उस खँडहर तक पँहुचते पँहुचते शाम ही हो गयी थी . यहाँ मैं हसद बक्स से मिलने आया था. सदगुरुदेव जब सन्यस्त जीवन में थे तो हसद बक्स ने उनसे मुस्लिम तंत्र के अद्भुत प्रयोगों को ना सिर्फ समझा था बल्कि पूरी सफलता के साथ क्रियान्वित भी किया था .
मुस्लिम तंत्र के एक से एक नगीने थे उनके पास जो की उन्हें सदगुरुदेव से प्राप्त थे ...... और मेरा रुझान उन विधियों और रहस्यों को समझने में इसलिए था क्यूंकि वो सदगुरुदेव प्रदत्त ज्ञान था जो उनके अनुभूत और पूर्ण प्रायोगिक सिद्धि प्रदायक अनुभव सूत्रों से युक्त रहे हैं. वैसे सदगुरुदेव से मुझे व्यक्तिगत तौर पर सैकडो हाजरात और अचूक प्रयोग प्राप्त हुए थे और सदगुरुदेव ने बताया था की किसी भी धर्म का कैसा भी तंत्र प्रयोग या साधना हो यदि पूर्णता की और अग्रसर करता हो तो वो कदापि अनुचित नहीं है. उसी दौरान उन्होंने मुझे कहा था की यदि कभी तुम्हे अवसर मिले तो जबलपुर जाकर हसद बक्स से जरुर मिलना.
परन्तु जब मेरी जिज्ञासाओं का शमन कर देते हैं तो भला मैं अन्यत्र क्यूँ जाऊँ ? मैंने कहा.
बेटे इन प्रयोगों को प्रायोगिक रूप से समझने के लिए वो स्थान उपयुक्त भी है और उसका निवास स्थान चौसठ योगिनी के पास ही है , जहा वो काम चांडाली की साधना को कर रहा है. उसे भी विभिन्न मतों से साधनाओं को सिद्ध करने और उन अनुभूतियों से दो-चार होने में आनंद आता है . सदगुरुदेव ने कहा और उसका पूरा पता मुझे समझा दिया.
घर आकार मैंने जिन क्रियाओं और प्रयोगों को समझा था उनके व्यावहारिक पक्षों को आत्मसात करने का प्रयास करने में जुट गया , इसी उहा-पोह में ३ साल बीत गए और मेरी गति भी कुछ ठीक ही हो गयी थी मुस्लिम साधनाओं में...... इन्ही साधनाओं को करते समय मेरा रुझान कुछ कठिन और दुसाध्य साधनाओं की तरफ हुआ . हलाकि श्मशान साधनाओं को मैं भली भांति समझ कर संपन्न भी कर चूका था,परन्तु मुस्लिम पद्धति की तीव्रतम साधनाओं को करने का भी बहुत मन था.
तभी मुझे हसद भाई की याद आई और एक दिन मैं वहाँ के लिए निकल पड़ा. श्रीधाम से पैदल चलते चलते शाम हो गयी तब जाकर मैं उस जगह पर पंहुचा जहा हसद भाई का रहवास था, मैंने उन्हें आवाज़ दी तो थोड़े ही देर में चररररर की आवाज़ से उस खँडहर का पुराना दरवाजा खुला और, एक ५५-६० साल के दाढ़ी से भरे हुए चेहरे वाले व्यक्ति ने दरवाजा खोला था.
नूर (आभा) से भरा हुआ चेहरा , कसरती शरीर और रुआबदार आवाज के मालिक ही थे वो. मुझे देखते ही बोले आजाओ आ जाओ तुम्हारा ही इन्तजार कर रहा था , कोई तकलीफ तो नहीं हुयी यहाँ तक पहुचने में????
जी नहीं , सही सलामत तो पहुच गया , फिर अब क्या तकलीफ. हाँ भूख बहुत जोरो से लगी है. प्यास से गला भी सूख रहा है, पर क्या आप बताएँगे की आप शहर से दूर इतने दूर इस उजाड में क्यूँ रहते हैं . क्या आपको दीगर जरुरी सामान को इतनी दूर से लेन के लिए जाने में परेशानी नहीं होती.
हाहाहाहाहा ..... अरे नहीं मेरे बच्चे मुझे बिलकुल भी तकलीफ नहीं होती .... मेरे उस्ताद ने मुझे ऐसी तौफीक अता की है की मुझे सभी जरुरत का सामान यही मुहैया हो जाता है. मैं तो अपना सारा समय नए नए तजुर्बों के लिए लगाता हूँ. इसके अलावा इनसे जुड़ी सारी चीजे मुझे मेरी रूहानी ताकते ही जुटा देती हैं.
हैं........... भला वो कैसे ...... और कौन सी ताक़ते आपको ये सहुलियते देती हैं????
बहुत सी हैं मेरे बच्चे ...पर... मुझे किसी बाहरी ताकत की जरुरत ही नहीं होती. मेरा अपना वजूद मेरी जरुरत पूरा कर देती है .
आपका अपना वजूद मैं समझा नहीं ????
समझाता हूँ...समझाता हूँ ....पर... पहले कुछ खा पी तो लो. जाओ पहले हाथ –मुह धो लो. वहाँ उस सपन्ने (स्नानागार) में गरम पानी रखा हुआ है.
पर वो आपने कब किया !!!! आप तो यही बैठे हुए हैं. क्या कोई और भी है यहाँ पर???
अरे नहीं नहीं मेरे अलावा कोई और नहीं है यहाँ पर .... मैंने कहा ना की मेरा अपना वजूद ही ये सब काम करने के लिए पर्याप्त है.
अरे वो तो मैं समझ रहा हूँ पर भला ये कैसे संभव है की आप यही हो और आपके काम भी आप ही कर रहे हो!!!!!!!!!!
बेटा ऐसा ही है.... पर मैंने कहा न की जाओ पहले मुँह हाथ धोकर कुछ खा लो.
जी , जैसा आप कहे. ये कहकर मैं उठा और हाथ मुँह धोकर दस्तर खान(चटाई) पर बैठ गया. सामने ही थाली ढंकी हुयी थी ,जिसे मैंने खोला तो............ दांतों तले अंगुली दबाने को ही विवश हो गया ... क्यूंकि, उस थाली में गर्मागर्म चावल, दाल,रसेदार आलू गोभी की सब्जी और पापड़ रखा हुआ था(ये सब मेरा पसंदीदा खाना ही था). खैर भोजन करने के बाद मैं जब उनके पास बैठा तो उन्होंने कहा की चलो साधना कक्ष की और चलते हैं.
एक कमरा, दूसरा कमरा ऐसे पांच कमरों को पार करने के बाद हम उस कमरे में पहुंचे जहा पर ढेर सारी किताबे और साधना की जरूरात के सभी सामान मौजूद थे. एक मनमोहक खुशबु वहाँ फैली हुयी थी. एक बात बताना मैं जरुरी समझता हूँ की उस पूरे घर में जरा सा भी कचरा नहीं था बल्कि सभी कमरे अंदर से दुरुस्त और साफ़ हालत में थे. वह पर दो कम्बल बिछे हुए थे जिन पर हम बैठ गए.
जी अब बताइए आप क्या बता रहे थे??
मेरे बच्चे मैं जब वजूद की बात करता हूँ तो उसका एक बहुत ही गहरा मतलब है. हर इंसान के दो वजूद होते हैं.एक जिसे हम हर पल महसूस करते है जो हमारे साथ ही चलता फिरता है , हमारे साथ हमारे समान ही जीवन की सुख सुविधाओं का उपभोग करता है, लेकिन दूसरा वो जो हमारे साथ जन्म लेता है रहता है पर हमारे मरने पर भी उसका अंत नहीं होता है .पर शक्ति सामर्थ्य में वो हमसे कही कही कही बहुत ज्यादा होता है , असंभव को भी संभव कर सकता है
जो. मनुष्य के शरीर से जो भी जुडा हुआ है, वो अपने आपमें ताकत से भरा हुआ है पर हम जब अपने उस अंग का उस भाग का प्रयोग सही तरीके से नहीं कर पाते तो ऐसे हालत में वो शक्तिहीन होकर मृतप्रायः ही हो जाता है .
उसकी समुचित क्षमता का प्रयोग न कर पाने से हम हमारी ताकत को ही कम करते चले जाते हैं. जैसे हमारी परछाई अपने आपमें शक्ति शाली होती है और ये हमारा ही वजूद होता है . चाहे प्रकाश हो या न हो इसका अस्तित्व खत्म नहीं होता हाँ ये अलग बात है की ये तब आँखों से ओझल ही रहता है. इसके द्वारा ही अपने हमजाद को वश में किया जा सकता है .
क्या ये क्रिया सरल है ???
नहीं ये सरल नहीं है , जिसमे बहादुरी,चतुराई नहीं है और जिसका दिल मजबूत नहीं है वो इसे सिद्ध नहीं कर सकता और ना ही ऐसे लोगो को ऐसा कोई प्रयास करना चाहिए.
ये क्या क्या कर सकता है ???
उड़ कर एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुच सकता है .
आकाश से लेकर पाताल तक की किसी भी जानकारी को लाकर दे सकता है .
पहाड़ों को उठाकर पल भर में ला सकता है.
असाध्य बिमारियों को साध्य कर सकता है.
भविष्यगत घटनाओं को बता सकता है .
किसी को भी वश में कर सकता है .
पर एक बात याद रखो की कोई भी बुरा काम करवाने पर ये खुद तुम्हारे लिए ही मुसीबत खड़ी कर देता है और तब उस मुसीबत से तुम चाह कर भी दूर नहीं हो पाओगे. सच्चे कामो में ही इसकी मदद लेनी चाहिए. आपकी जिंदगी को आप आसान बनाओ ये गलत नहीं है पर उसके लिए दूसरों का बुरा करके तो कभी नहीं.
इसका तरीका क्या है?
इसको ४ तरीको से किया जा सकता है –
दिन में धूप में,रात में चिराग के उजाले में ,शीशे के सामने दिन या रात में या फिर सिर्फ रात में.
और जब तक क्रिया खत्म ना हो तब तक हमजाद से कोई बात नहीं करना चाहिए. ना ही कोई वस्तु उससे लेनी चाहिए .चाहे वो ये कहे की अब तो मैं आ गया हूँ और क्रिया खत्म कर दो तब भी अपनी क्रिया को बंद नहीं करना चाहिए .जब क्रिया पूरी हो जाये और वो आपसे बात करे तो बहुत ही होशियारी से उसका जवाब देना चाहिए, क्यूंकि वो बदले में अपनी शर्ते आपके सामने रखता है .
इस प्रकार कई ऐसी बाते हैं जो की उन्होंने मुझे समझाई और जिनका प्रयोग मैंने करके सफलता भी पाई. और बहुत से विधान भी समझाए पर वो अत्यधिक कठिन भी है और उन्हें पूरा करने के लिए बता की आत्म शक्ति भी चाहिए.और यदि मैं उन तरीको को यहाँ पर रखता तो आप सभी को लगता की हम कठिन क्रियाओं को ही बताने के लिए लिख रहे हैं पर उन्ही तरीको में से एक सरल परन्तु अचूक विधि मैं आपके सामने रख रहा हूँ जिसका प्रयोग मैंने भी करके देखा है और शतप्रतिशत सफलता भी पाई थी.
विधि मात्र ये है की आप अपना नाम ९० दिनों तक प्रतिदिन ३१२५ बार कहे पर जब भी नाम ले तब नाम के आगे या लगाया करे , जैसे की मान लीजिए आप का नाम आदित्य है तो अमल के समय ‘या आदित्य’ कहे . ये क्रिया अकेले में करना जरुरी है
जहा इतना प्रकाश हो की आप को आपका साया दिखाई देता हो इसके लिए यदि रात में अभ्यास कर रहे हो तो मिट्टी के दिए में सरसों के तेल का चिराग जला ले . और एक नियत समय पर इस अभ्यास को करना है . साफ़ कपडे पहने हुए हो.
जितने दिन भी आप ये अभ्यास करेंगे कोई और उस कमरे या स्थान पर न जाये इस बात का विशेष ध्यान रखियेगा.और जब भी आप कोई चीज खाए पीये तो खाने या पीने के पहले थोडा सा हिस्सा जमीं पर डाल दिया करे.और ये कहे की लो आदित्य तुम खा लो या पी लो.ये तुम्हारा हिस्सा है.
यदि आपने ये क्रम बगैर चुके ९० दिन कर लिया तो निश्चित ही एक सौम्य परन्तु तीव्र शक्ति शाली हमजाद आपके कामो को सरल करने के लिए आपके वश में होगा, ये धीरे धीरे आपके सामने आते जाता है और अंततः आपके सामने प्रत्यक्ष हो जाता है , फिर आप जो भी आज्ञा देते हैं वो उसे पूरी करता ही है ,
हाँ एक बात याद रखियेगा की जब भी आपके किसी काम को पूरा करने के लिए जायेगा उतनी देर तक जब तक वो वापिस नहीं आ जाट तब तक के लिए आपकी परछाई गायब ही रहेगी.ये आपको अन्य हमजाद प्रयोगों जैसे कोई नुकसान भी नहीं पहुचता. साधना बीच में बंद होने पर कोई अहित भी नहीं होता है.ये आपकी अपनी वो शक्ति होगी,जो की हमेशा श्रेष्ठ कार्यों में आपकी मदद किया करेगा. इस क्रिया में और कोई बंधन भी नहीं है.
मैं बहुत शुक्र गुजार हूँ हसद बक्स जी का की ये दुर्लभ ज्ञान उन्होंने मुझे दिया. यदि सदगुरुदेव का आशीर्वाद रहा तो और भी गोपनीय पक्ष व प्रयोग भविष्य में आपके सामने रखूँगा
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On reaching that ruins of the house evening started .here I came to meet Hasad Baqs. when Sadgurudev was in sanyasi life Hasad Baqsnot only understood very rare miraculous prayogs of muslim tantra sadhana but also get fully successfully complete that. He has various unmatched gems of muslim tantra what he got from Sadgurudev ji. mine aim towards learning and understanding the mystry and process was, so since that were the times tasted ,self realized, fully effective gyan of Sadgurudev ji,,I already have hundreds of hazraats and other prayog received directly from Sadgurudev ji. sadgurudev ji told that any sadhana or tantra from any religion/dharma if help you to progressed on the path of completeness than learning that could not be wrong or mistaken .in that duration he told me if you have time than go to Jabalpur and definitely meet hsad baqs there.
When you already solve and provide solution of mine queries than why should I go to meet others in this respect, I told him.
My son that place is very suitable for practically learning these prayog and he lives very near to choushat yogini where he is doing kaam chandali sadhana. He also enjoy the sadhana of various sects and mat and enjoy the experiences on that Sadgurudev ji replied and gave me full details of his residence.
On reaching home what I learnt from him ,try to understand/do practically all the aspect of that like that 3 years had been passed, my progress on the muslim tantra was satisfactory, truly my inclination towards doing that sadhana was on difficult and rare sadhana, off course I thoroughly understand and practiced shamshan sadhana very efficiently but most effective and powerful sadhana of muslin tantra also attaracts me.
Then thought of meetting hasad bhai come to mine mind and one day I went to meet him, from shree dham to reaching his house through walking alone , evening started. I called him, than with sound the doors of that old ruins of the house opend and 55-60 years old person with fully grown beard on his face in front of me .radiance on his face, well built body and effective voice were his first introduction. On seeing me he told come inside come inside I was waiting for you , had not face any difficulty on reaching here.
No not at all, I safely reach here, now what more trouble left for me. Yes too much hungry and trusty I am ,but can you tell me why such a distance from town you live here, do you not face any difficulty to get general house hold things.
Ha ha ha ,oh no not at all ,my master gave me such an vidya through that all the needed things here itself arranged, I devote my time to learn new, new prayog and all the necessity things realted to that already made available to me through ruhani forces.(astral forces).
What .. how is that possible what are the forces help you in this context???
There are many , my child but I do not need help from any outer forces mine own existence fulfils mine needs.
Your own existence I could not understand????
I will clear the situation but before that have some food , go and first wash you hand and face ,there are hot water available in sampanne (bathroom).
When did you do that !!!! you are sitting here with me , is here any body else ????
Oh no no one except me live s here, I told you mine existence is capable enough to do that .
I am understanding that but how is that possible that you sitting here with me and all the house hold work you are doing same time.
Thais as it is my son…. But i told you to go and wash you face and hand and have some food.
Yes as you like , I stand up and after washing mine face and hand sit on the dastarkhan (matt) for taking food. When I opened the thali (set aside its covering plate).i was about to chewue my own finger that mine all favorite dish like hot rice ,daal, sabji of alu and ghobhi and papad was there. After finishing mine food when I sit next to him , he told me let’s move to the sadhana room. One room than other room like that after crossing the five room we finally reached the room filled with books and essential sadhana materials and very attractive, soothing fragrance was in that room. One important thing I would like to share that that house was not even a little dust .every room was very clean and in good shape, there was two kambal on the floor on that we sit .
Yes, now tell me what you are saying to me.
My child, when I talk about existence that has very deep meaning each person has two existence one that we feel every moment ,walk all the time with us, like us he also enjoy all the things and comfort enjoyed by us, and other one is that who born with us and with us even after our death, but on power he is much much capable , that can makes impossible to possible. What ever attached to with human body that is filled with power, but when we did not use that through proper way than become powerless and almost died. So on not utilizing that our own power we are reducing our own strength. Like that our shadow , yes that is also our part and highly powerful and also our existence , either in dark or light its existence never end, yes that is another thing that in dark its is invisible to us. Through that our hamzaad can be controlled.
Is that kriya is very easy.????
No not that easy, those one who lacks wisdom, cleverly, courage , that can not get siddhta in this and should not even try for that.
What type of works this can do ???
Through flying it can reach from one place to other .
Gives us information about anything available between earth to sky.
Within second lift mountains for us.
Can Cure ant type of incurable disease
Fore tell future for us.
Can hypnotized anyone.
But keep remember that if used in bad karam that this can makes a terrible problem for you and for that you cannot escape, even if you tried hard. Always take help him in good work, to make your life easy is not bad but not on the cost of others.
What are the way for this..
That can be possible through 4 ways.
Day time in sunlight, in night time in the light of deepak ,in day or night in front of mirror, or in night only.
Till that finally process end ,one should not talk to hamzaad, neither accept any things from him, when he told you that now I am here and stop the process, you should not end the kriya. When the process end than very wisely replied him on only asking by him. Since he place many condition in front of you. He also mentioned many important things about this and applying of that I became successful in this sadhana, he also told me various other prayog though they are very difficult and successfully completing that requires a great degree of atam bal .if here I am mentioned all that you can think that for tough things I am mentioning here, but in that way one of very easy and accurate process describing here, I applied and became completely successful.
Process is like.. for 90 days continuously say your own name 3125 times like that use prefix” ya”. suppose your name is Aditya so while time of amal say “ya Aditya” ,this process need to be done alone having only such a light that you can only see your shadow. If practicing in night light up the Deepak filled with sarson oil(mustard seed oil). Practices on the same time each and every day. the number of days you are practicing the sadhana be careful no one except you, can enter that place/room. whenever anything either you eat or drink , a little portion of that be place on the floor/earth and said lo Aditya “lo khalo ya pi lo ye tumahara hissa hain “(here is aditya your share eat it or drink it) if you are successful doing this for 90 days without any gap definitely a soft but highly powerful hamzaad is in your control to make easy your work, and slowly and slowly this appears in front of you , and finally he fully appeared in front of you. whatever you ordered him, he will follow that , yes til that he returned from completing the task given by you , your shadow will be invisible. In this prayog you do not have to face any danger like in other hamnzaad prayog. If sadhana breaks than too not have any danger to you. This is the power who helps you in all the good works, there is not any other restriction.
I am highly oblized to Hasad Baqsji for giving me such a rarest gyan to me, if have blessing of Sadgurudev I will open many more secretive aspect and dimension of that.
****NPRU****
17 comments:
tantra kaumudi ka fifth edition aane me aur kitna din lagega bhaiya ?
Hamzaad sidhi ke bare mae maine bohot se logo se suna hai, par kisi se pori jankari nahi mil payi.
Aap ne jo kuch bhi yaha bataya woh kafi simple aur saaf bhasa mae bataya hai. Par kya aap mujeh ye bataynge ki sidhi karne ke dauran mae apne dincharya ke kaam jaise office jana , colleage jana aur bakis saab kaam kar sakata hon ya nahi . Aur mujhe ye bhi batye ki kya Mantra sankhya ka poora ek baar mae japna hai ya beech me vishram ke utha bhi sakte hai.
Sath hi mere maan me ye duvidha thi ki Hasad baksh sahab ne kha hai ki Hamzaad apko kuch bhi de ya baat karne ki koshish kare toh us se na kuch saman le na uski bato mae toh kya 10 din ke baad bhi mae uss se baat na karo aur uski koi cheez na lo.
Pl mera margdarshan kare , kya sidhi karte waqt kisi suraksh mantra ya chakra ka upyog bhi karna hai ya nahi.
Mae apka bohot abhari rahonga.
bhai sadhna kaal ke baad aap us hamzaad ka poorn labh le sakte hain, uske pahle nahi, aur mantra pashchim ki taraf muh karke kare to jyada behtar hai , 35 mala aap kar sakte hain hakeek mala se
aap office wagairah ka kaaam kar sakte hain par brahmcharya ka vishesh dhyan rakhe
Nikhil sahab, apne jo marg darshan kiya hai uska mae bohot abhari ho.
Kripya ek shanka ka smadhan aur kare, Jo 35 mala apne japne ko kaha hai use ek raat mae karni hai ya 10 raaton tak divide karke karna hai . Aur suraksha chakra ke baare mae bhi bataiye.
Dhanyavad
Subodh
Bhai, yah sadhna bina kisi samagri ke ki ja sakti hai?
mantra jap karne ke liye agar koi bhi vigraha liya jaye to ye chal sakta hai?
Bhai,
bina kisi samagri se ye mantra jap ho sakta hai? mansik vigraha mantra jap ke liye le sakte hai? krupaya margadarshan kijiy.
Nikhil ji, i am waiting for ur reply, mujhe bataiye ki Gurudham delhi ka pata kya hai ? shayad waha jakar mujhe mere sawalo ka jawab mil sake aur poojniya guruji ke darshan prapt ho sake. Aur maine apke gmail ke account par mail par mail bhi ki thi par aap ne uska koi uttar nahi diya.
bhai, aap delhi, kohat enclave peetam pura,aarogya dhaam ya jodhpur me dr, shrimali maarg, high colony guru dhaam me jakar guru dev ke darshan kar sakte hain.
sir me mancik or aartik paresani se bhaut toot chuka hu please help me commodity me bahut loss ho chuka he mere shat ak saya raheta he jo dekta he par bat nahi kar ta he baat kese ke jaye
sir mere sat ek saya raheta he o dekai deta he par baat nahi kar ta he koi mantra batye jicse me baat kar sakhu mancik or arthik pareshani se toot chuka hu sir please upukt shalah de
Hamjad sidhi ke liye pora margdharsan kare . Jisse hame shidhi prapt ho. Shath hi tantra kuomudi ke safi addisan hamare email par bhejne ki kripa kare...Email-jnbkrishna01@gmail.com
Sir . Mai 7/9/12se hamjad sidhi ke liye subah 6:30 baje kaali hakik ki mala se safed vastra pahan kar paschim ki taraf muoh kar sisa ke samne karta hou. Sir mera marg darshan kare ki ye sadhana kab tak karni hai tatha kya savdhaniya bartni hai. Tahta ye bhi bataye ki 90dino mai swapndos hota hai to sadhna safal hogi ya nahi .
Jai gurudev arif bhai kripaya kar gaibi hamzad sadhana bhi blog me post kare
Jai gurudev Arif bhai kripaya kar Gaibi Hamzad sadhana bhi post karne ki kripaya kare jis ka sab log labh le sake Saath sadhanein jo aap ne di thi us waqt hum aply nahin kar sake the
krupaya mujhe sari vidhi bataye...
aur main apse is bareme kuch prashn puchna chahta hu...kya aapka no. mil sakta hai?
please mujhe aap koi asan vidhi bataiye.. isme agar hamse galti hui to kuch nuksan ho sakta hai?
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