रज्ञानंद जी का तो ये भी कहना रहा है की यदि व्यक्ति के वीर्य में शुक्राणु न हो, तब भी पूर्ण निष्ठां से की गयी ये साधना शुक्राणुओं की उत्पत्ति कर देती है और सामान्य रूप से जिस व्यक्ति में काम शक्ति की न्यूनता है उसके लिए तो इस साधना से बड़ी कोई साधना ही नहीं है.
पूर्णिमा की प्रातः भगवान महामृत्युंजय का पूजन गणपति और माँ पार्वती के साथ करें तथा महामृत्युंजय मन्त्र की ११ माला भी संपन्न कर ले.ब्राम्हण को भोजन तथा दान दक्षिणा से तृप्त कर दें ,रात्रि में शयन कक्ष में ही आसन पर बैठ कर हाथ में गन्धर्व मुद्रिका धारण कर सामने घृत दीप प्रज्वलित कर मोतियों की माला से २१ माला मंत्र जप संपन्न करें. एक पूर्णिमा से दूसरी पूर्णिमा तक नित्य निम्न मंत्र का २१ माला जप होना चाहिए. साधना का प्रभाव तो पहले दिन से ही दिखने लग जाता है स्त्री या पुरुष पूर्ण काम शक्ति और संतान प्राप्ति की क्षमता से युक्त होते जाते हैं. और ये रति शक्ति सामान्य से बहुत अधिक होती है.
मन्त्र- ॐ गन्धर्व रतिपति रतिबलम् कुरु ॐ.
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गुरु प्रत्यक्ष दर्शन साधना
यदि साधक को अपने गुरु के दर्शन करने हो और उनका सतत मार्गदर्शन प्राप्त करना हो तब इस साधना का प्रभाव अद्भुत चमत्कारी रहता है , यदि गुरु मन्त्र के सवा लाख मन्त्रों का अनुष्ठान संपन्न करके इस साधना को किया जाये तो निश्चय ही सफलता मिलती है.पूर्ण निर्जन स्थान या पीठ में गुरु यन्त्र और गुरु प्रत्यक्ष दर्शन सिद्धि यंत्र स्थापित कर साधना में सफलता प्राप्त हो ऐसा संकल्प लेकर उनयंत्रों और गुरु चित्र का दैनिक साधना विधि ग्रन्थ में दिए विधान से पूजन संपन्न कर गुरु मन्त्र की ११ माला जप करने के बाद प्रतिदिन इस हिसाब से मंत्र जप निम्न मंत्र का किया जाये की २ मास में ९ लाख मन्त्र हो जाये , तो निश्चय ही गुरु के दर्शनों का लाभ होता है और उनका सतत साधनात्मक मार्गदर्शन भी प्राप्त होता रहता है. इस साधना को गुप्त रखना चाहिए अन्यथा लाभ नहीं मिल पाता है.
मन्त्र- ॐ गुं गुरुदेव हुं फट्
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मुक़दमे में विजय प्राप्ति हेतु तंत्र प्रयोग
जीवन में कई बार व्यक्ति का धन लोग छल से ले लेते हैं, और वापिस ही नहीं करते सिर्फ आश्वासन ही देते हैं या व्यक्ति अकारण ही कोर्ट कचहरी के चक्कर में फस जाता है, चाहे वो कितनी भी इमानदारी बरते परन्तु वकीलों के षड्यंत्रों से उसका व उसके परिवार का जीवन दूभर होता जाता है तब वकीलों,विपक्षियों और जज की बुद्धि अपने अनुकूल करने में इस प्रयोग का कोई सानी नहीं है , यदि नीले वस्त्र धारण कर नीले या काले आसन पर बैठकर दक्षिण मुख हो कर मध्य रात्रि में छिन्नमस्ता यंत्र को सामने रख व्यक्ति उनका और गुरु यन्त्र चित्र का पूजन पूर्ण विधान से करके और नीली हकीक माला से २१ माला निम्न मन्त्र की कर ले तो ये मन्त्र उसके लिए जाग्रत हो जाता है , और जब भी वाद विवाद के लिए या मुक़दमे के लिए जाना हो तो मात्र ३ माला जप करके चला जाये तो कार्यवाही साधक के ही पक्ष में होती है , याद रखिये जप के मध्य कोष्टक के शब्दों का उच्चारण नहीं करना है , जब प्रयोग करना है तब उस स्थान पर नाम भी जोड़कर मंत्र करना है.
मन्त्र- नीली-नीली,महानीली (शत्रु/वकील/जज का नाम)
जीभी तालू सर्व खिली ,सही खिलो तत्क्षणाय स्वाहा.
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तीव्र आकर्षण साधना –गुमशुदा व्यक्ति को बुलाने के लिए
गुमशुदा व्यक्तियों को वापिस बुलाने के लिए मैंने इस साधना का प्रभाव बहुत अचरजकारी है. और अन्य मन्त्रों के बजाय इसे सिद्ध करने में कोई दिक्कत भी नहीं आती, नवरात्री में १०,००० की संख्या में इस मन्त्र को कर लेने से ये सिद्ध हो जाता है , सामने तीव्र आकर्षण यन्त्र रख कर मूंगा माला से इस मंत्र को १४ माला नित्य करने से ९ दिन में ये साधना सिद्ध हो जाती है. मन्त्र सिद्ध हुआ या नहीं इसका परीक्षण करने के बिनोला,पीली सरसों,तथा चूहे के बिल की मिटटी को मिला निम्न मंत्र से १०८ बार अभिमंत्रित करे,और एक सरकंडे को बीच में से चीर कर दो अलग अलग लोगो को जोर से पकडे रहने के लिए दे दे , और मन्त्र पढ़ कर उस अभिमंत्रित मिश्रण को उस सरकंडे पर मारे .यदि सरकंडा आपस में जुड जाये तो समझ ले की सफलता मिल गयी है .
फिर जब भी किसी खोये हुए व्यक्ति को वापिस बुलाना हो तो मध्य रात्रि में खोये हुए व्यक्ति का चित्र अथवा वस्त्र सामने रख उस पर अभिमंत्रित पिष्टी को ५४० बार मंत्र का उच्चारण करते हुए मारे. यदि व्यक्ति जीवित है तो निश्चय ही शीघ्र अतिशीघ्र वो वापिस आ जाता है.
मन्त्र- ॐ नमो भगवते रुद्राय ए दृष्टि लेखि नाहर : स्वाहा,
दुहाई कंसासुर की जूट-जूट ,फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा .
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सर्व विष हारक गरुण साधना
साधना जगत में कई साधनाए निर्जन में होती हैं, कई बार मनो वांछित साधना के लिए किसी वनस्पति की आवश्यकता होती है .ऐसे में वन में जाने पर सर्प आदि का भय होता है , परन्तु यदि साधक निम्न गरुण मन्त्र को ३००० बार पारद शिवलिंग के सामने बैठकर उनकी पूजा करने के बाद कर ले तो ये मन्त्र सिद्ध हो जाता है और जब भी वन में जाये तो प्रवेश करने के पहले इस मन्त्र को १०८ बार पढकर जमीन पर लकड़ी से आघात कर दे तो कोसो तक सर्प का भय नहीं होता है. इस मंत्र का प्रयोग भी हमने दोनों वर्कशॉप में किया था .
मन्त्र- ॐ पक्षिराज राजपक्षि ॐ ठ: ठ: ठीम् ठीम् यरलव ॐ पक्षि ठ: ठ:
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ये जो भी साधनाएं यहाँ पर मैंने आप लोगो के सामने रखी है, उनका मेरे जीवन में बहुत मूल्य है. मैंने इनका प्रयोग करके देखा है और लाभ प्राप्त किया है. मैं यहीकहूँगा की आप भी एक बार जरुर करके देखे. प्रभाव देखकर आप स्वयं आश्चर्य के सागर में डूब जायेंगे. यदि सदगुरुदेव की इच्छा और आशीर्वाद रहा तो क्रमशः और भी कई नवीन और गोपनीय तथ्य फिर आपके सामने होंगे.
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Torn clothes, tangled hair and his dress was strange and I was feeling very uncomfortable with him, but it was Bengali Maa’s order for me that I have to live with him because he has compiled many granths about different sadhnaas produced by SADGURUDEV himself and I need to share his experience as well. When I listened that he has such a great collection of books about sadhnaas I reached Mughalsarai station via Kaali Kho (Vindhyachal) and sat in the train of Jabalpur.
All the way I was thinking whatever Maa had told about him and after reaching at Jabalpur firstly I took the blessing of BHAIRAV at BAJNAMATH and then walked towards the banks of Narmada. I had come many times in Jabalpur and every time I came to know a new secret about sadhnaas.
This city was full of SIDDHS does not matter they belong to Jain Tantra, Muslim or Shaaber Tantra. There was a time when all the tantric procedures done here was matchless but with time SIDDHS and their tantric process became/turned secret. Bhai Arvind, Hasadbakhs, Jeevan Laal, Manikaa Nath, Avdhooti Maa was known to me but now I am going to meet a new gurubhai Paritosh Banerji.
In 1993 when shivir arranged on Chaitra Navraatri’s had completed I directly went to Bengali Maa in Vindhyachal for my sadhnaas and it was summer season so weather was hot, hot and just hot. In that shiver GURUDEV gave me knowledge about a new fact,” to complete SHAAKT SADHNAS you need to go Vindhyachal and remember in SHAAKT SADHNA acquire deep knowledge of SWER TANTRA by this very soon you will get success in the field of sadhnaa because when process of breathing (SHWAS PRASHWAS) is going on chanting (JAP) of every SHAKTI MANTRA is good because at that time MANTRA PURUSH remain conscious and during the middle of RIGHT breathing( DAAYE SHWAS PRASHWAS) power remain sleeping but chanting becomes more better if word “EEM” used at starting and ending on the mantra which is being chanted. This “EEM” beej is Kaamkala beej and by using it at starting and ending of JAP MANTRA sleeping of BAGHWATI SHAKTI get disturbed” by keeping all these in my mind I completed my sadhnaas.
From there when I reached at Jabalpur it was mid of May and hot sun rays were dying to melting me and water in the bottle was about to finish but by making my heart bold continuously I was walking on. Maa has told me that by stepping down from SARASWATI GHAAT I have to go straight on right side. Within the range of 3 kilometers nearby at SHAMSHAAN his hut was there.
But how I will recognize him-I asked Maa.
It’s not you but he will recognize you- Maa replied.
Keeping these words in my memory I was going on and Narmada ji’s water which flows at such speed that gives birth to fog (dhuaan) but just 2 kilometer away from that place at here SARASWATI GHAT its water was running with slow and sound tides. In such a bone melting hotness by seeing its water the satisfaction I felt, I cannot express in words. At first I took bath, changed clothes and start walking side by side of river. Suddenly someone call my name…I stopped and saw a man of middle height with fair complexion was calling me by waving his hand. I stepped forward at that direction.
When I reached closed he welcomed me by saying” JAI GURUDEV”, I replied the same and he said to me to come with him. Everything was all right but I was irritating by his dress, but at last we reached at their house, it was mud house with two rooms, one room was used as kitchen and drawing room and other room was filled with many hand written granths, kharal, Mrig Charmasan, Bajot, on the Bajot arranged different types of Yantra and majestic picture of SADGURUDEV was making this room more majestic.
From outside though this house was looked strange but from inside I was feeling a different type of comfort and on that hot day it was cooling inwardly.
It was evening and Paritosh Bhai was busy in his MADHYANAH SADHNA and when it was about to dark he came out from his sadhnaa kaksh and sat by me. I too was feeling fresh after having food and sleep. He took me to the river bank where we sat down having our legs in water and after a long silence I asked him about his life and he said,” in 1982 when I was in my granny’s house(nanihaal) at Midnapur(Bengal) first time I met with SADGURUDEV. My Nana ji had great interest in Tantra and he took DEEKSHA from SADGURUDEV and had completed many sadhnaas. As we are Bengalis so it’s in our nature to pray MAA AADI SHAKTI, my whole attention was in MAA KAALI’s sadhnaa and by sitting with nana ji I regularly heard his experiences about his sadhnaas for hour and hour. He too shared his experiences and also showed some chamatkaars. I asked from nana ji- can I do the same. He replied yes you can but tantra field is not a bed of roses but it becomes easy if one gets an able guru. After seeing my curiosity he took me to SADGURUDEV and requests him to give me DEEKSHA. SADGURUDEV gave me DEEKSHA and than according to his direction I started sadhnaas and with time it came into action. I accept success and failure with an equal heart. After seeing all that once when SADGURUDEV came to Jabalpur he gave me three heavy-heavy diaries which were full of with different types of TANTRIK PARYOGS. After that I completed my sadhnaas based on that diaries and get success.”
When it gets dark we came back and in the way he told me that for his earnings he does job in a bank. His permanent residency is in Gorakhpur (Jabalpur)but from many years he is living here for his sadhnaas and I do not remain the same he pointed at his dress and start laughing-
I am doing some AGHOR KRAM that’s why I am on three months leave from my bank.
At night by his PRET POWERS he arranged my favorite food.
Don’t you have any fear?
From whom-he asked
These ghosts and phantoms (bhoot preat)…
Why I get feared from them as they are very obedient (Nirapadd) and SADGURUDEV has told such an easy process that an ordinary man can get them sidh while carry on his normal life. At night by using KAALIKA CHEATAK he produces gold and by PAARD VIGYAAN he dictates me how to produce rubies (rattan). With the help of UCHSHHITT GANPATI PARYOG he told me very easy process for VASHIKARAN, ROGMUKTI, an easy but very effective process of BAGLA MUKHI SADHNAA to destroy enemy, SHAMSHAAN CHAITANYIKARAN Paryog, Process of DEEP SATAMBHAN. He also told me about the Mantra by which effect of Tantra can finish, to see past life he told me its secret process, he told me many ways to flourish business and moreover he gave me that diaries which are the base of all these paryog and allowed me to get them noted.
Those entire practicals were unique of their kind and after that out of them I almost completed every paryogs and sadhnaas and got success as well. When I thought about this section of magazine we all met in 64 YOGINI MANDIR for our sadhnaas and when I discussed with them about it they said now these practical and sadhnaas are you own and you are completely free to give them for other guru Bhai and bahen(spiritual community) so that their spiritual life can go further. Today out of from those paryogs and sadhnaas I am giving 11paryogs in the next pages of this MAHA VISHESHANK. I am not giving the process of Aawran Poojan and Praan Pratisthaa of Yaantraas because in our Gurudham Jodhpur and Delhi all these yantraas can be acquired in full life due to the sadhnaa shakti of PARAM PUJYA GURU MURTI .And it is useless to give tough section of sadhnaas as it divert the attention only. I have done all these practical and experienced their effects in my life. I hope that all of you will carry out these practicals in your life according to your capacity and needs and make SADGURUDEV and PARAM PUJYA GURU TRIMURTI proud on your success.
TEEVRA UCHSHHISHT GANPATI SADHNAA
ON KRISHAN PAKSH KI ASHTAMI take root of bitter neem and make statue(pratima)of lord GANESHA equal to your thumb. During the first part(pehla pehar) of night wear red clothes and sit on red altar(aasan) facing west direction and with the unbrushed or stale mouth( JOOTHA MUH) put(sthapit) that GANESH pratima on plate in front of you and then pray in front of SADGURUDEV for his blessing and then make your resolution and after that offer Laal chandan(RED SANDAL), akshatt( RICE), pushp( FLOWERS) to LORD GANESHA and then with the rosary of Laal Chandan(RED SANDAL) do MANTRA JAP five times and remember you need not to fresh you mouth(arthaat muh jootha hi hona chahiye). Continue the process for seven days and on eighth day means on AMAAVASYAA with five dry fruits (PANCH MEWA) offer 500 aahuties. With this MANTRA get SIDHH and then you can do many usages of it and two usages are given here-
1- The person to whom you want to attract or hypnotize establish(sthapit)SIDHH LORD GANESHA pratima on his or her photograph and do MANTRA JAP for three days to get success. This person can be anyone your boss, lover, beloved, colleague, friend or enemy.
2- On grain (Ann) get this SIDHH PRATIMA establishes (sthaapan) and for 11 days everyday complete three rosary circle of MANTRA JAP. By doing this in the whole year there will be no shortage of money and food in your house and after that if you do this MANTRA JAP everyday than the results remain same forever otherwise repeat this process within 6 months or a year.
DHYAAN MANTRA-
दंताभये चक्र- वरौ दधानं कराग्रग्रम् स्वर्ण-घटं त्रि-नेत्रं ,
धृताब्जयालिंगितमब्धि-पुत्र्या लक्ष्मी-गणेशं कनकाभमीडे.
Dantabhaye chakra varau dadhanam karagragram swarn-ghatam tri-netram,
Dhritabjayalingitamabdhi-putrya lakshmi ganesham kankabhmide.
मंत्र- ॐ नमो हस्ति मुखाय लम्बोदराय उच्छिष्ट महात्मने क्रां क्रीं ह्रीं घे घे उच्छिष्ठाय स्वाहा
Om namo hasti mukhaay lambodaray uchchhisht mahatmane kraam kreemhreem ghe ghe uchchhishthaay swaha.
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Nisha Kali - Protection of complete house and family
When it comes to the safety of family and home community nothing better we can have than this stuff.It is used Siddhiprad immediately. We make very agreeably home, build wealth, but suddenly in the home office is robbed, is fire, disasters face etc etc, and we remain with empty hands. If you want complete safety of the family, home to complete legislation that will be used by the view, you will be surprised to see its use. Macro-level national security to be done if the experiment will prove this amazing armor. This is just the application of only one night and relaxing throughout the year. I myself have used this many times. Even i did it for last the two workshop's safety and all my guru brothers witness that any kind of damage of health or life not happened infact results were amazing.
In evening make a Bhagwati Mahakali black statue of the clay and establish her and start worshipping in the night with all due instructions mentioned in 'Mahakali Sadhna " book published by Shree Sadgurudevji.The given method in texts they must conduct all night worship and sacrifice a 121 mala to the following mantra and before sunrise immersion of statue in water must be done.By doing this procedure throughout the year it provides armor to us.
At the time of worship appropriation must be done in such way :-
Om Asya shree nisha kali mantrasya dakshinaamurti rishi:, pankti: chhand, shree nisha kali devta:, hreem beejam,hreem shakti:,keelakam, gruha(kutumbam) raksharthe jape viniyogah :,
Karnyass and Shadang nyas -
Hraam Angushthabhayam Hraday Namah:
Hreem Tarjanibhyam Shirashe Swaha
Hroom Madhyamaabhayam shikhaye Vashat
Hraim Anamikabhayam Kavachay Hum
Hroum kanishthabhayam Netrataryaay Voushat
Hrah karatalkarprashthaabhyam Astraay Phat
Trust must carry out factor that is now part guided by the mantra Speaking associated organs should touch to -
Om Atma tatvay swahaa paadaadi nabhi paryantam
Om hreem vidyaa tatvay swahaa nabhyaadi hriday paryantam
Om hasau : shiv tatvay swahaa hridayadi mastak paryantam
Attention should pronounce dhyan mantra 11 times -
chaturbhujam krushna varna mund mala vibhushitam,
Khadang ch dakshine pano vibhritindavar davayam
Katri ch kharpram chaiv kramad vamen vibhritim
Dayaam lihintim jatamekaam vibhritim shirsa davayam
Mund mala dharaam sheershe grivaayaamath chaparam
Vakshagre naag haaram ch vibhritim rakt lochanaam
Krushna vastra dharam katyaam vyaghraajin samvitaam
Vaam paadam shav hridi sansthapyay dakshinam padam
Vilapya siham prashthe tu lelihaanaasavam swayam,
Sattahaasaam mahaa ghor raav yuktaam su bheeshanaam.
Their after chant by 121 mala of the following mantra should then complete the above mentioned procedure and accordingly pray for the blessings and success from shree Sadgurudev.
Mantra - Kreem hreem hreem
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Swarna pradayak Kalika Chetak
The type of alchemy, mercury, sun and star science discipline are the authentic ways of realization of the gold, exactly in the same way if sadhak just studiously seek mother Bhagwati Mahakali world to take this wonderful Chetka proven in some time,he can earn some gold towards the realization of her continual on daily basis.Now first of all place this Mahakali yantra and chant this mantra in front of it the first full quarter million of legislation in only 7 days,u can find the procedure of worship in book written by Sadgurudev "Mahakali Sadhana" is described in texts, worship her in the same order.Then chant the following mantra with full concentration and devotion should chant the mantra throughout 7 days a quarter million should be done, on 8th day take jasmine flowers together with melted butter, let the 1000 holocaust same mantra.
Mantra - Om kali kankali kile kile swahaa
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Hajraat Pratyakshikar prayog
After moon rises on Friday after a quarter pound of barley flour which an effigy of Bnoan called Hajrat.These actions can perform out of d town or village may be held by visiting a shrine. Take a water full container having a tap in it and wash ur your hands, feet in the water, mouth wash and rap up the apron and chekks inner or a kurta can be wear.If the asan's and shirt color is green the it would be better.Then spread perfume heena and offer sweets.Then be seated in heroic posture or take a same posture as a muslim prayer does at the time of reading namaz facing towards west direction and the lock the directions.Then establish the Hajrat infront of u, first read Hajrat Derud decent for 101 times
Allah Humma Salle Ala Saiyadano Maulana Mauhdiv Bareeik vasallm Salato Salamoka ya Rasulallah Salallaho tala Alaiah vasallam .
Then the following mantra should be chanted with 11 rosary mala hakik one and this order other than a Friday to Friday, the statue is suppose to be the same on which the first day you have performed.Doing in same way the Hajrat directly appears before u then take three times prmise frm him and then let him go.Then call him when it is required, by calling him any appropriate action can be made. The spiritual seeker should not the weak hearted and definitely take the first master's orders.
Mantras - Ya Yayyyal Alau Innee Kalkia Ilallaya Kitabun Karim
Ernn Uananuhu min Sulemana Minn Hu bismilllahhirrahamanirraheem
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Achuk Vidveshan Prayog -
whose influence never goes blank.
Many a times in our lives also increases the enemies would not interfere or spouse, or children are trapped in the wrong correspondingprocedure that use these displays intense effects. If only the holi's aupicious night chanting of the 7 Rosary is done facing south and the mantra gets fully proved siddh, then when need do take a dry Huyie Dack (Palass, Pkar) brought the dry stems and 108 of mudar fresh leaves following the mantra that you have perfected and so and so write their names on it between whom u want fight. And at midnight in alone take that dry stems and fire it and while firing just chant that mantra once facing south direction and just put one by one leave on which desired name is written offer it in the fire.In the mantra where amuk amuki is written just pronounce the names of those person between whom u want fight.Similarly offer all 108 leaves your desire will be accomplished if it's appropriate .
Mantra - Aak dhaak dodno bagrai,amuk amuki aise lare jas kukur-bilai.
Aadesh guru satya naam ko.
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Satvik Pret vashikaran Sadhna(Divine way of contolling Phantom and ghost)
Often whenever people hear ghost ghostly name they filled with a prevalent fear. So who ll say to prove them, in anyways the ways by which they can be proven are really not meant for a normal person or weak hearted person. Upon that various illusions are spreader that whosoever proves them is always troubled. Even they finished off the remaining confidence by doing such acts. But all these facts are very far from reality. Phantom Ghosts are such souls who are restless for their liberation in any way to his release by direct and indirect are willing to cooperate. They performs both type of work whether it is good or bad, right from wrong but when the seeker misuse them becomes the salvation of souls is the seeker's life is miserable. But their utilization on where you play the role of the medium to be free spirits there is protected from any harm. So present’s u a harmless from any and effective method and it can be done by any seeker, Due to this sadhna only well discipline and high values of Phantom or ghosts get in your control, who remains with u like a true friend without the harming and always ready to help you.
On full moon day of take shower and keep fast for whole day with purity, only have fruits and wear red cloths, with divine and pious way just remember the ghost and phantom whole day, think that they remain with u are friendly to me to be fully cooperative, this thinking should be in your mind. In night go under the Bodhi tree, take five green leaves and keep five nuts of worship and should keep in mind the ones that phantom power, then myrrh incense sticks, black sesame and laid flowers, then keep curd rice on that leaves then sprinkle rose water on it. And their only on standing mode just do the chanting 11 rosary of black mala from the following mantra.
Mantra : Om kreem kreem sadaatmane bhutay mam rupen siddhim kuru kuru kreem kreem phat.
After chanting the mantra and pray that you bless me and remain with me as my friend, to this order, you have to do that is just for three times on moon to the moon every time. Then just after 3 moon as the divine forms appears in front of u and promise u help and for 3 years remains in the hands of the seeker.
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Ratipati Gandharva Sadhna
In sadhna world we didn’t get much detail on gandhaarv sadhna, With the blessings of Sadgurudev I received apparently varios Gandharvs containing various strengths of the discipline .From that I got complete pleasure in household discipline the sadhna called Ratipati Gandharv sadhna is done. Even though swami Pragyanand ji also says that if individual sperm in semen is not even the full been given to this discipline is the origin of sperm and the person who normally work for him this spiritual power greater than any deficiency does not remain thereafter.
On full moon morning worship the lord Mahamrityunjay, Ganapathy and mother's Parvati and do the chanting of Mahamrityunjay mantra 11 times. Do satisfy the Bhrahmin with the food and donate something. In night be seated on asan in the bedroom and wear that Gandharva Mudrika and deep ignite grease before holding pearl rosary mala and chant for 21 rosary.Do it for one full moon to second full moon should be continually chanting the following mantra 21 mala. Showing the effects of meditation takes you from day one woman or man power to complete work and children are equipped with the ability to achieve go. And it is much more than usual Rati power.
Mantra : Om Gandharva ratipati ratibalam kuru om.
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Guru Pratyaksh Sadhna
If the seeker wants to get direct vision and philosophy of his master to get their continuous guidance to the effect of this meditation is wonderful miracle, the Guru Mantra Mantras of the quarter million by the discipline to carry out the ritual to be done, then of course, success get. On a blank pious space establish the Guru yantra and Guru pratyaksha darshan siddhi yantra and pray to achieve success in meditation with this resolution and start the daily meditation method given by Sadgurudev’s texts provided the whole procedure to carry out worship of Guru mantra chanting mala to 11 The following day, according mantra chanting spells to be done following the 2 months, 9 million mantras happens, then of course the master has the benefit of Views and get their continuous guidance is in sadhnatmak way. The secrecy should be maintain otherwise no benefit can be achieve
Mantra : Om gum gurudev hum phat.
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Sarva Vish Harak Garun Sadhna
In world of sadhnas many sadhnas are performed at lonely places, When desired wishful sadhnas are accomplished then we need the help from herbs.In such situation we have to visit woods for getting such herbs and their there is afraid of reptiles like snake etc. But if the seeker do the following mantra Gharoon for 3000 times and sit in front of Parad shivlingam and do worship after that the mantra is siddh. When you enter the forest before Let chant the mantra 108 times and then blow up the wood on the ground strongly and in that way no curse of snake fear does exists. We also use this mantra in our workshop.
Mantra : Om pakshiraj rajpakshi om thah: thah: thim thim yaralav om pakshi thah: thah:
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For Winning Court Cases (Tantra Prayog)
Trial system used to achieve victory in life sometimes deceitful person who take money and give back not only to the person or for no reason just assured the court the affair, whether it is honesty how many ways but lawyers from the intrigues his and his family's life becomes miserable, Therefore for getting favour in his side that the lawyers and judges mind gets divert towards him,to customize this experiment is a simply mash. If you wear blue clothes and be seated on s blue or black asan facing towards south direction in midnight and establish Chinnmsta yantra and Masters image then worship them by the full procedure and then if 21 rosary of blue beads is done with following mantra then the mantra becomes activate for him.Whenever its debate time or to go to trial hearing at court then, only 3 rosary beads run by chanting let the party is in the action seeker and in his favour only. Remember not to pronounce the words between parentheses, when to use by adding the name instead of it and then spell it
Mantra : Neeli Neeli Mahaneeli(shatru/vakeel/judge‘s name) jeebhi taalu sarva khili,sahi khilo tatskhanay swaha
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Intense attraction Experiment - to call the missing person
To call back the missing persons I have found the effect of this particular experiment simply astonishing. And rather than mantras proving this mantra is much easier and does not have any problem, In Navratree, if the number of 10,000 mantras are done then it said to be to proven. Just place Teevra Akarshan Yantra in front of it do chanting with coral beads for 14 times on the mantra of continual 9 days to prove it is spiritual. Whether such Mantra is proved or not to test it take Binolah, yellow mustard, and mud of rats home, while mixing it do the 108 times spellbound, and a reed in the middle of the rip to two different people to be caught out strongly and read mantra spellbound mix that died on the reed. Let the cane ge joint each other added to the sense of taking has been successful. Then when a lost person to call back take the lost person's picture in the middle of the night before or put clothing on him spellbound Pishte mantra recited 540 times. If the person is alive as soon as possible so of course he comes back.
Mantra : Om Namo bhagwate rudraye e drishti lekhi naahar : swaha
Duhai kansasur ki jut-jut, furo mantra ishawaro vacha
3 comments:
Hi friends
can anyone tell me whether the 5th issue of Tantra Kaumudi is released or not ?
Hi friends
can anyone tell me that whether the 5th issue of Tantra Kaumudi has been released or not ?
Jay gurudev
sarji mene tantra kaumudi yahoo mese lihe par open nahi hoti he kya ish keliye muze pdf ka softwer don lod karna ho ga
or sarji ae jo aakarshn ganpati pryog aap ne diya he vahape me havan nahi kar sakto to ushke bajaye me kuch or mantra japa karlu to nahi chale ga plz me
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