Monday, July 18, 2011

Mahavidya rahasyam - Ma Balgamukhi Rahasyam -2

"ह्लीं" इस महाविद्या  का बीज मंत्र  हैं ,  जिसे रक्षा  बीज  मंत्र  के नाम से भी तंत्र ग्रंथो में संबोधित किया हैं .   जिसने  सारे संसार को  अपनी दिव्यता से  जोड़ रखा/बाँध  रखा   हैं  जो स्तभन के माध्यम से   संसार  की रक्षा  करती हैं .    कई जगह  "ह्रीं"  को भी  इस महाविद्या का  बीज मंत्र माना गया हैं कुछ स्त्रोतों में  ऐसा भी लिखा  हैं , पर बहु संख्यक साधक  तो  "ह्लीं"  को ही बीज मंत्र मानते हैं साधको के  मध्य वैसे  तो  ३६ अक्षरी मंत्र  ज्यादा  प्रचलित  हैं, अधिकतर  साधक इसी  मंत्रो को जपने के लिए   उपयोग करते हैं ,
वैसे  किसी भी महाविद्या साधना में  उसके  पंचांग  की विशेष भूमिका रहती हैं ओर ये पंचांग  होते हैं  कवच  , स्त्रोत ,  सहत्रनाम ,  ध्यान , मंत्र की  बहुत ही महत्वपूर्ण  भूमिका रहती हैं .   साधक  को इनके बारे में भी जानना  चाहिए , ये मंत्र  की बराबरी नहीं कर  सकते हैं पर इनकी भूमिका को नकारा नहीं जा सकता हैं . विशेषकर यदि  सहस्त्रनाम  को विशेष भाव भूमि  के  साथ  उच्चारित किया जाये तो  विशेष फल  प्राप्ति  की सम्भावना रहती हैं.

 जो साधक किसी कारण वश  महाविद्या  की दीक्षा  नहीं ग्रहण कर पाए हो , वे भी  जगत माँ  की कृपा से वंचित न हो , वे भी अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए  ,  पीताम्बराष्टक  या  अष्टोत्तर शत  नाम का भी  उच्चारण   कर सकते हैं हाँ  इनकी   संख्या कितनी हो यह  तो साधक के  परिस्थिति  पर  ही निर्भर करता हैं पर  कम से कम ११.३१,५१,१०८  तो प्रति दिन होना ही चाहिए . सबसे महत्वपूर्ण  बात किसी भी तंत्र साधना  में  साधक के लिए ओर उसकीसाधना में  सफलता के लिए होती हैं साधक  का एक निश्चित समय पर अपनी साधना  के लिए  आसन पर बैठना , अधिकाश साधक इस तथ्य की गरिमा ओर महत्त्व नहीं समझ पते ओर यह भी साधनामें  सफलता न मिल पाने का एक बड़ा  ही नहीं बल्कि बहुत  बड़ा कारण  होता हैं , ओर साधक अपने पाप दोष पूर्व जन्म के दोषों को दोषी ठह  रहा होता हैं इस और भी ध्यान रखें.


  जब तक आपकी इच्छा पूरी  न हो जाये ये क्रम   लगतार करना चाहिए , इसी क्रम में सदगुरुदेव जी  द्वारा   एक ओर विधान बताया गया  हैं वह यह की   बगलामुखी माला मंत्र  का जप  , इसकी विधियों से आप परिचित हैं ही  , पर इसमें यदि एक बात का और ध्यान रखा जाये तो  ओर  भी अच्छे परि णाम प्राप्त  हो सकते हैं वह हैं की इसे  जल में खड़े  हो कर जप करे , संभव  न हो तो बैठकर  भी  कर  सकते हैं दोनों  केस में जल का स्तर आपकी नाभि से ऊपर  रहना चाहिए . ओर  नदी के किनारे आप अपनी सुविधानुसार माँ की अपने कल्पना अनुसार   प्रतिमा बना कर  पीली  चीजो से उनका पूजन भी पहले कर ले . यह  भी विपत्ति ग्रस्त  लोगों के लिए  सदगुरुदेव द्वारा  दिया गया  राम वाण  उपहार हैं .  

 
सदगुरुदेव  जी ने विस्तार से बगलामुखी साधना  के बारे में अनेको बार  अलग अलग प्रयोग रखे हैं , १९८७ के समय तो   पूरे  ८/८  दिन के शिविर एक एक महाविद्या   के बारे में  रखे गए थे, कितने  उपयोग /प्रयोग  उन्होंने साधको के सामने रखे उसकी  तोकोई  गिनती ही नहीं, पर आज वह ज्ञान हमारे सामने नहीं हैं क्योंकि वे विडियो  cd   अब उपलब्ध नहीं हैं , इसी क्रम में सदगुरुदेव   जी ने जब हैदराबाद  शिविर  में  एक अनोखा  अद्भुत विधान  रखा  जिसमें उन्होंने सीधे ही माँ बगलामुखी के उन गोपनीय रहस्यों से साधको  को परिचित कराया  जो  सदगुरुदेव जीके अनुसार  पहली बार सामने आये , की किस तरह मात्र ३३ दिन की साधना में साधक  माँ बगलामुखी के दर्शन ही नहीं बल्कि साधना में पूर्ण सिद्धि भी प्राप्त कर सकता हैं . ओर इसी क्रम में उन्होंने ३६ अक्षरी मंत्र की न्यूनता  भी सामने रखी , तथा एक विशष लघु  बगलामुखी मंत्र  से साधको  को परिचित कराया   साथ ही साथ  उन्होंने यह तथ्य   भी  बताया  की बिना धूमावती सम्पुट के यह साधना  सिद्ध   हो ही नहीं सकती  ओर उस विधान को कैसे करना हैं साधको /शिष्यों के सामने रखा .    
इस महाविद्या को मात्र  स्तभन  की विद्या  मानना उचित नहीं हैं , आर्थिक  सम्पन्नता  प्राप्त  करके के लिए, स्मरण  शक्ति  अपनी बढ़ाने के लिए, और वाक् शक्ति  में  अपूर्व क्षमता  लेन के लिए  भी इन महाविद्या  की साधना  उपयोगी  हैं  जो चाहते हैं की वे जब बोले तो सारी सभा मन्त्र मुग्ध हो  कर  सुनती रहे , उन्हें तो  यह साधनसम्पन्न करनी ही चाहिए.
बगलामुखी  साधना  तो आज के इस युग में कल्प वृक्ष के सामान हैं . जो यह साधना  संपन्न  न कर पाए हो   न उनके पास  समय  हो तो उन्हें तो  अपने बाह में धारण   करने  वाला  बगलामुखी यन्त्र  धारण  कर ही लेना चाहिए . जीवन में दुभाग्य को रोकने के लिए ओर अखंड सौभाग्य प्राप्त करने के लिए   तो इस साधना  को हर सौभग्य   की इच्छा  रखने  वाली   स्त्री को करना चाहिए .
 जब भी साधक पर किसी भी अभिचारिक  प्रयोग  किया  गया हो तब उनसे निराकरण के लिए इसी महाविद्या का प्रयोग होता हैं ,  जिन साधको के पास  बगलामुखी संयुक्त  प्रत्यंगिरा स्त्रोत  या मंत्र  हो उन साधक के भाग्य का क्या  कहना हैं  यह अद्भुत स्त्रोत आज बहुत कम  प्राप्य हैं , पर जब  माँ बगलामुखी ओर माँ छिन्मस्ता की यह अद्भुत शक्ति का  मेल हो तो क्या कुछ कहने की आवश्यकता   रह जाती हैं.
 जहाँ सदगुरुदेव जी ने  छिन्नमस्ता  युक्त  बगलामुखी  साधना का विधान  रखा , उन्होंने  त्रि शक्ति साधना  त्रैलंग  स्वामी द्वारा रचित  हैं वह हम सबके सामने रखी  ,  उन्होंने ही "धूमावती युक्त  बगलामुखी" का सर्वथा दुर्लभ  विधान हम सबके सामने रखा  वहीँ   उन्होंने  अत्यंत अद्भुत   "महाकाल युक्त  बगलामुखी दीक्षा" का  दुर्लभ विधान भी रखा .
पर जब साधक यह कहे की मुझे  डर /भय  भी  होता हैं इस साधना में  क्योंकि  बहुत ज्यादा  साबधानी रखना  पड़ती हैं तब उन्होंने ही  स्वयं अपने  दिव्य स्वरुप से सम्बंधित  “गुरु साधना  युक्त  बगलामुखी साधना” का विधान  भी  बताया , जिसमें आश्चर्य  तो यह हैं की   जहाँ बगला साधना में  पीले कपडे  का विधान  होता हैं यह अद्भुत एक दिवसीय विधान तो  स्वेत  रंग के वस्त्र पहिन कर ही होता हैं . क्योंकि सदगुरुदेव  तो स्वेत वस्त्र मय ही  हैं  इसलिए इस विधान में  सदगुरुदेव कृपा  भी होती हैं .
  जो यंत्र   किसी    आर्थिक  कारणों  से न ले पाए हूँ ,  सदगुरुदेव  भगवान् ने इस हेतु  बगला मुखी गुटिका  का भी विधान सामने रखा , बस वोह तो यह चाहते हैं की किसी तरह उनके बच्चे इन विधानों की दुर्लभता  को समझे , पर हम  तो विधान  में से ही  अपने पसंद  का चुनने में लग जाते  हैं  , कोई भी  विधान  चुने पर करे  तो सही .
 हाँ यह भी सही हैं की  मारण प्रयोग  भी संभव हैं इस महाविद्या के माध्यम, से ....... क्रमशः ..
 आज के लिए बस इतना ही ..
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 “ hleem” Is the beej  mantra of this mahavidya  that also known as  raksha beej ( protection ) mantra in various tantric text. That also protect whole world though  its divinity. This protect whole world though  stambhann vidya. In many place it has written that “hreem” is  the beej mantra of this mahavidya  even that has been mentioned in various strotam  too. But most of the sadhak considered  “hleem” is the beej mantra . like that  the mantra contains 36 letter is very popular among  the sadhak world and most of the sadhak used  this mantra  for jap.
In any mahavidya  sadhana , panchang is the most useful thing, panchang means- mantra, kavach, dhyan ,strota , shastranaam, theses all are also  play very important  part , sadhak must  also learn / have some knowledge about  them. Off course they are not equal  to  only mantra jap but they importance can not be underestimated  . if chanting of shastrnaam  done  with  needed bhav bhumi than  sadhak will get more  specific result.
 Those sadhak, who have  not taken  this mahavidya Diksha , should not discouraged ,they can also get blessing of mother  and fulfilling their desire through  chanting of  pitambarashtak ( special strotam contains only eight shloka) or asthottarshatnaam (a strota  containing  divine mother baglamukhi’s 108 names) how many times  chanting of theses, is needed is totally depend upon the sadhak /person problem’s intensity but   that should be 11/21/31/51/108 times done each day, the most important  factor  about in tantra sadhana Is that  that  has very much  considerable fact , that brings  success   in any sadhana Is that  often sadhak doesn’t pay much attention on the time  of starting  sadhana ( as they have started in very first  day in sadhana). Majority  consider  this is simple facts  but this is one of  the most important  fact. And sadhak   over look this and blame his  past life sins or other dosha for  not getting success in sadhana.
 Till that your aim is not achieved , your sadhana  will be regular one. In this relation Sadgurudev ji  told us one more specific ways  that is  baglamukhi mala mantra jap vidhan. You all are already knew the process of  this mantra how to do that. But if you consider one simple important fact than  much better result can be achieved that  do jap while standing or sitting in the water  but in both case water level be just above your naval point, and you can search the place in any river , very care fully where  no unforeseen danger occur and you can comfortably complete mantra jap. And you can also made a small statue of  mother baglamukhi  at the bank and do poojan of that as you  can .But  the poojan samgri article be of yellow color, this is the one of the raam baan of  person having various  problem.
 On many  occasion Sadgurudev  describe  various  bagalamukhi  sadhana vidhan  to all of us. In  1987  he  organized  two full  shivir on this mahavidya  of 7/9 days , how many valuable prayog  related to this mahavidya, he  describe there  is no count  of that , but today that gyan is not available to us, since that video cd are not available to us. In that series,  in Hyderabad Sadgurudev shows  to us a very specific vidhan   and   reveal many secret of this mahavidya  sadhana, according to Sadgurudev that he was revealing that vidhan first time to any sadhak. In that he says in 33 days sadhana , sadhak not only  able to get the darshan of divine mother but can achieved full siddhit in that  mantra. He also clarified the  why 36 letters mantra not so much useful  in modern time, and  he provide a very small  Balgamukhi  mantra, and also said that without  dhoomavati samput  , the saiddhita in this sadhana is very difficult  to achieved. How  to do this sadhana he provide every possible details of this great simple sadhana.
 Considering only of   stambhann vidya ,  this mahavidya  Is not very   correct. To get  financial happiness,  to improve  memory power, to improve  your  vocal  power  so that every body who listen  you , will  be in one  kind of hypnotize condition. Those who want such a effect in their  voice  must   do this sadhana.
 This sadhana is like kalp vriksh in this modern time, and those who has not  time  for this sadhana , will wear one  baglamukhi yantra in his  upper  arm. This will be help for  stopping bad luck, and  those who want that her family life be protect all  round, will surely  get this yantra .
 If anytime very bad harmful  prayog if  done, on any one  by his any enemy than to get rid that prayog  this sadhana again very  helpful, those who have  baglamukhi  sanyukt pratyingira strota, will be more luckier . though this strot is not found so easily. when  divine mother baglamukhi and chhinmasta  shakti joins together .. than still any words needed to describe the power…..?
 Where Sadgurudev  ji describe  the vidhan of  Balgamukhi chhinmasta sadhana, than on the other hand  he also describe  the tri shakti vidhan  of mother baglamukhi  ( this sadhana has been made by  trailang swami ji), in addition to that he showed us the  vidhan of dhoomavati sanyukt bagalamukhi vidhan, and also describe   very secretive , most effective  form of Diksha  “mahakaal yukt baglamukhi sadhana Diksha “  in front of us.
 But if any one still says that he has some fear  doing this sadhana,  since too much  care is needed in this sadhana, than Sadgurudev  present us one more sadhana in that his divinity and  mother baglamukhi santukt together, “ guru sadhana yukt baglamukhi sadhana”, most amazing factor of this sadhana is that  this is of one day  process and in that  instead of yellow  color cloths, white color clothes is used . since white color is directly related to Sadgurudev , that’s why in this sadhana, sadhak not only get  blessing of mother but also achieved Sadgurudev ‘s blessing too.
Those who have not taken  baglamukhi yantra due to any reason , Sadgurudev ji  also shows us vidhan of baglamukhi gutika  for them  Sadgurudev shows us too many vidhan of this sadhana,  only he needed that his children  should understand the  importance of this sadhana, but here we are  start making choice in between them,  ok at least  do some something.
 Yes  maran prayog is possible  is though this mahavidya ….. in continous..
 That is enough for this day..
****NPRU***

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