भाग्य का अर्थ है
प्रारब्ध रचित. हमारे कर्मो के अनुसार हमारे जीवन की जिस गति का निर्माण होता है
वही है भाग्य. उसी के अनुसार हमारे जीवन के काल खंड मे घटनाओ का एक क्रम बनता है
जिसमे अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थितियो का समावेश होता है और वही हमारा जीवन है.
हमारे लिए जो भी अनुकूल होता है उसे हम सौभाग्य का प्रतीक मानते है. उसी क्रम मे
मनुष्य अपनी गति के अनुसार सौभाग्य को प्राप्त करता है.
कर्म बंधन से मुक्त
होने के लिए ही तन्त्र का चयन आदि काल से रहा है. किस प्रकार से प्रकृति को अपना
सहयोगी बनाया जाये यही मूल चिंतन रहा. दुर्भाग्य को सौभाग्य मे बदलने के लिए कई
प्रकार के विधानों का निर्माण हुआ. उसी प्रकार सौभाग्य की वृद्धि के लिए भी सरल
विधानों का संकलन हुआ. भाग्य आपके अनुकूल है तो जीवन भी आपका अनुकूल ही रहेगा.
श्रीकृष्ण का व्यक्तीत्व हमेशा मायामाय रहा है, सम्पूर्ण सृष्टि को अपने अंदर
समाहित किए हुए भी वह जीवन भर अत्यधिक सामान्य बने रहे. उन्होंने योग का प्रचार
किया और कर्म को समजाने के लिए मानव जन्म लिया. लेकिन साथ ही साथ उस कर्म से
प्राप्त भाग्य की वृद्धि के लिए भी कई विधानों का समावेश किया था. श्रीकृष्ण से
सबंधित कई ग्रन्थ है जो की अब लुप्त है जिसमे योग, तन्त्र, पारद,
सूर्य विज्ञान व् तन्त्र से सबंधित साधनाए सामिल है. ऐसा ही एक ग्रन्थ है
कृष्णयमल. जिसमे उन सरल व् अचूक प्रयोगों का समावेश किया गया है जो की कृष्ण से
सबंधित अत्यधिक तीव्र विधान है.
इसी क्रम मे जीवन मे
सौभाग्य की वृद्धि के लिए भी एक अत्यधिक प्रभावकारी प्रयोग है जो की आप सब के मध्य
रखना चाहूँगा
इस साधना को दिन या रात
किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन समय रोज एक ही रहे. इसके साथ ही साथ मंत्रजाप
की संख्या भी रोज एक ही रहे. साधक इस साधना को किसी भी दिन शुरू कर सकते है
वस्त्र सफ़ेद रहे दिशा
उत्तर, साधक अपने सामने कृष्ण का विराट रूप का कोई चित्र स्थापित करे और सामान्य
पूजन करे उसके बाद निम्न मंत्र की ३, ७ या २१ माला मंत्र जाप करे. इसमें स्फटिक
माला का उपयोग किया जाता है.
ॐ जगतगुरु सर्व सुख सौभाग्य
वृद्धिं नमः
मन्त्र जाप के पहले और
बाद मे गुरु मंत्र की १ – १ माला करना ना भूले.
यह क्रम २१ दिन तक चलता
रहे. साधक इन २१ दिनों मे परिणामों का अनुभव खुद ही करने लगेगा, और २१ दिनों बाद
सौभाग्य की वृद्धि सभी दिशाओ मे नज़र आएगी चाहे वह सबंध, व्यापार, सहकार या फिर
किसी भी पक्ष से सबंधित हो.
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Fate is
composing of destiny. The way of our life which has been designed based on our
deeds is the fate. This way only, with favorable and non favorable situations,
there becomes a series of incidents in our live and that is our life. Whatever
is ‘in-favor’ to us, we count it as good fortune. With this way human receives
good fortune based on his deeds.
To get relief from ‘karma bandhana’
the selection of the tantra had remained from ancient time. How nature could be
associate for our benefit had remained major objective. Innovations of
processes to convert bad fortune to good came to existence. This way to
increase good fortune few easy processes even came to Compilation of them. If
your fate is in your favour, your life will also be in your favour. The
personality of shri Krishna had always remained mysterious, while merging whole
universe in himself, he lived completely normal for his complete life time. He
promoted various yoga and took birth to make us understand about karma. But
with this, he even described processes for the development of good fortune
generated through karma. There are so many scriptures related to shri Krishna
which are now extinct including processes related to yoga, tantra, paarad
vigyana, Surya vigyana & tantra. One of such scripture is Krishnayamal. In
which those processes are included which are realted to krishana and very
effective in nature.
In this way, there is one very
effective process for the development of good fortune which I would like to
share with you all.
This sadhana could be done at any
time of day or night, but daily the time should remain same. With that no. of
mantra chanting should also remain same daily. Sadhak can start this sadhana
from any of the day.
Cloth should be white in colour and
north direction, sadhak should place picture of Krishna with his virat swaroop
in front of him and after doing normal poojan of the same, one should chant
following mantra’s 3, 7 or 21 rosaries. In
this process sfatik rosary should be brought in use.
Om
Jagataguru Sarv Sukh Saubhagya Vruddhim namah
One should not forget to chant one
rosary of guru mantra after and before mantra chanting is done.
This procedure should be continuing
for 21 days. Sadhak will start experiencing results of this sadhana in these 21
days, and after 21 days increment in good fortune will come from all directions
however it may b related to anything for example relations, business,
co-operation or it may be anything else.
****NPRU****
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