उस गुफा में बैठे बैठे में देख रहा था अपने सामने जल रही लकडियों को. कैसे और क्यों आना हुआ यहाँ आखिर किससे मुलाकात होनी है कुछ भी अंदाजा नहीं बस सदगुरुदेव के कहने पर ही उनके आशीर्वाद से पहोच गया में...कुछ ही देर में होने वाली थी यहाँ पे सिद्ध साधको की एक मुलाकात या यु कहा जाए की तांत्रिक सम्मलेन, लेकिन अभी तो यहाँ पे कोई नहीं है, में अकेला अपने आप में खोया हुआ बैठा था कभी कभी नज़र भर के देख लेता था उस लंबी चौड़ी गुफा में चारो और. पता नहीं कितना समय हो गया था और तभी एक तरफ से कोई दुबला पतला संयाशी आया मेने उसे रोक के कुछ पूछना चाह लेकिन उसने खामोश रहने का इशारा करते हुए एक तरफ को निकल गया या यु कहू की अद्रश्य ही हो गया...क्या करू यही सोच में बैठा रहा थोड़ी देर और फिर से देखने लगा उस आग को...और कुछ था भी तो नहीं उस पूरी गुफा में...तभी अचानक मुझे लगा की जेसे कोई मेरे पीछे खड़ा है, मेने पीछे मुड के देखा तो आँखे फटी की फटी रह गयी...लगभग सादे छे फूट का भरी भरकम कद...जटा एसी की मजबूत रस्सियों को परस्पर गूँथ दिया हो..गले में कुछ माला पहनी हुयी सी जो किस पदार्थ की थी में जान नहीं पाया...पूरा शरीर निर्वस्त्र आँखों के डोरे लाल..चेहरे पर लालिमा लिए हुए गोरापन उन्नत ललाट...एक गजब का आकर्षण था उस सन्याशी में की में देखता ही रह गया..कुछ सोच विचार करने की किंचित भी शक्ति नहीं रह गयी थी...भले ही उनका रूप अत्यादिक डरावना था लेकिन उनके चेहरे पर गजब की सौम्यता छाई हुयी थी...मेरे कंधे पर हाथ रख के वे किंचित मुस्कुरा दिए...में समज गया की यही है मुझे यहाँ भेजने का उद्देश्य...वह व्यक्ति थे साधको में विख्यात कापालिक शिवयोगत्रयानंदजी...इस व्यक्तित्व के बारे में तो यहाँ तक मसहुर हे की इन्होने कापालिक मार्ग से वे सिद्धिया प्राप्त की है जिनके बारे में साधक कल्पना भी नहीं कर सकता. यहाँ तक की उन्होंने वाम मार्ग से धूमावती साधना सिद्ध की हे जो की अत्यधिक दुष्कर है जिसे सिद्ध करने पर साधक को रुपनुरुप्य सिद्धि प्राप्त होती है, पल भर में वह अपना रूप जू चाहे वैसे बदल लेता है...उन्होंने मुझे अपने पास बैठाया. उस दिन उनसे साधनाओ के बारे में काफी विस्तार से बात हुई. थोड़ी देर बाद उन्होंने रूप परिवर्तन का एक प्रयोग कर के भी दिखाया, एक क्षण मात्र में वह एक विदेशी युवक के रूप में मेरे सामने परावर्तित हो गए, उन्होंने न सिर्फ अपने श्रुशुत भी हटा लिए, कद छोटा कर लिया, उम्र तो अत्यधिक कम हो ही गयी थी, वर्ण भी थोडा गोरा हो गया था, तथा कपडे भी कुछ पश्चिमी सभ्यता के आ गए थे उनके शरीर पर और ये सब हुआ मात्र एक क्षण में...भौचक्का सा देखता रह गया में...निश्चय ही यह महान व्यक्तित्व है इसमे कोई दो राय नहीं...उन्होंने बताया की केसे सदगुरुदेव निखिलेश्वरानंदजी ने उनको साधनात्मक सहयोग प्रदान किया था और वे जो भी हे उनमे निखिलेश्वरानंदजी का बहोत बड़ा योगदान है... बाते होती रही और कब मेरा समय समाप्त हो गया पता ही नहीं चला...कुछ ही देर में यहाँ सिद्धो का जमावड़ा होने वाला था...तभी एक युवक सन्याशी ने अंदर आके कहा की माँ आने वाली है साथ में स्वामीजी भी पधारने वाले है...में समज गया की अब मेरा जाने का समय है..गुफाद्वार तक वे मेरे साथ चले तब तक उन्होंने अपना रूप वापस सन्याशी का कर लिया था...ऐसे महान व्यक्ति के पास अक्षय भंडार था साधनाओ का...साबर साधनाओ में भी वे सिद्धहस्त रहे हे...उन्ही के द्वारा प्रदान कुछ साबर साधनाओ को में यहाँ प्रस्तुत कर रहा हू...
मतभेद नाशन साधना:
गृहस्थ साधको के लिए मेने जब कोई साधना के लिए प्रार्थना की तब उन्होंने यह प्रयोग बताया था. इस साधना के अन्तरगत अगर आपका किसी के साथ भी मतभेद हो गया हो चाहे पति पत्नी मित्र प्रेमी प्रेमिका या फिर आपके कार्य क्षेत्र में, तब साधक को इस साधना को करना चाहिए.
इस साधना के लिए एक शियारशिंगी की जरुरत रहती है, अगर शियारशिंगी उपलब्ध न हो सके तो साधक वटवृक्ष का पत्ता ले, लेकिन कोशिश यही रहे की प्रयोग शियारशिंगी पर ही किया जाए. अपने सामने एक थाली रखे उसमे इच्छित व्यक्ति का नाम काजल से लिखे. उसके ऊपर शियारशिंगी स्थापित कर ले अब उस पर गुलाब का पुष्प चढ़ाये और कलि हकीक माला से निम्न मंत्र की रात्रि में १० बजे के बाद २१ माला मंत्र जाप करे. इसमे दिशा उत्तर रहे, वस्त्र आसान लाल रहे. इस साधना को किसी भी वार से शुरू किया जा सकता है.
मंत्र : कालिके माता मोरी कर भलाई का काम जीवे राखो जीवे चाखो करो दूर ठूं
यह क्रम ७ रात्रि तक नित्य करना है.
७ दिन बाद जब आप उस व्यक्ति के सामने जाए तो मन ही मन इस मंत्र का उस व्यक्ति के सामने ७ बार उच्चारण करना है. परिस्थितिया अनुकूल हो जाएंगी.
साबर मंत्रो में शब्दों के मतलब पर ध्यान नहीं दिया जाता वरन उसका प्रभाव देखा जाता है. इस प्रयोग को गुप्त रूप से किया जाता हे तथा प्रयोग कर लेने के बाद भी इसका उल्लेख कभी किसी के सामने नहीं किया जाना चाहिए.
शत्रु बाधा निवारण प्रयोग:
अगर जीवन में कोई शत्रु परेशान कर रहा हो तो यह प्रयोग को अजमा लेना चाहिए. यह प्रयोग अत्यधिक प्रभावशाली है और शत्रु को दूर कर देता है
इस साधना को साधक अमावश्या की रात्रि को सम्प्पन करे. यह उग्र प्रयोग हे, साधक को भयंकर आवाजे भी सुनाई दे सकती है, अतः साधक अपने क्षमता के अनुसार ही इस प्रयोग का चयन करे. साधक को रात्रि में ११:३० बजे का बाद यह प्रयोग आरंभ करना है, इस प्रयोग में दिशा दक्षिण रहे. वस्त्र काले रहे तथा आसान स्मशान भस्म का रहे.
अपने सामने एक तेल का दीपक लगाये जो की साधना पूर्ण होने तक जलता रहे. इसके बाद निम्न मंत्र की ५१ माला जाप उसी रात्रि में सम्प्पन हो जनि चाहिए
ओम भैरव अमुक शत्रु उच्चाटय मम रक्षा कुरु में नमः
इसमे अमुक की जगह शत्रु का नाम लेना है. इस साधना में कलि हकीक माला का उपयोग होता है, साधना के दूसरे दिन माला को नदी में विसर्जित कर दे, यह मात्र एक रात्रि का ही प्रयोग है.
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While sitting in that cave I was watching the wood sticks burning in front of me. How and why I came here, whom I was suppose to meet, there was no idea just with words of sadgurudev seeking his blessings I went…in a very short time it was about to occur a meeting of accomplished Sadhaks here or in other word Tantrik Sammelan, but at present no one is here, I was all alone sitting there lost in myself. Sometime was used to look at the long wide cave. Was not aware how long the time passed and at the same time a thin sanyashi came from one direction, I tried to stop him and ask something but he gestured me to stay quiet and went to other direction or let say he went invisible…
With wonder what to do I set there for some more time and kept looking at the fire…elsewhere nothing was filled in that cave…the same moment I felt that someone is standing behind my back. When I looked back, my eyes went wide in shock…a heavy body of almost 6 and half foots…Jata was like strong ropes are bounded together…a rosary around a neck made of something which I was unable to identify…full naked body, red eyes…a very fair complexion of skin…impressive forehead
There was a big attraction in that Sanyashi that I kept looking at him. There was no more power to think and understand…though he was looking terrible but on his face there was Apparently dominated beauty…famous among sadhaka, the man was Kapalika Shivyogatrayanandji….It is famous about this personality that he received such accomplishments through Kapalika Marg which sadhak even cannot imagine. Even that he accomplished Dhoomavati sadhana through Vam Marg which is extremely difficult after which Sadhaka receives Rupanurupy Siddhi, in a moment he can change is form to anything. He let me seat near him. That day the talk went in detail for the sadhanas. After sometime he even demonstrated a form changing, in a moment he changed his self to an foreigner young guy in front of me, he not only removed his beard, height went small, age went too down, the completion of skin went more glowing, even cloths too becomes of western tradition on his body, all these in just one moment…I went stunned looking all these…for sure he is great personality, there needs no other opinion…he told me how Sadgurudev Nikhileshwaranandji provided co-operation and help in sadhana field..and whatever he is today, there is a very big share of contribution by Nikhileshwaranandji…talks went and I didn’t noticed that my time was about to over…in a short time here was about to occur meeting of Siddha…and that time only a young Sanyashi entered and said that Mother is about to come, along with Swamiji is also coming. I understood that it is time for me to leave..he came along with me to the gate of cave, till that time he made is form to actual his sanyshi form…such noble personality was having Renewable stores of sadhana inside him…in sabar sadhana even he remained proficient…I am presenting some of the sadhanas here given by him only…
Sadhana to remove disputes:
When I pray him to give sadhana for Gruhastha people for their material needs at that time he told me about this ritual. In this sadhana, if anyone have dispute with anyone rather with wife,husband, friend or loved one or else in your workplace even, at time sadhak should do this sadhana.
It is require to have Shiyarshingi for this sadhana, if in case Shiyarshingi is not available sadhak should take leaf of banyan tree, but better if one try to get Shiyarshingi and do prayog on it. Place a dish in front of you. Write a name of desired person on that plate with soot. Place Shiyarshingi on the name. Now place a rose on it and with black hakeek rosary chant 21 round of the following mantra after 10’o clock in night. Direction should be north, cloth and aasan should be red. This sadhana could be start on any day.
Mantra : kaalike mata Mori kar Bhalai ka kaam jive raakho jive chakho karo door thoom
The process should continue for 7 nights.
After 7 days when you go in front of the desired person chant this mantra 7 times in your mind. Conditions will become favorable.
In shabar mantra one should not concentrate on meaning of the words but should watch the power of the same. This prayog should be done secretly and after prayog even one must not disclose it in front of anyone.
Sadhana for the prevention from enemy:
If enemy is troubling in the life, one should try this sadhana. This prayog is very impressive to remove enemy.
Sadhak should do this sadhana on night of Amavashya. This is Ugra prayog, sadhak may hear scary voices during sadhana; thus, sadhak should select this sadhana according to his capacity. Sadhak should start this prayog after 11:30 in night, in this prayog, direction should be South. Cloth should be black and aasana should be of Smashan Bhasm.
Light lamp of oil infront of you which should kept burning till the sadhana time. After that chant 51 rosary of the following mantra which should be completed in same night.
OM Bhairav amuk Shatru Uchchaatay mam rakshaa kuru me namah
In this sadhana one should chant name of enemy at the place of ‘Amuk’. In this sadhana, black hakeek rosary is brought into use, after the sadhana on second day one should drop rosary in the river; this is one night prayog only.
****NPRU****
1 comment:
Respected Arifji,
U've wrote very useful sadhna" MATBHED NASHAN SADHNA". Tnbks for this. Pls tell after doing sadhna what to do with Siyarsinghi and hakkek mala? and can this SiyarSinghi and hkeek mala can be used for other sadhnas also or not.
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