कर्म प्रधान इस विश्व मे बिना कर्म किये न देवता .... न दानव ....न ही किसी मनुष्य का जीवन संभव हैं पर यह कर्म किस प्रकार का हो यह व्यक्ति और परिस्थितियों पर कहीं ज्यादा निर्भर करता हैं ..कोई या किसी के लिए मानसिक श्रम की महत्वता हैं तो कोई सिर्फ शारीरिक श्रम कर रहा हैं . और साधना भी एक अति उच्चस्तरीय कर्म हैं जिसमे जितना ज्यादा एकाग्रता और निष्ठा की जरुरत होती हैं उतनी तो शायद किसी ओर कर्म मे नही ..पूर्ण रूप से कर्म शून्य हो पाना तो बस महा योगियो के लिए भी सम्भव हैं हालाकि वे भी इस अवस्था को पाने के बाद लगतार और भी कर्म शील हो जाते क्योंकि जिस तरह से वे कार्यों का संपादन या काम करते हैं वही बहुसख्यक के लिए आदर्श हो ता हैं अतः सभी को कर्म तो करना ही पड़ता हैं . पर यह कर्म या कार्य फलीभूत होगा ही . यह हमेशा नही कहा जा सकता हैं और जब ऐसा नही हैं तो तो स्वाभाविक हैं की कार्य के संभावित परिणाम की चिंता तो मन मे आएगी .
और इतना विवेक होना ही चहिये की ,किसी भी कार्य को करने से पहले हमारे कार्य का संभावित परिणाम क्या होगा .नही तो यह गेंदे के पौधा लगाकर उसके फल की इच्छा रखने जैसा हो जायेगा ..जो की अर्थ हीन हैं क्योंकि उसमे फल आता ही नही हैं.
जीवन मे कतिपय मौको पर कुछ ऐसे कार्य आ जाते हैं जिनका सफल होना अति आवश्यक होता हैं ..कई बार तो हमारे जीवन की पूरी आधारशिला उस पर टिकी होती हैं. खासकर जॉब के लिए साक्षात्कार मे जाना,विवाह के लिए उचित जगह पर बात चलाना, या घर मकान के लिए लोन लेना आदि अनेको कारण गिनाए जा सकते हैं और इन बातों का समय पर पूरा ना होना मानो हार के सामान ही हैं .
पर कैसे मनोवांछित कार्य मे पूर्णता पायी जाए कोई तो हो ऐसा उपाय ...?भौतिक उपाय तो हम सब जानते हैं ही उस पर क्या विचार विमर्श करना .और साधना जगत हमारे प्रयासों को रोकती नही हैं न ही हमें निठ् ल्ला बने रहने को कहती हैं बल्कि कार्य मे बाधाए ना आये और हम सही समय पर इच्छित परिणाम की प्राप्ति कर पाये .......तो हमें सहयोग ही करती हैं ...एक ऐसी ही साधना आपके सामने ..
मंत्र :
ॐ नमो भगवती पद्मावती सर्व जन मोहिनी ,सर्व कार्य कारिणी मम विकट संकट हरणी,मम मनोरथ पुरिणी,मम चिंता चूर्णी,ॐ नमो ॐ पद्मावती नम: स्वाहा ||
विधान :
· किसी भी शुभ दिन से दिन या रात मे जप किया जाना हैं .
· वस्त्र आसन पीले हो तो अधिक उचित होगा .
· माला कोई भी या हकीक की ज्यादा उचित होगी .
· मात्र ११०० बार जप करना हैं , दिन निर्धारित नही हैं पर ११ या २१ दिन मे कर ले .इससे ज्यादा उचित नही हैं .
· और दसवा हिस्सा मतलब अब १०८ बार आहुति अबश्य दे दे.
जब तक कार्य मे अनुकूलता नही मिल जाती तब तक एक माला जप जरुर करते चले .अब यह तो बताने की आवश्यकता हैं की सदगुरुदेव का पूर्ण पूजन हर साधना मे हर दिन एक आवश्यक अंग होगा न केबल इस बल्कि हर साधना मे ...
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In this Karma-centric world,
without doing any karma, neither the deva….nor the devils…..and none of human being’s
life is possible. However, the type of Karma done depends on the person and
more importantly on the circumstances .For some, mental hard-work is important
and some are only doing physical hard-work…….And Sadhna is also a high-order
Karma which demands a lot of dedication and loyalty that no other karma demands.
Getting rid of karmas completely only is possible for Maha Yogis. However,
after reaching this stage, they become more and more disposed to the karmas
because the way they do or carry out their work is an example for most of the people.
Therefore, everyone has to involve in karmas …..But that karma will be
fruitful…..that cannot be said always and if it is like this, then there will
definitely be anxiety in our mind regarding the possible results of our karma.
And person should be
intelligent enough to know the possible results of the work before doing
it…..Otherwise the scenario will be like anticipating flower from the plant of
marigold…..which is meaningless since it does not bear any flower.
In life several
occasions come when it becomes very important that our work is
successful…..sometimes the foundation of our life is based on them like going
to the interview for job, contacting right family for the marriage or taking
loan for house etc. Such type of work if not fulfilled on time, is a huge
setback for us.
But there should be
some remedy to get the completeness in our desired work…? Materialistic way we
know, why to waste energy discussing it. Sadhna world neither asks us not to
make efforts nor asks us to remain idle, it only assists us so that no hurdles
come in middle of our work and we get the desired results at right time. Here
is one such sadhna in front of you all…
Mantra:
Om Namo Bhagwati Padmavati Sarv jan Mohini, Sarv
KaaryaKaarini Mam Vikat Sankat Harni,MamManorathPurini,MamChintaChurni, Om Namo
Om Padmavati Namah Swaha ||
Process:
It can be started from
any auspicious day and chanting can be done in morning or night.
If aasan and dress is
yellow then it will be much better.
Rosary can be anything and if it is of Hakik,
it is better.
You have to chant it
1100 times, number of days is not fixed but if it is completed in 11 or 21
days, then it does not get any better than this.
And 1/10 th part means
offer 108 aahutis necessarily.
Till our circumstance
does not get favorable, keep on chanting 1 round of rosary…..Now it is needed
to tell you all that complete poojan of Sadgurudev will be essential part of
every sadhna on every day. Not only in this sadhna but in all sadhnas…..
****NPRU****
for our facebook group-http://www.facebook.com/groups/194963320549920/
PLZ CHECK : - http://www.nikhil-alchemy2.com/
3 comments:
jai Sadgurudev bhaiyya,,
is sadhna mein jap sankhya 1100 ya 11000 hai kyunki 11 din mein poora karna hai 1100 ye to samjh mein aata par 21 din mein 1100 how it is possible...ya per day 1100 baar jap karna hai...
Respected Gurubhai,
Pls clarify it's 1100 mala has to be chanted or what?
Respected Guru Bhai,
Please clarify it's 1100 malas or only 1100times to be chanted.
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