" जाकी रही जैसी भावना " यह वाक्य साधना क्षेत्र में पूर्णता से लगता हैं . हम सभी यह जानते हैं की मन्त्र योग तो कल्पना योग का ही एक दूसरा रूप हैं , यदि आप किसी भी एक पत्थर को भगवान् शिव मान ले तो वह आपके लिए भगवान् शिव का रूप ही हो जाये गा, आप अपनी भावना उस पर व्यक्त कर सकते हैं . यह सत्य हैं की वह आपके लिए शिव का रूप हो गया पर आप किसी भी प्रकार का ठोस लाभ नहीं प्राप्त कर सकते हैं क्योंकि वह पत्थर अभी भी प्राण प्रतिष्ठा प्रक्रिया से नहीं अभिषेखित नहीं हुआ हैं , लाभ प्राप्त करने के लिए यह प्रक्रिया तो एक आवश्यक अंग हैं .
यह नियम तो हर जगह लागु हैं , हमारा विषय तो यहाँ पर पूज्य सदगुरुदेव जी के चित्र /फोटो से हैं . यह तो हर शिष्य के लिए वरदान स्वरुप हैं ओर एक प्रकार का दिव्य यंत्र हैं जो शिष्य को उन दिव्य श्री चरणों तक पंहुचा देता हैं . आप जो भी अपनी भावना व्यक्त इस चित्र के सामने करते हैं वह सदगुरुदेव जी तक पहुँचता ही हैं , यह कितना सौभाय ओर कितने ही आनंद की बात हैं न .. परन्तु इस चित्र को भी तो प्राण प्रतिष्ठित होना चाहिए तभी तो यह परिणाम प्राप्त होंगे .
हम अपनी साधना यदि सदगुरुदेव भगवान के प्राण प्रतिष्ठित चित्र के सामने करे तो यहतो ऐसा ही हैं की हमारी साधना के दौरान हर sec पर सदगुरुदेव जी की दृष्टी हैं ही .पर इसके साथ एक तथ्य यह हैं जो अधिकाँश साधक नहीं जानते या ध्यान नहीं देतेकी सदगुरुदेव भगवान् के चित्र के साथ पूज्यनीय माताजी का भी चित्र हमारे पूजा स्थान में होना चाहिए , ओर क्यों यह आवश्यक हैं , कारण यह हैं की हमें शिवशक्ति दोनों का ही आशीर्वाद चाहिए . तभी तो साधना में सफल हो सकते हैं . बिना पूज्यनीय मतजिके आशीर्वाद ओर उनके चित्र के हम सफल भी कैसे हो सकते हैं . तो आप दोनों चित्र को न केबल अपने पूजा स्थान में ही नहीं बल्कि अपने ह्रदय मैंभी स्थान दे . माता जी ही सद्गुरुदेव्जी का प्रत्यक्ष रूप में आज भी हमारे सामने हैं .
आखिर हम फोटो ग्राफ कोइतना महत्त्व क्यों दे. जिस तरह से दो व्यक्ति के अंगूठे के प्रिंट आपस में नहीं मिलते हैं उसी तरह से चित्रों का भी एक विज्ञानं हैं . जब हमकिसी के चित्र के सामने अपनी भावना व्यक्त करते हैं तब वह भावना उस व्यक्ति तक पहुँचती ही , ये बात अलग हैं की वह समझ पाए या नहीं . . एक तंत्र साधक ने मुझसे कहा था की .. यही कारण हैं की महायोगी , महा साधक कभी भी अपना चित्र किसी को देते नहीं हैं या उसको खीचने की आज्ञा भी ,. क्योंकि अगर आपके पास उनका चित्र हैं तो यह तो एक प्रमाण हैंकि कम या ज्यादा उसके माध्यम से उनका आशीर्वाद आप तक आएगा ही .
आप ही सोचिये , की वह ऐसा क्योंनाही करते , जब की वे साधारण शरीर के स्तर से तो पहले ही ऊपर उठ चुके हैं , साथ ही साथ इस भौतिक शरीर के प्रति उनका इतना अनुराग क्यों .पर अर्थ तो गहन हैं .
उन्ही तंत्र साधक आगे कहा की अनेको झूठे सिद्ध आज बाज़ार में उपलब्ध जो अपने भक्तो को प्रसन्नता के साथ अपना चित्र देते रहते हैं ओर उनके अनुयायी उसके सामने अपनी प्रार्थना व्यक्त करते रहते हैं, पर वे इतने शक्तिशाली नहीं हैं की इतने कर्म फलो के बोझ को सहन कर सके इन सभी का का अंत हमेशा ही बेहद दुखदायक होता हैं .
पर किसके पास इस सब सोचने का समय हैं .
हमेशा हम अपने प्रिय सदगुरुदेव ओर माताजी को अपने ह्रदय में स्थान दे ,, ओर जब दोनोही आपके ह्रदय में होंगे तो अब कोई बात ऐसी हो सकती हैं जिसके लिए मुझे आपके लिए प्रार्थना करना चाहिए , पर फिर भी आप सभी का स्नेह ओर श्रद्धा सदगुरुदेव जी ओर माताजी के दिव्य चरणकमलो के लिए बढ़ता जाये .
एक छोटी से सत्य घटना जो आपके सामने यह बताये गी की हमें दिव्य चित्रों के साथ किस प्रकार का व्यवहार करना चाहिए, ......
बंगाल के प्रसिद्द सिद्ध संत अन्नदा ठाकुर जी के जीवनसे हैं ( यदि में सही हु तो ) अन्नदा ठाकुर अपने मित्रो के साथ , उन्हें आये हुए एक स्वपन में मिले निर्देशानुसार इडन गार्डेन (कोल्कता ) में एक काली की प्रतिमा खोजने निकले , ओर उस प्रतिमा को प्राप्त कर अपने एकमित्र के यहाँ स्थापित कर दिया , पर उसी रात में माँ ने स्वप्न मेंकहा की तत्काल वह्प्रतिमा विसर्जित कर दी जाये , अनेको लोगो के विरोध के बाद भी वह्प्रतिमा अगले दिन विसर्जित कर दी गयी, पर विसर्जन के पहले पांच चित्र उतार लिए गये क्योंकि प्रतिमा अद भुत तेजस्वी थी. पर विसर्जन के तीन बाद जिस मित्र के यह प्रतिमा रखी थी उसे खून की उलटी होने लगी , उस परिवार के सभी लोगो ने अन्नदा ठाकुर को ही दोषी ठहराया , उन्होंने रात्रि में प्रार्थना की ये माँ क्या हो रहा हैं मैंने कहाँ गलती की आपके निर्देशानुसार ही तो किया , उन्हें आवाज सुनाई दी की मुझे कचड़े में दवा दिया तो ओर क्या होगा.
यह सुनते ही उन्होंने अपने मित्र सेकहा की वह खीच गया चित्र कहा हैं , जबसभी लोगोंने वह चित्र ढूंढा वह उन्हें एक कचड़े के डिब्बे में पड़ा मिला , जब अगले दिन विधिवत उस चित्र को पूजन कर स्थापित किया , तब उनका मित्र ठीक हो पाया .
क्या अब आप समझ गए की हमें दिव्य चित्रों को सदगुरुदेव भगवान ओर माताजी के चित्रों के प्रति किस प्रकार कीभावना रखनी चाहिए.
आज के लिए बस इतना ही ..
***********************************
The importance of guru chitra and other divine ones
“Jaki rahi bhavna jaisi “ this line is fully applicable in sadhana field . we all already know that kalpana yog becomes the mantra yog or both are related to each other. if you think / consider any stone as a bhagvaan shiv than it becomes Bhagvaan shiv for you. But let me correct the things ,though it becomes bhagvaan shiv but we are not able to get any benefit why…. Is because that stone still not pass through the life inducing process, a must for,,, prana pratishtha process.
The same principle is applicable to every where. Here we are concerned about Sadgurudev ji chitra /photo graph. This is the boon for a shishy . is a great yantra for us to reach his divine holy lotus feet . whatever you express in front of that reaches directly to him. What a joy… but that should be of pran pratishit also .
Doing sadhana, in front of sadgurudev ji photo graph is a great luck and it seems that Sadgurudev is watching every second of you , and one more important thing that many sadhak forget that one must also have photograph of shree mataji, you should have blessing of sadgurudevji and poojyaniya mataji both as a shiv and shakti in your pooja room, other wise how you can have shakti if param vandniya mataji not have place in your pooja room, and also in your heart. She is the Sadgurudev ji in other form.
Why we have so much importance of the photo graph , like thumb print two person photo graph are not a like. And even when you express your feeling in front of them that reaches to other one(whose photo graph you are having) that s other think that other person feels or not. one great tantra sadhak once told me that this is the reason why great sadhak or mahayogi never give their photograph or ready for photo graphing, means if you have the photograph than it’s a sign that this or other way his blessing falls yon you, think about a minit what is the obstruction for not taking their photo graph , when they are this material body than why such a restriction .
And that tantra sadhak also told me that there are so many false siddha in the market they also they give their devotee their photo graph , but they are not capable of handing such a karmic pressure that arise from continuous prayer happened on that , and result of that nearly all that false one’s end generally happened very tragic.
But who has the time to think that.
Always start that Sadgurudev and mataji photo with great respect and devotion , when Sadgurudev ji and mataji in your home in your heart , is there any need that I will pray for you, but i will do , that you all have more and more sneh/love and devotion to the divine holy lotus feet of poojyaniya mataji and Sadgurudev ji .
Here one small real story that will give you insight how one must behave with a photo graph of divine one.
One saint in Bengal if I am right his name was Annada thakur , they along with other friend ,on the instruction, they had received in dream ,search a ma kali statue in near of Eden garden (Kolkata) and when found that .they with all the ritual installed the statue in friend home, but in the night time, on the instruction of mother kali, very next day they have to offer that statue in the sea, but before that they had taken five photo graph of that so that each friends will have some memory of that. But just two/three days passed one of his friend start bleeding from his mouth every one accusing ananda thakur, he was very worried , in the night mother divine told him , they put me in the dust that’s why that happened to him. Very next days on the clue of that dream and instruction they searched the house of that fellow that taken photo graph. it was found in a dust bin, they again clean that and with proper respect place in pooja room. And his that friend get instantly healed.
Still do you need think that how we should pay respect the divine chitra of our beloved Sadgurudev and poojyniya mata ji photo graph and other ones too…
That’s enough for today ….
****NPRU****
|
Saturday, June 4, 2011
The importance of divine photograph of sadgurudev ji and divya yogies
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment