Tuesday, June 5, 2012

इच्छित व्यक्ति स्तम्भनं प्रयोग


Blows and counter-blows have become part and parcel of life. Now times are gone when people used to fight giving you open challenge. Now harming you in hidden manner have become the only motive. There are many categories of people mentioned in shastras…….there are many among these also which want to disturb others without any reason……Harming anybody for sake of money only or for land. Or being jealous with your progress, creating various kinds of conspiracy against you.
Sadhak belonging to the field of tantra very well knows how to deal with such problems. But there is wide gap between knowing it and doing it.Stambhan is one of karmas under Shat Karmas (6 process of tantra).Every one of us are well introduced to the form of prime deity of Stambhan Goddess Balgamukhi .If the person does not have any solution in mind, he can take the procedural knowledge of this Vidya and use it for his own security. Definitely he will benefit from it.
But it is very hard to find the person capable of providing this knowledge and the person who can use it appropriately…..and the problem is that how to take time out for doing such type of prayog. Everyone is hard-pressed for time; this fact is known to everybody.
There are both type of process in field of tantra: those consuming more time and those taking less time. Generally it is said that first of all less time-consuming process should be paid attention and if the results are not as per our need then the attention should shift to high-order sadhna .This is correct too since where there is need of needle then why to use sword.
And in the base of Tantra Mantra, there is one important part or science called Yantra Science…..even a small portion of it has not been revealed so far……This science has been full of so many amazing hidden and hard to believe secrets.
The various prayogs given by us have been the matter of appreciation among various saints, tantra acharyas and various high-order tantra scriptures. Hundreds have done them and taken benefits from it.This need of the hour is that if we have time, why not we do this prayog which have been so accurate and tested.
These easiest processes have their own significance. Make this yantra.
It can be done on morning of any auspicious day.
For making yantra, one can use the stick of pomegranate or any other appropriate stick which is available.
Mixture of Kumkum and Gorochan has to be used as ink for writing yantra.
Yellow dress and yellow aasan will be more appropriate.
Take resolution (Sankalp) in the beginning of prayog.
Keep in mind that write the name of the person in middle of yantra who is troubling you.
After making yantra i.e. after writing the name of person, this yantra has to be kept in clay container for full one day and dhoop, deep and navidya has to be offered.
On the next day, place one clay plate above the clay container (in which yantra was kept) and tie this container nicely with any cloth. Keep it in any far-off place where nobody comes.

After doing this, that person is not able to frame any harmful plan against you.
After this do Sadgurudev poojan and chant Guru Mantra as per your capacity and pray for your success.

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घात प्रतिघात   तो  जीवन का खासकर आज के ,  तो एक   अंग  वह भी आवश्यक    बन गयी  हैं  वह  समय  कहीं   कोसों दूर  चला  गया   जब  लोग सामने  चुनौती दे कर लड़ना   पसंद करते थे .  अब तो  गुप्त रूप  से   आपको  नुक्सान पहुचना   ही एक मात्र मकसद  रह गया   हैं,  यूँ  तो शास्त्रों  मे  लोगों  की अनेक  प्रकार  की श्रेणियाँ   उल्लेखित   हैं . उनमे से कुछ   ये भी हैं की  अकारण  ही  दूसरे को परेशां  करने  वाले ...किसी की जमीन पर  या किसी  को सिर्फ  कुछ धन  के लिए  नुक्सान पहुचने  वाले .  या आपकी उन्नति से  जल कर आपके लिए   तरह तरह  के  षड्यंत्र  का निर्माण करने वाले .

 तंत्र  क्षेत्र का  साधक   इन सभी  समस्यायों  को  कैसे  निपटा जाये   यह भली भांति  जानता   हैं पर  जानने  और करने मे  कोसो  की  दुरी होती  हैं  ,षट्कर्म मे से  एक  कर्म स्तम्भंन्न भी  हैं   और स्तम्भनं   की प्रमुख देवी   भगवती  बल्गामुखी  के  स्वरुप   से  कौन नही परिचित  होगा  , जिसे कोई भी उपाय  ना  सूझे  तो  विधिवत ज्ञान ले कर इस विद्या का प्रयोग  अपने  रक्षार्थ   करें   निश्चय  ही  उसे लाभ होगा .

पर न  तो इस विद्या का  ज्ञान  देने  वाले  और  न ही   उचित प्रकार से प्रयोग करने वाले  आज  प्राप्त हैं .और् सबसे बड़ी समस्या  यह हैं की इन प्रयोगों   को करने के लिए  कैसे  समय   निकाला  जाए .आज  समय  की  कितनी कमी हैं यह तो हम सभी अच्छी तरह से जानते हैं   ही .     
साधना  क्षेत्र  मे  दोनों  तरह   के विधान  हैं लंबे  समय वाले  और  कम समय वाले  भी ..साधारणतः यह  कहा  जाता   हैं की सबसे पहले कम समय वाले  विधानों की तरफ गंभीरता  से देखा जाना   चाहिये और  जब  परिणाम  उतने  अनुकूल ना हो जितनी  आवशयकता हैं तब  बृहद   साधना   पर  ध्यान   दे  यह  उचित भी है  क्योंकि जहाँ    सुई का काम  हो वहां तलवार   की क्या  उपयोगिता ..

और  तंत्र   मंत्र  के आधारमे  एक महत्वपूर्ण   अंग या विज्ञानं हैं  यन्त्र विज्ञानं ..अभी  भी इसका    एक अंश मात्र   भी सामने   नही आया   हैं .  एक से एक अद्भुत  गोपनीय   और दाँतों तले  अंगुली  दवा लेने  वाले  रहस्यों से ओत  प्रोत रहा हैं यह विज्ञानं.

हमारे  द्वारा  अनेक प्रयोग   जो दिए जाते रहे हैं  वह  अनेको   मनिशियों   ,तंत्र आचार्यों   और  उच्च तांत्रिक ग्रंथो मे  बहुत प्रशंषित   रहे हैं  और सैकडो ने  उनके  प्रयोग किये  हैं  और लाभ भी उठाया   हैं , आवश्यकता  बस  इस  बात   की हैं की  यदि समय हो तो क्यों न  इन  प्रयोगों  की   करके   भी  देखा  जाये  जो  अनुभूत  और सटीक रहे  हैं .

इन सरलतम  विधानों का अपना   एक महत्त्व हैं.इस यन्त्र  का निर्माण करें .

·        किसी भी शुभ  दिन प्रातः  काल मे कर सकते हैं .
·        यन्त्र   निर्माण  के लिए  अनार   या  जो भी उचित  लकड़ी प्राप्त  हो उसका  उपयोग कर सकते  हैं .
·        यन्त्र  लेखन  मे  स्याही सिर्फ   कुकुम और गोरोचन  को मिलाकर बना ना   हैं .
·        वस्त्र   पीले  और आसन का रंग पीला   हो तो  कहीं जयादा   उचित होगा .
·        प्रयोग  के शुरुआत  मे  संकल्प   ले .
·        यह ध्यान रखे  की यन्त्र के बीच मे  उस व्यक्ति का नाम लिखे  जिसने आपको  परेशां कर्  रखा   हो
·        यन्त्र   निर्माण मतलब  उस व्यक्ति का नाम लिखने के बाद   पुरे  एक  दिन इस  यंत्र को एक मिटटी के वर्तन मे  रखना   हैं  और धूप दीप और   नैवेद्य  अर्पित करना   हैं .

·        बाद मे मतलब दूसरे   दिन  इसके  ऊपर  (मिटटी के  वर्तन) जिसमे  यह  यन्त्र निर्माण के बाद  रखा  हैं किसी  अन्य मिटटी की प्लेट  उसके  ऊपर रख दे और  अच्छी तरह से  इस पात्र कोकिसी  कपडे से  बाँध कर .किसी दूर  निर्जन स्थान पर  रख दे .

ऐसा करने  से  वह व्यक्ति  फिर आपके लिए  कोई हानि का रक  योजना नही बना  पाता   हैं .

इसके बाद  सदगुरुदेव जी का पूजन और गुरू मंत्र  का जप  यथाशक्ति  करे  औरसफलता  के लिए प्रार्थना  करें ...
    
****NPRU****

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