जीवन की नितांत गतिशीलता में नित नविन बाधाओ
का आवागमन होता ही रहता है.
वस्तुतः सभी व्यक्तियो की विचारधरा अपने आप
में अलग होती है और इस लिए वैचारिक मदभेद एक सामन्य बात है. लेकिन कई बार एक सामन्य सा मतभेद व्यक्ति को बहोत ही अधिक रूप से पीड़ा पहोचा देता है.
एसी स्थिति में अयोग्य घटनाक्रम का निर्माण
होता है और व्यक्ति कई बार अपना और सामने वाले व्यक्तिका हितचिंतन ही छोड़ देता है. एसी विषम परिस्थिति में घर में क्लेश होता है,
मानसिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य व्यक्ति खो देता है.
हमेशा एक प्रकार से व्यक्ति दुःखमय स्थिति में रहने लगता है.
इस प्रकार एक खुशहाल जिंदगी एक बोजिल जीवन बन
जाता है. और कई घटनाओं में व्यक्ति
अपने जीवन से घृणित हो कर उसे नष्ट करने की चेष्टामें संलग्न हो जाता है. एक प्रकार से देखा जाए तो यह स्थिति अत्यंत ही नाज़ुक होती है, अगर समय रहते व्यक्ति
इसको संभाल ले तो फिर एक सामान्य सा मतभेद जीवन की खुशहाली को नहीं छीन सकता. अगर सामने वाले व्यक्ति के विचारों को अनुकूल बना लिया जाए तो यह परिस्थिति से
संभला जा सकता है. तंत्र क्षेत्र के विभ्भिन्न प्रक्रियाओ में मोहन क्रम का अपना एक अलग ही महत्त्व है.
इस प्रक्रिया के अंतरगत साधक सामने वाले
व्यक्ति पर प्रयोग कर के उसके मनोविचार को अपने अनुकूल बना देता है. इस प्रकार सामने वाला व्यक्ति भी अपने जीवन में प्रयोगकर्ता के अनुकूल हो कर
रहना ही पसंद करता है. मोहन शक्ति के माध्यम से प्रयोगकर्ता व्यक्ति को जिस पर प्रयोग किया गया है उस व्यक्ति के विचार तथा जो भी मतभेद है उसको
व्यक्ति के मस्तिष्क के निकाल देता है और उसके स्थान पर वही विचार रहेंगे तो की
अनुकूलता को निमंत्रण दे.
मोहन क्रम में जिस पर प्रयोग किया गया है वह
व्यक्ति प्रयोगकर्ता के आधीन नहीं होता बल्कि उसके विचार को
नियंत्रित कर लेता है इस प्रकार यह प्रयोग उत्तम है.
और यह प्रयोग में किसी भी प्रकार का कोई
नुकशान भी नहीं होता. यु यह प्रयोग किसी पर भी कर उसके विचारों को अपने अनुकूल किया जा सकता है. तंत्र क्षेत्र में कई प्रकार के मोहिनी प्रयोग है,
जेसे की तेल मोहिनी, इत्र मोहिनी, वस्त्र मोहिनी.
सब प्रयोग की अपनी अलग महत्ता होती है. प्रस्तुत प्रयोग का उद्देश्य साफ़ है की वैचारिक मतभेद को दूर कर अपने जीवन को
सुखमय बनाना. लेकिन किसी व्यक्ति पर
निति नियम विरुद्ध या फिर गलतमहेछा ले कर यह प्रयोग किया जाए तो इसमें सफलता मिलती नहीं है.
इस प्रयोग को करने के लिए साधक ताज़ी मिठाई
लाए जो की दूध से बनी हो.
साधक चाहे तो खुद भी मिठाई को बना सकता है. इसमें किसी भी प्रकार की मिठाई का उपयोग किया जा सकता है जिसमे दूध डाला गया
हो. साधक सोमवार, गुरुवार या रविवार को या
फिर ग्रहण काल में किसी भी दिन यह प्रयोग कर सकता है.
समय रात्री काल में ११ बजे के बाद का रहे. साधक स्नान आदि से निवृत हो कर लाल वस्त्र को धारण करे. तथा पूर्व दिशा की तरफ मुख कर लाल आसान पर बैठ जाए. साधक को मूंगा माला से ५० माला निम्न लिखित मंत्र की करनी है. हर माला समाप्त होने पर साधक मिठाई पर फूंक मारे. साधक हर २१ माला के बाद ५-१० मिनिट का विश्राम ले
सकता है. साधना स्थल पर और कोई ना हो इस बात को भी सुनिश्चित करना ज़रुरी है.
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं अमुकं मोहय मोहय वश्य वश्य
क्लीं ह्रीं ऐं नमः
OM AING HREENG KLEENG AMUKAM MOHAY MOHAY
VASHY VASHY KLEENG HREENG AING NAMAH
इस मंत्र में अमुकं की जगह
व्यक्ति का नाम ले.
इस प्रकार मंत्र जाप हो जाने के बाद साधक को
चाहिए की वह मिठाई सुरक्षित रख दे तथा उसे दूसरा कोई व्यक्ति ना खाए. दूसरे दिन ही उस मिठाई को साध्य व्यक्ती को खिलाए जिसे मोहित करना है. मिठाई देते वक्त या जब वह व्यक्ति मिठाई खा रहा हो तब मन ही मन इस मंत्र का
वापस ७ बार उच्चारण करेंगे. साधक चाहे तो खुद या दूसरे व्यक्ति के माध्यम से मिठाई खिला सकता है. साध्य व्यक्ति में कुछ ही दिन में निश्चित रूप से वैचारिक परिवर्तन आ जाता है
और साधक को
अनुकूलता मिलती है.
साधक माला को किसी देवी मंदिर में यथा शक्ति
दक्षिणा के साथ चड़ा दे तथा अगर मिठाई बच गई हो तो उसे प्रवाहित कर दे.
In the
excessive dynamism of life, everyday new problems come and go. Actually, every
person’s ideology is different in itself and therefore it is quite natural to
have ideological differences. But many times a simple difference of opinion
causes a lot of distress to the person. In such a situation unworthy series of
incidents are initiated and person just stop thinking about the interest of
himself and the other person. In such a cumbersome situation, distress prevails
in the house; person loses both mental and physical health, person start
staying in the sorrowful state. In this way, a happy life becomes a burdensome
life and in some incidents, person starts hating his life and tries to end it.If
we see it, this condition is very critical. If person handles this situation in
time then any normal difference of opinion can’t take away his happiness of
life. If the other person’s thoughts are made favorable, then person can rescue
himself from such situations. Mohan activity, which is one among the various
activities of Tantra Field, has got its own importance .In such an activity,
sadhak makes the thoughts of other person’s mind favorable to himself by doing
Prayog on him. In this way, other person also likes to be in favor of the
person that did the Prayog. Through the power of Mohan, the person takes out
all the differences from the mind of other person on whom the Prayog is done
and in the place of such thoughts, only those thoughts will remain which are
conducive. In Mohan Prayog, the person on whom the prayog has been done does
not become slave of the person who did the prayog. Only his thoughts are
controlled. So this prayog is excellent and in this prayog, there is no harm of
any kind. There are many type of Mohini prayogs in the field of Tantra like Tel
Mohini (Mohan through oil), Itr Mohini (Mohini Through scent) ,Vastra
Mohini(Mohan through clothes).Every prayog has got its own importance. The aim
of the prayog mentioned here is very clear i.e. to resolve the ideological
difference and make your life happy. But if this is done on any person with
wrong intention and against the rules of morality, then person does not get the
success.
For doing this
prayog, sadhak should bring the fresh sweet made up of milk. If sadhak wants,
he can prepare the sweet himself. Any type of sweet can be used in which milk
has been made use of. Sadhak can do this prayog on any Monday, Thursday or
Sunday or during eclipse time. Time would be after 11 P.M in the night. After
taking bath, sadhak should wear red clothes and sit on the Red Aasan facing
east. Sadhak should chant 50 rounds of this mantra with Munga Rosary. After
completing each round, sadhak should blow on the sweet. Sadhak can take rest
for 5-10 minutes after every 21 rounds. Sadhak should make sure that no one
else is there at the place of sadhna.
OM AING HREENG
KLEENG AMUKAM MOHAY MOHAY VASHY VASHY KLEENG HREENG AING NAMAH
Use the name
of person in place of “Amukam”.After completing the chanting of mantra, sadhak
should keep the sweets safely and make sure that no other person should eat
it.On the next day, he should offer sweet to the person (on whom the prayog has
been done).While offering the sweet or when that person is eating sweet, sadhak
should mentally chant this mantra 7 times. Sadhak can feed the sweets on his
own or by the means of any other person. Ideological change definitely starts
coming in the mind of the person (the object of your prayog) in few days .Sadhak
starts getting favorable results. Sadhak should offer the rosary in any Devi
temple along with dakshina and if sweet is left, then
offer it in any river or pond.
****NPRU****
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