Thursday, June 2, 2011

Success in sadhana : what is Viniyog .


जो भी साधक या  शिष्य  हैं ओर  साधना  क्षेत्र में हैं   तो निश्चय  ही  किसी न किसी साधना  को अपनी क्षमतानुसार किया ही होगा   पर कभी यह सोचा की यह "विनियोग" नाम के शब्द  का अर्थ क्या हैं ओर किस बात  को इंगित कर रहा हैं .जो भी साधना क्षेत्र में सफल  हो ना चाहता  हैं  उसे तो पूर्ण  सावधानी के  साथ
साधना जगत के हर पक्ष  को सीखना ही  पड़ेगा, हम चाहे कितने  भी चतुर हो होशियार  हो पर हमें एक बात  तो सीखना  ही पड़ेगा की  जब तक  सदगुरुदेव भगवान्  इसकी अनुमति देंगेपरमहंस निखिलेश्वरानंद  जी के शिष्योंमें कोई  कमी  हो, संभव ही  नहीं हैं, तो यह समय हैं साधना  जगत के इस शब्द " विनियोग " केबारे  में  कुछ जानना का .  यह कहा जाता हैंकि " बिनु जाने होय  ना प्रीति"  साधारण  अर्थ तो यही हैं की जब तक  आप किसी के बारे में जानेगे  नहीं उससे स्नेह  भी  कैसे कर पायेगे .   
    
यह तथ्य  पूर्ण रूप से  साधना जगत के सन्दर्भ में ही  लगता हैं .पूनः एक प्रश्न सामने  आता हैं की   आखिर ये सब जानने  की हमें आवश्यकता   क्यों  हैं इसका उत्तर तो यही हैं की जब तक साधना  क्षेत्र के बारे में जान का  वह आवश्यक  भाव भूमि  हमारे जीवन में ना  जाये  सफलता कैसे प्राप्त  होगीहाँ सामान्य साधना  में सफ़लत संभव  हो सकती हैं    पर उच्च स्तरीय  साधना  में सफलता  पर प्रश्न वाचक चिन्ह ही हैं . 
हर साधक या  शिष्य को यह जानना  चाहिए ही
 एक उदहारण  लेते हैं
 "ॐ अस्य  श्री  गुरु मंत्रस्य  श्री नारायण ऋषि: , गायत्री छन्दः ,श्री निखिलेश्वरानंद  देवता , गुं बीजं , नमः शक्तिः ,श्री गुरु प्रद  पूर्वक सकल मनोकामना सिद्ध्येर्थे विनियोगः " 
प्रक्रिया सरल हैं  सीधे  हाँथ  में थोडा सा जल लेकर ऊपर  लिखे शब्दोंका उच्चारण करे , इसके बाद उस जल को  जमीन पर डाल दे. परन्तु कभी सोचा की इसका क्या अर्थ  हैं क्या क्या शब्द इसमें उपयोगित हुए हैं . उच्चारण करते समय कहाँ कहाँ ध्यान होना चाहिए
 एक एक करके  इन्हें हम समझने की कोशिश करते हैं.
 क्या आपने कभी "मन्त्र पुरुष" शब्द सुना  हैं, शायद  नहीं, पर साधना जगत  के उच्च लोगों के लिए यह अपरिचित  शब्द नहीं  हैं    हर मंत्र  का एक रूप  मंत्रपुरुष के रूप में होता हैं , जब साधक  किसी मन्त्र  की पूर्ण सिद्धि प्राप्त कर लेता हैं तब यह मंत्र पुरुष उस साधक के सामने  प्रत्यक्ष  होता ही हैं .
 पर यह बात तो सच नहीं  लगती ,ना किसी ने इसके बारे में  कभी लिखा , ना हमने सुना , तो  बिस्वास करना  कठिन सा हैं.
सदगुरुदेव के श्री चरणों में  जो ज्ञान प्राप्त हो सकता हैं  वह क्या किसी भी किताब या  व्यक्ति  के अनुमोदन की प्रतीक्षा  करता हैं? वह तो स्वयं सिद्ध ही हैं ,हम यह नहीं जानते की अन्य साधक  या व्यक्ति इस परक्या  कहते हैं पर जो भी हमारी परंपरा में उच्च स्तरीय साधक हैं वह भली भांति जानते ही हैं . की यह एक सच्चाई ही है   कोई कल्पना  नहीं.
जब इन शब्द  का उच्चारण  करते हैं तब इनका अर्थ  या भावभूमि होती हैं
  •  ऋषि  इसका उच्चारण करते समय  सिर  के उपरी  के भाग में इनकी अवस्था मानी जाती हैं .
  • छंद ------- गर्दन में (पर यह शब्द क्या विस्तार रखता हैं इसके बारेमें अगली किसी  पोस्ट  में ..)
  •  देवता ----- ह्रदय में
  • उत्कीलन ---- नाभि स्थान  पर
  • बीजं ------  कामिन्द्रिय स्थान पर
  • शक्ति --- पैरों  में (निचले हिस्से  पर)
  • कीलक --- हांथो में

वास्तव में यह विनियोग  एक प्रकार का  agreement  या समझौता , दिव्यता की साक्षी  में  होता हैं.
 तो अगली बार जबभी आप इस विनियोग  शब्द का उच्च्रंकरेंगे आप जानते हैं की कहाँ  कहाँ  भावना रखना  हैं ..
सदगुरुदेव भगवान् आपको  सफलता दे, उच्चता दे ,जीवन  में गरिमा  ओर इसका अर्थ भी दे .
बस आज के लिए  इतना  ही .......
Every body , who are a sadhak or sashays , may be once, he  did  any sadhana and follow the rules as per his capacity, but he ever think   that what is this  Viniyog ?, why we do that ? When one want  to successful  in sadhana than he has to  very careful regarding  every aspect of  sadhana field.  Since even though how intelligent we are , but never forget that  siddhita can only be achieved  when Sadgurudev allows  that, and paramhansa swami nikhileshwaranand ji’s shishy  can  have any weakness , no… no…  never possible. So  it’s the time to  know something more about sadhana.  It has been said that “binu janne hoy na priti “ roughly meaning is that without knowing other how can be it possible that we  can have sneh/love for them.
And the same thing is fully applicable for sadhana field. again same question we are discussing here , why   this knowledge  one need?. Answer is simple without knowing how can the essential bhav bhumi  develops,  siddhita  in smaller sadhana may possible but  for other..
one must know theses  facts.
Lets take an example
“Om asy shri guru mantrasy shri narayan rishiah, gyatri chhandah, shri nikhileshwaranand devta , gum beejam , namah shaktih,shri guru praad purvak sakal manokamna siddhyrthe viniyogah “
Process is very simple take a little water in your right hand and repeat the word written above, and after that leave that water on the floor. But  what is the meaning how it should be actually done. And where we have to have our concentration .
So take one by one.
 Do you know about “mantra purush”, maybe not. Every mantra has form known as a mantra purush and if one get complete siddhi  in that  particular mantra , that mantra purush appeared  in front  of the sadhak.
 But its  false thing, never listen about that, neither anyone  write in this regard, so how one can believe  on that.
 Guru gyan , that what  can only be gain sitting  just near to the Sadgurudev divine lotus feet ,is not the common thing and require  other  supports . we do not know that what other says , but higher level sadhak or our  senior guru bhai  who achieved a level  already knew that mantra purush  is a realty.
 So when we  say following  word  imagine /feel
·        rishi  imagine that rishi in  top of your head,
·        chhand   ------- your neck, (what is the actual meaning of this word in  any coming post 
·        devta ….      In heart 
·        utkeen ------ in neval point
·        beejam----  place  of sex organ
·        shakti ------ in feet
·        keelak---- in hand   
actually this vinyog a type of agreement in presence of divinity.
So next time when viniyog word comes  one can understand this word stand some more not just agreemnets and he  will do accordingly .
 I pray  Sadgurudev  ji bless you all  for success, and having desire to know about self, and provide a  meaning to your life
 That s enough for today…  


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1 comment:

Bishwajit said...

Jai gurudev ,
hajaro bar kiya hoga lakho bar suna hoga viniyog par hota kaya hai aaj pata chala .This shows how important all this small things are in sadhana really most of us do as it a process of sadhana knowing why it is done is very important hence whenever i will do viniyoga cant forget this post that made me realize the importance of this .what to say Thank you .

Regards
Bishwajit