Tuesday, August 2, 2011

Mahavidya Rahsyam-Ma Matangi rahasyam 2


आप  इस साधना  कि विशेषता  से भली भंतिपरिचित हो गए हैं पर  आपने कभी सोचा हैं कि जो यह साधना   इतना आपके दिनप्रतिदिनके जीवन    में  अमृत घोलने का काम कर करती हैं , साथ  ही साथ  जीवन में सारी उचाई ओर सफलता  हर दृष्टी कोण से दे सकती हैं उसका एक स्वरुप यह भी  हो सकता हैं ,
 वह हैं  दिव्य माँ  का उच्छिट चंडालिनी रूप , इस रूप में दिव्य माँ का स्वरुप  कैसा होगा साधक सोच भी नहीं सकते हैं ,   दिव्य माँ का  नाम ही इंगित करता  हैं कि वे इस स्वरुप में शमशान  कि अधिस्थार्थी  हो जाती हैं फिर उनके  इस दिव्य तीव्र  रौद्रतम , विकराल स्वरुप के सामने  भला शमशान  कि कौन शक्तिया ठहर सकती हैं .अपने साधक को वह क्या नहीं प्रदान कर सकती हैं .
 पर आखिर इस रूप  कि जरुरत क्या  , इस शमशान साधना  कि जरुरत क्या हैं , यू तो कहा जाये  कि जीवन कि उच्चता कि जरुरत भी क्या हैं जीवन भिखारी वत  भी तो बिताया  जा सकता हैं  क्योंकि साधारणतः सभी मरने ही आये हैं  तो फिर इन सब बातो  का क्या अर्थ.. 
 क्यों  इन बातो कि ओर देखा जाये  क्यों माथा  पच्ची कि जाये, कि यह साधना   या वह साधना  या शमशान साधना  करो.
हमें ध्यान रहे  कि  हमें बचपन से यह पढ़ते आये हैं  या  यु कहूँ कि हमारे खून में  ही उतार   दिया हैं कि बस मानव जीवन क्या हैं एक राख कि ढेरी ,, तो   बस कायरो कीतरह सब बाते स्वीकार करते रहो ... सर झुका के बस नमन मुद्रा में सबके सामने खड़े रहो क्योंकि  क्षमा वीरस्य  भूषणं हैं पर वीरों का न ...
कायरो का तो नहीं न ...
हम सभी ने मृत्यु को आखिर सच माना हैं , इसलिए यह पलायन वादी दृष्टी कोण  बन गया हैं, काश हम यह सोचते की हम तो अमृत पुत्र  हैं यह  हमारा लक्ष्य नहीं बल्कि साधना  से उच्चता प्राप्त करके सिद्धाश्रम  जाना  हैं , शमशान हमरे लिए साधना स्थली हैं  न की  जीवन अंत  स्थल   

हम भू ल गए हाला कि किहम रोज़ बोलते हैं कि हम अमृत  पुत्र  हैं, आत्मा  अमर हैं तो  क्या  शरीर से भी अमरता  नहीं हो सकती...
हमारी संस्कृति का मूल चिंतन था और हैं हालांकि  भूल सा गया हैं कि मृत्योर्मा अमृत गमय “ तो कैसे अमृत  तत्व प्राप्त  हो ,, वह  तो साधना से ही  मिलेगा न.. रो रोकर कर भीख मांग कर  पेट तो भर सकते हो पर .. सीना तान के पौरुसता नहीं  न..  
 मित्रो  जो साधनाए  माँ के सौम्य रूप में समय  ले सकती हैं व ह बहुत  ही जल्द से शमशान में उग्र साधना  से सफलता दे सकती  हैं ,जिन्हें अपने जीवनमे उच्चता धारण करना हैं  जीवन को अपने ढंग से देखना हैं उन्हें  तो उन्हें उग्र  रूप कि साधना करनी  पड़ेगी हैं  अन्यथा सौम्य रूप से जीवन काटा  तो जा सकता हैं  जिया नहीं जा सकता ..
मातंगी माँ के  जो साधनाए  सर्वाधिक लोकप्रिय हैं  एक तो मातंगी ह्रदय प्रयोग “ हैं जो अपने आप में ही  बेजोड़ हैं  यह एक दिवसीय साधना आपके जीवन  कि सारी विशंग्तिया  दूर करने समर्थ हैं ,  जिन्होंनेपत्रिका  के पुराने अंक पढ़े  होंगे वह इस साधना के बारे में अच्छे से जानते  हैं कि  कितना अद्भुत प्रयोग हैं   जो  कि कई  बार  पत्रिका में आया  हैं,  दूसरा सदगुरुदेव जी  से मातंगी महाविद्या  कि दीक्षा प्राप्त करके  जो मन्त्र आपको प्राप्त हो उसेअनुष्ठान  रूप में करे 
साथही साथ माँ के इस अद्भुत स्वरुप कि   जो साधनाए मिले  उन्हें मनो योग से करे  और वेसे भी यह साधना   दिन या रात में कभी भीकी जाती सकती हैं साथ  ही  साथ  कोई भयानक अनुभव  भी नहीं  होता है बल्कि  दिव्य माँ कि उपस्थिति का मधुर अनोखा अनुभव  हो ता रहता हैं अब भला कौन  चूकना चाहेगा  कि इतनी उच्च  कोटि  कि साधना वह भी इतनी सरल .....  
 पर जब तक आपको साधन के इष्ट के बारे में पता नहीं होगा तब तक  आपकी उसकी तारतम्यता  कैसे बनेगी , उससे स्नेह कैसे  होगा , फिर  तो मात्र व्यापारी  कि तरह  मंत्र जप  होगा  कि बस इतना मंत्र जप हो गया  अभी  तक सिद्धि नहीं मिली .. जब तक आपके मन में वह स्थिति  न आये  तब तक पूर्ण सफलता  नहीं मिलेगी
 पर इसका मतलब  यह भी नहीं हैं कि  आप को खाली हाँथ ही रहना   पड़ेगा , प्रथमतः साधक को इष्ट के पूर्ण स्वरुप कि जगह कोई अपनी इच्छा पूर्ति का  संकल्प ले कर  साधना करे उस देव वर्ग को भी आसानी रहतीहैं  कि वह  आपकी आपकी इच्छा पूर्ति  करे बनिस्पत  कि आपके सामने अपने  पूर्ण स्वरुप में आये , क्योंकि  उसके लिए तो उस इष्ट द्वारा आपको   पूर्ण शुद्ध बनाना  पड़ेगा .... यह प्रारंभ में कठिन हैं  परसंभ्व नहीं ..

हमसभी को यह समझना भी होगा  कि देव वर्ग  हमारी  किसी भी मान्यताओ  से नहीं बंधन  हुआ हैं कि जैसे माँ मातंगी के एक स्वरूप में उनके हाथ में वीणा  हैं  को किसी अन्य स्वरुप में अस्त्र शस्त्र हैं वहां वीणा नहीं हैं , हमें यह देखना  हो गा  कि हमरी भावना नुसार, हमारेद्वारा  किये जा रहे कौनसी साधना  के अनुसार  कौन सी मूर्ति या चित्र मेल खाती हैं उसी के अनुरूप हमें साधना  करना हैं  यहाँ  यह वाद विवाद का विषय नहीं होना चाहिए  क्योंकि हर देवी देवता के  तो शत नाम और सहस्त्र नामावली   भी होते हैं यह तो चित्र कार पर हैं कि उसने कौन  सी भावनानुसार किस रूप के किस तत्व को प्रदर्शित  केलिए  चित्रण किया  हैं पर इससे अन्य रूप  लघु  या उपेक्षित  तो नहीं या गलत नहीं  हो जाते ....
माँ  का वर्ण  श्याम रंग का हैं , इस श्याम रंग का क्या अर्थ हैं कभी स्वामी विवेकानंद  जीने एक कक्षा  में पूछा था की  कृष्ण  , श्याम (नीले )क्यों , समुद्र नीला क्यों, और आकाश  नीला क्यों , केबल एक विद्यार्थी ने उत्तर  दिया - कृष्ण , अनंत हैं  और आकाश  का विस्तार  अनत हैं , ठीक इसी तरह समुद्र  में जल भी अनंत हैं इस कारण ये सभी नीले हैं ,,स्वामी जीने उस बच्चे  को आशीर्वाद  दिया वह बालक आगे चल कर चक्रवर्ती राजगोपालाचारी  के नाम से प्रसिद्द हुआ ...
 तो नीले रंग को दिव्य माँ ने क्यों धारण  किया हैं आप समझ  गए हैं साथ  ही साथ  लाल रंग के वस्त्र धारण करने के पीछे  क्या अर्थ हैं यह तो आप त्रिपुर भैरवी  महाविद्या लेख में जान  हि चुके हैं .....

आज के लिए बस इतना ही 

 क्रमश : 

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 As you all are aware about this sadhanaand knew many facts  , but have you ever think that  the sadhana which  gives and pour amrit  in your life’s every part either physical or spiritual one and gives you spiritual height and  success in all the aspect of  our life, That can  also have this form..
That is the form which  has name “uchchhist chandalini” form. Sadhak  can not imagine that, what this form of  divine mother look like. As her name clearly shows that  in this form she definitely the ruler of shamshan , and than who can stand in front of  her furious  form. divine mother in this form , what can not provide to her sadhak,
But why this form is needed?, why shamshan sadhana is needed?, you can say  why the height ( in all respect ) in life is necessary? ,life can be  pass’s as a beggar  too,  since everyone came here just for death than what is value of  these points?.
 So Why we need to learn and understand this type of sadhana?, or any other sadhana, why to take unnecessary tension/headache?.
Keep remember from the  childhood we studied/ learn that  or you  can say that  this feeling already  reside in  our  blood that  what is human life , only a ash nothing  more, shamshan is the  last manzil of any life,.. so accept all thing in life a coward,, without  showing any sign that  you are also have  right to live like a person / like a lion .  Forget every one or everything  and bear pain since  “ kshama veerasy bhushnam”( means giving  pardon to every one is sign of  brave …)
But think about a minit ,very clearly  that, this  is  not the  ornament of cowards ... 
We all are consider  the shamshan is our last  point that’s why  this negative  philosophy comes in our way life, kash we remember we are  born to be endless to reach  siddhashram  through sadhana  than the picture will be totally different .
 We forget that every day ,we says that we are  the son of amrit . Soul is immortal , so is it not possible that even this body can also be immortal .
Our culture has  a philosophy and still is  thought  it seems  we forget that “ mrityorma amrit gamy “ but how we can get this amrittatv…that can be only achieved  through sadhana… through begging you can full fill your some needs but  can not have  a real purush.(here I means both man /woman)
Friends , the sadhana which takes some times in divine mother soumy  form , can  be very quickly completed and provide  result through ugra sadhana in shamshan. those who want  to have success early and wants to reach heights in  his/her life they must have to think on ugra sadhana, other wise through soumy sadhana life can be pass but each  and every moments can not  be enjoyed  .
 The most  popular sadhana related to  Maa matangi are, first-“matangi harday  prayog”  this very important and unmatchable ,through  this one day sadhana. what  can not provide to sadhak, which  removes all the short comings in sadhak life, those who has read  old issue of mantra tantra yantra vigyan mag,  , already knew that so many times this sadhana appeared/published , and what a amazing prayog this is. Second is to get “matangi mahavidya Diksha “ from Sadgurudev and whatever mantra  you received  with that do start anusthan.
 And in addition  to that any  sadhana, what  you get related to divine mother’s  this form all are very amazing one ,  so do them with full devotion and heart, and this sadhana can be completed or you can say mantra jap can be done either day or night time  no problem. No furious experience happened during sadhana times, only beautiful experience happens. So now who want to  loose this opportunity  to go for this sadhana, that is so easy,..
 Till you know completely about  your sadhana isht ,how can you  think to have  full siddhita in that, how can sneh develop between  you and your isht.. without that sneh your sadhana mantra jap is like  a businessman that always be worried that how much mantra jap I did/does  and when I will have that siddhita… till you have  this state of mine  you cannot  find success in your spiritual  life.
 But also means that  till that stage you have to empty handed?. At first sadhak  has to start his sadhana having any  wish  so that its quite easy  for that isht to  ful lfil your desire  than to see your isht in  full form, since till a number of dosh  and other sins has not been removed  how can that isht appeared  before the sadhak, though this is difficult but not totally  impossible,
We all knew that dev varg is  not bounded by out  so called base less thought, like in one form of  matangi ma has a veena but on other form she has many weapons  but not veena. we Only have to see that according to the dhyan we are using in our sadhana the photo or statue matches  or not. Since every dev devta has shat naam means 100 naam and shahastra naams strota  means thousand names, that each photo  totally depend upon the artist that  which type of image  he wanted to draw as he like most. so that does not means that other forms are not having and value or importance.
 Divine mother has blue in color, why  she accepted blue color,  once swami Vivekanand ji asked  in  a school why   Bhagvaan shri krishan   is blue, and  why sky is blue  and why the water of sea has blue color. One boy answered that is because shri krishn is endless, so the sky also endless and water of sea also cannot be measurable, that ‘s why  they all are having blue color.
 Swami ji blessed that boy later that boy famous as chkravarti raaj  gopalachary.
 So you can understand why mother has blue in color and why she wear red colored sari , reason of that   I have already  discuss in  mother tripur bhairvi articles.
So this is enough for this day
 In continuous…
****NPRU****

1 comment:

rahul, Pune said...

Dear brother Arif,
when the 6th issue of Tantra Kaumudi is going to be released ? If it is released then kindly send me a copy of the same.