अथर्वेद के इस भाग के प्रति ओर इसके अध्येताओं के प्रति सारी मानव जाती सदैव ऋणी रहेगी ओर जैसे जैसे मानव सभ्यता आगे बदती जाएगी वै से ही इस शास्त्र की महत्ता और भी अधिक मसहूस होती जाएगी , आधुनिक चिकित्सा की भी अपनी उपयोगिता हैं ही उससे तो कोई भी इंकार नहीकर सकता पर लगातार महगी होती जाती ओर आधुनिक तथाकथित जीवन शैली ऐसी ऐसी रोगों से हमारा परिचय करा रही हैं शायद जिनका का नाम तो पिछले २०/३० वर्षों मैं किसी ने सुना ही नहीं हो.
आखिर ये अभी ही क्यों हो रहा हैं क्यों इतने सारे रोग मानो आज की प्रतीक्षा कररहे थे हर किसी को कोई न कोई रोग तो पकडे होगा ही पर , हर प्रश्न का उत्तर तो होता ही हैं, अगर प्रश्न आया हैं तो उसी समय कही न कहीं उसका उत्तर भी आकर ले ही रहा होगा . हाँ ये बात जरुर हैं की ये उत्तर हमारी सोचे समझी बंधी बधाई मानसिकता के अनुरूप न हो . क्या आप मानेगे की इन रोगों से संबंधित जीवाणु दुसरे दूरस्थ ग्रहों से आते हैं , यह मैं नहीं कह रहा हूँ , विश्व विख्यात परमहंस स्वामी योगानंद जी ने एक अवसर पर बताया था. ये रोग क्यों आ रहे हैं इस प्रश्न का उत्तर देना तो विषय से भटकना हो जायेगा .
आयुर्वेद कहता हैं की बीमारी केबल वात पित्त कफ़ , इन तीन तत्वों के असंतुलन से ही होता हैं इनमेंसे कफ़ से मैं विगत कई वर्षों परेशान था ,परिणाम स्वरुप कुछ भी ठंडा खाते / पीते ही कुछ देर खांसी का सामना करना ही पड़ता था. चिकित्सीय सलाह लेने पर पर कोई विशेष रोग तो न मिला हाँ ये पता चला हैं की ठण्ड से अलर्जी हैं तो अब मात्र सावधानी ही उपाय थी .ओर मैं इस कभीकभार की खांसी को ध्यान देना ही बंद कर दिया था
अभी हाल में कामख्या कार्यशाला मैं जाने से पहले मैंने गिलोय चूर्ण लेना चालू किया (मु झे पहले से ही कहा गया था ), , पर अभी जब मैंने कुछ दिन पहले जब मुझे ध्यान आया की अब तो खांसी का नामोनिशान नहीं हैं , मैं न केबल ठंडा पानी पी रहा हूँ बल्कि ठंडी ओर खट्टी चीजे भी खा सकता हूँ . में भी आश्चर्य चकित था की ऐसा क्यों हो गया , आयुर्वेद की किताबो में तलाश करने पर पता चल की ये गिलोय तो शरीर में रोगों के प्रति ,प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली वस्तु हैं.
प्रथम विधि : दो चमच्च गिलोय चूर्ण ले ले ओर लगभग ३/४ कप पानी में डाल कर मध्यम आंच में उबाल ले, जब पानी एक कप के लगभग बचे , तब उसे छान कर पी ले , बस इतना ही करना हैं , ओर कोई नियम नहीं , मैंने मात्र २/३ सप्ताह में ही परिणाम प्राप्तकर सका. (मुझे तो एक कल्प प्रयोग विशेष के तहत गिलोय के हरे टुकड़े लेने को कहा था , पर उसके उपलब्ध न होने के कारण बाज़ार में उपस्थित गिलोय चूर्ण का ही प्रयोग कर रहा था .)
दूसरा प्रयोग : अक्सर खांसी या शरीर में कहीं भी अंदुरनी दर्द होने पर हमें हल्दी मिला हलका कुनकुना दूध पीने को कहा जा ता हैं यह शरीर के नाकेबल कफ़ को समाप्त करता हैं बल्कि ये भी शरीर के आन्तरिक भागों को मरम्मत करने के लिए बहुत उपयोगी हैं . पर जब भी पहले मुझे खांसी अधिक हो तो यह पीने दिया जाता था, पर कफ़ की स्थिति ओर अधिक हो जाती थी , इसे पीने से में बचाव ही करता था, पर यह तो मानी गयी घरेलु दवा हैं लगभग हर भारतीय परिवार में इसका का प्रयोग तो जानने वाले हैं . पर मुझे ही ऐसा क्यों होता हैं .
एक उच्चस्तरीय आयुर्वेद्ग्य से मैंने इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा , मात्र फ़ॉर्मूला जाने से कुछ नहीं होता अन्दर के रहस्य भी तो समझो क्या इसका क्या रहस्य हैं ?
उन्होंने कहा - जब हल्दी को गाय के दूध के साथ लिया जाता हैं तब ही ये कफ़ नाशक हैं , भैस के साथ यह तो कफ़ वर्धक हो जाती हैं
(में वर्षों से भैसके दूध के साथ हि लेता आया रहा था . यही गलती हो रही थी .)
तीसरा प्रयोग: सदगुरुदेव जी ने एक सरल सा प्रयोग पत्रिका कार्यालय में काम कररहे गुरु भाइयों को बताया था , जब भी सुबह आखें ठन्डे पानी से धोना हो हो , एक काम करे पहले ठंडा पानी अपने पुरे मुंह में भर ले, इसी स्थिति में रहतेहुए आखें में ठंडा से पानी से छींटे मारने पर न केबल आखें साफ होंही बल्कि वे आजीवन स्वास्थ्य भी रहेंगी .
चतुर्थ प्रयोग : आयुर्वेदज्ञ कहते हैं की भोजन के उपरान्त यदि तुरत मूत्र निष्काशन के लिए जाये तो विशेले तत्व शरीर से बाहर हो जाते हैं बल्कि पथरी होने /बनने की सम्भावनाये भी काफी कम हो जाती हैं .
पंचम प्रयोग : हम मेंसे हर कोई साफ और तरो ताजा अपनी त्वचा चाहता हैं पर क्या सदगुरुदेव देवजी ने इस बारेमें कभी कुछ कहा हैं , शायद आप यह विस्वास न कर पाए पर उनके दिव्य आँखों से भला जीवन की कोई स्थिति बच सकती हैं कभी नहीं . (उन्होंने तो जीवन की एक एक स्थिति पर अपने विचार हमारे सामने रखे हैं उन स्थतियों पर भी जिनके के बारेमें हम सोच भी न पाए , अगर वे ही अपने बच्चों को न बतायेगे तो भला कोन बताएगा उन्हें मात्र हमारा साधनात्मक पिता मानना उचित नहीं हैं वे तो हर अर्थों में हमारे पिता हैं ही उन्होंने साधना ही नहीं बल्कि इसके अतिरिक्त भी हर पक्षों में हमारा मार्गदर्शन किया हैं ) उन्होंने ही बताया हैं की स्नान तो सभी करते हैं पर यदि स्नान करने के पहले साफ थोड़े से मोटे तौलिये से अपने शरीर को थोडा अच्छी तरह से रगड़ ले लगभग ७/८ मिनिट फिर स्नान कर ले , सारे रोम कूप खुल जायेंगे . ओर एक विशेष वात में आपको यहाँ बताना चाहूँगा की क्या इससे साधना में कोई सफलता ज्यादा मिलेगी , हाँ क्योंनाही जब शरीर से सारे रोम कूप खुले होने साफ होने तो इनके मध्यम से भी तो जप होता हैं ही .. आप सभी तो यह तथ्य जानते हैं ही फिर क्यों बार बार यह लिखूं .. आज बस इतना ही ......
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this part of Atherved and the rishi associted with this part i.e. ayurved all the mankind always be grateful as the the civilization advances the need of this shshtra will be more and more felt, no none can deny the importance and usufulness of modern medical science , and this way of treatment is now getting more and more costilier/expensive one and so called modern life style bring and introduces such type of illness which was never herd in past 20/30 years are becoming common .
why all thses type of various illness spreading their wings now a days , are they waiting for this time only , now a days every person has one or other type of illness why such a situation arises. if question arises than some where its answer also taking shape, thats another point due to because of our so called advanced mentality never accept the cause or answer of that, can you believe that the becteria of various illness comes from very distant palnet, this we are not saying but world famous paramhansa yoganand ji on a place expressed this thought , but why now thses illness comes?. to answer this question , become diverting the topic of this post.
ayurved says that every illness is the only cause and thatis the inbalance of three element vaat pitt cough in the body. in that one cough ,i was suffering from many years , the result was on taking anything cold suddenly coughing will start for next 5/10 minits , on taking medical advice nothing any serious would came, just allergy to cold .and only prevention is the cure, so i stop taking any notice ofthat ,
recently i was in kamakhya workshop , before going to there i start taking giloy powder ( i was adviced to take this on a cause). on returning i noticed that there is no sign of any coughing , not only i am taking cold water but taking khatti (sour) things like golgappe etc, with no problem. i amaged how this can possible , on searching in ayurved books i found that this giloy powder is very good to increase body resistence power for fighting to any illness.
first process : take two spoon full of giloy powder with 3/4 cup of normal water and boil with midium flame , when only one cup of water remains than take out and little bit cool down than drink it, there is no other rules. within two /three weeks i was able to get the result ( i was adviced to take two green piece of giloy for a particular ayurvedic kalp, but i was not able to get that and taking just giloy powder easily available in market.)
second prayog : when coughing or any problem to internal pain in the body generally we are adviced to take haldi mix milk ( turmeric mix milk), this notonly help to removes cough(yes sugar can also be add ) but very good for reducing any internal body pain and for internal healing too., when i was having problem with cough much, i was advice to take this but on taking that coughing problem \often gets worse, so i am taking avoid that , but sometimes this question comes in mind that why this happens to meonly , when nearly all the indian family uses that, but?
one occation i questioned a accomplshed ayurvedgy why this happens ,he replied there is nothing importance on kwoning the formula only one shouild know the hidden secreat of that .
hidden secreat for this simple cause what is that ?
he replied when turmeric taking mix with cow’s milk than it will helpful tio reduces cough but if taking with bufflow milk than it will increase the cough.
( iam/was taking the said mix with bufflow ‘s milk)
Third prayog: once sadgurudev ji expalin a very simple but highly effective prayog to protect eyes power to our fellow guru brothers working in the office of gurudham , is that when ever in the morning time eye has to wash with cold water first fill the mouth with water and on this condition wsh eye with cold water this way eyes will be healthy and have great eye sight.
fourth prayog: many ayurved master advices that if one goes for urinite just after taking his meals not only harmful element will be out of body and there will be less chance of having pathari (stones) to him.
fifth prayog: everyone of us want to have clean and glowing ourskin but evr sadgurudevji has told any thing related to this maybe you all cannot not beleive that , but is there any sititaion of life be ever hide from his divine body. never ever.( he provide us his advice and instruction nearaly all the aspect of life,even on such aspect for whom we hesitate to ask , think for a momnet if he not instruct his children than who else , consider him only our spiritual father is not enough, he is our father in all aspect of life , not only in sadhana field but in addition to that in all remaining aspect of life he gave us advice and instruction.) he told us that every body get bathe for daily cleaning but if before taking bath rub your body with a little bit thick towel for 7/8 minit than have cold water , in this way all the rom kup will open and you will have much healthier skin.
one special point i would like to draw your attention is that is this way of bathing helpful for sadhan ,
why not ,
when all the rom kup will open , and you all are already aware that whole romkup also do thae mantra jap, so you still in doubt, no na. you all arealeardy know this fact , so no need to write here again. for today this is enough...
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