Wednesday, May 2, 2012

क्या ये निखिल कार्य हैं..इन कतिपय पाखंडियों का ...??(Is This Nikhil Work Of ……………these few Sanctimonious….??? )



आज  इस बात को जानने  की ...समझने   की  बहुत आवश्यकता   हैं की
  यह निखिल  कार्य  हैं  क्या?? ...जिसे  देखिये  वही  इस  शब्द   को इस्तेमाल  किया   जा  रहा हैं .एक्  ग्रुप  के  कर्ता   धर्ता आज कल .....कुछ
1.     क्या चीख चिल्लाकर ..प्रलाप करने   से  इनका सारा व्यक्तिगत कार्य निखिल कार्य हो गया
2.     वह भी अपने   ग्रुप मे  ..बता  रहा हैं ..इन तथाकथित  की अपने ही ग्रुप  मे इनकी  भाषा  पढ़   तो ले  एक बार ......
3.     कौनसा महा सिद्ध हो गया हैं .
4.     बात करेगा  यह भगवती  काम कला काली   की ..अगर यह  सिद्ध हैं ..तो  हैं इसकी सामर्थ्य की काम कला काली  के  अयुत  आक्षरी   मंत्र  का  एक बार  सही सही  उच्चारण कर दे ..कर  ही नही सकता ..क्योंकि  जिस महाकाल  संहिता  के काम कला काली  खंड मे  यह मंत्र  हैं उसमे भी ३१४  बीजाक्षर   हैं ही नही ..क्या   यह   बिना  देखें..सही उच्चारण कर सकता  हैं.. मैं चुनौती देता हूँ की  यह  कर के  दिखाए ..मैं इसकी  गुलामी के   लिए  तैयार हूँ ... हैं सामर्थ्य इसकी की यह क्या यह खिलवाड़  सा नही बन गया   हैं ....सच्चाई कड़वी हैं ..निखिल कार्य की आड़ मे अपने  व्यवसाय की आड़ मे  ...इसकी मानसिकता   को आप समझ ले ......
5.     हम पर  आरोप   करते हैं की हम    किताबो से देख कर लिख रहे हैं .जबकि  इनके यहाँ की पत्रिका खुद,चंडी प्रकाशन,कल्याणदतिया पीताम्बर पीठ, चौखम्बा  प्रकाशन  से  पूरी पूरी   उतरी   पड़ी  रहती हैं, .क्या  एक भी  आवरण पूजन ......क्योंकि यह तोकाम कला काली  सिद्ध हैं  ...पूरा  सुना  सकता  हैं .सामर्थ्य ही नही हैं इसमें ..अब शब्दों से नही चुनोती से बात करे   ये .....शब्द  तो कोई भी  लिख  ले गा अपने  ग्रुप मे ..यह बताये   की कहाँ यह  अपनी  महा सिद्धता   की बात सबके सामने तैयार   हैं रखने को ..हम इंतज़ार कर रहे हैं ..बोले  तो सही ...
6.     अब इनका निखिल कार्य  कहाँ से हो गया?? ..ये  तो हमारी परम्परा   से भी नही हैं .इनके  गुरु स्वयम्भू हैं  उनसे  तो  हमें कोई सरोकार नही हैं(क्यूंकि उन्हें हमारे सदगुरुदेव ने गुरु मनोनीत नहीं किया है).  तो  जब इनका   गुरु इतना  सक्षम   हैं   तो यह  खुद क्यों  हम सब से  हाथ जोड़   जोड़ कर   की यह  हमजाद  साधना   दे  दो या   यह अल्केमी की प्रक्रिया   बता दो ..  गिड गिडा ते   फिरते रहे  हैं .क्या इसे  अपने  ही  गुरु पर भरोषा  नही हैं ...और इन महानुभाव की सारी मेल  हम  सामने  रखने जा  रहे हैं ..ताकि  इस  कलयुग के   एक मात्र स्वम्यम्भु  काम कला काली के सिद्ध  साधक का  रूप भी  तो पता चले ....यह व्यक्ति दम्भोक्ति करता हैं की इसे  काम काला काली  सिद्ध हैं अगरऐसा हैं  तो. भगवतीका सिद्ध .सामने आ  कर  बात करेगा  लोगों के  सामने..... न की .अपने  ग्रुप मे ...चीखता चिल्लाता   रहे ... 
7.     हमने कभी नही कहा .की  हमारा पास  साधनाओ का खजाना  हैं क्योंकि हमारे  पास हमारे सदगुरुदेव द्वारा   दी  गयी अनेको  डायरी हैं .आधिकाश   शिविरों के  नोट्स हैं , जो हमने   अपने  गुरु भाइयों के पास  जा जा कर खुद   इक्क्ठे   किये ...हमने  अनेको सिद्धो के पास जा जा कर   के  साधनाए ली  हैं . हमने कभी भी यह  दावा  नही किया की ब्रम्हांड   मे  सिर्फ मेरे पास  हैं ,औरमैं यह करसकता   हूँ या  वह .......और   तब  भी   मंच पर किताबो से  ध्यान पढ़ कर उच्चरित कर रहे हैं. इनका कब से   निखिल कार्य हो गया .अगर  इनका  गुरु सक्षम   हैं  तो जो सक्षम गुरु का  शिष्य होता हैं ..वह किसी   दूसरों के सामने  गिड  गिदाता नही  है .इस  स्वयम्भू  सिद्ध की मेल  आपको इस का  असली चेहरा   दिखायेगी   और मैं सारी की सारी मेल जल्द ही पब्लिश करने वाला हूँ जिसमे इसका वास्तविक चेहरा सब देखेंगे .
8.     क्योंकि हम  गुरु नही हैं ..नही हमने   कोई योग्यता  ऐसी हैं की  किसी  को ब्रह्मत्व  दीक्षा   दे  सके .ना कभी होगी ही ...क्योंकि हम  सिर्फ  शिष्य हैं .और हमारे   माता पिता  हमारे  सदगुरुदेव हैं . और हम हैं जो   निखिल कार्य की बात कह  सकते हैं .
9.     सदगुरुदेव  सिंह वत  रहे और  सिंहों का  उन्होंने निर्माण किया ...कायरो का नही ..भीतर घातीयो का ....  भिखारियों  का  नही ..दरवाजे दरवाजे ..भीख मांग कर निखिल कार्य करने के अपना व्यवसाय चलाने   इन भिखारियों का  तो कतिपय  नही ...उन्होंने इसे कब से निखिल कार्य  कौन  कर रहा  हैं या नही का   निर्धारण  करने वाला   बना  गए ??.खुद  ने आज  तक क्या किया   हैं निखिल कार्य  के नाम पर   जो आज लगा हैं   ..प्रमाण  पत्र देने .बस बना ले  ग्रुप ....इकठ्ठा   करके  भीड़ लगा ले .........लगे   चीखने  चिल्लाने ....... जबान   हैं  , मुंह हैं  तो खुल गया हैं तो कड़वा  ही निकलेगा ..नाम लेने  से  निखिल का  शिष्य नही  हो जाता  हैं ...पर मुंह चलाने  से  निखिल शिष्य  बनने वाले  को हम सभी  देख ही रहे हैं .
10.                और आज  मै सदगुरुदेव  द्वारा निर्माणित  तैयार खड़ा  हूँ  कि बोले  तो  ये  किस ज्योतिष  ग्रन्थ  की बात करते हैं जो  इन  महानुभावो   ने  आत्मसात किया हो ..कौन सा  ऐसा  तंत्र ग्रन्थ  हैं इन  तथाकथितों ने   अपने  जीवन मे  उतारा    हो ....मैं शुरू से  लेकर   अंत  तक सुना   दूं ..मुझे   गर्व हैं  मेरे  सदगुरुदेव ने  मुझे  दी  हैं   क्षमता ...मैं चुनोती के लिए   तैयार  हूँ ....कौन से देवी देवता के आवरण पूजा   या अन्य तांत्रिक विधान  की बात  हैं  मैं बिना कोई  किताब  लिए खड़ा  हूँ ....... हैं सामर्थ्य   की ये  महा ज्ञानी स्वयम्भू महासिद्ध बने बैठे ... दो तीन पेज भी  सुना   दे ...को न  से  तंत्र  ग्रन्थ कि बात करते  हो जो इन महा  पुरुषों को  याद  हो...... कठ्स्थ  हो ये बताये मुझे ....... तीन  पेज तोइन्हें  याद नही ,,,,ब्रम्हाड  का  यह पूजन  और वह पूजन की  बात करते हैं ....
11.                महानुभाव    हैं ..बहुत  गरज गरज कर ..कि निखिल शिष्य  ऐसा  होता  हैं और निखिल शिष्य  वैसा हैं ..मैं ये  कर  दूं और  वह ..मुझे काम कलाकाली  सिद्ध हैं और  ये देवता  भी  ......इनकी लगभग १०० से ज्यादा  मेल  मेरे पास  रखी हैं जिसमे  हाथ जोड़ कर गिद गिडा   भीख मांग रहे है की  कोई  मेरी नही सुनता ..मेरे  पर कर्जा  हो गया हैं ,.  कि आप  लोग मेरी मदद  करो.....मैं  मरने जा  रहा हूँ  ..और यह किमैने  यह किया  पर  यह तंत्र प्रक्रिया   भी असफल  हो गयी .
१२.   आज  इन्ही के  साथ एक ओर   खड़े हैं जो  इनके इशारे पर   मेरे बारे मे यह लिखने मे नही  चुके कि एक ग्रुप मे  गुरु भाई की  प्रशंशा दूसरे   गुरु भाई के  द्वारा  की जा  रही हैं ..उसकी  वाह वाही  की  जा रही हैं ...और उसे मनो सदगुरु से बढ़कर बताया   जा  रहा हैं .महिमा मंडित किया   जा  रहा हैं .. इनको लग गया  की मानो   सदगुरुदेव  की निंदा की  जा रही हो .......इनसे  यह पूंछे कि कहाँ ऐसा लिखा हैं  या लिखा था .  आज  केबल इन्ही को  को यह ज्ञान  हैं बाकी  क्या  सारे   अनिभ्ग्य हैं .उन्हें  कुछ  समझ मे  नही आता .सारे बाकी   अधकचरे  ज्ञान वाले  हैं  सिर्फ ये  दो चार ..ही  केबल  ज्ञान वान  हो गए ..... पर  अब   ..अब क्या हो  रहा  हैं जो खुद पथ भ्रष्ट  के  साथ खड़े हैं व कौन सा  यह सिद्ध हैं या हो गया हैं ..
१३. जो गालिया  दे कर  बात करे   तो वह  सही..क्या हैं यह .........?? ..जय महाकाली जी  लिखने से  बड़े तंत्र सिद्ध  हो गए ..हैं सामर्थ्य   तो सामने  आये ....पता  तो चले  की कितने बड़े तांत्रिक हैं या मांत्रिक हैं क्या ये जनाब  हैं  अपने गुरु के  पट्ट शिष्य ....क्या   ये जो आज समाज के सामने  खड़े  होकर चुनोती की  बात कर सकेगें  ..,,अपने  ग्रुप मे   बैठकर     करलो दम्भोक्ति कितनी हैं सामर्थ्य  तो सामने  आ कर   खड़े   तो  हो .दो चुनोती .........................उसी  व्यक्तित्व  की यह दम्भोक्ति ....कीमैं  यह  भी प्रक्रिया दे सकता हैं किमैं यह कर दूं  और वह  ..है .. अगर  सामर्थ्य   तो  सामने  खड़े  हो जाओ   कुछ तो पता चले  कि  कितने  बड़े  शिष्य  हो ........क्या सीखा  हैं आज तक इसने अपने  ....जो दे  सको ..सिद्ध  करके  दिखा  सको ..
१४.अब अपने  ग्रुप मे  मुंह न चले   अगर हैं  सामर्थ्य  तो बात करे   चुनौती  की ..ग्रुप   तो कोई भी बना सकता   हैं ...
१५. मैं जो सिर्फ और सिर्फ शिष्य   के  रूप मे  ही काम  मे लगा  हूँ जिसका  अब मैं नही आप  सभी  भी स्वयं एक प्रमाण   तो हो ही ........तो  सबको खल रहा हैं ..इन .सबकी आखों मे  ,मेरे  द्वारा   किये  गए  कार्य  शूल  की भांति   चुभ  रहे   हैं ..पर .मैंने  तो कभी अपने कार्य   को  निखिल    कार्य नही  कहा ..सिर्फ इतना   कहा यह की मेरा  स्वपन हैं यह  करना ..जो मैंने  देखा   हैं ......की मैं अपने  सदगुरुदेव के  ये   अधूरे कार्य  को  पूरा करने  मे  जो   हो सके  वह  करूँगा ...हर हाल मे  हर कीमत  दे कर ...इसकेलिए  मुझे  किसी  के प्रमाण पत्र   की जरुरत   नही हैं .
१६. अब हम साधनाए    देते हैं   तो कितनी बार स्पस्ट कर चुके हैं कि  वह  या  तो सदगुरुदेव  द्वारा  दी गयी होगी  या  उनके  किसी सन्याशी  शिष्य शिष्याओ  द्वारा  या किसी   अनुभवी सिद्ध   के  द्वारा    जो हमें  मिली  हैं जिनकी हमने पूर्ब  अनुमति  ली हैं..हम कोई खुद   तो निर्माणित  करते  नही ..
 वह साधना   विधि या  विधान ...... केबल  केबल   गुरु  भाई के  रूप मे   ही हमें  आगे  देने को   दी गयी हैं ....या  जाती रही हैं .जैसी की उन्होंने   या  उस  सिद्ध  ने  आज्ञा  दी  हैं और  यह  सारी बाते ऐसी   हैं हैं कि जैसा  किसी बड़े भाई  को साईं किल चलानी  बनती हैं तो  वह अपने  छोटे  भाई  को सीखा   रहा हैं . इसमे   गुरु बन ने  की बात कहाँ से  आ गयी ..
१७. आचार्य चाणक्य  सही कहते  हैं कि सीधे वृक्ष   पहले  काटे  जाते    हैं. मैं जो  अति विनम्रता से   इनके  साथ  पेश आया ..कि मेरे भाई हैं ..कम से कम मेरी भावनाओ को सम् झेगे   पर ......इस विनम्रता  को  इन सभी ने मेरी कमजोरी  ही समझा ...  ही माना ....  तभी इन सभी की  इतनी   हिम्मत  हुयी ..
 इन पाखण्डियो  को देखिये  ये  स्वयम्भू गुरु के शिष्य तो बन गए  पर गुरु  मन्त्र  तो  इनका  अपना  होना था.पर ऐसा   नही  अभी भी ....क्योंकि अपना सदगुरुदेव  प्रदत्त   गुरु मंत्र  हैं ही ऐसा की   उसे  कोई भी दीक्षा   या  बिना  दीक्षा  लिए  ही भी करे  तो  उसका  कार्य तो होगा   ही .  तो इन  की चाल बाजी  देखिये   गुरु मंत्र ..सदगुरुदेव  वाला    ही  उपयोग कर रहे हैं    स्वयं का   गुरु मंत्र  क्यों नही हैं ...पर अब इनके सारे  कार्य   निखिल कार्य हो गए ..जो ये  करें  सब  निखिल  कार्य   हो गया ..
क्यों नही कहते  की  मेरा  अपना कार्य हैं .......अरे शिष्य भी  बने  रहते  तो समझ मे  आता   जब  स्वयम्भू   गुरु  बन गए  हैं तब   यह तो सद्गुरु देव  के कथन  का  दुरुपयोग  हैं , तब  अब शिष्य कैसे ..और कुछ ऐसे ही महानुभावो  के समर्थक .ये हमसे प्रशन पूंछ रहे   हैं .....तब निखिल कार्य कैसा ..पर  नही जी  हैं ..केबल  इन्ही का  हैं ..और कोई  विरोध नही ..
अगर हैं  इतने  बड़े सिद्ध ..काम काला  काली  सिद्ध   तो यह  सब क्या हैं ..
१८. हमारे कार्यों पर  हंसी  और आपत्ति .
पर कौन सा ऐसा कार्य हैं जो   सिर्फ इन्ही  कुछ   की  समझ मे  आ रहा हैं बाकी  तो सभी की  बुद्धि हैं ही नही केबल इनकी   को विशिष्ट  प्रज्ञा  मिली हैं .इनकी विशिष्ट प्रज्ञा  से  कौन सा  ऐसा  महत  काम आज तक इन महानुभावो  ने किया   हैं ..
१९. धार्मिक विद्वेष फैलाकर शान्ति भंग करना या कारवां निखिल शिष्य का कार्य नहीं है ,कभी भी सदगुरुदेव ने दीक्षा देने के लिए इन बातों को महत्त्व नहीं दिया,अरे शिष्य बन्ने के पहले अच्छा इंसान होना जरुरी है,जिसे धर्म और नैतिकता नहीं समझ में आता है,वो मूर्ख और क्या समझेगा,धार्मिक उन्माद अधकचरे मष्तिष्क वालों का अकार्य है तंत्र के लिए या आध्यात्म के लिए समर्पित व्यक्तियों का नहीं..ये ज्ञान है और ज्ञान पर सबका अधिकार है..

अतः आप सभी से  निवेदन हैंकि सदगुरुदेव के नाम पर या  निखिल कार्य के नाम पर   यदि कोई  कहता हैं  तो सतर्क   रहे ..और  हर जगह  अपनी  विद्या  बुद्धि का  का उपयोग    जरुर करें
पर  हम ही समझने   को तैयार नही होंगे  तो ........यह तो होना ही हैं ..और  अच्छे से समझ जाए ..तो भविष्य  मे  कितनी   बार आप  ठगे  जाने   से आप बच जायेंगे ......आपकी भावनाओ   के साथ कोई  खेल नही कर  सकेगा ...स्वयं साधनाएं करिये ,मात्र पढ़ कर खुश नहीं होइए...प्रामाणिक विधान है...आपकी मेहनत है तो आप कैसे सफल नहीं होंगे.....साधना करना अकर्मण्य होना नहीं है ..बल्कि सद्गुरु के चरणों का आश्रय लेकर अपने भाग्य को परिवर्तित करने की क्रिया है.....और आप उनका अंश हैं आप ऐसा कर सकते हैं ....अवश्य ऐसा कर सकते हैं....आपको सामग्री मैं उपलब्ध करवाऊंगा ताकि ये मलाल ना रहे की प्रामाणिक सामग्री नहीं थी और वो भी मुफ्त...क्यूंकि मैं खर्च वहन कर सकता हूँ..पर मेरा कोई भाई खर्च के भाव में ज्ञान अर्जन ना कर पाए ऐसा नहीं होगा.... अब जो कारवां  चलेगा  तो  इस महीने के लिए   उपलब्ध साधनाए   भी  आपके  सामने  हैं    पर ..आने वाले  अगले महीने के लिए    भी उपलब्ध साधनाए   भी आपके सामने   आज हैं ..पर ये  आपको  १० जून  से  उपलब्ध हो पाएंगी १० जुलाई तक के लिए  ..और अब ये  कारवां   रुकेगा नही ..मैं हमेशा भाई के रूप में साथ हूँ... ना मुझमे दीक्षा देने की पात्रता है और ना ही मैं सफलता दे सकता हूँ ..किन्तु आपको सत्य और प्रमाणिकता से परिचय तो करवा सकता हूँ....मैं शांत स्वभाव का अवश्य हूँ किन्तु कायर नहीं ...सदैव चुनौती का सामना करने के लिए तत्पर ....और आमान सामना होने पर कौन जीतेगा कौन हारेगा ये तो सभी को ज्ञात हो ही जाएगा...

१० जून से १० जुलाई के लिए चयनित साधनाएं...

१.    किन्नरोत्तम साधना- किन्नर जगत से संपर्क स्थापित करने,अभिनय और कला के क्षेत्र में पूर्णता प्राप्ति हेतु.
२.    गैबी हमजाद प्रयोग- मुस्लिम तंत्र का अनोखा विधान जिससे हमजाद को बाध्य होना ही पड़ता है प्रत्यक्ष होने के लिए.
३.    पूर्ण नीलतारा मेधा प्रयोग-तीव्र स्मरण शक्ति और विद्या तत्व को आत्मसात करने हेतु.
४.    साबर सिद्धि विधान- इसके बाद सबर साधनाओं में सफलता निश्चिन्त ही होती है.
५.    सौंदर्य लूतिका प्रभेदा प्रयोग- तिब्बती बौद्ध तंत्र की वह पद्धति जो पूर्ण सौंदर्य और धन की प्राप्ति कराती है
६.    दृश्यशक्ति परान्विता साधना- काल ज्ञान दर्शन और परा विज्ञान के क्षेत्र में अभूतपूर्व सफलता प्राप्ति हेतु.
७.    अघोर विरूपाक्ष साधना – शमशान साधनाओं में अग्रणी तथा शम्शानेश्वर   धूम्रलोचन के दर्शन और सिद्धि से सम्बंधित विधान.
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Today there is very much a need to understand that what is the Nikhil Work??.......Whosoever you see, is using this word. Administrator of one group these days…..

1)     Just by shouting loudly and crying hard, will their whole personal work become Nikhil work?
2)     That too in his own group…..he is telling like this…….Just see the language what this guy has used in his own group…….
3)     What sort of Maha Siddh he has become…
4)     He is talking about Goddess Kaam Kala Kaali……If he is siddh …..then has he got the capability to simply pronounce once the Aayut Aakshari mantraof Kaam Kala Kaali…..He can’t do it…..Because The Kaam Kala Kaali part of Mahakaal Samhita which contains this mantra itself does not have 324 beej alphabets…..Can he pronounce it ….without seeing it….I am giving a challenge to do this…..I am ready to become his slave…..Has he got the capability….Has this not become like a child play…..Truth is bitter….in the cover of Nikhil work ,in the cover of his business…Understand the mentality of him.
5)     They are accusing us of copying from the book whereas their own magazine is simply the carbon copy of Chandi publication, kalian, Datiya Peetambara Peeth and Chaukhamba publication. Can he tell any Aavaran poojan ( an essential process in tantra process) since he is Kaam Kala Siddh…….he does not have that much competence………….now it’s time to accept the challenge rather than simply uttering words…anyone can write in his /her group….has he ready to prove his credentials as Maha siddh…..we are waiting…….come on….
6)     Now how can his work are called Nikhil work?? He even does not belong to our tradition. His guru is self-made and we do not have any relation with him (because our Sadgurudev has never nominated him as our Guru).If his Guru is capable, then why he is asking us all to provide Humzaad Sadhna or any alchemy process? Does he not trust even his own Guru and now we are going to disclose all the mails of this great person so that we know about this self-made Kaam Kala Kaali Siddh sadhak…..If that person is boosting of being a Kaam Kala Kaali Siddh…If it is like this then this Bhagwati siddh would come in the front of people…..rather than crying hard in the group…
7)     We have never claimed that we have the treasure of sadhna. Because we have the various dairies given by Sadgurudev himself……we have the notes of most of the shivirs which we have gathered from our guru brothers ……we have taken sadhna from various siddhs running after them. We have never claimed that we are the only one in the universe having these sadhnas …and I can do this and that…..And they are chanting the dhayan mantra on stage looking from the books, how can their work be called Nikhil work. If his Guru is capable, then the disciple of capable guru never bows down in front of anyone. The mail of this self-made Siddh will show his true face to you all and I am going to publish his all mails very soon so that its actual face is seen by everyone.
8)     Because we are not Guru….neither do we possess the capability to provide Brahmtav Diksha nor we will have it in future….Because we are only disciples and Our Sadgurudev is both our father and mother and we are the one who can talk about Nikhil work.
9)     Sadgurudev has always remained like lion-like and he has made only lions …not the cowards…..not the beggars…..also not those who run their business of doing so called Nikhil work begging everywhere…How can Sadgurudev make this person authority to decide who is doing Nikhil work and who is not??What he has done on his own…. and how can he give the certificate of Nikhil work….Just make a group……gather the crowd……and started shouting….Just taking his name does not make anyone disciple of Nikhil…and we are saying this Nikhil disciple being made by just uttering words.
10)And Today I am here, prepared by Sadgurudev …just tell the name of any Astrology scripture which this great person has imbibed…..tell any tantra scriptures which they have followed in their life….I can tell it from start to end. I am proud that Sadgurudev has given me the ability….I am ready for challenge…Whose lord’s Aavaran poojan is it or any tantric process, I am here standing without book…..Has this self-made Maha siddh got the capability to even tell 2-3 pages……..tell the name of tantra scripture which they know by heart….they do not even know 2-3 pages…..and they talk about Brahmand and other poojan….
11)He is a great person….very blatantly they say….that Nikhil disciple is like this and like that …..I can do this and that…..I have got Kaam Kala Kaali siddh and this god too……I have got 100 mails of him where he is begging that nobody listen to me…..I am debt-ridden….please help me ….I am going to die….and I did this process      but that was unsuccessful.
12)One more person is standing by his side who left no stones unturned to write about me that in one group , one guru brother is praising other , he is being appreciated and he is being lauded more than Sadgurudev…he got the impression that Sadgurudev is being criticised….Can someone ask him what is written and what was written. Today he is the only one who is learned, rest of us are unaware. Rest of people do not know anything. Rest all are empty minded only these 2-4 are scholars….But now….What is happening now they themselves are standing by the side of the person who has deviated from the path and how he was siddh or has become so..
13) Talk in abusive manner, is it right…..?? Just by writing Jai Mahakaali, they have become tantra siddh…..If capable, come forward….let’s see how big tantrik or mantrik this guy is,disciple….Can he accept the challenge in front of the society…..express your ego in your group, have you got the capability to throw the challenge That I can do this and that…If you are competent come forward. We should know how great disciple you are, what all you have learnt up till now….what you can provide…what you can accomplish..
14)Don’t shout in your group. If you have the competence, let’s talk about challenge. Anyone can make group.
15)I have been doing work only and only as a disciple whose proof now is not only me but you all too……they are getting jealous…Works done by me are pricking you like thorn….But I have never called my work as Nikhil work….I have just told that it is my dream to do this…which I have seen….That whatever I can do , I will do to fulfill all the incomplete works of Sadgurudev…..at any cost….and for this I do not need any certification from anyone.
16)Now we give sadhnas, how many times we have clarified that these were either given by Sadgurudev or his Sanyasi disciples or we would have got from any experienced siddh. We have taken prior permission from them…..we ourselves do not make these sadhnas…
These sadhna process ….we have been told to give just as Guru Brothers only and these are given in the same way he or the siddhs have ordered. This is something like if an elder brother knows how to ride the cycle, he is teaching his younger brother. How can the talks of being Guru arise….
17)Acharya Chanakya has rightly said that straight trees are cut first. The extreme politeness with which I treated him…that he is like my brother…..at least he will understand my feelings….but they all considered my politeness to be my weakness only…..that’s why they gained the courage to do so….
See thisSanctimonious who became the disciples of self-made Guru but their Guru mantra should be of their own but still…because our Guru Mantra given by Sadgurudev is such that if someone chants it after taking any Diksha or without Diksha, his works will be done. See their cleverness they are using the Guru Mantra given by Sadgurudev, why they do not have their own Guru Mantra….But their works are called Nikhil work…..whatever they do is Nikhil work.
Why they can’t say it’s their personal work…..If they would have remained disciples only, we could have understood it.When they have become self-made guru, then it is the misuse of Sadgurudev words. How can they be called disciples now….and supporters of these great persons are questioning us…… only their work is Nikhil work…and no opposition….
If they are that much siddh…..kaam kala Kaali siddh then what all is this….
18)Having objection and laughing on our work..
But what is that work which only they are able to understand. Rest all are mindless, only they have got the special intelligence. What great work they have done up till today by using this special intelligence.
19)Spreading religious animosity and disturbing the peace or getting it disturbed is never the work of Nikhil’s disciple. Sadgurudev has never given importance to it while giving Diksha. Before becoming a disciple, it is necessary to be good human being. Who can’t understand religion and morality, what more that fool can understand. Religious wild acts are the domain of empty minded people, not of the persons who are dedicated to tantra or spirituality. It is knowledge and everyone has a right on this knowledge.

Therefore it is our sincere request to you all that be cautious of the one who talks anything in the name of Sadgurudev of Nikhil work…..and always use your mind.
But if we are not willing to understand….then this will happen always…..and if we are able to grasp it, wed will be saved in future so many times from being cheated…….nobody would be able to play with your feelings……do sadhnas yourself, do not be pleased merely by reading them…..if it is authentic process…if you have done hard-work….then how you will not be successful….Doing sadhna is not being inactive…. Rather it is the activity to transform your fate taking support of divine lotus feet of Sadgurudev…..and you are part of him so you can do it…definitely you can do it…..I will make the sadhna articles available and that too free of cost  so that you never have regrets that sadhna articles were not authentic because I can bear the cost…but it will not happen that any of my brother could not attain knowledge just because he could not afford it…..This tradition will go on from now. You already have the sadhnas for this month but for the next month also sadhnas are also available now……But this will be given only from 10 June and will be valid up till 10 July…..and this tradition will never stop now…I am always with you as your brother….Neither I am suitable to give Diksha  nor I can provide you the success….but I can at least introduce you to truth and authenticity…I am polite but not a coward…always ready to accept the challenge…..and at the time of confrontation , you all will know who will win and who will lose.

Selected sadhnas for 10 June to 10 July

1)     Kinnarottam Sadhna: To establish contact with kinnar world , for attaining completeness in field of acting and arts.

2)     Gaibi Humzaad Process:An amazing process of Muslim tantra whereby Humzaad is compelled to manifest himself.

3)     Poorn Neeltaara Medha Prayog: To imbibe intense remembering power and Vidya element.

4)     Sabar Siddhi Vidhaan: After this, success in sabar sadhna is assured.

5)     Saundarya Lutika Prabheda Process: Padhati of Tibet Boudh tantra which provides complete beauty and wealth.

6)     Drishyashakti Paranivata Sadhna: For getting amazing success in field of Kaal Gyan darshan and Para Vigyan.

7)     Aghor Virupaaksh Sadhna:Process related  for siddhi and darshan of shamshaaneshwar Dhoomra Lochan ( who is the foremost in Shamshaan sadhna)




****NPRU****

11 comments:

PREMKRUSHNA MANOJGIR GIRI said...

jay gurudev bhaiyya ji aapka lekh abhi abhi padha.anmol margadarshan k liye dhanyawad .aapka19wa point pura padhne k baad to aankho main paani aa gaya. aap ko mai our kya kahu ? bas -jay gurudev

ashok yadav said...

jai gurudev, in jaise pakhandiyon ki wajah se main sadgurudev se diksha na le paya kyunki in tathakathit logon ne viswas utha rakha hai logon ka aur mujh mein itni samarth nahi thi ki main sadgurudev ko pehchaan sakun...kair baad mein diksha li par in jaise logon ki wajah se jo kho diya wo to wapas nahi aa sakta...
lekin in logon ka asli chehra sabke saamne aana hi chahiye ....yesi ikchha varsho se hai...
jai gurudev

Unknown said...

jai guru dev ........bhaia kitna dukh hota hay ye sub deekh kr ,gurudev ka ek sapna tha ,aaj log kya kya kr rahay hayn??????????
pr aapne jo hr maaha sadhanatmak krya ka beeda uthaya hay wo antyantam hay.
jai gurudev..................

Unknown said...
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TANTRA said...

control bhai ........control......we all can understand your true feelings about gurudev........and we really admire it........but remember that guru dev himself have suffered all these things .....and that to to enormous extent.......may be we will never in our life can understand why our gurudev suffered all these because of his shishya..........so be cool.......and devout all your obligations to holy feet......."

Nilesh said...

Dear bhai ,

mai sabhi sadhnaye karna chahata hu...samajh me nahi aata kaunsi karu,

kripaya bataye...

Nilesh said...

Dear Bhai,

mai utsuk hu sadhna karne ke liye..aap ne jo niyam bataye hai wo bhi manya hai.....lekin kaunsi sadhana karu samaj me nahi aata hai...aap hi bataye

Nilesh said...

Dear Bhai,

mai utsuk hu sadhna karne ke liye..aap ne jo niyam bataye hai wo bhi manya hai.....lekin kaunsi sadhana karu samaj me nahi aata hai...aap hi bataye

Anu said...

priy prem krushna ji , yah to aapka sneh hain , aur sadgurudev ka aashirvaad jo aap jaise bhaiyon ka sahyog prapt ho raha hain .

dear unknown ji , yah sab to hota aaya hain , aap sabhi is path par ham sabke sathaage badhe yahi hamari ichchha hain .
dear tantra ji,
yahan control ki baat nahi thi balki samay par kabhi kbhi jabab bhi dena padta hain ..baki ham sab apne kary me lage hi huye hainj ..

priy nilesh bhai aap koi bhi sadhana karo kyonki kahin n kahin se safar to shuru karna hi hoga n.aur nikhilalchemy2@yahoo.com par mel bhej de ...jyda updat ekeliye facebook ke group me dekh sakte hain ..

smile
anu nikhil

Ashutosh said...

mai maa bhagwati ke darshanarth niskaam shdhna karna chahta hu..kripya margdarshan dijiye....

Ashutosh said...

kya aap mera margdarshan karenge,...mai maa bhagwati ke darshanarth shadhna karna chahta hu...kripya dishanirdesh dijiye