जीवन की सर्वोच्चता हैं की हम साधनामय बने , सदगुरुदेव जी के दिव्य श्री चरणों के आश्रय में क्रमशः आगे बढ़ते जाये और उनके ब्रम्ह स्वरुप में लीन हो या वह हमारे ब्रम्ह स्वरुप से हमारा परिचय कराये, वेसे भी शिष्य ओर सदगुरुदेव में केबल यदि कोई भेद हैं तो वह मात्रा गत ही तो हैं क्योंकि जब उन्होंने कह दिया की तुम मेरे अपने ही हो मेरे आत्मंश तो क्या अब भी कुछ शेष रह जाताहैं..
तंत्र साधना के सर्वोच्च शिखर में एक बेहद ही उच्च शिखर हैं वह हैं शाक्त साधना का क्योंकि इसमें साधक न तो अपने इष्ट के सामने रोता हैं न आसूं बहाता बैठा रहता हैं न ही केबल प्रार्थना करता रहता हैं और न ही स्तवन , न ही केबल पूजा का आश्रय लिए बैठा रहता हैं , क्योंकि वह तो अपने इष्ट से एकाकार हो जाने की साधना हैं प्रकृति और पुरुष के मिलन की साधना हैं.
इसी क्रम में तो यह दस महाविद्या साधना आती हैंजो साधक को उसके इष्ट तक पंहुचा देती हैं .
माँ मातंगी के हाथ में जप माला हैं जो साधक को जीवन में हमेशा साधना मय होने की और इशारा करती हैं , ओर इस तथ्य की और हमारा ध्यान दिलाती हैं की हम जिन देवी देवता को अपना इष्ट मानते हैं वे भी हमेशा साधना म य रहते हैं, साधक इस बात को हृदयंगम करे की साधना तो जीवन मे उतनी ही जरुरी हैं जितना भोजन पानी .
माँ के हाँथ में रक्त लिप्त खडग हैं जो इस बात का परिचायक हैंकि वे सदैव जीवन की कमियों को , शत्रुओं को नष्ट करने में हमेशा ही तत्पर रहती हैं , यहाँ पर यह ध्यान रखना चाहिए बाह्य्गत शत्रुओ की अपेक्षा अंतर मन के शत्रु (काम ,क्रोध , लोभ,लालच ,अहंकार ) तो अमरण शील हैं, इन पर सदैव निगाह रखना ही पड़ता ही हैं .
काम भावना का भी जीवन में एक स्थान हैं , उसी तरह क्रोध का भी क्योंकि बिना क्रोध के जीवन तो पशु सा हो जायेगा ,पर इन सब पर नियत्रण कैसे हो , इसीके प्रतीक में माँ ने अंकुश भी धारण कर रखा हैं ,
ललाट पर चन्द्र ,शीतलता का प्रतीक हैं , जिसका मन शीतल होगा वही तो जीवनमे ठोस कार्य कर पायेगा , यहाँ यह बात ध्यान रखे की बड़े बड़े संकल्प , केबल क्रोध की अवस्था में ही संभव हो पाते हैं जब व्यक्ति अपमान , या परिस्थति के कारण विवश हो जाये तब वह अपने क्रोध को एक दिशा दे कर सम्पूर्ण मन को एकाग्र कर के ही संकल्प ले सकता हैं , आराम से हस्ते मुकुराते हुए संकल्प लिया नहीं जाता हैं ( यहाँ पर में साधना के दौरान लिए गए संकल्प प्रक्रिया की बात नहीं कर रहा हूँ). पर उस संकल्प को वास्तविकता में केबल ओर केबल वही उतार सकता हैं जिसका दिमाग ठंडा हो,आयुर्वेद की दृष्टी से दिमाग को तो ठंडा रहना ही चाहिए .
वही उन के हाँथ में ढाल भी सुशोभित भी हैं ,जब जीवन संग्राम में आप उतर रहे हो तो सिर्फ आघात पर ही नहीं परिस्थितियों से बचाव के तरीके भी आने चाहिये कहाँ पर आघात करना हैं कहाँ पर शांत रहना हैं यह भी तो ज्ञान होना चाहिए ,हर योद्धा बचाव के अस्त्र भी साथ ले कर चलता हैं, जब तक वह अवस्था नहीं आ पाई हो अंधाधुध अपने आपको परिस्थितियों के हाल पर छोड़ देना ,केबल मुर्खता या बेबकूफी ही कही जाएगी न ...
कुछ स्वरूपों में दिव्य माँ के हाँथ में वीणा भी सुशोभित हैं जो उनके संगीत के अधिष्ठात्री होने के साथ साथ जीवन में संगीत तत्व की महत्ता भी समझाने की क्रिया हैं क्योंकि एक वीणा तभी अच्छे से संगीत की रचना कर सकती हैं जब उसके सभी तार न ज्यादा खींचे हो न ही ढीले हो , यही तो माँ वीणा के माध्यम से साधक को समझा रही हैं की जीवन के किसी भी पक्ष की उपेक्षा नहीं करो , सभी में जो सामंजस्य कर सकता हैं उसके जीवन के संगीत से सभी मुग्ध हो पाएंगे न ..
अब दिव्य माँ के स्वरुप के बारे में कितना लिखा जा सकता हैं उनकी साधना कर शेष उनके और सदगुरुदेव के श्री मुख से स्वयं ही न जान लीजिये ,क्योंकि हरि अनंत हरी कथा अनंता .....
आज के लिए बस इतना ही......
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Reaching The height of life will be possible only when we offer our life to Sadgurudev ji’s divine lotus feet, and taking his guidance and blessing progressed on this path and become one with his bramhaand swarup or he introduce us in our own bramhaand form. In true sense there is no difference between shishy and Sadgurudev , if any difference have that is only quality wise. Since when he told that we are his aatmansh (part of his soul) than what will be left to write…
There is one very great aspect of tantra sadhana , i.e. SHAKT sadhana, in that sadhak never cry in front of his isht neither only do his pooja ,and so no stavan path only and also no oonly prayer, since this sect is provide a way where sadhak and his isht become one. And how prakriti and purush unite again.
And das mahavidya sadhana is one which leads to its sadhak to that point.
Mother matangi has jap rosary in her hand that simply shows that sadhak should always be sadhanamay , and also indicating any devi or devta who is our isht also sadhanamay, so this fact /reality must be accepted in heart that like food and water sadhana also a essential part in human life.
Mother has blood covered sward that indicate she always be ready to destroy the short coming and enemy of life, here one fact that sadhak must also remember that compare to outer enemy , inner enemy like kaam ( roughly meaning sexual desire) ,anger greed, ego are immortal one , one must keep vigil always very carefully on them.
Kaam bhavna also has specific place and importance in life like that anger has also, other wise without anger our life become just like animal .but how can be have control on them, to show that fact mother has ankush in her hand .
Moon is on her fore head , is sign that shows that any one who want do some solid work must have coolness in his mind. Here one important thing is that too remember that only in time of anger and bitterness felt because of circumstances in life ,one take a strong sankalp/pratigya , that cannot be possible that when you are just laughing and smiling and took a pratigya. But to fulfill that one must a cool mind.(here sankalp Is not that which is taken in sadhana times) and as per ayurved point of view one should have cool mind.
When you are appearing in war of life ,that time you also have remember that how to protect yourself and where to attack and where to have protect yourself , since without reaching a certain high level in sadhana where all your protection is totally done by divine one, one should not blindly through himself In midst of danger. every worrier also taken with him some instrument of protection. That is showing by dhal taken by mother.
There are some forms in which mother has taken veena in her hand . which indicate that she is the ruler of sangeet field, but also showing that veena can only produces better music when all its string are not too tight and not too loose so a proper balance is need , so sadhak also has to show proper balance in his life only than the music coming out of his life , can provide shelter to other heart
Now what more can be written out divine mother … there is no end since hari anant so hari katha ananta ( means Bhagvaan vishnu is infinite so story related to him also infinite ) remaining things why not you know yourself through sadhana of mother and Sadgurudev Bhagvaan…
This is enough for today
****NPRU****
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