जब शाष्त्रीय गूढता
युक्त तथ्य हमने समंझ लिए
हैं तो अब सरल बातों और किस तरह से करना हैं पर भी कुछ विषद चर्चा
की आवश्यकता हैं
1.कितना हवन किया
जाए ??:
शास्त्रीय नियम
तो दसवे हिस्सा
का हैं इसका
सीधा सा
मतलब की एक अनुष्ठान मे १,२५,००० जप
या १२५० माला मंत्र जप अनिवार्य हैं . और इसका दशवा हिस्सा होगा १२५० /१० = १२५ माला
हवन मतलब लगभग १२,५०० आहुति ...(यदि एक माला मे १०८ की जगह सिर्फ १०० गिनती
ही माने तो ..)
और एक आहुति मे मानलो
१५ second लगे
तब कुल १२,५०० * १५ =१८७५०० सेकेण्ड
मतलब ३१२५ मिनिट मतलब ५२ घंटे
लगभग .. तो किसी एक व्यक्ति
के लिए इतनी देर आहुति दे पाना
क्या संभव हैं ??
2.तो क्या अन्य व्यक्ति की सहायता ली जा सकती हैं .??
तो इसका उतरा हैं हाँ
पर वह सभी शक्ति मंत्रो
से दीक्षित हो या अपने ही गुरु भाई
बहिन हो तो अति
उत्तम हैं जब यह
भी न संभव हो तो सदगुरुदेव जी के श्री चरणों मे अपनी असमर्थता व्यक्त कर मन ही मन उनसे आशीर्वाद
लेकर घर के सदस्यों की सहायता ले सकते हैं .
3.तो क्या कोई और उपाय नही हैं .??
सदगुरुदेव जी ने यह भी निर्देशित किया हैं
यदि दसवां हिस्सा संभव न हो तो शतांश हिस्सा भी हवन
किया जा सकता हैं
मतलब १२५० /१०० = १२.५ माला मतलब लगभग १२५० आहुति = लगने वाला समय = ५ /६ घंटे
...यह एक साधक के लिए संभव हैं .
4.पर यह भी हवन भी यदि संभव ना
हो तो ??कतिपय
साधक किराए के मकान
मे या फ्लेट
मे रहते हैं वहां आहुति देना भी
संभव नही हैं तब क्या ??
सदगुरुदेव जी ने
यह भी विधान सामने रखा की साधक यदि कुल जप संख्या का
एक चौथाई हिस्सा
जप और कर देता हैं संकल्प ले कर
की मैं दसवा हिस्सा हवन
नही कर प् रहा हूँ इसलिए यह मंत्र जप कर रहा हूँ तो यह भी संभव हैं ......पर इस केस मे शतांश जप नही चलेगा इस बात का ध्यान
रखे ,
5.श्त्रुक स्त्रुव ::
ये आहुति डालने के
काम मे आते हैं .
स्त्रुक ३६ अंगुल लंबा और स्त्रुव २४ अंगुल लंबा होना चाहिए .इसका मुंह
आठ अंगुल और कंठ एक अंगुल
का होना चाहिए .
ये दोनों स्वर्ण रजत
पीपल आम पलाश की लकड़ी के बनाये
जा सकते हैं .
6.हवन किस चीज का किया जाना
चाहिये ??
· शांति कर्म मे पीपल के पत्ते ,
गिलोय ,घी का
· पुष्टि क्रम मे बेलपत्र चमेली के
पुष्प घी
· स्त्री प्राप्ति के लिए
कमल
· दरिद्र्यता दूर करने के लिये .. दही
और घी कीआहुति
· आकर्षण कार्यों मे पलाश के
पुष्प या सेंधा नमक से .
· वशीकरण मे चमेली के फूल से
· उच्चाटन मे कपास के बीज से
· मारण कार्य मे धतूरे के बीज से हवन किया
जा ना चाहिए .
7.दिशा क्या होना चाहिए ??
साधरण रूप से जो हवन कर रहे हैं वहकुंड के पश्चिम
मे बैठे और उनका
मुंह पूर्व दिशा की ओर होना
चाहिये
यह भी विशद व्याख्या चाहता हैं .यदि षट्कर्म किये जा रहे
हो तो ..;
· शांती और पुष्टि कर्म मे ....पूर्व दिशा की ओर हवन कर्ता का मुंह रहे
· आकर्षण मे ---उत्तर की ओर
हवन कर्ता मुंह रहे और यज्ञ कुंड
वायु कोण मे हो
· विद्वेषण मे –नैरत्य दिशा
की ओर मुंह रहे यज्ञ कुंड
वायु कोण मे रहे .
· उच्चाटन मे – अग्नि कोण मे मुंह रहे यज्ञ कुंड वायु कोण मे रहे .
· मारण कार्यों मे -- दक्षिण दिशा मे
मुंह और दक्षिण दिशा मे हवन
हुंड हो .
8.किस प्रकार
के हवन कुंड का उपयोग किया जाना
चाहिए ??
· शांति कार्यों मे स्वर्ण ,रजत या ताबे
का हवन कुंड होना
चाहिए .
· अभिचार कार्यों मे लोहे का हवन कुंड होना
चाहिए
· उच्चाटन मे मिटटी का हवन कुंड
· मोहन् कार्यों मे
पीतल का हवन कुंड
· और ताबे का हवन कुंड मे
प्रत्येक कार्य मे उपयोग की या जा
सकता हैं .
9.किस नाम
की अग्नि का आवाहन किया जाना चाहिए ??
· शांति कार्यों मे वरदा नाम की अग्नि का आवाहन किया जाना चहिये .
· पुर्णाहुति मे मृडा ना म् की
· पुष्टि कार्योंमे
बल द नाम की अग्नि का
· अभिचार कार्योंमे क्रोध नाम की अग्नि का
· वशीकरण मे कामद नाम की अग्नि
का आहवान किया जाना चहिये ..
10.सदगुरुदेव द्वारा निर्देशित कुछ ध्यान योग बाते ::
· नीम या बबुल की लकड़ी
का प्रयोग ना करें .
· यदि शमशान मे हवन कर रहे हैं तो उसकी कोई भी चीजे अपने घर मे न
लाये .
· दीपक को बाजोट पर
पहले से बनाये हुए चन्दन के त्रिकोण
पर ही रखे .
· दीपक मे या तो
गाय के घी का या तिल
का तेल का प्रयोग करें.
· घी का दीपक
देवता के दक्षिण भाग मे और तिल का तेल का दीपक देवता के बाए ओर लगाया जाना चाहिए .
· शुद्ध भारतीय वस्त्र पहिन
कर हवन करें .
· यज्ञ कुंड के
ईशान कोण मे कलश
की स्थापना करें .
· कलश के चारो ओर
स्वास्तिक का चित्र अंकित करें .
· हवन कुंड को सजाया हुआ होना चाहिए .
सद्ग्रुदेव द्वारा रचित पुस्तक “ सर्व सिद्धि प्रदायक
यज्ञ विज्ञानं “का अध्ययन करें आवश्यक अन्य सामान्य विधान
उसमे पूर्णता के साथ वर्णित हैं की किस तरह से
प्रक्रिया कीजाना चाहिए ..
अभी उच्चस्तरीय इस विज्ञानं के अनेको तथ्यों को आपके सामने आना बाकी हैं .जैसे की “ यज्ञ कल्प सूत्र विधान“क्या हैं जिसके माध्यम से आपकी हर प्रकार की इच्छा
की पूर्ति केबल मात्र
२१ दिनमे यज्ञ के माध्यम से
हो जाति हैं
. पर
यह यज्ञ कल्प विधान
हैं क्या??? ...यह और और भी
अनेको उच्चस्तरीय तथ्य जो आपको विश्वास ही नही होने देंगे
की यह भी संभव
हैं ..इस आहुति विज्ञानं के माध्यम से
..आपके सामने भविष्य मे आयंगे .अभी तो मेरा उदेश्य यह हैं की इस
विज्ञानं की प्रारंभिक रूप रेखा से
आप परिचित हो .. तभी तो उच्चस्तर के
ज्ञान की आधार शिला रखी जा सकती हीं ...
क्योंकि कोई भी विज्ञानं क्या
मात्र चार भाव
मे सम्पूर्णता से लिया जा सकता हैं .???
कभी नही ..
यह १०८ विज्ञानं मे से एक हैं अतः ....हम अपनी पात्रता और ज्ञान
लाभ की योग्यता बढ़ाते जाए ..और सदगुरुदेव जी के श्री चरणों मे
नतमस्तक रहे
तो जो ज्ञान
नम्रता पूर्वक पाया जा सकता हैं वह व्यर्थ के अभिमान से
नही ......हठ से नही .....
अगर हम दिखाने के लिए
नही बल्कि सच मे सही अर्थो मे ..लगतार यदि साधनारत
रहेंगे तो क्यों नही सदगुरुदेव एक से एक अद्भुत रहस्यों
को सामने लाते जायंगे और अद्भुत रहस्य अनावृत होते जायेंगे.
यह तो अनेको भाई
बहिनों की हवन
और आहुति सबंधित समस्या
देख कर मात्र प्रारंभिक परिचय ही हैं इस विज्ञानं का
......
When we have understood the
difficult facts mentioned in shastras then now it’s the need to elaborately discuss
some easy things and how to do it.
1 How much Hawan should
be done??
Rules of shastras says 1/10th
part. This simply means that in one anushthan 1, 25,000 mantra jap or 1250
rounds of rosary are necessary then it’s one-tenth part i.e. 1250/10=125 rosary
hawan approximately 12500 oblations… (If we take 100
beads instead of 108 beads in one rosary…)
And if one oblation takes 15
seconds then total 12500*15=187500 seconds i.e. 3125 minutes meaning approximately 52 hours…..so is it possible for one person to
offer oblation for such a long period?
2 So can we take help of
any other person?
Answer to this is yes but all of them should have taken Diksha through Shakti mantras
or if they are our Guru Brothers or sisters, then it is best. If this is also
not possible then we can express incapability in the lotus feet of
Sadgurudev and take assistance from our family members after taking blessings
from him mentally.
3 So is there no other
solution at all?
Sadgurudev has also directed that
if 1/10th portion is not possible, then 1/100th portion
hawan can also be done.
Meaning 1250/100=12.5 rosary i.e.
approximately 1250 oblations. It will take 5-6 hours so it is possible for
sadhak.
4 But if this hawan is
also not possible then?? Few of sadhaks live in rented homes or flat where it
is not possible to offer oblation then what they should do??
Sadgurudev has also
put forward one rule that sadhak can do 1/4th of the total mantra jap
extra by taking a resolution that since I am not able to do 1/10th
hawan, I am doing this mantra jap…..but in
such a case 1/100th mantra jap will not solve the purpose. Keep this
thing in mind.
5 Struk and Struv::
These are used for offering
oblation.
Struk should have length of 36
fingers and struv of 24 fingers. Mouth of it should be of 8 fingers and throat
of one finger.
These two can be made up of gold,
silver or the woods of Mango or Palash (Butea Fondosa).
6 Which things should be
offered in Hawan?
·
Leaves of Peepal,
Gilooy, ghee in Shanti Karma.
·
Bel Petra ,flowers
of jasmine, ghee in Pushti Karma
·
Lotus for attaining
female
·
Curd and ghee for
getting rid of poverty
·
Flowers of Palash
or Sendha Namak (a type of salt) for attraction purposes.
·
Flowers of jasmine
in Vashikaran
·
Seeds of cotton in
Ucchatan
·
Seeds of Dhatura
(Thorn-apple) in Maaran Karma.
7 What should be the
direction??
Those who are doing hawan in
general way, they should sit on the west side of Kund and they should face
east.
This also need elaborate
discussion. If shatkarmas are being done then
·
In
Shanti and Pushti Karmas….The person doing
the hawan should face east.
·
For
Attraction-The person doing hawan should face
north and yagya kund should be in Vayu kon.
·
In
Vidveshan-Face should be towards Neiratya
direction and yagya kund should be in Vayu kon
·
In
Ucchatan- Face should be in agni kon and
yagya kund should be in Vayu kon
·
In
Maaran Karmas-Face should be in south direction
and yagya kund should be in south direction.
8 Which type of Hawan
Kund should be used??
·
In Shanti karmas,
hawan kund made up of gold, silver or copper should be used.
·
For abhichaar
karmas, hawan kund made up of iron should be used.
·
Hawan Kund made up
of clay in Ucchatan
·
Bronze hawan kund
in Mohan Karmas.
·
And copper hawan
kund can be used for any of the karmas.
9 Aavahan of which name
of fire should be done??
·
For shanti karmas,
Aavahan of fire named Varda should be done
·
In poornaahuti,of
fire named Mreeda
·
In Pushti karmas,
of fire named Balad
·
In abhichaar
karmas, of fire named Krodha
·
In vashikaran,
aavahan of fire named Kaamad should be done.
10 Important points to
take note of, as directed by Sadgurudev.
·
Never use the wood
of Neem or Babul.
·
If you are doing
hawan in shamshaan, then never bring the articles back to home.
·
Keep the lamp only
on the already made triangle of sandal.
·
Use the cow ghee
or oil of til in lamp.
·
Ghee lamp should
be placed on the right side of the god and Til oil lamp should be placed on the
left side of god.
·
Lamp of ghee
should be placed on right side of god and Til oil lamp should be placed on left
side of god.
·
Do the hawan
wearing clean Indian dress.
·
In the Ishan Kon
of yagya kund, set up the Kalash.
·
On all the four
sides of Kalash, make swastik sign.
·
Hwan kund should
be decorated.
Read the book “Sarv
Siddhi Pradayak Yagya Vigyan” authored by Sadgurudev. All the other necessary
generally rules are describedin it with completeness that how to do this
activity.
High-order facts of this science is
yet to be revealed like what is “Yagya Kalp Sootra
Vidhaan” by which every desire can be fulfilled within merely 21 days through yagya.
But what is this yagya kalp Vidhaan???...This and all other high-order
facts which you will find it hard to believe that whether it is possible
through this aahuti Vigyan will be revealed in future. Right now, my aim is to
introduce you all to the preliminary outline……then only the founding stone of
higher-order knowledge can be laid…
Because can any science
be taken completely in merely four bhaavs..????
Never…
This is one among 108
vigyans. Therefore….we should keep on increasing our eligibility and capability
of gaining knowledge….and should bow down on the lotus feet of Sadgurudev then
this knowledge can be gained with courtesy, not with unnecessary ego….or
stubbornness
If we indulge in
sadhna in real sense, not for the sake of showing it off, then Sadgurudev will
keep amazing secrets in front of you and all these astonishing secrets will be
unveiled.
This was merely a preliminary
introduction of this science considering the problems of various brothers and
sisters related to hawan and aahuti…..
****NPRU****
1 comment:
बहुत ही अच्छी और बेसिक जानकारी दी है आपने आरिफ भैय्या ,इसके लिए
आप को जितना भी धन्यवाद दिया जाए, कम है,क्योंकि बहुत से लोग हवन तो
करते हैं ,लेकिन उसकी सही विधि क्या है?क्या क्या उसमें सावधानियां रखनी
चाहिए,ये बहुत कम लोगों को पता है.हमारा सौभाग्य है कि आप और आप जैसे
कुछ वरिष्ठ गुरु भाइयों /बहनों का आशीर्वाद हम छोटे भाइयों /बहनों को मिल
रहा है ,जिनके कारण हम इस दुर्लभ ज्ञान से अवगत हो रहे हैं.वास्तव में ये तो
परमपूज्य गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी का ही आशीर्वाद है ,जो
आप सभी वरिष्ठ गुरुभाइयों /बहनों के वरदहस्त के रूप में हम निखिल शिष्यों
को प्राप्त हो रहा है.पता नहीं कि हम इस आशीर्वाद के हक़दार हैं भी या नहीं?ये
तो परमपूज्य गुरुदेव की करूणा और प्यार है और आप जैसे वरिष्ठ गुरुभाइयों
/बहनों का स्नेह है कि ये सब दुर्लभ ज्ञान हमको इतने सहज रूप में मिल पा
रहा है.हम चाहते हैं कि आप सबका ये स्नेह और प्यार इसी तरह भविष्य में
हमको मिलता रहे ,हर प्रकार से ,चाहे इस दुर्लभ ज्ञान के रूप में ही सही.और
परमपूज्य गुरुदेव का तो आशीर्वाद सदा सभी शिष्यों के साथ है ही.
सदगुरुदेव सहित आप सभी वरिष्ठ गुरुभाइयों /बहनों को कोटि कोटि प्रणाम
जय सदगुरुदेव
mukesh saxena
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