सदगुरुदेव भगवान कहते हैं की जिस काल में उन्होंने अपना एक शिक्षक के रूप में, कार्य प्रारंभ किया था, उस काल में और आज के काल में कोई ज्यादा अंतर नहीं हैं , उ स समय व्यक्ती के चरित्र का बहुत मूल्य था अगर व्यक्ति भले ही निर्धन हो पर यदि चरित्र वान होता था तो उच्च से उच्च व्यक्ति फिर वह चाहे कितना ही धनवान हो उसे खड़े हो कर सम्मान देता ही था ,
पर आजके युग में चरित्र की कोई मूल्य ही नही हैं , जिसके पास धन हो सब उसे ही सम्मान देते हैं फिर भले ही बह कितने ही गिरे हुए चरित्र का ही क्यों न हो , वह भी ठीक था , और आज भी ठीक हैं .
यह सत्य हैं धन सब कुछ नहीं होता पर बहुत कुछ तो होता हैं ही , इसी बात को ध्यान में रख कर सदगुरुदेव भगवानने इतनी साधनाए मात्र धन के पक्ष को मजबूत करने की लिये दी थी.
सदगुरुदेव भगवान् ने यही भी कहा था की “ तुम इन साधनाओ का मूल्य समझते नहीं हो अगर इनमे से एक भी साधना अगर पूरे मनोयोग से की होती तो आज तुम शिष्यों में से कितनो के पास यह आर्थिक समस्या होती ही नहीं , "यह कहते हुए उन्होंने लगभग २० विभिन्न संप्रदाय के नाम , जितनी की साधनाओ को उन्होंने एक ही पत्रिका के अंक में दी थी , गिनाये थी
"लक्ष्मी प्राप्ति ", "एश्वर्य महा लक्ष्मी साधना " , "तारा साधना ", "महालक्ष्मी साधना के दुर्लभ प्रयोग ", ऐसे अनेको ग्रंथो की रचना की हैं पर हम लोग भी समझे तो हैं न ,, पर हम तो साधना को मात्र पढ़ कर रख देने की बात समझते हैं .
इसी श्रंखला में उन्होंने एक बार एक लेख दिया था, “लक्ष्मी साधना के दुर्लभ रहस्य” उसमे उन्होंने यह बताया हैं की जब सामान्य लक्ष्मी साधना से भी लाभ होता न दिख रहा हो तो व्यक्ति को जैन धर्म की धन की आधिस्थार्थी " पद्मा वती देवी “ की साधना करने को आगे आना ही चाहिए , इस स्वरुप की प्रभाव तो आज हम सभी जैन धर्म के लोगों की संमृद्धि देख कर समझ सकते हैं ही सदगुरुदेव भगवान ने अनेको बार भगवती पद्मा वती की पूरी साधना विधि दी हैं , पर ….
जब समय न हो , जो की हमारी पूरी पीढ़ी का मूल वाक्य हैं तब ...
· जब हम बड़ी साधना के लिए उत्सुक न दिखे तब ..
· जब हम साधनात्मक नियम पालन करने के इच्छुक न हो तब ..
· जब हम अपने पर नियंत्रण न कर पा रहे हो तब,,
· जब हम महगें यंत्र और माला न ले पा रहे हो तब.
· जब हमारे घर में साधना का वाता वरण ही न हो तब
· न ही हमारे पास कोई अपना साधना कक्ष हो तब ..
इन्ही बातों को सदगुरुदेव भगवान ने बहुत पहले समझ कर अनेको सरल प्रयोग भी दिए थे , जो की बृहद साधनाओ का स्थान तो नहीं ले पाएंगे .
पर आपको जीवन में कुछ तो अनुकूलता ला पाएंगी ही , और जब आपको थोडा भी अनुकूलता दिखाई देगी तो आप स्वयं ही आगे बढ़ेंगे हैं , हैं न .
मंत्र :
ओम पद्मावती सकल पद्मे पद्मपुषिनी वान्छितार्थ्य पुरय पुरय नमः
सामान्य नियम ;
· यह मंत्र को रोज सुबह १ माला १ महीने तक जाप करना चाहिए
· और आर्थिक उन्नति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए
· साधक को भोजन मे लहसुन प्याज का त्याग करना चाहिए.
· माला स्फटिक / कमलगट्टे की रहे.
· दिशा उत्तर, वस्त्र ,आसन सफ़ेद..
· जप का समय सुबह का
क्या एक बार फिर से लिखूं की सदगुरुदेव भगवान् से प्रार्थना तो हर साधना का अनिवार्य अंग हैं ही , यह तो आप सभी जानते हैं ही , पर हममे से कितने हैं जो हर दिन का मंत्र जप करने के बाद , सारे मंत्र जप को अपने परम प्रिय ,प्राणा धार सदगुरुदेव के श्री दिव्य चरण कमल में पुरे मनो योग से समर्पित करते हैं ...हर साधना का मूल आधार सदगुरुदेव भगवान् नहीं हैं बल्कि वे ही एक मात्र आधार हैं .........
वह ही आदि हैं अंत हैं
.. सदगुरुदेव देव साक्षात् परम ब्रहम
तस्मै श्री सदगुरुदेव नमः
आज के लिए बस इतना ही
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Sadgurudev Bhagvaan , on a place says that , “in comparison to the time ,when he started his career as a teacher and the current one ,only differences is that , in that era , character had a very high value , a person with high character with very low financial health , get respect by even the very wealthy person, and now the character has been replaced by money, now character has not has such value , only if a person has money ,everyone will see and do the respect of him, that was right at that time so this is right in this time.”
Money is not everything but it can do many things, for that view our Sadgurudev has given us so many sadhana to improve our financial health.
Sadgurudev Bhagvaan says that “ you are not understanding the values of theses sadhana, if you had completed any one sadhana with full heart and devotion than many of you, are not facing the problem related to wealth/money, as you are facing now ” and he mentioned approx 20 various sect name of that , he has given sadhana specially in a issue at that time.
“Lakshmi prapti “, “Ashvery Mahalakshmi Sadhana” , “Tara sadhana”, “Mahalakshmi sadhana ke durlabh prayog” like so many sadhanatmak books written by him. But we are not understanding their value, if we can than…..
In this relation , once he has given various hidden secret rules related to lakshmi sadhana to us and mentioned that when desired financial property is not achieving through various lakshmi sadhana , than a person must go for “padmavati devi sadhana” , who is the ruler of financial prosperity in jain dharma sadhana. And one can understand the financial health our jain brothers . Sadgurudev Bhagvaan has given many times padma vati sadhana ,but….
When we do not have time ( the basic argument of our generation ) than..
When we are not interested in any big sadhana than,,
When we are not ready for to follow sadhanatmak rules than..
When we are not able to purchase costly yantra and mala than..
When such a sadhanatmak atmosphere is not available in our home than..
When we have not any separate room for sadhana than..
Taking care of these arguments Sadgurudev Bhagvaan has given many small sadhana for this purpose, yes its is true that they are a not replacing the effect of long sadhana but they can surely given some relief and positivity in money matter, when you feet the change you can surely come forward to do sadhana .. yes it is true..
Mantra ;
Om padmavati sakal padme padampushini vaanchhitarthye puray puray namah ||
General rules:
Do jap this mantra one mala for next 30 days .
And pray for financial improvement.
Should not eat lahsun and pyaj in that duration.
Jap mala be off sphatik or kamal-gutte .
Direction should be north and cloths/aasan be of white color.
Jap time should be morning hours,
Is it right for me to request you all that , pray to Sadgurudev Bhagvaan for success in any sadhana , is an essential / must part of any sadhana, this all you know already, but how many of us , offer our jap at the end of any days mantra to the divine holy lotus feet of Sadgurudev Bhagvaan with full devotion and heart ,
Sadgurudev Bhagvaan is not one of the basic foundation of any sadhana, but he is the only foundation of any sadhana.
He is the beginning and he is the end.
“Sadgurudev sakshat param braham ..
Tasmai shri sadgurudev namah.”
This is enough for today..
****NPRU****
1 comment:
Bhaia ji padmavati sadhna me mantra me puray shabbad me bade oo ki matra hai ya chote oo ki. Bhaia please reply
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